"आज से वो स्वतंत्र हैं"
अभिनव बचपन से ही प्रकृति की सुन्दरता से प्रेम करता है।उसे पशु- पक्षियों और पेड़-पौधों से बहुत अधिक लगाव है।उसके लगाव का एक कारण उसके पापा का चिड़ियाघर में नौकरी करना भी है।वह अपने पापा के साथ जब भी अवसर मिलता चिड़ियाघर घूमने चला जाता है।चिड़ियाघर में घंटों पक्षियों को एक टक निहारता रहता।
किसी पक्षी को चोट लग जाती तो वह उसे घर उठाकर ले आता उसकी मरहम पट्टी कर उसे ठीक करने में लगा रहता, कुछ पक्षी घर पर ही रह जाते; वह उन्हे दाना पानी देता, देखादेख अन्य कई पक्षी भी दाना चुगने आने लगे।
उसका पक्षियों से ये लगाव ना जाने कब उन्हे घर पर पिंजरे में बन्द करने की ओर चला गया इस बात का अभिनव को स्मरण नही है।
अभिनव जहां कहीं भी घूमने जाता वहाँ से कोई ना कोई पक्षी खरीद कर ले आता,उसके पास बहुत से पक्षी है जैसे बहुत सी गौरैया,कई रंग-बिरंगी चिड़िया, तोते,सैकड़ो कबूतर,कौआ,मोर,तीतर के जोड़े आदि। उसका इरादा भविष्य में पक्षियों की एक प्रदर्शनी लगाने का है।आज उसके पास कई प्रजातियों के पक्षी हैं।
अभिनव की मां आंचल अकसर एक ही बात कहती है,
पहले से ही बाप क्या कम था जो ये बेटा भी इन पक्षियों के चक्कर में पड़ गया।
बाप चिड़ियाघर में नौकरी करता है, और बेटे ने तो एक कदम आगे जाकर घर को ही चिड़ियाघर बना दिया। दिन-रात इन पिंजरो में बंद सैकड़ों पक्षियों की कायं-कायं सुनते रहो।नींद तक हराम कर रखी है।
अभिनव.. एक चिड़िया की ओर देखते हुए- मां वो कायं-कायं नही करते बल्कि तरह-तरह की मधुर आवाज़े निकालते हैं,
जरा कभी दिल से सुनो;
आंचल-जा रहने दे क्यों मेरा माथा गरम करता है, तेरे एक तोते ने मेरी साड़ी पर बीट करके पहले ही मेरा दिमाग खराब कर रखा है।
अभिनव-अच्छा मां तु नाराज़ ना हो, मै साफ कर दूंगा।अब मेरे लिये कुछ खाने को लाकर यहाँ टेबल पर रख दो; मै जरा पक्षियों को दाना डालकर आता हूं।
आंचल-अभी थोड़ी देर में तेरे पापा आते ही होंगे, दोनो को एक साथ खाना दे दूंगी।अभी मै पालक साफ कर रही हूं।
अभिनव-ठीक है मां,
तभी डोर वैल सुनाई देती है... कूऊ कूऊ कूऊ कुऊ कुऊ.....
अभिनव जाकर दरवाज़ा खोलता है; अरे पापा आज बड़ी देर कर दी आने में।
पापा-वो चिड़ियाघर में एक हिरण की तबियत थोड़ी खराब हो गई थी तो डॉक्टर साहब के साथ कुछ देर रहकर उसका इलाज करना पड़ा।
अभिनव उत्सुकता से- क्या अब वो ठीक है??
हाँ...उसके पेट में दर्द था शायद किसी दूसरे हिरण ने अपना सींग मार दिया होगा; डॉक्टर साहब ने दर्द का इन्जेक्शन लगा दिया है, उसे अब आराम है।
आंचल-आ गये चलो अब हाथ मूंह धोकर खाना खा लो; मैने आज पालक पनीर बनाया है।
ठीक है अभी आता हूं,अरविंद ये कहकर बाथरूम की ओर चला जाता है।
खाना खाते हुए पापा अभिनव से कहते हैं टीवी ऑन करके न्यूज़ चला दो।
अभिनव पापा न्यूज़ चैनल पर तो सुबह से कोरोना वायरस से संक्रमण के बारे में दिखा रहें;चीन में कई लोग इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं।
कौन से वायरस के बारे में दिखा रहें है।
अभिनव ....कोरोना
पापा-अब ये कौन सी नई बला आ गई।
तभी एक न्यूज़ चैनल पर कोरोना के बारें में एक महिला ऐंकर बता रही है कि ये बेहद ही खतरनाक किस्म का वायरस है।
चीन ने वुहान शहर में लोगों को घरों में कैद करना शूरू कर दिया है।
अरविंद चैनल बदलता है तो दुसरे सभी न्यूज़ चैनलों पर भी यही खबर चल रही है।
तभी आंचल कहती है कल बाज़ार से एक किलो मावा लेते आना मुझे शिवरात्री के व्रत के लिये मिठाई बनानी है दो किलो आलू ढाई सौ ग्राम इमली, सेंधा नमक का पैकेट एक दर्जन केले और हां मन्दिर में चढ़ाने को आधा किलो बेर भी लेते आना।
अरविंद...अरे एक सांस में ही सारे सामान गिना दिये मै याद कैसे रखूंगा; ये सारा सामान एक पर्चे पर लिख कर दे देना।
मै लौटते वक़्त लेता आऊंगा।
जी..... मै लिखकर दे दूंगी,
अब आप सो जाइये, काफी रात हो चुकी है।
ठीक है ...Good night.
शिवरात्रि के बीत जाने के बाद अब होली करीब आ चुकी है;पर साथ ही कोरोना वायरस (Covid-19) की खबरों ने जैसे आग पकड़ ली हो।
समाचारों में दिखाया जा रहा है कि कैसे धीरे-धीरे ये संक्रमण गम्भीर होने लग गया है,और अन्य देशों में भी इसकी आंच पहुंचने लगी है।क्योंकि ये वायरस मानव से मानव में फैलता है,
इसी कारण यदि कोई व्यक्ति इस वायरस से संक्रमित है तो उसके सम्पर्क में आने पर अन्य व्यक्तियों को भी संक्रमण हो सकता है;
इसी प्रकार एक श्रंखला सी बन गई है जो बहुत दूर तक फैलने लगी है।
कोरोना की खबरों के बीच होली मनायी जाती है।
अब चीन से निकलकर ये संक्रमण कई विकसित देशों जैसे अमेरिका, इटली, फ्रांस, ब्रिटेन, स्पेन,आदि देशों में बड़ी बुरी तरह से फैल गया है।
शहरों को लॉक डाउन कर दिया है।लोगों को घरों में ही रहने की सलाह दी जा रही है
भारत में भी शिक्षण संस्थानो सार्वजनिक स्थानो को बन्द कर दिया गया है।
हमारे माननीय प्रधान मंत्री मोदीजी ने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू की अपील की है।
अरविंद घर आकर कहता है कि ये संक्रमण बेहद खतरनाक है इसका अभी कोई इलाज नही है।इसलिये घर पर ही रहो।
जी,पापा जी।
और हां बार-बार हाथों को धोते रहो और स्वच्छता का ध्यान रखो।
जनता कर्फ्यू के दिन अभिनव चम्मच से थाली बजाता है पापा मम्मी तालियां बजाकर उसका समर्थन करते हैं,आस पड़ोस के लोग भी यही कर रहे हैं।
टीवी पर दिखाया जा रहा है कि किस प्रकार पूरे देश में लोग थाल, घन्टियां, तालियां बजाकर जो लोग संक्रमण में हमारी सुरक्षा के लिये लगे हैं उनका उत्साह वर्धन कर रहें हैं।
विश्व में कोरोना का खतरा बढ़ता जा रहा है।मरीजो की संख्या बड़ी तेजी से बढ़ रही है।
फिर प्रधान मंत्री जी 21 दिनो के लॉक डाउन की बिनती करते है।
अब सभी को घरो पर रहकर इस कोरोना से लड़ना है क्योंकि सोशल डिसटेनसिंग ही अभी इसका उपचार है।
घर पर रहते हुए अभिनव को बुरा लग रहा है क्योंकि उसे कुछ पक्षियों को खरीदकर लाना था,
अगले महीने उसने पक्षियों की प्रदर्शनी लगाने की खबर अखबार में छपवाई थी और खुद भी सोशल मीडिया पर इसका प्रचार कर रहा था।
खैर अब घर पर रुकने के सिवा दुसरा कोई विकल्प ना था।
तो अभिनव पिंजरों बंद पक्षियों की देख-रेख में अधिक समय देने लगता है।
वह घर पर पड़े तारों से और पिंजरे बनाने में लग जाता है।
लॉक डाउन के सात दिन बीत जाते हैं।
5 अप्रैल रात 9 बजे 9 मिनट के लिये प्रधान मंत्री जी की घोषणा पर सभी भारतवासी दीये,टॉर्च,मोमबत्ती, मोबाइल की फ्लैश लाईट जलाकर कोरोना के अंधकार को मिटाने के लिये अपनी एकजुटता दिखाते हैं।कुछ तो दीवाली की तरह पटाखे भी फोड़ने लगते हैं।
अब अभिनव कुछ उदास है।
मम्मी आकर पास बैठती है और पूछती है क्या हुआ बेटा इतने उदास क्यों हो।
अभिनव-मां घर में पड़े पड़े अब घुटन सी होने लगी है ऐसा लगता है जैसे कैद हो गई हो।
आंचल- बेटा तुझे तो थोड़े दिनो में ही कैद लगने लग गई,जरा अपने पक्षियों को देख ये बेचारे कैसे पिंजरे में कैद रहते हैं,
क्या इनका मन खुले आसमान में उड़ने को नही करता??
अभिनव-मां मै इनका कितना ध्यान रखता हूं इन्हे खाने को तरह-तरह की चीज़े देता हूं,और ये पिंजरा तो इनका घर है भला इसमे इन्हे क्या कैद लगती होगी ये तो इनकी रक्षा करता है।
आंचल भारी और करूणा भरे स्वर में....."पिंजरा तो पिंजरा है चाहे सोने का ही क्यो ना हो?
मां की इस बात ने अभिनव को गम्भीर कर दिया।
वह उठकर बालकनी में जाकर खड़ा हो गया और आसमान में उड़ते परिंदों को देखने लगा।
तभी एक कबूतर का जोड़ा घर के पास से होकर गुज़र रही सड़क पर आकर बैठ गया, वहाँ पहले से ही कई सारे कबूतर, चिडियाँ दाना चुग रहे थे।सड़के लॉक डाउन की वजह से खाली थी तो पशु पक्षी प्रसन्न भाव से विचरण कर रहे हैं।
ऐसा दृश्य अभिनव ने पहले कभी नहीं देखा था।
उसका मन कुण्ठा से भर उठा।
मन ही मन उसे पक्षियों को पिंजरे में कैद रखने की अपनी आदत पर पीड़ा अनुभव होने लगी।
इस लॉक डाउन की स्थिति में उसने घर पर रहकर यह सीखा कि स्वतंत्रता सभी के लिये आवश्यक है।
कोरोना संक्रमण को हराकर सब सामान्य जीवन की ओर लौटने लगे।
और फिर वो दिन आ गया जिस दिन अभिनव ने पक्षियों की प्रदर्शनी लगाने की बात कही थी।
उसने मां को बुलाया और कहा, क्या आप मेरी सहायता करेंगी??
मां-कैसी सहायता?
अभिनव मां आज वोही दिन है जब मुझे पक्षियों की प्रदर्शनी लगानी थी।
मां...हां, मुझे याद है।
तो फिर
अभिनव मुझे प्रदर्शनी लगानी है।
मै सभी को सोशल मीडिया पर उनके घर से रहकर ही प्रदर्शनी देखने की बात शेयर कर चुका हूं।
घर से रहकर, वो कैसे? आंचल बीच में ही बोल पड़ी।
अभिनव मां तु कहती है ना कि इन पिंजरों मे पक्षियों को घुटन होती है
तो मै आज इन सब को स्वतंत्र कर दूंगा।
तु भी मेरी सहायता कर।
तु मेरा पक्षियों को स्वतंत्र करते हुए वीडियो शूट करना, मै उसे whatsapp, facebook पर अपलोड करूंगा।
मां अभिनव का माथा चूमते हुए....वाह!... मेरे बच्चे आज तुने सही फैसला लिया है।
जल्दी चल....इन परिंदों को खुले आसमान में उड़ने के लिये आजाद कर देते हैं।
ठीक है मां।
फिर धीरे-धीरे एक एक करके सारे पक्षियों को अभिनव और उसकी मां स्वतंत्र कर देते है।
सारे पक्षी आसमान में उड़ने लगते हैं।
आस पड़ोस के बच्चे तालियां बजाने लगते है।
अभिनव की खुशी के मारे आंखे भर आती हैं।
वह उड़ते हुए पक्षियों का वीडियों शेयर करता है और caption लिखता है "आप सभी का स्वागत है, लो देख लो प्रदर्शनी।
वो भी खुले आसमान में"
शाम को पापा घर लौटते हैं।
तो पिंजरों को खाली देख अभिनव को आवाज लगाते हैं,
अरे! अभिनव तेरे सारे पक्षी कहाँ गये।
अभिनव बस यही कहता है कि.....
"आज से वो स्वतंत्र हैं।"
सादर धन्यवाद
नमस्ते
Note-काल्पनिक कहानी वास्तविकता से संबंध नही।
सौरभ चौधरी।