भारतका सुपरहीरो - 13 Green Man द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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भारतका सुपरहीरो - 13

13. तीसरा एलियन अटैक

एक दिन हर वक्त की तरह मल्लिका और विक्रम घर जाने के लिए लेबोरेटरी से, लेबोरेटरी के जहाज में निकल चुके थे। पांच बजे के आस पास वह दोनों घर पर पहुंच गए थे, विक्रम ने ईशा को घर पर खाना खाने का मना बोल दिया था। विक्रम ईशा को कहने लगा कि माँ आज शाम को हम तीनो बाहर खाना खाने जायेंगे। शाम को तीनों होटल पर जाने के लिए निकल चुके थे, तीनो ने मुनसिटी की एक अच्छी होटल में खाना खाया। बाद में ईशा और मल्लिक रास्ते पर पडे बाकड़े के ऊपर बैठे बैठे बाते कर रहे थे और विक्रम रास्ते पर टहल रहा था। उतने में एक बाइक वाला एकदम तेजी से आ रहा था और बीच में ही उसने एक बच्चे को टक्कर मार दी, उस बच्चे को बड़ी गहरी चोट आई थी। वह बाइक वाला इंसान टकराने के बाद उधर खड़ा नहीं रहा और अपनी बाइक लेकर भागने लगा। यह सब विक्रम ने दूर से देखा, वह इंसान विक्रम के नजदीक पहुंचते ही विक्रम ने अपनी घड़ी पर टच किया और बिना सूट के तलवार एक्टिव की। विक्रम बिना सूट के घड़ी वाले हाथ में कोई भी हथियार एक्टिव कर सकता था।

तलवार एक्टिव होते ही विक्रम रास्ते पर आया और जोर से उस इंसान की बाइक के पहिये पर प्रहार किया। पहिये के दो टुकड़े हो गए, वह इंसान जमीन पर गिर पड़ा और उसकी बाइक लपस कर कहीं दूर तक स्थिर हुई। उतनी देर में उधर भीड़ हो गई, विक्रम ने तलवार समेट ली और पुलिस को फोन लगा कर उस इंसान को पुलिस के हवाले कर दिया और उस बच्चे को अस्पताल में पहुंचा दिया। बाद में विक्रम थोड़ी देर घुमा और वापस तीनों घर पर चले गए।

उस दिन सुबह के तीन बजे 'अंतरिक्ष लेबोरेटरी' में एक कंप्यूटर में से आवाज आ रही थी, उसकी आवाज आने से एक कर्मचारी उठ गया और देख ने लगा। उसने देखा कि कोई बड़ी चीज पृथ्वी की ओर आती हुई दिखाई दी लेकिन वह चीज ज्यादा दूर नहीं थी, वह चीज शायद सात घंटे के अंदर पृथ्वी तक पहुंच सकती है। उस कर्मचारी ने लेबोरेटरी के सभी सिक्योरिटी अलार्म बजा दिए, सिक्योरिटी अलार्म बजते ही पूरे लेबोरेटरी में भाग दौड़ मच गई। लेबोरेटरी के हेड ने सबको सतर्क कर दिया और विक्रम को कॉन्टैक्ट कर के उसको तुरंत लेबोरेटरी पहुंचने का आदेश दिया। विक्रम को अभी एक दिन रुकना बाकी था लेकिन आदेश आते ही मल्लिका और विक्रम लेबोरेटरी पर जाने के लिए निकल गए। लेबोरेटरी का जहाज लेबोरेटरी पर सुबह के आठ बजे के अंदर पहुंच गया था, उस समय देखा गया कि यह चीज और कोई नहीं पर एक बड़ा अंतरिक्ष यान था, यह यान दूर से देखने में ही एकदम भयानक लग रहा था। लेबोरेटरी के हेड ने धरती पर सब देशों को इस अंतरिक्ष यान के बारे में बता दिया और सब देश अपनी अपनी तैयारी चालू कर दी।

लेबोरेटरी की चारों ओर ब्लैक कमांडो की फोर्स लगा दी थी, लेबोरेटरी के सौ मीटर के मैदान में रखी गई फायरिंग गन को अच्छे से सेट कर दी। सुबह के नौ बज गए थे, अंतरिक्ष लेबोरेटरी हर वक्त उसका लोकेशन धरती पर बता रही थी और उसका लाइव टेलीकास्ट अलग अलग देश के सुरक्षा मंत्री को दिखा रहे थे। सब की नजर उस अंतरिक्ष यान पर टिकी हुई थी, अंतरिक्ष लेबोरेटरी ने अपनी पहचान बताने का मैसेज भेजा लेकिन उसका कोई जवाब नहीं आया। नौ बज कर पैंतालीस मिनट पर यह यान एकदम नजदीक आने लगा लेबोरेटरी के चारों ओर गन लेकर कमांडों को खड़ा कर दिया और मैदान में रखी गई सारी स्वयं संचालित गन को तैयार कर दि। जीतने भी लोग अंतरीक्ष लेबोरेटरी मे थे उन सभी लोगो ने अंतरीक्ष सूट पहेन कर रखा था। मल्लिका ने सोचा कि मेरी ब्लेड बाहर जाएगी तो वापस नहीं आ पायेगी, यह सोच कर मल्लिका लेबोरेटरी के हेड के पास गई और अपना प्रश्न रखा। लेबोरेटरी का हेड मल्लिका के साथ सहमत हुआ और उसको वह डिवाइस दिया, मल्लिका ने यह डिवाइस अपनी सारी ब्लेड में लगा दिया।

दस बज कर पंद्रह मिनट पर वह बड़ा यान पांच सौ मीटर की दूरी पर रुक गया, वह यान सूर्य के आगे आ गया था उसकी वजह से धरती पर प्रकाश नहीं पहुंच रहा था और पूरी धरती पर अंधेरा छा गया था। थोड़ी देर में उस बड़े से यान में से कम से कम हजार के आसपास यान अलग हुए, कोई कद में छोटे तो कोई बड़े ऐसे सब यान पृथ्वी की आसपास बिखर गए। आधे यान लेबोरेटरी के पास पहुंचे और बाकी सब पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश हो गए थे, उस वक्त एलियन यान में से एक साथ फायर हुआ। उसने फायर करते ही लेबोरेटरी के हेड ने फायरिंग का ऑर्डर दिया और कमांडों ने फायरिंग चालू कर दी, सुरक्षा कवच की वजह से उसका एक भी प्रहार अंदर नहीं पहुँच रहा था। विक्रम ने अपना वॉइस कोड दाखिल किया और उसका सूट तैयार हो गया, मल्लिका ने अपनी घड़ी पर टच किया और उसका भी सूट तैयार हो गया। मल्लिका और विक्रम दोनो लेबोरेटरी से बाहर निकल कर खुले मैदान में पहुंचे। मैदान की सारी स्वयं संचालित गन को एक्टिव कर दी, वह गन खुद निशाना लगाती थी और खुद ही फायर करती थी। वह गन के तीन-चार प्रहार में छोटे यान के चिथड़े उठा देती थी।

विक्रम ने दो कैनन गन दोनों हाथों में एक्टिव करके फायर करना चालू कर दिया, मल्लिका भी एक के बाद एक ब्लेड निकालकर यान की ओर फेंकने लगी। मल्लिका के चार-पांच ब्लेड फेंकने से यान की सिस्टम ब्रेक हो जाती थी और शॉर्ट सर्किट की वजह से वह यान बड़े धमाके के साथ फट जाता था। विक्रम को मैदान में खड़े खड़े फायर करने में दिक्कत हो रही थी इसलिए विक्रम ने अपना उड़ान मोड एक्टिव कर के कवच से बाहर निकल कर अंतरिक्ष में एकदम तेजी से घूमते घूमते यान पर फायर कर रहा था। विक्रम एकदम तेजी से उड रहा था उसकी वजह से एक भी यान उसको निशाना नहीं बना सकता था। विक्रम एलियन यान के आसपास ही तेजी से घूम रहा था उसकी वजह से कोई यान फायर करता था और दूसरे यान उसके शिकार बन जाते थे। यान फट जाने की वजह से अंदर बैठे एलियन अंतरिक्ष में तैरने लगे, यह एलियन को देख के पता चल गया कि यह सब जोर्ज ग्रह से आये हैं क्योंकि पहले एक बार मास्टर के साथ एलियन लड़ा था, उसके जैसे ही वो सब दिख रहे थे। अंतरिक्ष में तैर रहे एलियन थोड़ी देर में फटने लगे क्योंकि उसका वातावरण उनके साथ मैच नहीं हुआ।

एलियन यान को देखते ही सब देशों में से फाइटर जेट विमान निकल चुके थे, एकदम तेजी से उड रहे जेट विमान से फायर करना चालू कर दिया। एक साथ सभी देश के फाइटर विमान उडने की वजह से आकाश में सिर्फ एलियन यान और फाइटर विमान ही दिख रहे थे। एलियन यान पूरी पृथ्वी पर फैल चुके थे, फायरिंग की वजह से कभी एलियन का यान फटता था तो कभी फाइटर विमान फटता था। छोटे एलियन यान ने फायर करना चालू कर दिया, एलियन यान फटता था तभी उसके अंदर का एलियन भी पृथ्वी के वातावरण के कारण फट जाते थे। यह सब यान में एक बड़ा यान था, यह यान की चारों ओर छोटे यान थे जो इस बड़े यान की रखवाली कर रहे थे। एलियन यान ने धरती पर फायर करना चालू कर दिया धरती पर बड़े धमाके हो रहे थे। फायरिंग की वजह से जंगलों में आग लग गई थी, प्राणियों और इंसान की भागदौड़ मची हुई थी। उतनी देर में ही मीडियम कद के एलियन यान जमीन पर उतरने लगे।

उदय ने अपना कंप्यूटर शूरु कीया और 'मार्क सेटेलाइट' को एक्टिव किया, मार्क ने एक एलियन यान की ओर न्यूक्लियर रिएक्टर क्यूब फेंका और वह क्यूब उस यान पर चिपक गया। क्यूब चिपकते ही मार्क में से लेज़र गन फायर हुई लेकिन वह एलियन यान अंतरिक्ष में तेजी से घुम रहा था किन्तु उस चिपके हुए न्यूक्लियर रिएक्टर में सेंसर लगाया हुआ था उसकी वजह से लेज़र से फायर हुई नीले रंग की ज्वाला उसका पीछा करने लगी। लेज़र गन की ज्वाला उस चिपके हुए क्यूब पर सेंस हुई और थोड़ी ही देर में उसके क्रिस्टल बिखरने लगे, सिर्फ पांच मिनट में पूरा यान पार्टिकल के रूप में बिखर गया। मार्क से फायर होने के बाद जब तक चीज पूरी तरह से पार्टिकल में नहीं आ जाती तब तक दूसरा फायर नहीं कर सकता था।

दो घंटे की लगातार फायरिंग की वजह से कवच में एक छेद हो गया, छेद होते ही सबने अपना मास्क पहन लिया किन्तु पूरी लेबोरेटरी में ग्रेविटी लॉस हो जाने की वजह से लेबोरेटरी के अंदर सब तैरने लगे। थोड़ी देर के बाद विक्रम की नजर उधर पहोच गई, विक्रम एकदम तेजी से लेबोरेटरी में पहुंचा और लेबोरेटरी के हेड को ढूंढने लगा। लेबोरेटरी के हेड मिलते ही विक्रम ने उसे पकड़ लिया और उसको कवच की सिस्टम के पास ले गया। लेबोरेटरी के हेड ने अपना हाथ स्कैनर पर रखा और दरवाजा खुल गया, विक्रम ने अपने हाथ में से रस्सी एक्टिव करके लेबोरेटरी के हेड के कमर पर बांध दी। लेबोरेटरी के इस विभाग में सिर्फ लेबोरेटरी के हेड ही प्रवेश कर सकते थे। लेबोरेटरी के हेड फोर्स के साथ अंदर दाखिल हुई लेकिन वह ग्रेविटी के कारण ऊपर की ओर चले गए। अभी वो सिस्टम बीच में थी और चारों तरफ दीवार थी विक्रम ने सोचा कि अब क्या करूँ? थोड़ी देर सोचने के बाद विक्रम ने धनुष एक्टिव किया और तीर के पीछे उस रस्सी को बांध दिया। उस सिस्टम के पास ही एक लंबी नुकीली चीज थी विक्रम ने उसको निशाना बनाया और तीर छोड़ा। तीर उस चीज को छूते ही रस्सी के रूप में उसको लपेट लिया, फिर लेबोरेटरी के हेड ने उस रस्सी को पकड़कर उस सिस्टम तक पहुँच कर दूसरा कवच एक्टिव कर दिया और ग्रेविटी नॉर्मल हो गई। ग्रेविटी नॉर्मल होते ही उड रहे सभी लोग जमीन पर गिर पड़े और विक्रम ने अपना धनुष समेट लिया।

कवच एक्टिव होने के बाद लेबोरेटरी के हेड नुकीली चीज से बंधी रस्सी को निकालने लगे, उतने में विक्रम ने उसे कहा कि यह आपसे नहीं निकलेगी, आप एक काम करो जो आपकी कमर पर बंधी है वो मेरे को दे दो। लेबोरेटरी के हेड अपने कमर से वो रस्सी निकालकर विक्रम के हाथ में दी, वह रस्सी विक्रम के हाथ में आते ही वह रस्सी विक्रम के सूट के साथ जुड गई। विक्रम लेबोरेटरी से बाहर निकला, बाहर निकलते ही उसने दो लोगों को अंतरिक्ष में तैरते हुए दिखाई दिए। वह लोगों ने मास्क तो पहन लिया था किन्तु कवच में छेद हो जाने की वजह से वो दोनों बाहर निकल गए थे। विक्रम ने उड़ान मोड एक्टिव किया और क़वच से बाहर निकला उतनी देर में एक एलियन का शिकार हो गया था। विक्रम ने एकदम तेजी से बचे हुए को पकड़कर कवच को पार करके लेबोरेटरी के अंदर पहुंचा दिया, वापस सबने फायरिंग करना चालू कर दिया था। मार्क एकदम तेजी से अंतरिक्ष में घूम रहा था क्योंकि उसको कोई निशान ना बना सके। शाम के तीन बजे के अंदर अंतरिक्ष में तैरने वाले सब यान को तोड़ दिया था। उदय ने मार्क को घुमा कर धरती पर मोड़ा और बड़े यान को निशाना बनाने लगा लेकिन उसके चारों ओर छोटे यान थे उसने निशाना नहीं लगाने दिया। विक्रम धरती पर जाने के लिए निकल चुका था और साथ में मल्लिका को भी ले लिया था, मल्लिका ने अपना मास्क पहन कर रखा था।

मीडियम साइज के यान जमीन पर उतरे और उसमें से चार मस्तक वाले और चार पैर वाले बड़े जानवर निकले। यान का दरवाजा खुलते ही वह जानवर एक दम तेजी से इंसान की ओर बढ़ने लगे, आर्मी की सेना ने उसके ऊपर फायरिंग करना चालू कर दिया। उस जानवर को गोली लगते ही उसके शरीर में से हरे रंग के खून की पिचकारी होती थी तो भी वह जानवर एकदम तेजी से बढ़ रहे थे। उसके शरीर पर दस-बारह गोलियां लगने पर वह जमीन पर गिर पड़ते थे। आर्मी वाले उस जानवरों के ऊपर बड़ी कैनन से फायर कर रहे थे लेकिन उनकी तादाद बहुत थी इसलिए आर्मी वाले उसको रोक नहीं पाए और वह जानवर शहर में घुस कर इंसान को पकड़कर उसके शरीर के टुकड़े टुकड़े कर देते थे। वायुसेना के हेलिकॉप्टर उतनी देर में आ चुके थे और उस जानवर पर फायरिंग करना चालू कर दिया था।

विक्रम ने मल्लिका को पकड़ कर रखा था और विक्रम उस बड़े यान की ओर बढ़ने लगा, पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करते ही विक्रम ने मल्लिका को हवा में छोड़ कर दोनों हाथों में कैनन गन एक्टिव करके फायर करना चालू कर दिया। मल्लिका हवा में गिरते समय अपने पॉकेट में से ब्लेड निकालकर उस सब यान की ओर एकदम तेजी से फेंकने लगी। थोड़ी देर के बाद मल्लिका जमीन पर गिरने ही वाली थी उतने में ही विक्रम ने आ कर उसको पकड़ लिया और सुरक्षित जमीन पर भारत देश के कोई एक शहर में उतार दिया। मल्लिका ने जमीन पर उस जानवर को देखा, एक जानवर मल्लिका की ओर बढ़ने लगा । मल्लिका ने ब्लेड निकालकर उस जानवर की ओर फेंकने लगी चार ब्लेड फेंकते ही उस जानवर के टुकडे टुकडे हो कर जमीन पर गिर पड़े। मल्लिका ने दूसरे जानवर पर ब्लेड फेंकना चालू रखा, उस जानवर के हरे खून की वजह से उसकी सब ब्लेड खून से भीग गई थी।

सब ने मिल कर कितने सारे यान को तोड़ दिया था, अब सिर्फ चालीस पचास के आसपास ही यान बाकी थे। मार्क एक के बाद एक न्यूक्लियर रिएक्टर क्यूब छोड़ते जा रहा था, एक समय छोटे यान की तादाद कम हुई और एक क्यूब उस बड़े यान पर चिपक गया और तुरंत मार्क में से लेज़र गन फायर हुई और उस क्यूब पर लेज़र का तापमान सेंस हुआ। धीरे धीरे वह यान की धातु के पार्टिकल बिखर कर जमीन पर गिरने लगे उतने में ही उस में बैठा एलियन कमांडर उस यान में से कूद कर जमीन पर आ पहुंचा। उस एलियन वातावरण में प्रवेश करने के बाद भी उसको कुछ नहीं हुआ क्योंकि वह अलग तरीके से ही बना था। थोड़ी ही देर में पूरा यान बिखर कर जमीन पर गिर पड़ा, विक्रम ने हवा में से एलियन कमांडर को देखा। वह एलियन कमांडर पर आर्मी वाले फायर कर रहे थे लेकिन वह पूरा सफेद चमकीली धातु का बना था इसलिए उस पर गोलियों की कोई असर नहीं हो रही थी। वह एलियन कमांडर छुपे हुए आर्मी वालों को निकालकर अपने हाथ में से तलवार जैसी नूकीली चीज निकाल कर मारने लगा। यह देखकर विक्रम ने कैनन गन से उसके ऊपर फायर कीया, कैनन ब्लास्ट हुई और वह जमीन पर गिर पड़ा लेकिन उसको कुछ नहीं हुआ।

एलियन कमांडर ने विक्रम को देखा और वह विक्रम की ओर हवा में उडने लगा, विक्रम ने उस एलियन को अपनी ओर आते हुए देखकर उसने दोनों हाथों में तलवार एक्टिव की। उस एलियन कमांडर ने अपने दोनों हाथों में से तलवार जैसी नूकीली चीज निकाली और एकदम तेजी से विक्रम के ऊपर प्रहार करने लगा। विक्रम और एलियन कमांडर दोनों हवा में उडते उडते लड़ रहे थे, एलियन कमांडर ने विक्रम की तलवार पर जोर से प्रहार करके विक्रम का गला पकड़ कर जमीन पर गिराया। जमीन पर गिरने की वजह से विक्रम आधा मिट्टी में घुस चुका था, विक्रम ने अपने एक हाथ की तलवार समेट ली और जोर से विक्रम ने एलियन कमांडर के मुंह पर मुक्का मारा। विक्रम गड्ढे में से बाहर निकल कर कैनन गन एक्टिव की, उतनी देर मे वह एलियन खड़ा हुआ और तभी विक्रम ने फायर किया। कैनन ब्लास्ट होते ही वह दूर जमीन पर गिर पड़ा, विक्रम ने तुरंत ही कैनन गन बदलकर धनुष एक्टिव किया और तीर चढ़ाया। उतनी देर में एलियन कमांडर उडकर विक्रम की ओर बढ़ने लगा विक्रम ने निशाना लगा कर तीर छोड़ा। तीर उस एलियन कमांडर ने पकड़ लिया, पकड़ते ही वह रस्सी बनकर उस एलियन को लपेट लिया और वह एलियन कमांडर जमीन पर गिर पड़ा।

एलियन कमांडर थोडी कोशिश कर के खडे हो कर रस्सी को तोड ने लगा लेकीन वह रस्सी टुटी नही। विक्रम ने धनुष को बदलकर न्यूक्लियर रिएक्टर गन एक्टिव करके उस एलियन कमांडर को निशाना बनाकर फायर किया। क्यूब एलियन कमांडर की छाती पर चिपक गया, एलियन कमांडर उस रस्सी को तोड़ नहीं सका। विक्रम ने न्यूक्लियर रिएक्टर गन को बदलकर लेज़र गन एक्टिव की और एलियन कमांडर के ऊपर फायर की। लेज़र गन के नीले रंग की ज्योत क्यूब को छूते ही थोडी देर में एलियन कमांडर के शरीर में से छोटे छोटे पार्टिकल बिखरने लगे, थोड़े मिनटों के अंदर वह पूरा पाउडर के रूप में आ गया और साथ में वो रस्सी भी पाउडर के रूप में आ गई। जब भी सूट में से निकली हुई रस्सी वापस सूट में नही आती तभी स्टिरीयन धातु के पार्टिकल एड कर ने पडते थे। अभी पांच ही यान बचे थे, उसने अपने कमांडर को मरते हुए देखकर भागने लगे किन्तु फाइटर प्लेन ने तीन को उड़ा दिया और एक को विक्रम ने लेज़र गन से उड़ा दिया। एक एलियन यान पृथ्वी से बाहर निकल गया था लेकिन वह मार्क से बच नहीं पाया, वह यान मार्क का शिकार बन गया। अभी भी खतरा टला नहीं था, सभी देशों में चार मुख वाले जानवर अभी भी घुम रहे थे। विक्रम ने उड़ान मोड एक्टिव किया और साथ में दोनों हाथों में कैनन गन एक्टिव करके हवा में उडने लगा।

विक्रम उडते उडते उस जानवर को निशाना बना कर कैनन छोड़ता था, सिर्फ एक कैनन ब्लास्ट होते ही उसका काम तमाम हो जाता था। सात बजे तक सब देशों ने एलियन के नामो निशान मिटा दीए थे लेकिन उसकी कीमत बहुत महंगी पड़ गई थी। इस लड़ाई की वजह से कितने सारे लोग, पुलिस और आर्मी वाले मर चुके थे, सब जगह तोड़ फोड़ ही नजर में आ रही थी। जंगलों और पेड़ जल जाने की वजह से सब जगहों पर धुंवा ही दिखता था, बड़ी बड़ी इमारतें धराशायी हो गई थी। घायल हुए लोगों को अस्पताल में ले जा रहे थे और मरे हुए लोगों को उसके घर तक उसकी लाश पहुंचाई जा रही थी। इस लड़ाई की वजह से पृथ्वी पर बड़ा नुकसान हुआ था, वापस पहले जैसा बनाने में शायद दस साल निकल जाएंगे। विक्रम ने मल्लिका को फोन लगाया और उसका लोकेशन पूछा, मल्लिका ने अपना लोकेशन बताया और विक्रम उसको लेने के लिए उधर पहुंचा।

विक्रम और मल्लिका अपने घर की ओर निकल पड़े, विक्रम और मल्लिका जब आकाश में से उतर रहे थे तभी उसने देखा कि उसका घर भी एलियन का शिकार हो गया था। विक्रम जमीन पर उतरा और अपना सूट समेट कर दौड़ कर घर में गया, उसने देखा कि अपनी माँ के ऊपर एक दीवार धराशायी हो गई थी और वो उसके नीचे दब गई थी। यह देखकर विक्रम और मल्लिका दोनो जोर जोर से रोने लगे, रोते रोते दोनों ईशा के ऊपर से पत्थर हटा रहे थे। पत्थर हटा के दोनों ने ईशा को बाहर निकाला, दोनों का रोने का बंध ही नहीं हो रहा था। विक्रम ने और मल्लिका ने लकड़ियां इकट्ठा कर के ईशा का अंतिम संस्कार किया, दोनों ने रो रो के अपनी आँखें सुझा दी थी। उसका घर टूट चुका था इसलिए दोनों ने अपना सब सामान लेकर मल्लिका के मायके चले गए। दो तीन दिनों में सब देश तरक्की करने में लग गए थे, विक्रम और मल्लिका दोनों लेबोरेटरी पर चले गए, अभी दोनों धरती पर कम ही आते थे।