भारतका सुपरहीरो - 8 Green Man द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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भारतका सुपरहीरो - 8

8. क्रिस्टल मेन

दस साल के बाद........

विक्रम की पढाई खत्म हो गई थी और विक्रम को 'डॉक्टर एमन लेबोरेटरी' के एक विभाग का हेड बना दिया, विक्रम ने अपने पिताजी की डायरी के जरिए उस लेबोरेटरी में स्टीरीयन धातु की चीज वस्तुयां बनाने का विभाग चालू किया। मास्टर ने अपनी पूरी जीवन गाथा इस डायरी में लिखी थी और वो विक्रम हर रोज पढता था और उसमें से कुछ नया नया सीखता था। बस ऐसे ही फिर से स्टीरीयन धातु का समय चलने लगा और मास्टर की टेक्नोलॉजी वापस चालू हो गई।

डॉक्टर एमन लेबोरेटरी मूनसिटी में आई थी और वो पूरी अर्थ गोलाकार कांच की बनी हुई थी, उसमें से लेबोरेटरी के नीचे का विभाग प्रदर्शकों के लिए रखा गया था और ऊपर का विभाग संशोधन का था। लेबोरेटरी में दो दरवाजे थे दोनों दरवाजों पर और अंदर सब जगह टाइट सिक्योरिटी रखी गई थी। दोनों दरवाजों और अलग अलग विभाग पर आईडी कार्ड स्कैनर रखा गया था और सब कर्मचारियों के पास अपने अपने आईडी कार्ड थे उसके बिना कोई अंदर घुस नहीं सकता था। सब जगह पर सिक्योरिटी अलार्म रखे गए थे, लेबोरेटरी के चारो दिशाओं में और अंदर भी हाई विजन केमेरे लगाए हुए थे।

विक्रम जब पढ़ाई पूरी करके लेबोरेटरी में जुड़ा था तभी उसके साथ उसके दो दोस्त भी जुड़े थे, एक का नाम उदय और दूसरी का नाम मल्लिका था। विक्रम और मल्लिका के बीच कॉलेज के समय से ही उसकी दोस्ती बहुत पक्की थी। मल्लिका देखाउ में इतनी सुन्दर नहीं थी लेकिन उसका चेहरा श्याम रंगका था और उसको देखते ही मन मोहित हो जाए ऐसा था, विक्रम और मल्लिका एक दूसरे को बहुत चाहते थे।

मल्लिका चक्र फेंक में एकदम माहिर थी, कोई भी उसका निशाना चुकता नहीं था उदय को न्यूक्लियर की चीजों में ज्यादा शौक था और विक्रम अपने पिताजी के सूट के टुकडो में से वापस अपने पिताजी की तरह क्रिस्टल क्यूब बनाना चाहता था। क्रिस्टल क्यूब बनाने की प्रक्रिया चालू हो गई थी, मल्लिका और उदय दोनों विक्रम के काम में हाथ बंटाते थे।

दस महीने के बाद..........

तीनों ने मिलकर काम किया इसलिए यह काम जल्दी खत्म हो गया था। शाम तक सब काम लगभग खत्म हो गया था अभी सिर्फ क्यूब में डाटा ही अपडेट करना बाकी था, शाम हो गई थी इसलिए विक्रम ने वो क्यूब अपने सिक्योरिटी लॉकर में रख कर अपने अपने घर की ओर चल पड़ा।

विक्रम अपनी माँ को अपना काम खत्म होने के बारे में बता रहा था उस वक्त ईशा बहुत खुश थी लेकिन थोड़ी देर में ही उसका चेहरा नर्वस हो गया क्योंकि जब उस समय मास्टर ने यह क्यूब बनाया था तभी वो उस समय नाच रहे थे। ऐसे दृश्य उसके सामने आने लगे लेकिन ईशा ने अपने मन को मना के अपने बेटे की सफलता का जश्न मनाने लगी। उस वक्त विक्रम ने अपनी माँ को मल्लिका के बारे में बताया, यह बात सुनकर ईशा दो गुनी खुश हुई और विक्रम को बोली कि उसको अपने घर पर शाम को लेकर आना। यह सुनकर विक्रम एकदम खुश हुआ और मल्लिका को फोन लगाया और अपने घर पर शाम को खाना खाने के लिए बुलाया और उदय को भी बुलाया।

सुबह हुई और विक्रम जल्दी तैयार होकर लेबोरेटरी की ओर चल पड़ा और लेबोरेटरी जाकर क्यूब में डाटा अपडेट करना चालू कर दिया उस वक्त मल्लिका और उदय दोनों में से कोई भी अभी तक आया नहीं था। दोपहर होते ही सारा डाटा अपडेट हो चुका था अभी उसकी जांच करनी बाकी थी तो उसके लिए विक्रम ने लेबोरेटरी के कंट्रोल रूम से सबको बोल दिया कि आज दोपहर के बाद जांच की जाएगी।

क्यूब की जांच करने का समय हुआ सब लेबोरेटरी के कर्मचारी प्रदर्शन विभाग में इकट्ठा हो गए थे। विक्रम अपना क्यूब लेकर प्रदर्शन विभाग में आया और विक्रम ने क्यूब के ऊपर का बटन दबाया। बटन दबाते ही क्यूब कि अंदर से एक सुई निकली और विक्रम के हाथ में खुची और वापस अंदर चली गई और उसमें से आवाज आया 'डीएनए टेस्ट सक्सेसफूल्ली' ऐसा आवाज आते ही क्यूब घड़ी के रूप में विक्रम के हाथ पर चिपक गई। विक्रम ने अपना वॉइस कोड दाखिल किया और सूट तैयार होने लगा सिर्फ दस सेकंड में उसका सूट तैयार हो चुका था।

विक्रम ने फिर से अपना वॉइस कोड डाला और थोडी ही देर मे तलवार उसके हाथ में थी, विक्रम ने ढेर सारे हथियार की माहिती डाली थी तो वो सब विक्रम सबको दिखाने लगा। विक्रम ने ओर भी कुछ नया इस क्यूब में किया था विक्रम ने वॉइस कोड डाला और अपने सूट के पॉकेट में से एक माइक्रो रोबोट निकला और वो हवा में उडने लगा, उसे विक्रम अपने तरीके से चला सकता था। यह माइक्रो रोबोट की लोकेशन क्रिस्टल घड़ी के ऊपर प्रोजेक्टर की मदद से देख सकते थे और वह माइक्रो रोबोट लाइव वीडियो शूट विक्रम को दिखाता था। विक्रम ने वापस कोड डाला और वह माइक्रो रोबोट वापस पॉकेट के अंदर चला गया। विक्रम दो हाथों से हथियार चला सकता था, वो विक्रम में नया अपडेट किया था। आखिर में सब प्रदर्शन खत्म होते ही सब ने विक्रम को तालियों के साथ उसको सम्मानित किया और विक्रम को सब "क्रिस्टल मेन" के नाम से पहचानने लगे।

शाम ढलने वाली थी मल्लिका और उदय दोनो विक्रम के घर जाने के लिए निकल चुके थे और साथ मे विक्रम भी था, तीनो घर पर पहुँच चुके थे उतने में ही ईशा ने सबके लिए खाना परोस दिया था। सबने साथ में बैठकर खाना खाया, ईशा को मल्लिका बहुत पसंद आई। खाना खाने के बाद मल्लिका और ईशा बातें करने लगे थोडी देर के बाद अंधेरा बहुत हो चुका था इसलिए ईशा ने विक्रम को उसके घर तक छोड़ने को कहा। विक्रम ने अपनी बाइक निकाली और मल्लिका को उसके घर छोड आया, फिर ईशा और विक्रम दोनों के बीच लंबी रात तक बातें चली।

लेबोरेटरी में हर रोज पर्यटक आते रहते थे मल्लिका और उदय दोनों ने एलियन की धातु लेकर उसके ऊपर रिचर्स चालू कर दिया था। एक दो हफ्ते के बाद ईशा, मल्लिका के घर पर गई और दोनों की सगाई की बात की, दोनों लड़की और लड़का यह रिश्ते से खुश थे इसलिए उसके घरवाले को भी यह रिश्ता मंजूर था। कोई अच्छा दिन देखकर दोनों परिवार और लेबोरेटरी के सभी कर्मचारियों के बीच दोनों की सगाई हो गई।