कशिश
सीमा असीम
(15)
लव यू राघव ! तुम बहुत अच्छे और प्यारे हो, तुम सा दुनियाँ मे कोई नहीं ! उसने मन में सोचा !
अब जल्दी से खाना फिनिश कर दो !
बस मैंने खा लिया !
इतना थोड़ा सा तो खाया है ? और यह सारे चावल बच गए इनको क्या करूँ ?
क्या करूँ ? मुझसे अब नहीं खाये जा रहे ! उन मोटे मोटे चावलों को देखकर उसकी भूख तो पहले ही खत्म हो गयी थी !
चाय पीना है ?
खाना खाने के बाद चाय ? इनको चाय और सिगरेट दोनों ही बहुत पसंद हैं ! यह तो वह बखूबी समझ ही गयी थी !
नहीं जी, मेरा अभी चाय पीने का मन नहीं है !
जब मन करेगा तब मिलेगी नहीं क्योंकि अभी हमे पूरे चार घंटे का सफर करना है !
कोई बात नहीं, रास्ते मे पी लेंगे !
रास्ते में क्या पता कोई ढाबा मिला या नहीं, यह अलग प्रदेश है !
कोई बात नहीं, वहाँ पहुँच कर पी लेगे !
अरे भाई हम अपने घर थोड़े ही जा रहे हैं यह सफर है और सफर में जहां जो मिले खा पी लेना चाहिए !
ओके बाबा ले लीजिये ! पारुल ने मुसकुराते हुए कहा उसे पता था कि इनसे बातों में कोई जीत ही नहीं सकता ! वैसे बातों में ही क्या किसी मे भी जीतना नामुमकिन ही है !
चाय पीकर पैसे दे वे कर बाहर आ गए ! सारे चावल यूं ही प्लेट में रह गये !
राघव ने कहा ! मुझे अन्न को बर्बाद करना बिलकुल भी पसंद नहीं है !
हाँ मुझे भी पसंद नहीं है लेकिन आज मजबूरी में छोडने पड़ गए !
वे टैक्सी में बैठ गए ! दोपहर के 3 बज रहे थे !
अगर अभी चल दिये तो शाम को 6 बजे तक आसानी से पहुँच जाएगे ! राघव ने कहा !
आप पहले भी आ चुके हैं क्या ?
हाँ जी, मैं तो हर साल ही आता हूँ !
हुम्म !
हर साल 10 दिन रहकर जाता हूँ पता है पूरा 5 किलो बजन कम हो जाता है ! पेट एकदम लेबेल में !
वो कैसे ? दस दिन में 5 किलो कम ?
यहाँ खाने में यही सब मिलता है, जो मुझे बिलकुल पसंद नहीं, ऐसे में बज़न कम करना कोई मुश्किल तो नहीं !
जी !
यह ड्रायवर किधर गया भाई ? क्यों लेट कर रहा है ! रास्ता वैसे भी ठीक नहीं है !
क्या रास्ता खराब है ?
अरे नहीं यार यह एम पी, यू पी की तरह वाला रास्ता खराब नहीं है बल्कि रास्ते में बहुत घना जंगल है ! कार्बेट पार्क है न !
ओहह ! वो सोच कर ही सिहर गयी !
रात को जानवर सड़क पर आ जाते हैं ! हाथी बगैरह तो बीच सड़क पर ही अपनी धूनी रमा लेते हैं !
ओहह माइ गॉड ! उसे वाकई मे डर का अहसास हुआ ! आप जल्दी से ड्राइवर को बुला लीजिये प्लीज !
देखता हूँ !
आप कहीं मत जाइए, फोन करके मालूम कर लीजिये !
उसका नंबर कहाँ है मेरे पास !
अरे ! ले लेते आप ? अब उसे पहचानेगे कैसे ? मुझे तो यहाँ सबकी शक्लें एक सी ही लग रही हैं !
हाँ सही कह रही हो ! पता है जब मैं यहाँ पहली बार आया तो मुझे भी ऐसा ही लगा था ! राघव ने मुस्कराते हुए कहा !
देखिये शायद यह अपना ही ड्रायवर है ! एक व्यक्ति को अपनी ओर आते देखकर पारुल ने कहा !
हाँ यार यही तो है ! कैसे पहचान लिया आपने ?
अपनी तरफ आ रहा था तो लगा यही है !
हाँ यही तो है !
अरे यार कहाँ चला गया था ? चल भाई, जल्दी कर, देर हो जाएगी !
सर जरा खाना खाने चला गया था, बस अभी चल रहा हूँ !
उसने गाड़ी बैक लेकर यू टर्न किया तभी एक लड़का कंधे पर बैग टांगे किसी कालेज की यूनिफ़ोर्म पहने सड़क पर आकार हाथ हिलाकर कार को रोकने लगा !
कार को किनारे से निकाल कर ड्राइवर ने आगे निकल गया पर वो लड़का पीछे पीछे भागता हुआ आवाज लगा रहा था ! राघव ने कहा रोक ले भाई ! पता नहीं कोई जरूरत मंद ही हो ?
सर जी यह कालेज के लड़के हैं ये शैयरिंग में जाने के लिए परेशान करते हैं !
कोई नहीं यार बैठा ले !
ड्राइवर ने गाड़ी रोकी ! भाई यह बुक की हुई टेकसी है !
तूने किधर जाना है ? राघव ने पूछा !
बस यहाँ से करीब दस किलोमीटर आगे तक !
कालेज की बस छुट गयी आज !
चल छोड़ देना भाई इसको इसके ठिकाने तक !
भाई जी इन बच्चों का यही काम है ! पहले अपनी कालेज बस छोड़ देते हैं फिर हम लोगों से लिफ्ट मांगते हैं या शैयरिंग !
कोई नहीं यार ! यह दिन हैं इनके, अभी मस्ती कर लेने दो !
ड्राइबर ने पीछे मुड़कर राघव को देखा फिर उस लड़के को हाथ से इशारा करते हुए कहा, आ जा भई अंदर !
उसके इतना कहते ही वो लड़का फुर्ती से गेट खोलकर ड्राइबर की बराबर वाली सीट पर बैठ गया ! उसके चेहरे से खुशी मिश्रित धन्यवाद की अभिव्यक्ति साफ झलक रही थी !
पारुल उसकी हरकतें देखकर मुस्करा दी, ऐसी ही तो होती है कालेज लाइफ ! जब किसी भी बात की चिंता, न फिक्र, बस जो भी होगा देख लेंगे !
उसे मुस्कराता देख राघव भी हंस दिया !
आप क्यों हंस रहे हैं जी ?
आपको देखकर ! अच्छा अगर मैं रोई तो क्या आप भी रो दोगे ?
हाँ और क्या ?
हम्म ! पारुल मन में सोचने लगी यह प्यार का अहसास ही इतना खूबसूरत और प्यारा होता है मानों ईश्वर को पा लिया हो !
उस हरित प्रदेश मे कार चल पड़ी थी ! हर तरफ हरियाली और प्राकृतिक वातावरण ! एक मंजिल बने हुए घर और उनके आसपास खूब पेड़ और पौधे !
स्वस्थ माहौल में जीने के आदी यह लोग यहाँ से काही दूर बड़े शहर में जाएँगे तो इनको ऐसा महोल कहाँ मिलेगा ! पारुल सोच रही थी कि अगर उसे यहाँ पर हमेशा के लिए रहने को मिले तो शायद वो यहाँ पर नहीं रह पाएगी क्योंकि उसकी आदत तो बड़े शहर मे रहने की पड़ गयी है, दो चार दिन या कभी कभार की बात अलग है, जब यहाँ रहने या घूमने के लिए आ जाया जाये !
पारुल देख, यहाँ पर हर घर के सामने नारियल का और केले का पेड़ लगा मिलेगा !
हाँ और फूलों की क्यारी भी !
यह लोग प्रकृति की पूजा करते हैं !
अच्छा ! तभी यहाँ पर प्रकृति ने अपना सौंदर्य जी भर कर लुटाया है ! जिधर देखो हरियाली ही हरियाली 1
यहाँ तो कम आगे चलो वहाँ देखना !
मन खुशी से लबरेज हो रहा था जी चाह रहा था कि वो कार से उतर जाये और अपनी दोनों बाहें फैलाकर खुशी से झूमते हुए नाचने लगे ! ओ रब मुझे हमेशा यूं ही अपने प्रिय राघव के साथ रखना, कभी मजबूरी मे भी दूर मत करना ! न जाने कितनी ही बातें वो अपने मन में सोच गयी और फिर अपनी सोच पर शरमा गयी !
***