Indian Superhero - 10 books and stories free download online pdf in Hindi

भारतका सुपरहीरो - 10

10. सूट का उड़ान मोड अपडेट

लेबोरेटरी के ऊपर अटैक होने के बाद सब ठीक ठाक हो गया था और वापस संशोधन चालू हो गया था। विक्रम क्रिस्टल क्यूब में अभी नया करने का कुछ सोच रहा था। तभी उसके दिमाग में आया कि मेरा सूट सिर्फ जमीन पर ही काम कर सकता है, यदि किसी उड़ती हुई चीज के साथ लड़ना हुआ तो मैं कैसे करूंगा? यह बात उसके दिमाग में चल रही थी और अभी उसको उड़ने का नया अपडेट करना था। विक्रम यह सब बात लेबोरेटरी की ऑफिस के अंदर बैठे बैठे सोच रहा था तभी उसको याद आया, फरहान के सूट में तो उडान की सिस्टम थी यह बात सोच कर विक्रम उसका सूट ढूंढने निकल पड़ा।

विक्रम मल्लिका के पास जाकर उसको पूछा कि फरहान का सूट किधर रखा है। मल्लिका ने विक्रम से कहा कि मुझे नहीं पता, शायद उदय को पता होगा। विक्रम अभी उदय के पास गया और फरहान के सूट के बारे में पूछने लगा। उदय ने फरहान के सूट के बारे में किधर रखा है वो बताया, लेकिन वह विक्रम को दिखाने नहीं गया क्योंकि मल्लिका और उदय दोनों अपने कुछ काम में व्यस्त थे। लेबोरेटरी में सब टूटी हुई चीज एक कमरे में ही रखी जाती थी, विक्रम उधर पहुंचा और इन सब चीजों में से फरहान का सूट ढूंढने लगा। थोड़ी देर के बाद विक्रम को फरहान का सूट मिल गया, विक्रम ने वह सूट उठाया और वह चलने ही वाला था तभी उसने फरहान की लेसर गन देखी और वो भी विक्रम ने साथ में ले ली और अपनी लेबोरेटरी के विभाग में चला गया।

विक्रम ने वह सूट के सभी टुकड़े इकट्ठा करके एक बड़े टेबल पर रखे, विक्रम सब टुकडे को घुमा घुमा के देख रहा था। विक्रम ने देखा कि उसकी उड़ने की सिस्टम सब जल गई थी, विक्रम ने उस सूट के सब टुकड़े को जोड़ा, चली हुई सिस्टम को बदली और कुछ रिपेयरिंग काम भी किया इस सब काम करने में उसको कई दिन लग गए थे। विक्रम ने कंप्यूटर के साथ केबल की मदद से सूट की उडान सिस्टम के साथ जोड़ा। विक्रम ने उस सिस्टम को चालू करने की सब तैयारी कर ली थी और उसने कंप्यूटर में कमांड डाला और सूट के दोनों हाथ और पैरों के बीच में से गोलाकार छेद में से आग की ज्वाला निकलने लगी, वह आग की ज्वाला धीरे धीरे बढने लगी उसकी वजह से सूट उडकर दूसरे टेबल पर पड़ी चीज के साथ टकराया, विक्रम ने तुरंत ही कंप्यूटर के साथ जुड़े और पावर सोर्स के साथ जुड़े सभी केबल को निकाल दिया। फिर विक्रम आराम की सांस लेकर कुर्सी पर बैठा और वह मन में मुस्कुराने लगा।

विक्रम ने वापस उस सूट को टेबल पर रख दिया और जो गन एलियन टेक्नोलॉजी की बनी थी उसको खोल कर देखने लगा। बाद में विक्रम ने उस गन में से कुछ काम की चीज निकाल दी और एक बक्से में गन और सूट डाल कर लेबोरेटरी के स्टोर रूम में रख दिया। विक्रम वापस लेबोरेटरी मे अपने विभाग के अंदर आ कर कुर्सी के ऊपर बैठे बैठे सोच रहा था, फिर थोड़े दिनों के बाद उसने अपने क्यूब के ऊपर काम करना चालू कर दिया। अभी विक्रम काम करने में अकेला ही था क्योंकि मल्लिका और उदय उसके काम में व्यस्त थे।

चार महीने के बाद.....

विक्रम ने सारा डाटा सफलतापूर्वक अपडेट कर दिया था, अब उसको चलाने की ही देर थी। विक्रम वो क्यूब लेकर लेबोरेटरी के पास में एक बडा खुल्ला मेदान था, विक्रम उधर पहुँच गया। विक्रम ने क्यूब का ऊपर का बटन दबाया, बटन दबाते ही क्यूब में से सुई निकली और उसका डीएनए टेस्ट सक्सेसफुल होने के बाद क्यूब घड़ी के रूप में विक्रम के हाथ पर चिपक गया, विक्रम ने अपना वॉइस कोड दाखिल किया और तुरंत ही उसका सूट तैयार हो गया। विक्रम ने उड़ान का वॉइस कोड डाला और पैर के नीचे से और हाथ में से आग की ज्वाला प्रगटी, वह ज्वाला स्टार वाले छेद में से पीले रंग की निकल रही थी। ज्वाला के दबाव के कारण विक्रम थोड़ा जमीन से उचका, थोड़ा ऊंचे उठते ही विक्रम अपना बैलेंस नहीं बना सका और जमीन पर गिर पड़ा।

विक्रम बार बार उडने की कोशिश कर रहा था लेकिन हर बार वो गीर ही जाता था। विक्रम के पैर में, हाथ में, छाती पर और पीठ के पीछे आग की ज्वाला के छेद थे। दो दिनों की सख्त मेहनत के बाद विक्रम थोड़ा थोड़ा ऊपर नीचे उडने का सीख चुका था, दूसरे दिन विक्रम ऊपर की तरफ उड रहा था अभी उसको आगे की तरफ उड़ना था इसीलिए उसने अपना शरीर मोड़ा और छाती में से ज्वाला प्रगटी, विक्रम आगे की तरफ उडने लगा लेकिन वह अपना बैलेंस नहीं बना पाया और जमीन की ओर उतरते ही एक पेड़ की डालियों में फस गया। लेकिन उसने हार नहीं मानी वह हर रोज उडने की तैयारी कर रहा था।

एक महीने के बाद.......

मल्लिका अपनी केबिन में कुछ काम कर रही थी उस समय उसकी केबिन के बाहर से कोई हवा में एकदम तेजी से पसार हुआ। मल्लिका ने सोचा कि यह क्या चीज थी जो इतनी तेजी से उड रहे हैं, यह देखने के लिए मल्लिका लेबोरेटरी से बाहर निकली। मल्लिका ने देखा कि आकाश में कोई एकदम तेजी से उड रहा था पर कौन था वो पता नहीं चला। इसलिए मल्लिका लेबोरेटरी में गए और दूरबीन लेकर आई और देखने लगी, देखते ही वह चौंक गई। यह उड़ने वाला और कोई नहीं विक्रम ही था, वह हवा में एकदम तेजी से उड रहा था, बादलों को छेदते हुए वह आकाश में घूम रहा था। थोड़ी देर के बाद विक्रम मल्लिका के नजदीक उतरा, मल्लिका उसे एक ही नजर से देख रही थी क्योंकि आज पहली बार उसने विक्रम को उडते हुए देखा था। विक्रम ने अपना सूट हटाया और मल्लिका के साथ बातें करते लेबोरेटरी के अंदर चला गया।

विक्रम हर रोज एक घंटा अपनी उडने की तैयारी में लगाता था, जैसे जैसे तैयारी कर रहा था वैसे वैसे उसकी उडने की तकनीक बढ़ रही थी। फिर तो विक्रम हवा में एकदम स्थिर खड़ा रह सकता था, एकदम तेजी से हवा में गुलाट भी लगा सकता था। उसकी गति हवा से भी तेज थी, वह तेजी से बड़े जंगल की झाड़ियों को भी आसानी से पार कर सकता था। समुद्र और नदियो के पानी की सपाटी से सत्तत अपने बीच अंतर बना के उड सकता था, उसकी वजह से पानी की सपाटी पर पानी के फुवारे छूटते थे। विक्रम उड़ने में इतना पावरफुल हो गया था कि छोटी सी जगह में से भी निकल सकता था, हर तरह की उड़ान विक्रम ने सीख ली थी।

विक्रम ने लेज़र गन का भी डाटा उस क्यूब में डाला था और थोड़ा रिपेयरिंग भी किया था। अभी लेज़र गन का परीक्षण करना बाकी था, विक्रम लेबोरेटरी से बाहर निकल कर मैदान में आया। विक्रम ने घड़ी में वॉइस कोड डाला और सूट तैयार हो गया, फिर उसने वापस वॉइस कोड डाला और लेज़र गन एक्टिव की और आस पास देखने लगा। उसकी नजर में एक बडा सा पत्थर आधा जमीन में डटा हुआ दिखाई दिया विक्रम ने उसको निशाना बनाया और फायर किया। फायर करते ही उस पत्थर के चूरे चूरे़े हो गए और जमीन में बड़ा गड्ढा हो गया और उसमें से धुआं निकल रहा था।

विक्रम का सूट तीन हजार डिग्री सेल्सियस के आसपास का तापमान सहन कर सकता था लेकिन यह तापमान तक पहुंच जाने पर भी वो पिघलता नहीं था। जब यह तापमान क्रॉस होगा तभी सूट की धातु के छोटे छोटे पार्टिकल बिखरने लगेंगे और ऐसे सूट टूटने लगेगा। लेकिन उसके हथियार और दूसरी चीजें सूट से दुगनी सख्त थी, आपके मन में सवाल होगा कि सूट और हथियार स्टिरीयन धातु के बने हैं तो दोनों में फर्क कैसे? क्योंकि हथियार की धातु एकदम सख्त बनाई गई थी यदि सूट की धातु को भी इतनी सख्त होती तो सूट को पहन कर हलन चलन करना मुश्किल हो जाता इसलिए सूट की धातु थोड़ी नरम रखी थी। हथियार के अलावा भी और कहीं चीजें का डाटा क्यूब में विक्रम ने डाल दिया था।

पांच महीने के बाद.........

कल 'पश्चिम भारतीय स्पेस रिसर्च सेंटर' से उपग्रह छोड़ने वाले थे, उसकी सब तैयारी हो चुकी थी और उसका उड़ान सुबह के छह बजे का रखा गया था। सुबह के छह बजे उपग्रह धरती पर से निकलने वाला था इसलिए 'डॉक्टर एमन लेबोरेटरी' के कर्मचारी सुबह के पांच बजे लेबोरेटरी पर पहुँच गए थे। सब कर्मचारी अपने अपने काम में लगे हुए थे, सुबह के छह बज चुके थे उपग्रह लॉन्चर व्हीकल में से ज्वाला प्रगटी और आकाश की ओर बढ़ने लगा। लेकिन कुछ समय के बाद ही लॉन्चर व्हीकल में कुछ खामी आने की वजह से उसकी दिशा थोड़े अंश झुक गई। उसकी वजह से वह लॉन्चर व्हीकल दूसरे देश पर गिरने वाला था, वह लॉन्चर व्हीकल दूसरे देश की ओर बढ़ने लगा। अभी सबके मन में बड़ी परेशानी आ गई थी क्योंकि यह लॉन्चर व्हीकल दूसरे देश पर गिरा तो बड़ी जंग छिड़ जाएगी, अब क्या किया जाए वो किसी को समझ में नहीं आ रहा था। सबके मन में डर छाया हुआ था, लेकिन विक्रम को आशा थी कि वो यह काम कर पाएगा।

विक्रम दौड़ते हुए लेबोरेटरी से बाहर आ रहा था और साथ में ही कोड डाल दिया, जब तक वो बाहर पहुंचता उतनी देर में ही उसका सूट तैयार हो चुका था। विक्रम ने थोडा भी समय नहीं बिगाड़ा और दौड़ते हुए अपना उड़ान मोड़ चालू कर दिया और बड़ी छलांग के साथ ही वह आकाश की ओर उड़ने लगा। विक्रम एकदम तेजी से उस लॉन्चर व्हीकल की ओर बढ़ने लगा लॉन्चर व्हीकल थोड़े मिनीट में जमीन पर गिरने वाला था उतने में ही विक्रम ने नीचे से अपना कंधा रखा। यह सब लोग लाइव देख रहे थे, यह देख कर सब लोग चौंक गए। विक्रम ने कोड डाल के डबल मोड एक्टिव किया, डबल मोड कोई भारी चीज उठाने के वक्त काम आता था। विक्रम ने डबल मोड चालू कर के उसको उठाने की कोशिश की लेकिन वह उठा नहीं।

विक्रम ने तुरंत ही वॉइस कोड डाल के फायर गन पसंद की अभी विक्रम के दोनों हाथों में फायर गन थी। विक्रम ने दोनों गन को नीचे की ओर रखकर फायर किया और कंधा लॉन्चर व्हीकल पर टिकाया। दोनों गन में से प्रचंड ज्वाला प्रगटी और सब फोर्स एक साथ मिलते ही लॉन्चर की नोक धीरे धीरे ऊपर की ओर बढ़ने लगी। यह देखकर सबके चेहरे पर चमक आ गई, अभी लॉन्चर की नोक पूरी तरह से ऊपर हो गई थी विक्रम ने फायर गन समेट के अपने दोनों हाथों से लॉन्चर को सपोर्ट किया। विक्रम अभी उसको छोड़ नहीं सकता था क्योंकि छोड़ देने पर वो वापस झुक जाएगी इसलिए विक्रम ने उसे सपोर्ट में रखा था।

लॉन्चर अभी शून्य अवकाश में पहुँच गया था, विक्रम के सूट की सारी सिस्टम बंद हो गई थी और थोड़ी देर में ही हवा बंद हो जाने की वजह से विक्रम की सांसे अटक गई। विक्रम ने लॉन्चर को छोड़ दिया और वह जमीन की ओर बढ़ने लगा वापस पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करते ही उसके चेहरे का मास्क खुल गया क्योंकि विक्रम बेहोश हो गया था, अभी सब सिस्टम चालू हो गई थी लेकिन उसको चालू करने वाला ही बेहोश हो गया था, वह एकदम तेजी से जमीन की ओर बढ़ने लगा और एक गेहूं की फसल वाले खेत में गिरा। गिरते समय सुबह का समय था इसलिए किसी किसान ने उसे गीरते हुए देख लिया इसलिए वो भाग के उधर पहुंच गया। उसने देखा कि ये तो क्रिस्टल मेन है, ऊपर से गिरने की वजह से विक्रम आधा मिट्टी में घुस चुका था और आसपास के गेहूं की फसल जल गई थी और उसमें से धुआं निकल रहा था।

किसान विक्रम के पास गया और उसको उठाने लगा लेकिन वह उठ नहीं रहा था, किसान अपने खेत में से पानी लेकर आया और विक्रम के मुंह पर छिड़का। पानी छिडकने की वजह से विक्रम को होश आ गया और वह खडे होने की कोशिश करने लगा लेकिन खड़ा नहीं हो पाया। विक्रम ऊपर से गिरने की वजह से उसके कमर में लचक आ गई थी लेकिन उसके सूट में एक खरोंच भी नहीं आई थी। विक्रम ने अपना वॉइस कोड डाला और सूट समेट लिया। किसान ने उसका हाथ पकड़ कर खड़ा किया और उसका हाथ अपने कंधों पर रखकर उसको खेत से बाहर निकालकर अस्पताल ले गया। अस्पताल में विक्रम की ट्रीटमेंट चल रही थी उतने में ही मल्लिका, उदय और दो तीन लोग उधर पहुँच चुके थे। जिस शहर में विक्रम को दाखिल किया था उस शहर से मून सिटी कम से कम पचास-साठ किलोमीटर की दूरी पर था।

विक्रम की सभी ट्रीटमेंट हो चुकी थी, अभी वह घर पर जाने के लिए सब निकले, विक्रम ने उस किसान का शुक्रिया अदा किया और सब लोग मूनसिटी की ओर चल पड़े। वह लॉन्चर व्हीकल अंतरिक्ष में कहीं घूम रहा था और बाद में ईंधन खत्म होते ही वो कहीं अटक गया। फिर वापस दूसरा उपग्रह छोडने का प्रोग्राम हुआ और उसमें सक्सेसफूल्ली उपग्रह लॉन्च हो गया इस खुशी में पश्चिम भारतीय स्पेस रिसर्च सेंटर के द्वारा एक फंक्शन का आयोजन किया और उसमें विक्रम को वीरता के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

ईशा को घर में बहू की जरूरत थी इसलिए वह मल्लिका के घर पर जाकर, उसके घरवालों के साथ शादी की बात की, यह बात मल्लिका ने सुनी और उसका मन का मोर नाचने लगा। मल्लिका और विक्रम यह बात से एकदम खुश थे, शादी की बात होते ही लेबोरेटरी में उसके काम में मन ही नहीं लग रहा था। कोई दिन लेबोरेटरी मे छुट्टी रखकर दोनों कहीं घूमने चले जाते थे। शादी वाले दिन विक्रम घोड़ी पर चढ़ कर आया और दोनों की नाचते-गाते शादी हुई। फोटो खींचने के वक्त मल्लिका को विक्रम के सूट के साथ फोटो खिंचवाना था, उसने यह बात विक्रम को बताई। विक्रम ने अपना वॉइस कोड डाला और उसका सूट थोड़ी देर में तैयार हो गया और फिर फोटो खिचवाया लेकिन विक्रम के चाहको कि सेल्फी खिंचवाने के लिए लंबी लाइन लगी थी।

दस महीने के बाद........

एक दिन मल्लिका शाम के चार बजे थोड़ा फ्रेश होने के लिए लेबोरेटरी से बाहर निकली उस वक्त उसने दूर से देखा कि कोई नीले और सफेद रंग का रोबोट दूर से जमीन पर उतरा हुआ दिखाई दिया। मल्लिका ने तुरंत ही लेबोरेटरी का अलार्म बजा दिया और सबको सतर्क कर दिया लेबोरेटरी के सिक्योरिटी गार्ड और कर्मचारी सब गन लेकर बाहर पहुंच गए थे। वह रोबोट लेबोरेटरी की ओर ही आ रहा था, सब लोग गन लेकर छुप गए थे और उनको निशाना बना के कई छुपे बैठे थे। वह रोबोट पास में आया उसका रंग एकदम चमकता हुआ निला था, उसकी छाती पर आधे सूर्य देव का सफेद रंग का निशान था और पूरे शरीर पर सफेद रंग की फैंसिंग डिजाइन थी। वह लेबोरेटरी के थोड़े दूर खड़ा रह गया, एक कर्मचारी ने बड़े आवाज से बोला कि अपने आपको हमारे हवाले कर दो वरना गोलियों से तुम्हें फोड़ देंगे। यह सुनकर उस रोबोट ने अपने दोनों हाथ ऊपर कर दिये और उसने अपना मास्क को हटाया और उसे देखते ही सब चौंक गए। सबके मुंह में से एक ही आवाज निकली 'क्रिस्टल मेन', सब बाहर निकलकर उसके पास पहुंच गए क्योंकि यह नए अंदाज में अपना क्रिस्टल मेन ही था। यह सब नया अपडेट किया था वह मल्लिका को भी नहीं पता था, काम खत्म होने के बाद सिर्फ ईशा को ही पता था।

विक्रम ने दस महीने तक सख्त मेहनत के बाद यह नया सूट और अंतरिक्ष में भी चलने वाले सूट की माहिती क्यूब में अपडेट कर के थोड़ा रिपेयरिंग काम किया था जो दस महीने तक चला था। विक्रम के सूट का रंग इतना चमकता हुआ था कि सब लोग उसके सूट को छूकर देख रहे थे, उसका सूट सबके मन मोहित कर दें ऐसा था। विक्रम सबको मिलकर अभी वह सूट का अंतरिक्ष में परीक्षण करने के लिए जा रहा था। विक्रम ने दौड़ लगाई और साथ में ही उड़ान का कोड डाला और छलांग लगाते ही वह आकाश की ओर उडने लगा, एकदम तेजी से बादलो को छेद कर सिधे पृथ्वी के वातावरण से बाहर पहुँच गया। उसका सूट अभी जो पृथ्वी के वातावरण में चल रहा था वैसे ही अंतरिक्ष में भी चल रहा था। विक्रम का सूट हर वक्त सूर्य प्रकाश में चार्ज होता रहता था इसलिए विक्रम ने अपनी छाती पर आधे सूर्य का निशान रखा था। विक्रम ने अपने पूरे सूट को तपास लिया, उतने में शाम हो गई थी और विक्रम धरती की ओर बढ़ने लगा। विक्रम सीधे अपने घर पर ही उतरा और उतर ते ही अपना सूट समेट लिया और घर के अंदर चला गया।

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