चोरी या पहेली?????.(5)
गुत्थी उलझती जा रही थी । एक चोरी अब बहुत बड़ी वारदात बन चुकी थी। शांति की मौत सिर्फ एक दुर्घटना है !!! , पुलिस इसे नहीं मान रही थी।
पुलिस एक निष्कर्ष पर तो आ ही गयी थी कि ये चोरी तो सिर्फ इस पहेली को भटकाने के लिए रची गयी थी । लेकिन उसे इस निष्कर्ष पे पूरा भरोसा भी नहीं हो रहा था।
भरोसा करती भी तो कैसे पिछले पांच महीनों में जब भी पुलिस किसी निष्कर्ष पर पहुँचती तो एक नई कड़ी जोड़े पहेली फिर से नई हो जाती थी। किसे गवाह बनाये किस पर शक करे कुछ समझ नहीं आ रहा था।
ये उलझती पहेली सिर्फ मौत का तांडव दिखा रही थी। और ये पहेली कौन रच रहा था ? किसी को खबर भी नहीं लग रही थी। इधर शांति की मौत ने एक बार फिर रोहन को हिला कर रख दिया। लेकिन नैना ने अपनी समझदारी से रोहन को संभाल लिया था।
उधर इन घटनाओं की वजह से कंपनी के कर्मचारी भी डरने लगे थे। परिणाम स्वरूप कंपनी के कर्मचारी भी कंपनी छोड़ कर जाने लगे। नैना को समझ आ गया था कि अगर जल्दी कुछ नही किया गया तो इसका परिणाम और भयानक हो सकता है। रोहन अभी कंपनी संभालने की हालत में नहीं था।
नैना ने तुरंत कंपनी में ऊँचें पदों पर बैठे कर्मचारियों को बुलाया और कंपनी में शांतिपूर्ण माहौल बनाने की बात पर चर्चा होने लगी। बहुत से सुझाव इस चर्चा में निकले और वक़्त न गवांते हुए उन्हें लागू किया गया।
देखते ही देखते कंपनी में सुधार होने लगा। जिसमें बहुत समय लगा लेकिन सब सही होने लगा। धीरे धीरे रोहन भी ठीक होने लगा और कंपनी की जिम्मेदारियों को संभालते हुए नैना का आभार प्रकट किया ।
चोरी की घटना को लगभग दस महीने होने को आ गए थे। इस दस महीने में रोहन की ज़िंदगी पूरी तरह बदल चुकी थी। कंपनी में चोरी होना, भाई की मौत , फिर पत्नी को खोना , और फिर शांति की मौत । इन सभी घटनाओं को याद कर रोहन आज भी सहम जाता है।
कहने को तो सबकुछ पटरी पे आ रहा था। लेकिन ज़िन्दगी की इस रेलगाड़ी में जैसे कुछ डिब्बे कहीं गुम से हो गए थे। दूसरी तरफ पुलिस ने इस पहेली को उल्टा करके कड़ियों को जोड़कर देखना चाहा यानी शांति की मौत से चोरी तक का सफर । लेकिन उसमें भी कुछ हाथ लगा नहीं।
और जो हाथ लगा वो थी एक चिट्ठी और उस खत की शुरुआत कुछ ऐसी थी ;-
Dear Sir ,
मैं रिया हूँ। .............................
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कहानी जारी है.........
रिया?????इसका तो कत्ल हो चुका है.....
🤔🤔🤔🤔🤔कौन है ये रिया????
ऐसे ही चेहरे की हवाइयाँ पुलिस स्टेशन पे सभी की उड़ गई थी!!!!
क्या है ये खत , क्या लिखा है, और ये रिया कौन ?????????
अगले भाग में जल्द ही........
चोरी या पहेली ???(6)
Dear Sir ,
मैं रिया हूँ। .............................
खत पढ़ने वाले हवलदार की ज़ुबान एक बार लड़खड़ा जाती है ....थोड़ी देर तक हर तरफ एक अजीब सी खामोशी छा जाती है। और तभी उसे खत आगे पढ़ने के लिए कहा जाता है।
लड़खड़ाती आवाज़ में हवलदार ने खत को पढ़ना शुरू किया ।
"Dear Sir,
मैं रिया हूँ।
हाँ..... मैं ज़िंदा हूँ, या ये कहूँ कि मैं मरी ही नहीं थी। मुझे पता है आपको यकीन नहीं होगा । लेकिन मुझे भरोसा है कि खत खत्म करते करते मैं आपको इस बात का यकीन दिला दूँगी।
तीन साल पहले मेरी एक दोस्त अमेरिका में पढ़ाई करने गयी थी। MBA की पढ़ाई करने के दौरान उसकी अमन से दोस्ती हुई थी। जी हाँ वही अमन , रोहन का भाई और शांति जी का बेटा।
दोस्ती कब नज़दीकियाँ बन गयी ,पता ही न चला। अमन अपनी हर बात मेरी दोस्त को बताने लगा था। उसने उसे बताया कि वो S&S कंपनी के मालिक मोहनलाल का बेटा है। उसने मेरी दोस्त को बताया कि कुछ महीने पहले उसके पिता ने अपनी जायदाद में कंपनी की पूरी जिम्मेदारी उसके बड़े भाई रोहन को सौंप दी थी।
और अमन इसी बात की वजह से काफ़ी तनाव में था। अमन की माँ यानी मेरी सास शांतीजी को भी ये फैसला मंजूर नहीं था। इसलिए अमन ने और शांतीजी ने एक योजना बनाई । और ये सारी बातें अमन ने मेरी दोस्त को बताई।
योजना के मुताबिक अमन की माँ ने बड़ी चालाकी के साथ , अमन के पिता से जायदाद में ये जुड़वा दिया कि कंपनी संभालने के समय अगर रोहन को कुछ हो जाता है तो कंपनी के बारें में कोई भी फैसला लेने का अधिकार शांति जी का होगा।
और एक दिन मौके का फायदा उठाकर , शांतीजी ने मोहनलाल की कार का ब्रेक खराब करवा दिए। और जब वो कंपनी जाने के लिए निकले तो रास्ते मे कार एक खंबे से टकरा गई और कार वहीँ जल गई। जिसमें मोहनलाल और उनके ड्राइवर की मौत हो गयी।
लेकिन जायदाद के मुताबिक अब कंपनी संभालने की ज़िम्मेदारी रोहन की थी। और रोहन को हटाना भी ज़रूरी हो गया था। ""
आप यही सोच रहें होंगे कि अगर योजना में रोहन को मारना था तो अमन की मौत कैसे हो गयी??
इस वारदात की अगली कड़ी मैं आपको अपने अगले खत में बताऊँगी।
और हाँ एक बात , मुझे ढूँढने के कोशिश मत करना , कोई फायदा नहीं होगा। इसलिए बेतहर यही होगा कि आप अपना समय मेरे पीछे बर्बाद मत कीजियेगा।
मुझे खोजना आपके लिए उतना ही मुश्किल है जितना उस बात को पचा पाना की मैं यानी रिया ज़िंदा हूँ।
तब तक के लिए
नमश्कार!!!
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कहानी जारी है..........
अब पुलिस क्या करेगी ??इंतेज़ार दूसरे खत का या फिर अपनी तहकीकात को अमेरिका ले जाएगी?
लेकिन एक खत पे भरोसा करना उचित है??कहीँ ये गुमरा
ह करने की कोई साजिश न हो।
लेकिन एक सवाल "ये रिया की दोस्त कौन है ?""
मिलते हैं कहानी के अगले भाग में.......
चोरी या पहेली ....(7)
इधर ये खत खत्म हुआ लेकिन अधूरा सा। खामोशी और सुगबुगाहट का माहौल था। हैरानी थी , चेहरे पे परेशानी थी। किस्से जुड़ रहे थे लेकिन अधूरे से। क्या सोचे क्या बोलें समझ से बाहर था। चोरी से लेकर शांतीजी की मौत तक ये पहेली जटिल हो गयी थी। और फिर एक खत का आना , हर कोई समझने में असफल था।
रिया के खत की पहली कड़ी ने कई सवाल पुलिस के सामने खड़े कर दिए।
अमन ,अमेरिका और रिया की दोस्त।इस अजीबोगरीब वारदात में सिर्फ कड़ियाँ और किरदार ही जुड़ रहे थे। और किसी समाधान पे आने से पहले किरदार कम भी हो रहे थे।
पुलिस अपनी तहक़ीक़ात को अमेरिका ले जाती है और पुलिस की एक टीम रिया के बारे में पता लगाने में जुट जाती है। वो खत कहाँ से आया किसने भेजा?? रिया ही है या रिया के नाम पर कोई और। या फिर सिर्फ पहेली को उलझाने की साजिश थी।
साजिश थी या नहीं ये तो पता नहीं । हाँ लेकिन पुलिस उलझ ज़रूर गयी थी। पुलिस अमेरिका तक भी पहुँची और अमन के कॉलेज तक भी। वहाँ पता चलता है कि अमन सबसे दोस्ती बनाकर रखता था। तो रिया के खत में किस दोस्त की बात हो रही है बता पाना मुश्किल है। क्या इसे एक नाकामयाब कोशिश कहा जा सकता है।
उधर खत कहाँ से आया ये तो पता चला लेकिन रिया नाम की कोई भी लड़की वहाँ नहीं रहती। हो भी सकता है । उस खत को दूर जाकर पोस्ट किया हो।
पुलिस एक बार फिर रोहन से और नैना से पूछताछ करने पहुँचती है । पुलिस रोहन को खत के बारें में बताती है। और खत में लिखी बातों को भी।
पुलिस थोड़ी हैरान होती है कि पिता के कत्ल के बारे में जानने के बाद भी कोई खास प्रतिक्रिया रोहन के चेहरे पे नहीं थी। शायद समय ने असर कम कर दिया हो।
एक सवाल पुलिस के दिमाग मे नैना को लेकर भी चल रहा था की नैना का भी अचानक इस कड़ी में जुड़ना महज़ एक इत्तेफ़ाक़ है या फिर कुछ है जिसे पुलिस नहीं समझ पा रही थी। लेकिन जिस तरह से नैना ने कंपनी और रोहन दोनों को संभाला था, पुलिस ज्यादा शक नहीं कर पा रही थी।
हफ्ते भर चली पुलिस के कार्यवाही में कुछ खास नही निकला। और रिया के दूसरे खत का भी इंतेज़ार लंबा हो चला था। पुलिज़ ने खत पर निर्भर न रहने की सोची और अपनी कार्यवाही को आगे बढ़ाने की बात ही कही थी कि इतने में एक हवलदार एक खत लेकर आता है।
जिसके लिफाफे पे लिखा था भाग 2 और नीचे लिखा था आपकी रिया!!!!
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कहानी जारी है ..........
क्या सोच रहें आप, ?? सोचिए मत खत के खुलने का इंतेज़ार कीजिये !!!!
मिलतें हैं अगले भाग में....
कहानी के साथ जुड़े रहने के लिए आपका धन्यवाद
सतेंदर तिवारी
चोरी या पहेली ...(8)
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recap.......अब तक आप लोगों ने पढ़ा कि कैसे रोहन की कंपनी में एक दिन चोरी हो जाती है , जिसके सदमे से रोहन अस्पताल में भरती हो जाता है। उधर उसके सौतेले भाई अमन की नदी में डूब कर मौत हो जाती है , अमन के एक खत से पता चलता है कि ये आत्महत्या है और जिसका कारण रोहन की पत्नी रिया है । कुछ दिन बाद रिया का भी कत्ल हो जाता है, और फिर अमन की माँ की एक दुर्घटना में मौत हो जाती है। पुलिस इस पहेली में उलझ जाती है कि एक खत ने उन्हें और परेशान कर दिया ।वो खत रिया का था , जिसमे वो खुद को ज़िंदा बताती है।......... क्या थी चोरी और कैसी पहेली,????? ज़रूर पढ़ें इस कहानी के पिछले (7) भागों को। ......
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भाग ...(8) ......
तो जैसा की अपने देखा ,पुलिस ने अपनी कोशिशें जारी रखी थी। लेकिन कुछ ज़्यादा हाथ नहीं लगा और इतने में हफ्ते भर के इंतेज़ार के बाद रिया का खत आता है , जिसके लिफाफे में लिखा था भाग 2 और नीचे लिखा था आपकी रिया!!!!
खत खुलता है और हवलदार ने पढ़ना शुरू किया...........
आदरणीय महोदय,
उम्मीद के मुताबिक , आपने अपनी तहक़ीक़ात को आगे बढ़ाया भी होगा। अमेरिका भी गए होंगे या वहाँ की पुलिस की मदद से वहाँ के कॉलेज भी पहुचें होंगे जहाँ अमन और मेरी दोस्त की मुलाकात हुई होगी। लेकिन मुझे पता है कुछ खास पता नहीं चला होगा।
""●●मुझे पता है आपने मेरे बारें में भी पता किया था लेकिन आपको वहाँ भी कुछ हाथ नहीं लगा। मैंने पहले ही कहा था कि मुझे ढूढ़ने में अपना समय बर्बाद मत कीजियेगा। ""
हवलदार थोड़ी देर रुकता है, और पुलिस असमंजस में एक दूसरे को देखती है कि वहाँ सभी ने रिया के बारें में कुछ नहीं बताया बल्कि लोगों ने कहा कि रिया नाम की कोई लड़की वहाँ रहती ही नहीं है। फिर कैसे रिया को पता चला कि पुलिस उसे ढूढ़ने वहाँ पहुँची थी।
खैर , हवलदार ने खत को पढ़ना शुरू किया...........
"""●●ज्यादा सोचिए मत , कोई फायदा नहीं है कि मुझे कैसा पता चला । ये ज़रूरी भी नहीं है। तो जैसा कि श्री मोहनलाल जी की हत्या के बाद , रोहन को कंपनी की ज़िम्मेदारी मिल गयी। जिससे न तो अमन को खुशी मिली और न ही शांतीजी को । और रोहन को रास्ते से हटाने की साजिश होने लगी ।
अमन और शांतीजी को पता था। कि श्री मोहनलाल जी की हत्या के बाद अगर तुरंत रोहन को कुछ भी हुआ तो , सीधा शक अमन और शांतीजी पर ही जायेगा। इसलिए दोनों ने थोड़ा रुकने का फैसला किया। और इसी बीच वो रोहन को रास्ते से हटाने में की साजिश रचने लगे।
और इधर मेरी दोस्त को जब पता चला कि मैं यानी रिया , उसकी दोस्त इसी परिवार की बहू यानी रोहन की पत्नी है , तो उसने मुझे अब तक कि सारी बातें बताई। उसे ये जानकर बड़ी हैरानी हुई कि मुझे ये सब पहले से पता था। और इस साजिश में कुछ हिस्सेदारी मेरी भी थी।
या यूं कहूँ की मैं इस परिवार में बहू के तौर पर इस साजिश की वजह से ही आयी थी। और मोहनलाल जी को मारने की सारी साजिश मेरे साथ ही रची गयी थी। जब एक तरफ मोहनलाल जी को मारने की षड्यंत्र रचा जा रहा था , तो दूसरी तरफ मैं रोहन को फंसाने में लगी थी।
मैं कामयाब रही और एक दिन शादी करके इस परिवार की बहू बन गयी ।
और फिर साजिश के अगले भाग यानी रोहन को रास्ते से हटाने की योजना बनने लगी।
जहाँ अमन और शांतिजी की लिए ये संपत्ति की लड़ाई या लालच था वहीँ मेरे लिए ये शादी सिर्फ कुछ समय के लिए एक नाटक था। जिसके बदले में शांतिजी ने मुझे बड़ी रकम देने का वायदा किया था। जिसकी आधी रकम मुझे पहले ही मिल चुकी थी।
एक बात ज़रूर कहूँगी , की रोहन को मारने की साजिश थी और आत्मत्या अमन ने करली , बात अभी भी नहीं पच रही न???? मुझे मालूम है।
तो एक बात बता दूँ आपको की अमन आज भी जिंदा है ।🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔
चौंक गए न आप??????
मिलते हैं अगले खत में !!!!!!!!!
आपकी रिया 🙏🙏●●●●
और एक नए सवाल या कहूँ की नई पहेली के साथ रिया का ये खत भी खत्म हो जाता है।
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क्या अमन ज़िंदा है ,??🤔🤔उफ्फ़........
कहानी से जुड़े रहने के लिए आपका धन्यवाद।।
सतेंदर तिवारी।।