Note- इस कहानी में कुछ परिवर्तन किए गए हैं। और आगे से सभी पार्ट इसी पर आधारित होगें।
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फिर कुछ परग्राही लोग स्योर मैन के मार्क को ढूंढने के लिए निकले। उनमें से एक ने उस चोर का रूप बना लिया था, और दूसरे वाले ने एक साधारण इंसान का ही रूप रख लिया। फिर वो दोनों परग्राही मार्क को ढूंढने के लिए शहर की तरफ निकल पड़े। लेकिन उन्हें पृथ्वी की कानून व्यवस्था के बारे में कुछ भी नहीं पता था। वो चोर जिस व्यक्ति का पर्स लेकर भागा था। उस व्यक्ति ने पुलिस में उस चोर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी थी। वो दोनों परग्राही सीधे उसी जगह पर पहुंच गए जिस जगह की लॉकेशन उनके सिस्टम ने बताई थी। और वहां जाकर उन्होंने उस मार्क को ढूंढना शुरू कर दिया। तभी मैं और मेरी दोस्त वहीं होकर शहर की तरफ जा रहे थे। और दूसरी तरफ से पुलिस उस व्यक्ति को लेकर चोर को ढूढ रही थी। एक परग्राही की नजर वही पड़े हुए मार्क पर पड़ गई। उसने तुरंत अपने दूसरे साथी को बुलाया कि यहां है मार्क, मुझे मिल गया। तो दूसरा परग्राही भी वहीं आ गया। लेकिन तभी पुलिस ने उस परग्राही को देख लिया जिसने चोर का रूप रखा हुआ था। पुलिस ने तुरंत अपनी गाड़ी रोकी और उसको पकड़ लिया। तब तक वो परग्राही उस मार्क को उठा भी नहीं पाये थे। और उससे पहले ही पुलिस ने उन दोनों को पकड़ लिया। फिर पुलिस उन दोनों को पकड़कर पुलिस स्टेशन ले गयी। लेकिन वो स्योर मैन मार्क वाला बॉक्स मुझे और मेरी दोस्त को दिख गया। मैंने उस चमकते हुए बॉक्स उठाया और मैं अपनी दोस्त से बोला-" ओए, देख मुझे क्या मिला है!" मेरी दोस्त ने मुझसे कहा कि-" अरे ! ये क्या है?" मैंने कहा कि-" जो भी है खोलकर देखते हैं।" लेकिन मेरी दोस्त ने मुझसे उस बॉक्स को वहां खोलने से मना कर दिया। और कहा कि-" चल पहले घर चल फिर खोलेंगे। यहां किसी ने देख लिया तो हमसे इसे छीन लेगा।" मैंने कहा कि ठीक है, चल घर चलके खोलेंगे। फिर हम दोनों वहां से अपने घर चले गए। जब हम दोनों घर पहुंच गए तो हमने जल्दी से घर का दरवाजा अंदर से बंद किया। और फिर हम उस बॉक्स को खोलने लगे । जब मैंने उस बॉक्स को खोला तो उसमें 2 चमते हुए मोती रखे हुए थे। उसमें एक मोती से लाल रंग की रौशनी निकल रही थी और दूसरे मोती से नीली रौशनी निकल रही थी। हमें नहीं पता था कि ये क्या है। लेकिन फिर भी मैंने लाल वाला और मेरी दोस्त ने नीला वाला मोती छू लिया। और जैसे ही हमने उन मोतियों को छुआ तुरंत ही वो मोती हम दोनों के हाथ में अंदर चले गए। मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे मेरे शरीर की नसों में कुछ बहुत ही तेज़ी से घुल रहा था। मुझे बहुत ही दर्द हो रहा था। मैं दर्द के कारण जमीन पर गिर गया। लेकिन मेरी दोस्त को मेरी अपेक्षा कम दर्द हुआ लेकिन दर्द उसे भी हुआ था। पर थोड़ी ही देर में मेरा दर्द भी शांत हो गया। मेरी दोस्त जल्दी से मेरे लिए एक गिलास पानी लायी। फिर मैंने पानी पिया और थोड़ा होस संभाला। लेकिन तब मुझे अपने अंदर ऐसा महसूस हुआ जैसे मेरे अंदर आग 🔥 जल रही है। फिर मैंने सोचा कि अभी-अभी मैं ठीक हुआ हूं शायद इसीलिए मुझे ऐसा लग रहा हो। हम दोनों को कुछ भी समझ नहीं आया कि आखिर वहां हुआ क्या ? पर थोड़ी देर सोचने के बाद हम दोनों ने उस बात को नज़रंदाज़ कर दिया। वहीं दूसरी तरफ पुलिस उन दोनों की अच्छी तरह से धुलाई कर रही थी।
पुलिस👮- बोल तुने चोरी क्यों की ?
परग्राही🤺- हमने कोई चोरी नहीं की है। हमारा विश्वास करो।
पुलिस 👮- हर चोर चोरी करने के बाद यही बोलता है।
परग्राही🤺- अब हम तुम्हें विश्वास कैसे दिलाएं कि हमने सच में कोई भी चोरी नहीं की है।
पुलिस 👮- चलो हमें बस ये बता दो कि आज तक तुमने कितनी चोरियां की हैं?
परग्राही 🤺- साहब हमने चोरी नहीं की है। तो हम कैसे बताएं?
पुलिस 👮- चलो थोड़ी देर हम तुम लोगों को सोचने का मौका दे रहें हैं। लेकिन अगर थोड़ी देर बाद तुमने हमें नहीं बताया तो तुम्हारी खैर नहीं है।
फिर पुलिस 👮 वाले उन्हें वहीं छोड़कर बाहर चले गए। उन दोनों परग्राहीयों🤺 ने अपना रूप बदल लिया और वहां से भाग निकले। पुलिस 👮 ने उन दोनों 🤺 का बहुत देर तक पीछा किया। लेकिन वो दोनों 🤺 पुलिस 👮 को चक्मा देकर भाग गए। अगले दिन मैं और मेरी दोस्त घर पर खाना बना रहे थे। क्योंकि हम दोनों अकेले ही रहते थे तो हम अपना सारा काम खुद ही करते थे। अचानक खाना बनाते-बनाते सिलेंडर की गैस खत्म हो गई।
मैं- अबे यार , इस गैस को भी अभी खत्म होना था।
योगी(मेरी दोस्त) - यार खत्म भी तो आधा खाना बनने के बाद हुई है।
मैं- यार गैस पर मुझे इसीलिए तो गुस्सा आता है, क्योंकि ये कभी बताकर खत्म नहीं होती। जब इसका मन किया तभी खत्म हो जाती है।
योगी- हां, तुने तो इसे मोबाइल का रिचार्ज समझ रखा है जो पहले नॉटीफिकेशन देकर खत्म होगी।
मैं- अब क्या करें ?
योगी- ऐसा कर तू गुस्सा तो है ही बस मुंह से आग 🔥 निकालकर खाना और पका दे।
मैं- काश, ऐसा हो-पाता । काश, मैं भी डायनासोर 🐉🦖 की प्रजाति का होता तो मैं ऐसे फूंक मारकर आग 🔥 जला देता।
मैं तो ऐसे ही फूंक मारकर दिखा रहा था। लेकिन फूंक मारते ही सच में मेरे मुंह से आग 🔥 निकल गई। मैं और योगी दोनों डर गये कि ये क्या हुआ? मैं तो इतना डर गया कि मैंने अपने मुंह में तुरंत पानी डालना शुरू कर दिया। लेकिन फिर थोड़ी ही देर में योगी को समझ आ गया कि ये सब कहीं कल वाले मोतियों की वजह से तो नहीं हुआ है?
योगी- ओए, हरीश सुन ।
मैं- हां, बोल।
योगी- शायद मुझे समझ आ गया कि ये क्यों हुआ !
मैं- क्यों हुआ ?
योगी- रुक तो सही 2 मिनट ।
मैं- क्या रुक ? जल्दी बता मेरे मुंह से आग 🔥 निकल रही है। मेरा मुंह जल जाएगा ।
योगी- तू पहले तो शांत हो ।
मैं- तू पागल है क्या? मेरे मुंह से आग 🔥 निकल रही है और तू कह रही है शांत हो ।
योगी- अरे, हो तो सही। फिर बताती हूं।
मैं- नहीं हो सकता। ये आग 🔥 रुकने का नाम ही नहीं ले रही है।
योगी- देख जब तक तू शांत नहीं होगा तब तक ये आग 🔥 नहीं रुकेगी।
मैं- ठीक है, ठीक है मैं शान्त हो रहा हूं।
फिर मैं धीरे-धीरे शांत हुआ तो वो आग 🔥 भी मेरे मुंह से निकलनी बंद हो गई।
योगी- देखा मैंने बोला था ना ।
मैं- हां यार ये तो रुक गई। पर तुझे कैसे पता चला?
योगी- बस ऐसे ही !
मैं- अब बता भी दे। इतनी ओवर एक्टिंग मत कर ।
योगी- अच्छा ठीक है बताती हूं । जब तेरे मुंह से आग निकल रही थी तो मेरे दिमाग में आया कि ऐसा तो मैंने कयी फिल्मों में भी देखा है । फिल्मों में जब वो लोग गुस्सा होते हैं तो उनके मुंह से आग 🔥 निकलती है । वैसा ही तेरे साथ भी हो रहा था। तुझे पहले गुस्सा आया फिर तुने जब फूंक मारी तो तेरे मुंह से आग 🔥 निकल गई। तो मैंने सोचा कि फिल्मों में जब वो लोग शांत हो जाते हैं तो उनके मुंह से आग 🔥 निकलना बंद हो जाती है। इसलिए मैंने तुझे भी यही करने के लिए बोला ।
मैं- ओ, मेरे साथ रह-रहकर तू भी बहुत स्मार्ट हो गई है। लेकिन यार आज से पहले तो ऐसा कभी नहीं हुआ तो फिर आज क्यों हुआ ?
योगी- ये कहीं कल वाले मोती की वजह से तो नहीं हुआ है।
मैं- पता नहीं !
योगी- पता नहीं तो क्या हुआ ? पता तो कर सकते हैं ना ।
मैं- कैसे ?
योगी- एक मोती तेरे अंदर है तो एक मोती तो मेरे अंदर भी है। अगर ये सब उस मोती की वजह से हुआ है तो मुझमें भी कोई पॉवर आई होगी।
मैं- हां, चल कुछ करके दिखाना ।
योगी- पर मैं क्या करके दिखाएं ?
मैं- क्या ! तू भी फूंक मारकर दिखा शायद तेरे मुंह से भी आग 🔥 निकल आए।
योगी- अच्छा ठीक है ।
योगी भी मेरी तरह फूंक मारने लगी । पर उसके मुंह से आग 🔥 तो क्या धूंआ भी नहीं निकला। लेकिन उसने हार नहीं मानी वो बहुत देर तक लगातार फूंक मारती रही। पर फिर भी उसके मुंह से कुछ नहीं निकला। और मैं पीछे से बार-बार उसे बोल रहा था कि-" कोई बात नहीं तू फिर से कर इस बार आयेगा।" लेकिन अब योगी पूरी तरह से थक चुकी थी। जब काफी देर तक लगातार फूंक मारते-मारते भी उसके मुंह से आग 🔥 नहीं निकली तो उसे बहुत ज्यादा गुस्सा आ गया। लेकिन मैं फिर भी बार-बार यही बोलता रहा कि कर तू अबकी बार जरूर आयेगा। योगी ने गुस्से में आकर मेरी तरफ हाथ ✋ का इशारा करते हुए कहा कि बस कर अब। अब और नहीं होगा । लेकिन जैसे ही योगी ने मेरी तरफ हाथ ✋ का इशारा किया तुरंत उसके हाथ से बहुत ही रफ्तार में पानी 💦 की एक तेज धार निकली और वो सीधे मुझसे आकर टकराई। फिर क्या था , मैं तो सीधा पीछे वाली दीवार में जाकर लगा। भाईसाहब मेरी सांस गले में ही अटक गई। फिर योगी ने भागकर मुझे उठाया । बहुत देर बाद मैंने ठीक से होश संभाला और खड़ा हुआ। मुझे चोट लगी थी लेकिन अब मुझे ये खुशी हो रही थी कि अब हम दोनों सुपर हीरो बन गए। फिर हम दोनों ने मिलकर अच्छा-सा खाना बनाया और आधी से ज्यादा रात तक इसी खुशी में पार्टी🍻 की । जब हम पार्टी🍻 करते-करते थक गए तो फिर हम दोनों सो🌆🌆 गए।
**************** सुबह🌅 होने पर ****************
सुबह करीब 08:00 🕗 बजे किसी ने घर🏠 का दरवाजा खटखटाया तो मेरी आंखें खुल गईं। मैं थोड़ी नींद में बोला कि-" यार इतनी सुबह-सुबह कौन आया है?" मैंने योगी को आवाज़ दी पर वो तो मुझसे भी ज्यादा गहरी नींद में सोई हुई थी। फिर मैं खुद ही उठकर दरवाजा खोलने के लिए उठा । और जाकर मैंने दरवाजा खोला तो वहां पर वो दोनों परग्राही👽 लोग खड़े थे। पता नहीं उन दोनों👽 को हमारे बारे में कहां से पता चल गया । और वो दोनों 👽 हमारे घर में अंदर घुस आए। मैंने जोर-जोर से योगी को आवाज़ लगाई। थोड़ी देर बाद योगी अपने कमरे से बाहर निकली , और बाहर आकर भी मुझसे बोल रही थी कि-" क्या हुआ है? इतना शोर क्यों कर रहा है? ठीक से सोने भी नहीं दिया।" मैंने उसके सर में हाथ 👋 मारकर कहा कि-" नींद से बाहर आकर तो देख कौन आया है?" फिर वो नींद से जागी और उसने देखा कि उसके सामने दो अजीब सी सक्ल 👽 वाले खड़े हैं। वो डर गई ये लोग कौन हैं टेढ़ी-मेढ़ी सक्ल 👽 के?
मैं- मुझे क्या पता कौन है? इन्हीं से पूंछ ।
योगी- (परग्राहीयों 👽 से) कौन हो तुम लोग? और हमारे यहां क्यों आए हो?
परग्राही 👽- चिंग- सौं हिक्रा ?
मैं- ये लोग कौन-सी भाषा बोल रहे हैं?
योगी- मुझसे क्या पूछ रहा है? मुझे क्या पता?
मैं- भाई आप लोगों को हिंदी नहीं आती क्या? क्योंकि हमें आपकी भाषा नहीं आती है।
परग्राही 👽- वो बॉक्स कहां है?
योगी- कौन सा बॉक्स?
तभी दूसरे परग्राही 👽 की नज़र उस खाली बॉक्स पर पड़ गई। उसने अपने दूसरे साथी को बताया कि बॉक्स वहां है। लेकिन जब उन्होंने उस खाली बॉक्स देखा तो उनका पारा🌡️( गुस्सा ) हाई हो गया । और हमारे पास आकर मेरी गर्दन पकड़ ली और बोला कि-" इसमें जो मोती थे। वो दोनों मोती कहां है?"
मैं- भाई हमें नहीं पता था कि वो मोती आपके हैं।
परग्राही 👽- हां तो अब पता चल गया। अब बताओ कि वो मोती कहां है?
मैं- वो अब नहीं है।
परग्राही 👽- नहीं हैं का क्या मतलब है? फिर कहां हैं वो दोनों मोती?
मैं- हम दोनों ( मैं और योगी ) ने जब उन दोनों मोतियों को छुआ तो वो मोती हमारे हाथ के अंदर चले गए।
परग्राही 👽- क्या?
उस परग्राही 👽 ने मुझे ज़मीन पर फेंक दिया। मैं चुपचाप खड़ा हो गया। लेकिन फिर उन दोनों परग्राहीयों 👽 ने आपस में कुछ बात की और हमपर हमला कर दिया लेकिन मैं वहां से साइड की तरफ भागा, तो मेरी स्पीड इतनी बढ़ गई, कि मैं 1 सैकेंड से भी कम में अपने घर 🏠 की साइड वाली दीवार में जाकर ठुक गया।
आगे हमारे पास और कौन-कौन सी शक्तियां हैं? क्या हमारे मोती परग्राहीयों 👽 ने छीन लिए या नहीं? बाकी सारी बातें जानेंगे पार्ट-4 में। तो अभी के लिए नमस्कार 🙏।
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© Hareesh Kumar Sharma✒️