Manager Sahab - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

मैनेजर साहब - 2

मैनेजर साहब नए ऑफिस मैं आये तो उनकी मुलाकात रीना नाम की कर्मचारी से हुई | समय के साथ दोनों के बीच घनिष्टता बढ़ती गयी | परन्तु किसी कारणवश विवाह नहीं हो सका | रीना ने ऑफिस के ही एक अन्य कर्मचारी से विवाह कर लिया | परन्तु मानसिक अवस्था का रीना की नौकरी पर असर दिखने लगा यहाँ तक की ऑफिस मैं मैनेजर साहब को रीना के लिए नोटिस भी जारी करना पड़ा |


अब आगे :


स्टाफ मैं कई लोगों को लग रहा था की मैनेजर साहब रीना को परेशान करने के लिए उसे नोटिस दे रहे है परंतु रीना जानती थी की उससे गलती हुई थी । परंतु समस्या थी की अगर रीना को तीसरा नोटिस और मिल जाता तो शायद रीना के भविष्य में होने वाले प्रोमोशन एवं वेतन वृद्धि के लिए बहुत बुरा होता और अगर लगातार ग़लतियाँ होती रहती तो शायद नौकरी से सस्पेंस भी किया जा सकता था |


मैनेजर साहब अपनी पूरी कार्य क्षमता से अपनी ब्रांच की उन्नति मैं योगदान दे रहे थे | हालांकि ऑफिस का वातावरण लगातार मैनेजर साहब के खिलाफ थे गुटबाज़ी लगातार जारी थी परन्तु उनकी ऑफिसियल लाइफ के साथ साथ पर्सनल लाइफ भी टूटे हुए सम्बन्धो से अप्रभावित थी वह लगातार अपनी प्रगति के पथ पर अग्रसर थे |


वहीँ रीना लगातार ग़लतियाँ कर रही थी | रीना को मालूम था की उसे कुछ न कुछ करना ही पड़ेगा | रीना का मानसिक दबाव और कुछ ऑफिस के मित्रों के बहकावे मैं आकर रीना ने आखिर वह कदम उठा ही लिया जो उसकी सभी ग़लतियों का जिम्मेदार किसी और को साबित कर सकता था | रीना ने मैनेजर साहब के खिलाफ सेक्सुअल हराशमेंट की शिकायत दर्ज़ करवा दी | शिकायत के दर्ज़ होते ही संपूर्ण व्यवस्था मैनेजर साहब के खिलाफ खड़ी हो गयी उनकी संपूर्ण योग्यता जैसे धूल का फूल बन कर रहा गयी और रीना की सारी की सारी ग़लतियाँ जैसे मैनेजर साहब के ऊपर आ गयी |


मैनेजर साहब के खिलाफ जाँच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया गया और मैनेजर साहब को जाँच प्रभावित ना कर सकने के लिए दूर एक अन्य ऑफिस मैं ट्रांसफर कर दिया गया | मैनेजर साहब ने तुरंत नयी जगह पर ज्वाइन किया परन्तु जब मैनेजर साहब पुराने ऑफिस से जा रहे थे तब सबको उम्मीद थी की वह रीना से समझौता करने का प्रयास अवश्य करेंगे परन्तु मैनेजर साहब ने ना तो रीना से समझौता करने का प्रयास किया और न ही किसी किस्म की कमज़ोरी दिखने का प्रयास किया | अधिकांश लोगो का मानना था की जाते वक़्त मैनेजर साहब की मुस्कराहट सिर्फ दिखावा मात्र थी परन्तु जल्द ही आस पड़ोस से आने वाली जानकारी के आधार पर सबके सामने यह तथ्य स्पष्ट था की मैनेजर साहब जाते वक़्त पूर्ण आत्मविश्वास मैं थे |


मैनेजर साहब का आत्मविश्वास रीना को चिंतित करने के लिए काफी था | मैनेजर साहब चले गयी और उनके स्थान पर नए अधिकारी भी आ गए परन्तु रीना चिंतित थी उसकी कार्य क्षमता अभी भी संतुलित नहीं हो पा रही थी | नए अधिकारी ने रीना को वक़्त दिया परन्तु रीना वक़्त का सदुपयोग नहीं कर पायी आखिर नए अधिकारी को भी रीना को वार्निंग देनी ही पड़ी | परन्तु हमारी कहानी का मुख्य-पात्र ना तो रीना है और ना ही नए अधिकारी इसीलिए इनकी चर्चा व्यर्थ है | हमारा मुख्य पात्र कहाँ है और क्या कर रहा है ?


मैनेजर साहब नए ऑफिस मैं ज्वाइन करने के पश्चात् लंबी छुट्टी पर चले गए | इस दौरान पता चला की उन्होंने कंपनी के सबसे बड़े अधिकारी यानि की डायरेक्टर से मुलाकात भी की | डायरेक्टर साहब को उम्मीद थी की मैनेजर साहब उनसे जांच को प्रभावित करने की प्रार्थना करेंगे और डायरेक्टर साहब मैनेजर साहब की कार्य-क्षमता से प्रभावित अवश्य थे परन्तु जाँच मैं किसी भी तरह का दखल देने के लिए तैयार नहीं थे फिर भी मुलाकात आवश्यक थी | परन्तु मैनेजर साहब ने डायरेक्टर से ऐसी कोई प्रार्थना नहीं की बल्कि उन्होंने निष्पक्ष जाँच के लिए कमेटी मैं एक उच्चाधिकारी की नियुक्ति की प्रार्थना की जिसे डायरेक्टर साहब ने मंज़ूर कर लिया |


कमेटी की पहली मीटिंग और मैनेजर साहब कमेटी के सामने उपस्थित हुए जहाँ पर हेड क्वार्टर से आये उच्चाधिकारी ने स्पष्ट कर दिया की उनकी ज़िम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ यह सुनिश्चित करना है की मैनेजर साहब जो भी स्टेटमेंट अथवा सबूत पेश करें वह फाइल मैं दर्ज़ हो इसके अतिरिक्त कमेटी अपने तरीके से जाँच एवं रिपोर्ट देने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र रहेगी | इसके बाद रीना का बयान दर्ज़ कर लिया गया और रीना के पक्ष मैं कुछ और बयान भी दर्ज़ किये गए और मैनेजर साहब को अपना पक्ष रखने के लिए वक़्त दे दिया गया | क्योंकि उच्चाधिकारी को अन्य शहर से आना था अतः अगली मीटिंग की तारीख उनकी सुविधा अनुसार 3 महीने बाद की रख दी गयी | मैनेजर साहब सिर्फ वक़्त चाहते थे जोकि नए अधिकारी की नियुक्ति से संभव हो सका |


आखिर मैनेजर साहब इस वक़्त का क्या और कैसे सदुपयोग करना चाहते थे ? मैनेजर साहब ग़ायब हो गए ना वह घर पर थे और ना ही ऑफिस | आखिर मैनेजर साहब कहाँ थे और क्या कर रहे थे ?


कुछ हफ़्तों बाद


सिंह साहब पिछले कई वर्षों से शहर मैं रह रहे थे और वह अपने जीवन से लगभग संतुष्ट भी थे | उनको जीवन एक निश्चित व्यवस्था के तहत चल रहा था | पूरा सप्ताह ऑफ़िस मैं गुजरने के बाद रविवार उनका अपना था | रविवार का अधिकांश समय परिवार की जिमेदारियों को निभाने मैं व्यतीत हो जाता परन्तु इसके बावजूद रविवार शाम को सिंह साहब एक मूवी देखने का अवसर ज़रूर निकल लेते थे | सिंह साहब की आर्थिक स्थिति बिगड़ी हुई थी परन्तु उनकी अधिकांश इनकम बिल, किराये घर खर्च, बच्चों की पढ़ाई मैं खर्च हो जाती | सिंह साहब का बैंक बैलेंस लगभग शून्य ही था | उनके पास जो भी सेविंग्स थी वह उनकी पत्नी की आय से हो पति थी | सिंह साहब सुपर मार्किट मैं अपनी पत्नी के साथ शॉपिंग कर रहे थे | यह उनकी साप्ताहिक व्यवस्था का हिस्सा था | पति पत्नी दोनों नौकरी करते थे इसीलिए रविवार के दिन सुपरमार्केट से पुरे सप्ताह की ख़रीददारी कर ली जाती थी | ख़रीददारी करने के बाद तकरीबन 10 हज़ार का बिल बना | सिंह साहब ने अपनी जेब से कुछ पैसे निकल कर दे दिए और बाकी का पेमेंट अपनी पत्नी को करने के लिए बोल दिया | सिंह साहब के पास पूरे पैसा न होना असामान्य घटना थी हर बार सिंह साहब ही पेमेंट करते थे परन्तु उनकी पत्नी ने बिना कुछ सवाल पूछे पेमेंट कर दिया | अगले हफ्ते घटना की पुनरावृति हुई सिंह साहब ने कुछ पेमेंट कर दिया और बाकी पेमेंट अपनी पत्नी से करवाया | परन्तु यह कोई विशेष मुद्दा नहीं था जब तक की हर हफ्ते यही होने लगा | मिसेज़ सिंह का वेतन उनके बैंक अकाउंट को लगातार बढ़ता रहा था परन्तु अब बढ़ने की स्पीड कम हो गयी थी और मिसेज़ सिंह चिंतित थी | आखिर मिसेज़ सिंह ने मिस्टर सिंह से खुल कर बात करने का फैसला किया | खुलकर सामान्य माहौल मैं बातचीत हुई भी परन्तु मिसेज़ सिंह की चिंता का निवारण नहीं हो सका क्योंकि मिस्टर सिंह ने बहुत स्पष्ट शब्दों मैं कह दिया की जो भी खर्च होता है वह पारिवारिक है और उसमे दोनों को सहयोग देना पड़ेगा पिछले कुछ सप्ताह से मिस्टर सिंह 50 % पेमेंट कर रहे है और अब आगे यही व्यवस्था चालू रहेगी | मिसेज़ सिंह को अपना बैंक बैलेंस बिगड़ने की चिंता सत्ता रही थी वहीँ उनको यह चिंता भी सत्ता रही थी की आखिर मिस्टर सिंह अपना वेतन कहाँ खर्च करने लगे है | मिसेज सिंह की व्यवस्था चूर चूर हो चुकी थी परन्तु मिस्टर सिंह प्रसन्न थे क्योंकि अब उनके पास अपनी सेविंग्स भी थी और वह भी बिना किसी ज़िम्मेदारी से भागे |


चेतन महाशय जब कॉलेज मैं थे तब मित्रों के साथ पीने पिलाने का शोक पाल बैठे थे वह पियाकड़ नहीं थे परन्तु कभी कभी डिनर से पहले 2 - 3 पेग लेना उनको पसंद था | कॉलेज के बाद नौकरी लग गयी तब नए शहर मैं आ गए और डिनर से पहले 2 पेग लेना उनकी आदत बन गयी | उनके घर वालों को चेतन महाशय का पीना पसंद नहीं था परन्तु वह यह बहुत अच्छी तरह जानते थे की चेतन शराबी नहीं है वह सामान्य पीने वाला है और कभी भी होश नहीं गवाता इसीलिए आपत्ति नहीं की | वक़्त आने पर चेतन महाशय की शादी भी हो गयी और पत्नी ने आते ही चेतन महेश के पीने पर रोक लगा दी | इतनी सख्त रोक की अब यदि चेतन महाशय को पीने की इच्छा हो तो या तो ऑफिस टूर के बहाने कहीं बाहर जाना पड़ता या फिर घर से बाहर किसी बार मैं बैठना पड़ता और स्मेल छुपाने के लिए कभी इलाची या कभी कुछ और साधन का इस्तेमाल करना भी एक समस्या बनी हुई थी | चेतन महाशय की पत्नी अपनी व्यवस्था से खुश थी | चेतन महाशय के माता पिता भी इस व्यवस्था से खुश थे | फिर एक दिन व्यवस्था मैं कुछ सुराख हुआ | चेतन महाशय पी कर आये थे | पूरे होश मैं थे परन्तु स्मेल छुपाने का प्रयास नहीं किया गया था | वही हुआ जिसका डर था | चेतन महाशय को पत्नी से खरी खोटी सुननी पड़ी परन्तु चेतन महाशय अपनी अलग दुनिया मैं थे उन्होंने जैसे सुना ही नहीं | अगले दिन चेतन महाशय की पत्नी अपने हथियारों के साथ तैयार थी परन्तु चेतन महेश जब लौटे तब सामान्य थे और उनकी पत्नी संतुष्ट थी | परन्तु जब मिसेज़ चेतन डिनर की व्यवस्था कर रही थी तब मिस्टर चेतन ने अपने बेग मैं से छोटी बोतल निकली और 2 पेग लगा लिया | मिसेज़ चेतन का भड़का स्वाभाविक था परन्तु मिस्टर चेतन अपनी ही दुनिया मैं मस्त थे | कुछ दिन मैं बात यहाँ तक आ पहुंची की चेतन महाशय डिनर से पहले बाक़ायदा TV देखते हुए 2 पेग एन्जॉय करते | और मिसेज़ चेतन अपनी व्यवस्था के भंग होने से चिंतित हो उठी उनकी नज़र मैं चेतन महाशय बुरी संगत का शिकार हो गए थे | आखिर उन्होंने आर पार करने का फैसला किए और सहयोग के लिए चेतन महाशय के माता पिता को बुलवा लिया | सामान्य माहौल मैं चेतन महाशय हाथ मैं पेग लेकर अपनी पत्नी और अपने माँ बाप की बात सुनते रहे और आखिर मैं उन्होंने बहुत ही सामान्य शब्दों मैं स्पष्ट कर दिया की अब आगे से नयी व्यवस्था बनी रहेगी क्योंकि वह (चेतन) उनके पीने की क्वांटिटी कम एवं क्वालिटी अच्छी है | जितनी वह पीते है वह उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर नहीं ढाल सकती और न ही उनके फ़ाइनेंशियल स्टेटस पर प्रभाव पद रहा है और ना ही किसी कर्तव्य की अवहेलना कर रहे है | वह सिर्फ और सिर्फ अपने आनंद के लिए पीते है और अपने आनंद का ध्यान रखना उनका कर्त्तव्य है | मिसेज चेतन की व्यवस्था चूर चूर हो चुकी थी परन्तु चेतन महाशय अपने आनंद मैं थे और भी बिना किसी किस्म की कोताही किये |


रघुराज बचपन से ही लकड़ी की बारीक़ कारीगिरी करने मैं माहिर थे उनको यह काम पसंद था | रघुराज लकड़ी पर की गयी कारीगिरी को अपना व्यवसाय नहीं बना पाए परन्तु उनका यह शोक जवानी तक कायम रहा | उनके घर पर या यूं कहें की उनके माता पिता के घर पर उनके बनाये हुए बहुत सारे लकड़ी के मॉडल शो केस मैं सजे हुए थे | कॉलेज के ज़माने मैं रघुराज ने बाक़ायदा अपने घर पर एक छोटी सी कार्यशाला बना रखी थी और अपना खाली समय वही गुजरा करते थे | उस वक़्त उनका पूरा ध्यान एक छोटे से पानी के जहाज के बेड़े को बनाने मैं लग रहा था | वह एक खूबसूरत लकड़ी का जहाज था जिसमे छोटे छोटे केविन बहुत ही खूबसूरती से बनाये गए थे | जहाज बनाने का 40 % काम हो चूका था जब उनका विवाह तय हो गया | विवाह मैं ज्यादा समय नहीं था इसीलिए वक़्ती तौर पर रघुराज ने जहाज को सम्हाल कर रख दिया | विवाह के पश्चात् कई महीने तक उनके पास वक़्त नहीं था इसीलिए जहाज को पूरा नहीं बनाया जा सका उसके बाद उनका ट्रांसफर उस शहर मैं हो गया जहां उनकी पत्नी के माँ बाप रहते थे | आज भी यह बात रहस्य है की ट्रांसफर उसी शहर मैं क्यों और कैसे हुआ जहां उनका ससुराल था | खेर ट्रांसफर के बाद रघुराज अपनी पत्नी के साथ नए शहर मैं नए घर मैं आ कर रहने लगे | काफी बड़ा घर था रघुराज के लिए कार्यशाला बनाने के लिए जगह की कमी नहीं थी | रघुराज अपने जहाज के बेड़े को पूरा करना चाहते थे उसके लिए अपनी कार्यशाला को लाना चाहते थे परन्तु ऐसा हो पाना किसी न किसी कारण से टलता जा रहा था | एक दिन रघुराज ने अपने पिता को फ़ोन करने बात दिया कि उसकी कार्यशाला एवं जहाज को पैक करके भिजवा दिया जाए | राघराज के पिता ने राघराज की इच्छा अनुसार सारा सामान भिजवा दिया । जब कार्यशाला के यंत्र रघुराज के नए एड्रेस पर पहुंचे तब उनकी पत्नी घर पर थी । राघराज कि पत्नी ने उस कबाड़ को घर में रखने से पूरी तरह मना कर दिया उनका कहना था कि उनकी घर में गंदगी पसंद नहीं है । मामला इस हद तक बाद गया कि रघुराज़ की पत्नी ने स्पष्ट कर दिया कि यदि कार्यशाला वहां रहती है तो वो अपने माँ बाप के पास चली जायेगी । मजबूर होकर रघुराज को समान वहीं वापिस भिजवाना पड़ा जहां से वो आया था । इस घटना को आज 4 साल हो चुके है और अधूरा जहाज आज भी रघुराज का इंतज़ार कर रहा है । रघुराज की पत्नी जब घर पहुंची तब उसने कमरे मैं एक किनारे पर लकड़ी का जहाज देखा । उसे आश्चर्य अवश्य हुआ परंतु उसने नोटिस नहीं किया । कुछ दिन बाद जहाज के बगल में एक और जहाज दिखाई दिया जो पहले वाले जितना ही खूबसूरत परंतु अलग मॉडल का था । मिसेज़ रघुराज को पसंद नहीं आया । कुछ दिन और गुज़रे और तीसरा जहाज दिखाई दिया अचानक मिसेज़ रघुराज की त्योरियां चढ़ गई । बच्चों से पूछने पर पता चला कि राघराज ने ऊपर की मंज़िल पर बने कमरे में अपनी कार्यशाला स्थापित कर ली है और वहां पर वो अपना खाली समय गुजार रहे है । मिसेज़ रघुराज नाराज़ थी परंतु वो जानती थी कि उनकी मायके चली जाने की सिर्फ एक धमकी से कार्यशाला बंद हो जाएगी इसीलिए उन्होंने चिंता नहीं को । और वही उन्होंने किया भी जब रघुराज आँफिस से वापिस आये तो उनकी पत्नी से सामान्य शब्दों में कहा कि या तो कार्यशाला बंद करे अथवा वो जा रही है । रघुराज ने कोई जवाब नहीं दिया । अगले कुछ दिन रघुराज की पत्नी मानसिक तनाव में रही क्योंकि कार्यशाला नष्ट नहीं हुई थी । आखिर मिसेज़ रघुराज ने नए सिरे से चेतावनी देना का निश्चय किया परन्तु इस बार मिसेज़ रघुराज को से स्पष्ट जवाब सुनना पडा | रघुराज ने स्पष्ट कह दिया की कार्यशाला के कारण घर पर किसी भी प्रकार की गंदगी नहीं फ़ैल रही है और वह अपना शोक अवश्य पूरा करेंगे यदि मिसेज़ रघुराज अपने मायके जाना चाहे तो अवश्य जा सकती है वह उनको नहीं रोकेंगे | मिसेज़ रघुराज के लिए यह मानसिक आघात था परन्तु वह रघुराज पर पूर्ण नियंत्रण रखने के लिए अडिग थी | लगभग तुरंत ही मिसेज़ रघुराज अपने मायके चली गयी | और बच्चे ? दोनों बच्चे घटना क्रम से प्रभावित नहीं हुए रघुराज बच्चों से फोन पर लगातार संपर्क बनाये हुए थे और अवसर मिलने पर मुलाकात भी कर रहे थे | मिसेज़ रघुनाथ को मायके आये हुए तकरीबन 1 महीना हो चुका है परन्तु मिस्टर रघुराज अपने शोक मैं इस तरह व्यस्त है की उनको न तो मिसेज रघुराज से माफ़ी मांगने की जरूरत महसूस हो रही है और शायद रघुराज पूर्ण आनंद की अवस्था मैं है इसका सबसे बड़ा सबूत उनका बड़ा हुआ वजन और हर समय मुस्कुराता हुआ चेहरा | मिसेज रघुराज दुखी है क्योंकि उनका मिस्टर रघुराज पर नियंत्रण लगभग पूरी तरह समाप्त हो चुका है और उनको नहीं पता की नियंत्रण दोबारा कैसे स्थापित किया जाये | मिसेज़ रघुराज की व्यवस्था चूर चूर हो चुकी है परन्तु रघुराज अपने शोक को पूरा कर पा रहे है |


मिसेज़ चोपड़ा एवं मिसेज़ नारंग की अवस्था भी अलग नहीं है | उनकी सालों की मेहनत से बनाई अवस्था भी ध्वस्त हो चुकी है | मिसेज़ सिंह , मिसेज़ चेतन , मिसेज रघुराज , मिसेज़ चोपड़ा एवं मिसेज़ नारंग पांचों ने विवाह के पश्चात् अपने घर पर एकछत्र राज किया परन्तु पिछले 2 महीनों मैं उनके घर की व्यवस्था पूर्ण रूप से उनके हाथ से निकल गयी और पांचों ही निश्चय नहीं कर पा रही है की कैसे नियंत्रण दुबारा हासिल किया जाये |


आखिर यह पांचों है कौन ? मेरे विचार से मैनेजर साहब की कमेटी की पांच सदस्य |


इसी उधेड़बन मैं मैनेजर साहब की तारीख भी आ गयी और पांचों अपना गुस्सा मैनेजर साहब पर उतरने के लिए आतुर है | मैनेजर साहब ने अपना स्टेटमेंट रिकॉर्ड करवाने के साथ साथ बुजुर्ग महोदय (जिनकी शिकायत पर रीना को नोटिस जारी किया गया था) का स्टेटमेंट भी दर्ज़ करवाया | इसके अतिरिक्त भी मैनेजर साहब ने कई ऐसे डॉक्यूमेंट पेश किये जिनसे स्पष्ट था की रीना ने अपनी कमज़ोरी छुपाने के लिए झूठी कम्प्लेन मैनेजर साहब के खिलाफ की | मैनेजर साहब ने यह भी स्पष्ट रूप से सबूतों सहित साबित किया की रीना की कम्प्लेन के पीछे सिर्फ और सिर्फ दुर्भावना ही है |


हलाकि मैनेजर एवं रीना का विवाह न हो पाना एवं मैनेजर साहब के दकियानूसी विचार जाँच का विषय नहीं थे परन्तु कम्प्लेन के पीछे का मुख्य कारण अवश्य थे इसीलिए मैनेजर साहब ने बाक़ायदा इस घटना को हाई लाइट किया | उन्होंने स्पष्ट कर दिया की न तो वह महिलाओं की नौकरी करने के खिलाफ है और न ही वह यह चाहते थे की रीना विवाह के पश्चात् मौकरी न करे | वह सिर्फ और सिर्फ इतना चाहते थे की उनकी पत्नी घर की देखभाल करे | विवाह एक व्यापार है जिसमे दोनों पक्षों की मर्ज़ी मायने रखती है | रीना ने मुझे पसंद किया मैं उसकी पसंद और ज़रूरतों पर खरा उत्तर रहा था परन्तु रीना मेरी पसंद और ज़रूरतों पर खरी नहीं उतर रही थी इसीलिए विवाह मैं बाधा आयी | इसके अतिरिक्त मैनेजर साहब ने मिसेज़ सिंह , मिसेज़ चेतन , मिसेज रघुराज , मिसेज़ चोपड़ा एवं मिसेज़ नारंग के विवाह का ज़िक्र भी किया | पांचों के विवाह तय करने से पहले दोनों पक्षों के द्वारा की गयी जाँच पड़ताल का ज़िक्र भी आया इसके अलावा उन्होंने पिछले दिनों हुई घटनाओं का जिक्र भी किया जोकि पांचो सदस्यों को चिंतित किये हुए थी | मैनेजर साहब ने मुख्य रूप से यही साबित करने का प्रयास किया की विवाह के समय किसी महिला की पसंद अवं जरूरत जितनी महत्वपूर्ण है उतनी ही महत्वपूर्ण पुरुष की पसंद एवं जरूरत भी है | एवं वर्तमान कम्प्लेन का सिर्फ और सिर्फ एक ही आधार है की रीना की पसंद एवं जरूरत को महत्वपूर्ण मान लिया गया जबकि मैनेजर साहब की पसंद एवं जरूरत को दकियानूसी कह दिया गया |


और बस कमेटी ने जाँच पूर्ण करके रिपोर्ट दाखिल करने की तारीख तय कर दी


परन्तु कमेटी की पांचो सदस्य अपनी मानसिक उलझन मैं थी शायद इसीलिए उन्होंने तय कर लिया था की मैनेजर साहब के खिलाफ रिपोर्ट देनी है | और चैयरमेन ने रीना को स्पष्ट कर दिया की उसे किसी भी प्रकार की चिंता करने की जरूरत नहीं है | परन्तु दिक्कत थी हेड क्वार्टर से आये हुए उच्चाधिकारी | मिसेज़ चोपड़ा जोकि कमेटी की चैयरमेन भी थी उन्होंने अन्य मेंबर्स के साथ उच्चाधिकारी से मुलाकात की तथा उनके सामने स्पष्ट बता दिया की कमेटी की जाँच रीना के खिलाफ जा रही है परन्तु फिर भी उनकी रिपोर्ट मैनेजर साहब के खिलाफ देने का विचार है | उच्चाधिकारी एक बुजुर्ग एवं समझदार व्यक्ति थे वह सिर्फ मुस्कुराए परन्तु उन्होंने कुछ नहीं कहा | मिसेज़ चोपड़ा ने उच्चाधिकारी के विचार जानने चाहे तो उन्होंने स्पष्ट कर दिया की वह जाँच अथवा जाँच रिपोर्ट मैं किसी भी तरह का दखल नहीं देंगे उनका काम सिर्फ इतना था की मैनेजर साहब जो भी सबूत पेश करें उनको फाइल मैं लगवा दिया जाये |


मिसेज़ चोपड़ा एंड पार्टी खुश थी क्योंकि उच्चाधिकारी किसी भी किस्म का दखल नहीं देने वाले थे और वह पूरी तरह स्वतंत्र थी कोई भी रिपोर्ट देने के लिए | उच्चाधिकारी एक समझदार व्यक्ति थे और वह उस काम को अंजाम दे चुके थे जो उनके जिम्मे था इसके पश्चात् जो भी हो वह उनकी ज़िम्मेदारी नहीं थी | परन्तु उनके सामने 5 अतिउत्साहित महिलाएं बैठी थी जो अपनी ज़िम्मेदारी निभाने के स्थान पर बदला लेने के लिए अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने का प्रयास कर रही थी |


मैनेजर साहब ने अपनी नैतिक ज़िम्मेदारी को समझा एवं मिसेज़ चोपड़ा एंड पार्टी को नैतिक ज़िम्मेदारी समझाना जरूरी समझा | परन्तु वह को धार्मिक गुरु नहीं थे इसीलिए किसी भी किस्म का प्रवचन देना उनके लिए संभव नहीं था | वह सिर्फ पांचो महिला मेंबर्स का ध्यान महत्वपूर्ण मुद्दे की और आकर्षित कर सकते थे और यही उन्होंने किया भी | उन्होंने मिसेज़ चोपड़ा को संबोधित करते हुए स्पष्ट रूप से कहा की मैनेजर साहब के खिलाफ रिपोर्ट दी जा सकती है परन्तु जरूरी है की वह पहले यह समझ ले की मैनेजर साहब ने अपने स्टेटमेंट मैं पांचों सदस्यों के विवाहित जीवन से कुछ न कुछ प्रसंग लेकर इस्तेमाल किया है | इसका मतलब स्पष्ट है की मैनेजर साहब ने अपना वक़्त बर्बाद नहीं किया बल्कि उन्होंने मेहनत की है इसीलिए आखिरी निर्णय लेने से पहले पांचों अपने वैवाहिक जीवन एवं उसमे होने वाली घटनाओं पर गौर अवश्य करें ताकि उनको समझ आ सके जो मैनेजर साहब समझाना चाहते है |


पांचों महिलाओं के पास अपनी रिपोर्ट देने से पहले १ सप्ताह का वक़्त था और उनके पास विचार करने के लिए बहुत मटेरियल था |


जब पांचों महिलाओं ने गौर किया तो पाया की उनके घरों पर उनका एकछत्र राज चलता था परन्तु मैनेजर साहब की कम्प्लेन के बाद से ही उनका विवाहित जीवन पर एकछत्र राज ख़तम हो गया गया है | अगला पूरा सप्ताह सबके लिए परेशानी भरा था | परन्तु रीना परेशान नहीं थी उसे कमेटी के सहयोग पर पूरा यकीन था और मैनेजर साहब भी परेशान नहीं थे वह जानते थे की उन्होंने मेहनत की है जो उनके हाथ मैं थी और फल उनके हाथ मैं नहीं है इसके अलावा उनको अपनी योग्यता पर भी विश्वास था |


पांचों मेंबर्स बार बार विचार करने के बाद सिर्फ इस नतीजे पर पहुँच सकी की उनके विवाहित जीवन मैं उनकी इच्छा ही सर्वोपरि रही है उनके पति की इच्छा हमेशा उनकी इच्छा के बाद रही | आज तक यही व्यवस्था रही परन्तु अचानक व्यवस्था मैं परिवर्तन हो गया नयी व्यवस्था मैं उनकी इच्छा का असम्मान नहीं हुआ परन्तु उनके पति की इच्छा भी महतवपूर्ण हो गयी | उनके एकछत्र राज का अंत होने से किसी प्रकार की प्रतियोगिता आरम्भ नहीं हुई बस सिर्फ इतना हुआ है की उनके पति अपने सम्मान एवं अधिकारों के लिए लड़ रहे है | ठीक वही जो मैनेजर साहब कर रहे थे |


और निर्णय वाले दिन मैनेजर साहब सर्वसम्मति से दोषमुक्त घोषित होने के बाद विजेता परन्तु शालीन तरीके से नए ऑफिस की तरफ रवाना हो चुके थे | और रीना को इंतज़ार था मैनेजर साहब की तरफ से मिलने वाले कानूनी नोटिस का क्योंकि मैनेजर साहब सम्मान के साथ जीना जानते है और अपने सम्मान की रक्षा करना भी |


मैनेजर साहब सबकी नज़र मैं विजेता थे क्योंकि वह दोषमुक्त हुए परन्तु मैनेजर साहब का कहना है की उनकी विजय इसमें है की वह अपने पीछे 5 वारिस छोड़ गए जो उनकी तरह ही अपने सम्मान की रक्षा करने के लिए पूरी तरह सजग थे |


रीना , मिसेज़ चोपड़ा एंड पार्टी का क्या हुआ ? फिर कभी

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