Gumnaam - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

गुमनाम - 2

रवि को गुम हुए 3 घंटे हो चुके थे। अभी तक उसका कोई पता नही था। उसके सारे दोस्त और करीब के रिस्तेदारो को फोन करके पता कर चुके थे।पर कोई खबर न मिली।अब तो उन दोनों का भूरा हाल हो चुका था। अब तो उन्हें कुछ समझ मे नही आ रहा था। दोनो का रो रो के भूरा हाल हो गया था। वो दोनो पुलिस के पास गए ओर रोपॉर्ट दर्ज करवाई। पुलिस ने रिपोर्ट तो की पर अभी 24 घटे नही हुए थे ।तो पुलिस ने उन्हें अपनी ओर से सावधान रहने को कहा। और वो यही- कही होगा । आ जायेगा । 24 घटे के अंदर ना आये तो आप एक बार फिर आ के इन्फॉर्मेशन दे दीजिए गा। दिन रवि के मम्मी पापा के लिए बित ही भी कहा था। खाना-पीना तो छोड़ ही दिया था। रोज शोर से गुजने वाला घर मे आज सन्नटा छाया हुआ था।
देखते ही देेेखते रात हो गई पर अभी तक कोई पता नही था रवि का। दोनो पर जैसे आसमान टूट पड़ा हो ऐसा हाल। हो चुुका था।रात से सुुबाह हो चुकी थी। पर उन्हें तो कोई खबर नही थी की आसपास क्या हो रहा है।अचानक घर की डोरबेल बाजी । दोनो एकदम अपनी जागह से खड़े तो गए। उन्हें लगा रवि आ गया है। दौड़ ने दरवाजा खोला तो कोई नही था। उनकी आशयों पर पानी फिर गया।सूरेश ने नीचे देखा तोएक चिट्टी पड़ी हुुई
थी। चिट्टी उठाई ओर पड़ी तो उसमें रवि के बारे में लिखा हुआ था।


रवि मेरे पास के ..उसे बचना चाहते हो तो मेरे फोन का इंतजार करो।

चिट्टी के साथ एक चैन भी थी। जो सुरेश ने ही रवि को जन्मदिन पे दी भी। दोनो ये चिट्टी लेके पुलिस स्टेशन पोहच गए। पुलिस को सब बताया । पुलिस अब समज गई थी। ये अपहरण का केश है। पुलिस ने फोन कॉल का इंतजार करने को कहा। पर माता पिता का दिल तो अभी जोरो से धड़क रहा था।

पता नही मेरे लाल कहा हो गया..कुछ खाया होगा या नही।उसे किसी ने चोट तो नही पोहचाई होगी..ये सब सवाल उनको परेशान कर रहे थे। दोनो अब फोन कॉल की राह देख रहे थे। दिन बीत जाता है ।पर कोई खबर नही मिलती। रात से सुबह हो गई। दोनो की आखों में नीद की एक बूंद नही थी। खाना पीना भी भूल चुके थे। घर की डोरबेल बजती है। दरवाजा खोलने पर कोई नही मिलता पर पिछली बार की तरह चिट्टी लिखी हुई मिलती है। चिट्टी खोलते है और डर भरे हाथो से उसे पड़ते है।

तुम्हें पता था कि तुमारा बेटा गायब है और उसे गायब करने वाली की चिट्ठी भी आई है तो फिर भी तुम पुलिस को बुलाने ऐसी बेवकूफी कैसे कर सकते है। तुमने बहोत बड़ी गलती करी है।तुमारे पापों की सजा तुमारे बेटे को मेले गई। तुम्हेने मुझे बर्बाद किया था अब तू होगा।

पहचान मुजे ..तुमारा दोस्त..जिसकी दोस्ती तुमने बहोत ऐसे से निभाई थी। अब बेटे को बचाना को बचना चाहते हो तो पॉलिसी कुछ मत बताना।
चिट्टी पड़ते ही सुरेश के होश उड़ गए। वो समज गया। कि ये कोन है। दूसरी ओर पुलिस का फोन आता है पर वो डरी हुई आवाज में अब इस मामले से दूर रहने के बारे में कहता है। पुलिस को कुछ समज नही आता पर कोई तो गड़बड़ है। वो अपनी कार्यवाही चालू रखते है। सुरेश को बताए बिना।



लेकिन अब सवाल ये उठता है कि वो आदमी को है जिसने रवि को गायब किया है..? सच मे सुरेश उसे जनता है..? रवि मिल भी पायेगा..? इन सवाल के जवाब अगली कहानी में होंगे।


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