पास मे पड़ा बालक
हरीश के लिए एक ऐसी बड़ी समस्या थी जिसको होना नहीं चाहिए था
इसके होने से कही ना कही बहुत बड़ा बदलाव हो सकता था उपर से वो नहीं जानता था वो किस समय से और किस स्थान से उस बच्चे को ले आया हैँ ! इन सब को सोच कर हरीश काफ़ी डर गया था पर उसने किसी प्रकार से ये सोच कर खुद को शांत कर लिया के पहले जिस काम के लिए वो आया हैँ, उस काम को निबटा दूँ बाद मे कैसे भी इस गलती को ठीक कर लूंगा,
जिस दिन हरीश अपने सौतेले माँ बाप को मिला था उस दिन वो लोग रात के आठ बजे किसी समारोह मे गए थे और देर रात एक बजे वापस आने पर उन्हें अपने घर के बाहर हरीश मिला था जिसका सीधा सा अर्थ ये हैँ के बच्चे को छोड़ने वाला रात 8 बजे से 1 बजे के बिच मे आया था इसलिए हरीश पौने आठ बजे ही उस घर के पास एक आड़ मे छुप कर बैठ गया, उस समय वो गलती से आया बच्चा भी हरीश के साथ था कियोकि हरीश उस बच्चे को कही पर भी अकेला छोड़ कर जाने का रिस्क नहीं लेना चाहता था, ठीक आठ बजे हरीश के सोतेले माता पिता समारोह के लिए घर से निकल गए,
अब हरीश के पास केवल प्रतीक्षा करने के सिवा कोई और चारा नहीं था तो वो प्रतीक्षा ही करता रहा, धीरे धीरे समय बीतता जाता और इसके साथ हरीश की बेताबी हर पल बढ़ती जाती देखते देखते 9 बज गए फिर 10 और फिर 11 भी बज गए लेकिन कोई नहीं आया, इंतज़ार करते करते साढ़े बारह बज गए मगर तब भी कोई नहीं आया और जब 1 बजने मे केवल 10 मिनट बचे थे तभी हरीश की गोद मे लेटे बालक की नींद टूट गई और वो जोर जोर से रोने लगा हरीश इस से घबरा गया उसे लगा यदि वहां आने वाले ने ये आवाज़ सुन ली तो वो भाग जायेगा,
किसी तरह हरीश ने उसको फिर से सुला दिया उसको सुलाते समय हरीश की नज़र उसकी गोद मे सोते बच्चे की कलाई पर गई जिस पर हूबहू हरीश के जन्मजात निशान के जैसा ही निशान था
बस इतना देखना था और वो सब कुछ समझ गया वो बच्चा हरीश ही था अब एक बजने मे केवल 2 मिनट शेष रह गए थे हरीश ने बिना देरी के उस नवजात बालक को कुमार परिवार के घर के आगे रख दिया और वापिस आ कर फिर से छुप गया जब दोनों पति पत्नी वापिस लोटे तो बच्चे को पा कर बेहद खुश हुए, ये सब देख कर हरीश फुट फुट कर रोने लगा, और अपने माँ बाप के लिए सोचे तुच्छ विचारों पर खुद को दोषी मानने लगा,
वो गलत था उसके माता पिता ने कभी भी उसका त्याग नहीं किया था बल्कि वो तो ये भी नहीं जानते थे के उनके बेटे के साथ क्या हुआ हरीश को उसके माता पिता से अलग करने वाला वो खुद ही था
अभी तक की उलझनों से हरीश उभरा भी नहीं था के एक और नई पहेली उसके सामने आ कर खड़ी हो गई, उसके जन्म तिथि की,
वो नहीं जानता था के किस समय उसका जन्म हुआ था इन सब से हरीश अत्यंत निराशा और हताश हो गया था उसके बाद वो अपने समय यानि 2018 मे वापस लोट आया !
आने वाले दो वर्षो तक बड़ी श्रद्धा और लग्न से वो भरपूर प्रयास करता रहा उस अज्ञात स्थान और अनजाने समय मे जाने का जहाँ हरीश का जन्म हुआ था जहाँ वो एक बार गलती से पहुँच चूका था परन्तु हर बार वो असफल हो जाता ! और अंत मे इन सब से तंग आ कर वो यन्त्र क्रोध मे तोड़ डाला,
हरीश को लगने लगा था मनुष्य जाती के लिए ये यन्त्र कभी लाभ दायक नहीं हो सकता वो तो केवल लोगो के लिए श्राप ही साबित होगा! इसके ना होने पर ही संसार की भलाई हैँ|
उसके बाद हरीश साधारण जीवन बिताने लगा, कुछ समय बाद हरीश ने सर्वगुण सम्पन्न सुन्दर युवती से प्रेम विवहा कर लिया, आगे आने वाले सालो मे हरीश ने एक सुखद जीवन पाया
31 मार्च 2021 को सेंट मेरी हॉस्पिटल मे हरीश बेहद घबराया हुआ खड़ा था वो आज अपनी पहली सन्तान के होने की प्रतीक्षा कर रहा था तभी ऑपरेशन थिएटर मे से एक नर्स बाहर आ कर बोली " आपको लड़का हुआ हैँ लेकिन....??
हरीश " लेकिन क्या..
नर्स " बच्चा पैदा करने की पीड़ा सहन ना कर पाने के कारण आपकी बीवी का स्वर्गवास हो गया हैँ !
और केस कॉम्प्लिकेटेड होने के कारण आपका बचा भी अस्वस्थ हुआ हैँ इसलिए उसको ऑर्ब्जरवेशन मे रखा गया हैँ ! आप उसको देख तो सकते हैँ मगर अभी उसको छू नहीं सकते, इतना बोल कर नर्स वहा से चली गई, हरीश के लिए ये सुचना किसी पहाड़ के गिरने जीतनी कष्टदायक थी वो बहोत देर तक रोता रहा, फिर खुदको संभाल कर अपने बच्चे को देखने चल दिया !
एक रूम मे एक पाले के अंदर सबसे अनजान बेखबर वो शिशु सो रहा था और हरीश रूम के बहार से आर पार देखने वाले कांच से उसकी मासूमियत को निहार रहा था तभी रूम के अंदर बिजली जैसी तेज और चमकदार सफ़ेद रौशनी दो बार चमकी और हरीश की ऑंखें चौंधिया गई, जब हरीश समान्य हुआ तो वहां से उसका बच्चा पाले समेत गायब था इस को देख कर हरीश को समझते देर ना लगी के वो बच्चा कहा गया
साथ मे उसको अपने जीवन के सबसे बड़े सवालों का जवाब भी मिल गया
बड़ी बेतुकी बात हैँ ना जिस व्यक्ति ने संसार का प्रथम यात्रा यंत्र बनाया वो अपने जन्म लेने वाले दिन ही उस अविष्कार का उपयोग कर चूका था यानी यन्त्र के अविष्कार से वर्षो पहले हरीश उसमे घूम चूका था
अविश्वसनीय मगर सत्य