कशिश - 16 Seema Saxena द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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कशिश - 16

कशिश

सीमा असीम

(16)

अरे क्या हुआ पारुल ? क्या सोच कर मुस्करा रही है !

कुछ नहीं बस यूं ही ! उसके गाल एकदम से लाल हो उठे और दिल इतनी तेजी से धड़कने लगा मानों अभी सीने से कूद कर बाहर निकल आएगा !

कार अपनी रफ्तार से दौड़ रही थी, गाना बज रहा था ये रास्ते हैं प्यार के ! आगे की सीट पर बैठा हुआ वो लड़का कानों मे हेडफोन लगाये अपनी ही मस्ती में सिर हिलाते हुए मस्त था !

राघव को पता नहीं क्या हुआ कि उसने पारुल का हाथ अपने हाथ में लेकर चूम लिया ! पारुल का दिल बहुत तेजी से धडक उठा, एक तो ऐसा माहोल और साथ में प्रेम तो मन को समझाना भी थोड़ा मुश्किल हो जाता है ! पारुल ने शर्माते हुए अपना हाथ तेजी से खींच लिया कि कहीं सामने वाले लड़के ने न देख लिया हो !

पारुल बहुत तेज सर मे दर्द हो रहा है ! राघव ने एकदम से माहोल को बदलने के लिहाज से बात को पलटा !

अरे क्या हो गया ?

नींद पूरी नहीं हुई न, शायद इसलिए ही ! आज सुबह तीन बजे जग गया था !

आपको इतनी जल्दी जगने के लिए किसने कहा जी ?

सुबह जल्दी तैयार होकर निकलना है बस यही सोच रात भर चितित किए रही !

हम्म ! जल्दी जाना नहीं बल्कि पारुल से मिलना है यह सोच रात भर बनी रही होगी ! यह लड़के लोग हर बात को मन में छुपा लेने मे बड़े माहिर होते हैं कुछ भी हो जाये पर सामने वाले को जहिर नहीं होने देंगे ! उसने मन में सोचा !

लाओ मैं दबा दूँ ? पारुल को पता था कि राघव यही चाहता है ! बस कह नहीं पा रहा है !

क्या तुम सच में मेरा सर दबाओगी ?

हाँ क्यों नहीं ? मैं घर मे अपने पापा का सर दबा कर रोजाना तेल मालिश भी करती हूँ !

हुम्म ! तब तो तुम सर दबाने और तेल मालिश करने में एक्सपर्ट हो ?

हाँ जी ! पारुल उत्साहित होती हुई बोली !

चलो फिर ठीक है ! राघव ने सर उसकी तरफ करते हुए कहा !

राघव एक काम करो तुम आराम से लेट जाओ मैं किनारे से हो जा रही हूँ !

पारुल खिड़की की तरफ खिसक कर बैठ गयी थी और राघव अपना एक हाथ सर के नीचे रख कर और पैर मोड कर सीट पर लेट गए ! हालांकि पारुल पूरी तरह से खिड़की की तरफ सट के बैठी थी फिर भी उसका जी चाह रहा था कि वो किसी तरह से थोड़ा और खिसक जाए जिससे कि राघव को लेटने के लिए सही से जगह मिल जाये ! मन में अजीब सी उथल पुथल मची हुई थी कि क्या करे आखिर खूब अच्छी तरह से मन को समझने के बाद उसने राघव से कहा कि आप अपना सर मेरी गोद में रख लीजिये !

शायद राघव यही चाहते थे सो एक मिनट की देरी किए बिना उसने अपना सर बहुत हल्के से उसकी गोद में रख लिया ! पारुल को उस समय राघव के प्रति न जाने कितना प्यार उमड़ आया सो उसने अपनी नेट वाली येलो चुन्नी को उसके चेहरे पर डाल दिया और उसके माथे को हल्के हल्के सहलाने लगी !

इतना वात्सल्य भरा प्रेम पाकर राघव पिघलने लगा ! थोड़ी देर यूं ही दम साधे रहा फिर अचानक से उसने अपना एक हाथ बढ़ाकर पारुल का सर पकड़ कर झुकाया और अपने होठों को उसके सुर्ख गुलाब से तपते होठों पर रख दिया !

अचानक से हुए इस अप्रत्याशित प्यार को महसूस करते हुए उसके रोम रोम में कोई तरंग सी बज उठी ! पूरा शरीर कपकपाने लगा मानों उसके अपने बदन पर ही कोई कंट्रोल ही नहीं रहा !

बेटा घर से दूर जा तो रही हो बस अपनी मर्यादा में रहना और अपने माँ पापा की इज्ज़त का ख्याल रखना ! माँ की कही हुई यह बात उसके जेहन में आते ही उसने स्वयं पर कंट्रोल करने की कोशिश की लेकिन आग और फूस का साथ और आग न लगे यह अस्वाभिक है !

फिर भी अपने मन को विचलित होने से बचाने के लिए राघव के बालों से अपना हाथ हटा लिया और खिड़की से बाहर की तरफ देखने लगी ! हल्की हल्की सी बूँदा बाँदी हो रही थी बादल घिरे हुए थे लग रहा था कि आज जम कर बारिश होगी ! मौसम वाकई बेहद रोमांटिक हो रहा था ! रोमांस करने का मौका भी था किन्तु उसे सबसे पहले खुद को और परिवार को देखना है, प्यार बाद में ! टैक्सी सिंधु नद्ध के ऊपर से गुजर रही थी ! वो उसका चौड़ा सा पाट जिसे पार करने में ही करीब दस मिनट तो लगने ही हैं ! ऊपर आकाश और नीचे पानी बीच में दो प्रेमी एक दूसरे में डूबने को आतुर !

पारुल को बहुत ही ज्यादा समझदारी से काम लेना होगा ! राघव तो एक मर्द है वो तो बह ही जाएगा अपने संग उसे भी बहा ले जाएगा, लेकिन वो एक लड़की है और उसे बहना नहीं है !

हाँ प्रेम करती है लेकिन प्रेम का यह मतलब तो नहीं है ! प्रेम तो बहुत ही पवित्र भावना है और उसे अपने को सहेजना है, यूं बिखेरना नहीं ! बिखर ही तो जाएगा उसका प्रेम, जब वो सिर्फ पाने का ख्याल रखेगी ! उसे किसी तरह से कमजोर नहीं पड़ना है बल्कि मजबूत बनना है !

राघव आराम से सो रहे थे और पारुल उसे यूं देख कर मन ही मन में ख्वाब सजा रही थी ! कभी कोई मन को इतना प्यारा क्यों लगने लगता है दुनियाँ में सबसे जुदा ! उससे प्यारा तो कोई भी नहीं बस एक वही है जो कुछ भी है ! राघव आई लव यू !

अनायास उसके मुंह से निकल गया !

क्या हुआ पारुल कुछ कहा तुमने ?

नहीं, नहीं तो ! वो घबरा गयी, मानो उसकी चोरी पकड़ी गयी हो !

चल ऐसा कर, अब तू लेट जा थोड़ी देर के लिए !

नहीं मेरा मन नहीं है ! आप सो जाइए न !

राघव की आँखों में उसके लिए अथाह प्यार की भावना दिखाई पड़ रही थी ! उसने कभी भी किसी की भी आँखों मे अपने लिए प्यार नहीं देखा था ! ये लड़के लोग अपने मुंह से कहने में शायद अपनी हेठी समझते हैं लेकिन उनकी आंखे सब वयाँ कर देती हैं ! उसे खुद पर गुमाँ हो आया !

आई लव यू रघू ! उसका मन बार बार यही दोहराए जा रहा था ! मन आ रहा था कि इसके लिए क्या कुछ नहीं कर दूँ !

टेकसी अपनी रफ्तार से दौड़ रही थी ! आगे बैठा हुआ लड़के का स्टोपेज आ गया था और वो उतार गया ! एकदम से बेफिक्र बेपरवाह ! दीन दुनियाँ की कोई खबर ही नहीं ! बस वो और उसका साथी मोबाइल ! उसी से हँसना बाते करना और उसी मे खोये रहना ! वो भी तो राघव से मिलने से पहले ऐसी ही तो थी ! वो और उसका मोबाइल ! सब उसे यही कह कर तो चिड़ाते थे ! लेकिन जब से उसके ख़यालों में राघव आए तब से मोबाइल छूट गया था और बस गए थे राघव ! यह मन भी बड़ा अजीबोगरीब होता है जो आकर बस गया बस उसकी दुनियाँ फिर उस तक ही सिमट जाती है !

क्या सोच रही हो पारुल ? कितना नेह टपक रहा था उसकी बातों से !

कुछ खास नहीं ! बस अपने मन के बारे में सोच रही थी !

अरे यार इस मन के लिए क्या सोचना ! यह तो बावरा होता है ! इसे कब क्या भा जाये और कब बुरा लग जाये, कुछ कहा नहीं जा सकता !

सही कहा आपने ! वो मुस्कुराइ !

प्रेम की बातें न करते हुए भी उनकी बातें प्रेम से भरी हुई थी ! शहद से मीठी !

अब वे घने जंगल के रास्ते से गुजर रहे थे ! शाम का धुंधलका छाने लगा था ! घड़ी मे साड़े छ बजे का समय हो गया था !

***