Mean Love - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

मतलबी प्यार - 1

दिन:- वैलेंटाइन्स डे
समय:- शाम 7 बजे
मेरी नजर हमेशा की तरह मेरे फ़ोन पर थी, लेकिन फोन हाथ मे नहीं था। बल्कि टेबल पर आराम फरमा रहा था। मेरी फोन से बात हो रही थी। पंजाबी में उसे कई श्लोक सुना रहा था। दरअसल फोन से गुहार लगा रहा था कि फोन बज जाए और फोन की स्क्रीन पर लड़की का नाम हो जिसके साथ डेट पर जाने के सपने देखें हो।
यह वैलेंटाइन डे भी कितना अजीब होता है न साल के बाकी दिन चाहे सिंगल होने का महसूस न होता हो लेकिन इस दिन सिंगल होना बहुत बड़ा पाप हो जाता है दूसरों की नजर में नहीं बल्कि खुद की नजर में। मैंने कभी प्यार की नजर से शायद किसी को देखा ही नहीं वैसे भी प्यार फिल्मों में ही होता है। पहली नजर का प्यार यह सब कुछ काफी बकवास लगता है। प्यार और लस्ट में यही फर्क होता है। लस्ट एक नजर में होता है क्योंकि वह सुंदरता से होता है वो भी बाहर की सुंदरता। प्यार को बनने में समय लगता है।
तभी अचानक से मेरा फोन बजने लगता है जिसपर किसी लड़की का नाम तो नहीं बल्कि नाम था 'रणधीर' का। रणधीर मेरे स्कूल से कॉलेज तक के सफर में दोस्त है। मैं इसका कॉल देखकर हैरान था हालांकि खुशी थी कि मेरे दोस्त ने मुझे फोन किया लेकिन सुबह करता तो ज्यादा खुशी होती। लेकिन आज वैलेंटाइन डे के शाम हैरान था रणधीर का फोन देखकर। रणधीर वैलेंटाइन डे के वक्त तो खासकर अपनी गर्ल फ्रेंड रितिका के साथ बिताता है। रणधीर हमारे स्कूल का सबसे हैंडसम लड़का रहा है और कॉलेज में भी उसके जैसा कोई नहीं एक परफेक्ट जेंटलमैन जो हर लड़की को पसंद आए।
फोन पर रणधीर की आवाज कुछ चिंतित से लगी जैसे ही मैंने फोन उठाया उसने धीमी से आवाज में पूछा "हाँ सोभित!, तेरे घर के नीचे हूँ, जल्दी आ।"
इससे पहले मेरे भीतर के लफ्ज़ मेरे होठो के द्वार को खोलकर निकलते तब तक रणधीर फोन रख चुका था और नीचे कार में बैठे तेज से हॉर्न बजा रहा था।
परमिशन लेकर जैसे ही मैंने रणधीर की कार में बैठा रणधीर ने मेरी तरफ मुँह करके नहीं देखा शायद अपने किसी रूप को छुपा रहा हो।
रणधीर कार को बेहद तेज तरीके से चला रहा था बिना पलकें झपकाएं वह कार ऐसे चला रहा था मानो वह आज ऊपर की टिकट कटवाकर ही पहुंचा है।
अबे! मरेगा क्या भाई, अभी तो मेरे सपने पूरे नहीं हुए। किसी का पति तो किसी के बच्चों का बाप बनना है यह मैं खुद से ही कह रहा था। क्योंकि मूहँ खोलने की हिम्मत ही नहीं थी।
तभी रास्ते में कार के आगे एक खंबा आ गया जो रणधीर को होश में लाने के लिए काफी था। साथ ही होश के साथ कुछ आंसू देने के लिए भी जो उसके चेहरे से होते हुए उसकी ग्रे पैंट पर गिर रही थी। मर्द को रोना आता है और वो अपने आंसू गिराने का भी हक़ रखता है लेकिन रणधीर के आंख से आंसू पहली बार देखे। रणधीर तो स्कूल में बेशर्म का चौला पहनने वालों में पहचान बना चुका था। रणधीर का काम सिर्फ स्कूल की लड़कियों के भीतर अपनी पहचान बनाना रहा।
जब वह थोड़ा शांत हुआ तो मैंने पूछा :- " रणधीर, आज अपने प्यार के साथ प्यार का दिन बिताने नहीं गया?"
मेरा ऐसा पूछने का कारण था ताकि वैलेंटाइन डे के बादल आसमान में ही न फट जाए।
लेकिन रणधीर अभी भी चिंतित ही था उसने सिर्फ "प्यार" कहा और मंद सी कुछ सेकंड की मुस्कान देकर फिर मायूसी के समंदर में कूद गया।
शेष भाग जल्द....

अन्य रसप्रद विकल्प