कशिश - 12 Seema Saxena द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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कशिश - 12

कशिश

सीमा असीम

(12)

फ्लाइट उड़ान भरने वाली थी ! पारुल ने उसकी सीट बेल्ट बांध दी ! उसने महसूस किया कि उसकी माँ को जरा भी फिक्र नहीं, वे तो बस खुद में ही डूबी हुई हैं ! बेटा हाथ में मोबाइल पकड़े कोई गेम खेलने मे मस्त है और वे अपने पति की बाँहों में लिपटी कोई दूसरी ही दुनिया में हैं !

थोड़ी देर बाद जब एयर होस्टेस स्नेक्स की ट्रॉली लेकर आई तो राघव ने मिट्ठू के लिए और उसके लिए चॉकलेट ली !

नहीं अंकल मैं नहीं खाऊँगी ! मेरे नाना जी कहते हैं किसी अजनबी से कभी कोई चीज नहीं लेते हैं !

लेकिन मैं अजनबी तो नहीं हूँ आपने मुझे अंकल बोला है न ? राघव ने मुस्कराते हुए कहा !

मिट्ठू भी हंस दी कितनी प्यारी है इसकी मासूम सी हंसी !

वो चॉकलेट खोलकर खाने लगी !

नो बेबी ! फेंको इस चाकलेट को ! उसकी मम्मा ने तेज आवाज में उसे डाँटते हुए कहा !

हम लोग उनकी इस आवाज को सुनकर चौंक गए जिस माँ को अभी तक कोई परवाह नहीं थी, अब जब बच्ची खुश होकर कुछ खा रही है तो उसे रुलाने को आ गयी !

लो यह खाओ, उन्होने उसे चॉकलेट और चिप्प्स का पैकेट देते हुए कहा !

नहीं मुझे कुछ नहीं खाना ! मिट्ठू ने खाकलेट और चिप्स के पैकेट को फेकते हुए कहा !

बच्चे सिर्फ प्रेम के होते हैं उनको पैसों से नहीं जीता जा सकता !

बल्कि उससे तो वे जिद्दी हो जाते हैं ! उसकी माँ ने उसकी यह हरकत देखकर एक ज़ोर का चांटा खींचकर उसके गाल पर मारा !

ओहह यह कैसी माँ हैं ? सौतेली माँ तो ऐसी हो सकती हैं पर अपनी सगी माँ ! पारुल उनका यह रूप देखकर घबरा गयी !

जो अभी तक अपने के प्रेमालाप में डूबी थी और अब बच्ची के साथ ऐसा व्यवहार ! फ्लाइट बैठे और लोग भी देखने लगे ! उनका यह व्यवहार स्भ्यता के खिलाफ था ! कोई कैसे पब्लिक प्लेस पर इस तरह का गंदा व्यवहार कर सकता है और बच्चों के साथ मारना पीटना तो अपराध की श्रेणी मे आना चाहिए भले ही उनके माँ पापा ही क्यों न हो सज़ा मिलनी चाहिए ! पारुल का मन विद्रोह कर उठा ! वो कुछ कहना चाहती थी परंतु राघव ने उसका हाथ दबाकर इशारे से मना किया !

वो उस बच्ची के बहते हुए आंसुओं को नहीं देख पा रही थी ! उसके आँखों में आँसू भर आए ! उसने हल्के से उसके बालों में हाथ फिराया ! मानों कह रही हो चुप हो जा बेटा ! उसके मम्मी पापा ने तो कभी भी उस पर हाथ नहीं उठाया ! उसे तो वे हमेशा प्यार से लबरेज ही दिखे ! जो हर वक्त उस पर अपना सारा प्यार लुटाने को तैयार रहते हैं !

राघव ने बच्ची को खिड़की के पास बैठा दिया और बाहर के नजारे दिखाने लगे कि शायद उसका मन अच्छा हो जाये ! कितनी मुश्किल से तो वो मुसराने लगी थी !

इसकी माँ को क्या सिर्फ इसे रुलाने और डराने का ही हक है ? जिसे सिर्फ अपनी ही खुशियाँ ही प्यारी हैं उसे बच्चों को अपने साथ रखने का कोई हक नहीं होना चाहिए !

बेटा आप कहाँ जा रहे हो ? आखिर पारुल ने मिट्ठू से पूछ ही लिया !

मम्मा हमें हॉस्टल में छोडने जा रही हैं अब भाई भी हमारे साथ ही रहेगा क्योंकि नाना जी बीमार रहते हैं न, तो हम उनके साथ नहीं रह पाते ! मिट्ठू थोड़ा नॉर्मल हो गयी थी !

नाना जी क्यों ? आप मम्मा के साथ रहो न ?

नहीं दी, मम्मा को पापा की कंपनी सभालनी होती है हमारे पापा की क्लॉथ की फैक्ट्री है न !

कौन से पापा ? पारुल मन मे सोचने लगी लेकिन इनको तो वो माँ का पति कह रही है मतलब इसके पापा जो अब इस दुनियाँ मे नहीं रहे !

क्यों चले जाते हैं अच्छे और प्यारे लोग इस दुनियाँ से ? वो आँखों में आँसू भरकर राघव से पूछ बैठी !

अरे क्या हुआ ? रो क्यों रही हो ? इस दुनिया से तो सबको ही जाना है यह शरीर नष्ट ही होना होता है एक दिन ! तभी तो कहा है कि शरीर के ऊपर कभी घमंड न करना ! इसे तो मिटना ही है एक दिन !

रोना अपने आँसू गवाना है !

वो चाह कर भी उस बच्ची के लिए कुछ भी नहीं कर सकती थी ! इसका तो परिवार है फिर भी उनसे दूर जा रही है और न जाने कितने मासूम हैं जिनका दुनियाँ में कोई भी नहीं वे कितने दुख सहते होंगे !

वो एक दिन इन मासूम बच्चों के लिए जरूर कुछ करेगी ! पारुल ने मन में निश्चय किया ऐसा सोचने से उसके मन को थोड़ा अच्छा लगा ! क्योंकि अगर कभी हम कोई प्रण ले लेते हैं तो हमारे अंदर एक ऊर्जा कार्य करने लगती है और अंदर से मजबूती प्रदान करती है !

अभी उस उदास बच्ची का मूड सही करना था ! पारुल उससे फिर से बात करने लगी !

सुनो मिट्ठू एक बात बताएं ?

हाँ दी ! उसने हल्के से कहा !

जो बच्चे उदास होते हैं न, उनसे भगवान नाराज हो जाते हैं !

क्यों ?

क्योंकि भगवान जी को हँसते मुस्कराते बच्चे अच्छे लगते हैं और जो बच्चे खुश रहते हैं उनकी भगवान जी सब मनोंकामनाएँ पूरी कर देते हैं !

क्या सच में ?

हाँ बिलकुल सच !

तो अबसे मैं कभी उदास नहीं रहूँगी !

प्रोमिस ! पारुल ने उसकी तरफ हाथ बढ़ाया !

मिट्ठू ने उसके हाथ पर अपना हाथ रखे हुए कहा, प्रोमिस !

अब वे दोनों फिर से खुश होकर बातें करने लगी थी !

ओहो पारुल तुम तो जादूगर हो ? राघव ने हँसते हुए कहा ! पता है जो इंसान किसी बच्चे को खुश रख सकता है वो किसी भगवान से कम नहीं !

मैं न तो भगवान, न ही जादूगर, बस इसकी उदासी देखी नहीं जा रही थी !

चलो ठीक है अब यह खुश तो है न !

मिट्ठू यह देख कर और भी खुश थी कि वे लोग उसे खुश रखने के लिए कितना प्रयास कर रहे हैं !

वहाँ से करीब एक घंटा ही लगा और फिर उस छोटे से एयर पोर्ट पर उतरे ! मिट्ठू भी उतर गयी थी और उससे बाय करके अपने मम्मा के साथ चली गयी अब उसके चेहरे पर मुस्कान थी लेकिन एक प्रश्न लगातार पारुल के दिमाग को मथ रहा था क्या यह यूं ही हमेशा खुश रहेगी ? उसने मन ही मन ईश्वर से प्रार्थना की हे भगवान इसका ख्याल रखना !

वे दोनों लगेज वाली चैन बेल्ट के पास जाकर खड़े हो गए ! पर बेल्ट अभी चल नहीं रही थी !

***