और तब जरा सा पत्ता भी हिल जाता तो पूरे गांव जवार को खबर हो जाती थी । कहीं किसी मोड़ पर अगर कोई देख ले तो गजब हो जाता था,, हो हल्ला होते देर नही लगती,, फलाने का लड़का ,फलाने की नातिन के साथ रंगरेलियां मना रहा था,, पकड़ो,, मारो,, पीटो,, सजा दो,, सरपंच को बुलाओ, बैठक होने दो,, ।।।
ऐसी स्थिति से गुजरा था कजरी और राकेश का प्यार,
मोहे आई न जग से लाज कि इतना जोर से नाची आज घुंघरू टूट गए,,,,
तालाब के किनारे घर मे लीपने के लिए गीली मिट्टी लाने गई थी कजरी अपने सखियों के साथ।। और वहां सोंधी सोंधी मिट्टी में अठखेलियां करने लगी सभी सखियां,,, एक दूसरे पर मिट्टी के छींटे डालने लगी,, वैसे भी होली का पर्व नजदीक था तो इस तरह की क्रीड़ाये लाजिमी थीं।
ए सखि थोड़ा सोना पर भी डार न,,
ना ना मोहे तो लाज लागत है,,
कजरी कहाँ मानने वाली थी,, अल्हड़ अठ्ठारह साल की कन्या कजरी,, अभी बचपना गया कहाँ था,, दोनों हाथों से गीली मिट्टी फेंके जा रही तो सखियों के ऊपर,,,
छपाक,,,,
गीली मिट्टी का छींटा एक युवक के कपड़ो पर पड़ा,,,,
सभी डर गए,,, और एक तरफ हो गए,, कजरी ने कीचड़ को उसके ऊपर ही फेंक दिया था,,
अरे कजरी देख के डाला कर न,, देख तो शहरी बाबू के महंगे कपड़ो के उपर कीचड़ डाल दिया तूने,,,,
आव न देखा ताव कजरी कूद पड़ी युद्ध मे,,, तो हमने कहा था क्या तालाब किनारे आने को ! देख के नही चल सकते का बाबू,,,??
नही नही,, कोई बात नही,, मैं तो....
क्या मैं तो.... कजरी फिर बोली.. शिकायत करोगे... कर देना.... !!
मेरी बात तो सुनिए.... युवक बोला... मैं तो इधर नया आया हूँ और पता पुछने चला आया था,, मेरा दोस्त भी है वो देखिये,,, इशारा करता हुआ बताया,,
अच्छा जी.... कहाँ जाना है बताओ.. कजरी तुनक कर बोली... किसके घर।
युवक बड़े ध्यान से कजरी की ठिठोली हरकतों को देख रहा था,, उसे तो मजा आ रहा था,,
बोलो बोलो.... किसके घर जाओगे,,,
राजन शुक्ला के घर... युवक बोला .... उनके पिताजी का नाम पंडित सागर शुक्ला है....
अरे बाप रे.... कजरी हड़बड़ाकर संखियो से बोली... ए सोना... ई तो तुम्हारे वहाँ के मेहमान है ।।।
जाओ तो जरा घर तक छोड़ के आओ न,, हम आते है तनिक देर में....
क्या बोला आपने--- युवक बोला-- मुझे रास्ता बताइए तो अच्छा होगा,,, ।
चलिये मैं बताती हु... सोना बोली... और आगे आगे चल पड़ी।।
युवक का नाम राकेश है जो अपने दोस्त रवि के साथ अपने गांव के दोस्त राजन के वहाँ घूमने आया है।।
अरे ये सब कैसे हुआ... घर पहुचते ही राजन देखकर हंसता है... किसने किया ये सब दोस्त,,
छोड़ भाई ,, कहानी लंबी है,,
हाय रवि,, कैसा है,,
सब बढ़िया,, राजन दोनों के गले लगता है।
आने में कोई दिक्कत तो नही हुई न बस ये कीचड़ वाली होली के अलावा,,,
हा हा हा हा हा हा ... तीनो दोस्त हँसने लगते है,,
राजन अपने मम्मी पापा से दोनों को मिलवाता है,
दोनों दोस्त चाचा और चाची के पैर छूते है।
जाओ सबसे पहले नहा लो बेटा मैं तब तक चाय नाश्ता बनाती हूँ।, राजन की मम्मी ने कहा।
राजन अपने दोनों दोस्तो को लेकर अपने कमरे में जाता है,,, और दोनों नहाते है फिर कपड़े बदल लेने के बाद वापस ड्राइंगरूम में आते है।।
तीनो बैठ कर बाते करते है तभी कजरी वहां चाय का ट्रे लेकर हाजिर होती है, राकेश उसे देखकर उछल पड़ता है। पर जाहिर नही होने देता क्यों,,, !!
रवि,, राकेश,, ये मेरी बहन की दोस्त है काजल,, राजन अपने दोस्तों से बोला और काजल की तरफ संबोधित करते हुए बोला,,, काजल ये मेरे दोस्त हैं,, रवि और राकेश,, ।।
काजल ,,, सोना कहा है,? , राजन पूछता है काजल से,,, तो काजल बोली,, भइया वो चाची के साथ रसोई में है,, और और तभी सोना वहाँ आ धमकती है,, बोलो भैया,, क्या हुआ,,?? , इधर आ ,, मैं तुझे अपने दोस्तों से मिलवाता हु,,,!
सोना अपने नटखट अंदाज में बोली,,, मैं ही तो लेकर आई हूं इन लोगो को,, तालाब के पास से,, जब मछलियां पकड़ रहे थे,,,क्यों भैया लोग,,,, ।।
हा हा हा हा,,, और सभी लोग ठहाके मार कर हँसने लगे,। इधर काजल उर्फ कजरी और राकेश छुप छुप कर एक दूसरे को देखते,, और मुस्कुराते।।।
कुछ देर के आराम के अंतराल में रात हुई,, रात का खाना हुआ,, और फिर,, निंदिया के आगोश में सो जाना,, पर राकेश के आंखों में थकान के बावजूद भी नींद नही थी,, एक टक कजरी को देखे जा रहा था,, उसी के बारे में सोच रहा था,, उसकी हंसी,, उसकी मुस्कान,, उसकी चंचलता,, सब सोच सोच के मुस्कुरा रहा था राकेश।। शायद पहली नजर का प्यार था,, जो उसे जागने पर मजबूर कर रही थी,,, और पूरी रात सो न पाया राकेश,,
सुबह हुई,, आँखे लाल लाल हो गई थी उसकी । राजन ने पूछा भी ,, तो राकेश टाल गया,, कि कुछ पड़ गया था रात को,, फिर उसने रगड़ दिया,, उसकी वजह से आंखे लाल है,, ।।
बिल्कुल सुबह सुबह राजन दोनों दोस्तों को लेकर खेत खलिहान और बाग की तरफ निकल गया, राकेश और रवि गन्ने का खेत देखकर खुश हो गए,, फिर आम के पेड़ पर आम का बौर की खुशबू,,, वाह वाह,, खूब मजा आया दोनों को उधर,, सूरज जब तक अपनी तेज उजालो से देह को गर्मी देता,, सभी घर वापस आ चुके थे।।
रवि ,, ओ रवि,, राकेश बाथरूम में से आवाज लगाता है,,
क्या हुआ,, क्यों गला फाड़ रहा है।।
भाई मेरे सिर में किसी ने सुख रंग डाल दिया है भाई,,
मतलब,,, रवि चौंका।
मतलब ये की मैने सिर पे पानी डाल तो पूरा लाल लाल हो गया,,,
रुक मैं राजन से बात करता हु,, इतना बोलते हुए रवि राजन को आवाज लगाता है,, और सब कुछ बताता है । राजन को ये बात समझते देर नही लगती कि ये शैतानी हरकत कजरी की है,,, ।।
राकेश बाथरूम से आधे घंटे बाद निकला,, छींकता हुआ,, आ छीं,,, आ छीं,,,
ज्यादा देर तक नहाया इसलिए हल्की ठंड लग गई भाई,,, रवि बोला,,
तभी सोना आती है उधर,,, कोई बात नही भाई,, मैं अदरक वाली चाय बनाती हुँ,, और हंसते हुए चली गयी,,सभी, सोचने लगे कि आखिर कजरी ने रंग कैसे , और कब डाला।
राकेश की तबियत खराब हो गई थी,, उसकी छींक रुकने का नाम ही नही ले रही थी और उसे हल्का बुखार भी हो गया।। रात को सभी सोये पर राकेश की आंखों में आज भी नींद नही थी।। वो बस कजरी के बारे में सोच रहा था। सुबह सभी जल्दी से जागे,, क्योकि कही घूमने जाने की योजना थी ,, पर राकेश की तबियत बिगड़ गई थी। इसलिए राकेश राजन को आग्रह किया कि वो रवि को घुमा लाये,,
भाई हम कल घूम लेंगे,, रवि बोला,,
नही तुम जाओ,, मुझे वैसे भी बांध देखने मे कोई दिलचस्पी नही,, तुम देख के आओ,, कल हम सभी लोग, शिव पूरी घूमने चलेंगे,,
बहुत मनाने पर रवि को लेकर राजन चला जाता है,, और कजरी को चेतावनी देकर जाता है कि वो अपने घर रहे,, राकेश को तंग न करे।।
कजरी हा में सिर हिलाती है,, और कुछ देर बाद अपने घर जाने लगती है तो सोना रोक लेती है,, चल हम राकेश भाई के पास चलते है,, उनसे बाते करेंगे,, ,,
अरे नही बाबा,,, राजन भैया की चेतावनी देखी नही ,, कजरी डरते हुए बोली....
ओहो,,, सोना उसका हाथ पकड़ कर कमरे में ले जाती है,,, जहाँ,, राकेश होता है,,, चल,, डरपोक कहीं की।
राकेश अचानक में कजरी को देख सोते हुए में से हालात से बैठ जाता है,,
आप दोनों बातें करो,, मैं कुछ बना कर लाती हुँ... सोना इतना बोलते हुए बाहर निकल जाती है,,,
फिर कजरी बोली,,,,, मुझे माफ़ कर दो राकेश बाबू,, हमसे गलती हो गई।।
नही नही कजरी आपकी कोई गलती नही,,, राकेश बोला,, मैं ही ज्यादा नहा लिया,,
लाइए मैं पट्टी कर देती हूं,,
नही नही रहने दो आप,,, सोना कर देगी,,
अच्छा जी ,, और अगर मैं कर दु तो,, कहना से पहाड़ टूट जाएगा,,,
कजरी जबरजस्ती राकेश को पट्टी करती है,, और सोना बाहर से सब देखती है,,जानबूझ कर नाश्ता बनाने में देर करती है,,।। अब आपको कैसा लग रहा है,, कजरी बोली,,,,, जी सुबह से तो बेहतर,, हु,, दवा भी लिया था न,, इसलिए।।,, पता नही कब कजरी का हाथ राकेश के हाथ मे चला जाता है,, और एक दूसरे को गहरी निगाहों से देखते है दोनों,,।। हाथों में धड़क रहे नब्ज को दोनों महसूस कर सकते हे।।
तभी सोना का आगमन होता है,, और दोनों सहम से जाते है,,, सोना कमरे का दरवाजा बंद करती है,, और दोनों के पास आती है,, राकेश के एक तरफ सोना,, और दूसरी तरफ,, कजरी,, दोनों का हाथ पकड़ कर उनके हथेलियों को एक दूसरे से पकड़ाती है और फिल्मी डायलॉग बोलती है,,,, जा , जा सोना,, जा जी के अपनी जिंदगी,,,, ,, उसकी ये मजाकिया भरा अंदाज देखकर दोनों हँसने लगते है,,,।
मैं मजाक नही कर रही हु,,भाई,, सोना के शब्दों में गंभीरता थी,,,, मुझे पता है,, मर मिटे हो तुम दोनों एक दूसरे पर,,, ज्यादा हां ना,, हां ना,, करने से बात बिगड़ेगी,, और देखते रह जाओगे,,,
कजरी शरमा गई या घबरा गई,, पर वहाँ से एक झटके में निकल गयी,, बिना कुछ बोले,, बिना कुछ इशारा किये,, राकेश भी कुछ न बोल सका,,
भैया आप घबराना मत,, मेरे पापा सरपंच है,, आपकी तो शादी करवा के मानेंगे,, राकेश हँसने लगा,, और सोना से बोला--- मेरी छुटकी बहन,, तुम्हे कैसे पता चला,,,
पता तो रवि भैया को भी है,,, और सोना हंसते हुए निकल गयी कमरे से।।।
आफत आने वाली थी, राजन को भी पता चलते देर न लगी,,, यार तुम लोग अभी के अभी यहाँ से जाओ,, नही तो कुछ कर जाऊंगा मैं.... राजन राकेश पर चिल्लाते हुए बोला,,,। राकेश चुप था।
यार राजन शांति से बैठ कर बात तो सुन लेते,, फिर हम चले जायेंगे,, ... रवि राजन को समझाने वाले अंदाज में बोला।
मुझे कुछ नही सुनना रवि,,, ,, पापा को पता चले इससे पहले जाओ यहां से,,, राजन होश में नही था,,,,तुम लोग दोस्त के नाम पर कलंक हो,,,,, घूमने आए थे या ये सब करने,,, ।
रवि चल यहाँ से-- राकेश रवि को बोला... और बैग उठाकर जाने लगे दोनों,,,, माफ करना राजन,, काश कि तुम समझ पाते।।। पर राजन मुह फेर लिया और गले भी नही मिला,,,
कोई कहीं नही जाएगा,,, अचानक में सोना अंदर कमरे में आई,,, और राजन से बोली... भैया मुझे सब पता है। राकेश भैया ने ऐसा कुछ नही किया है जिससे उन्हें जलील होकर जाना पड़े,,,
तू चुप रह सोना,,,, और छोड़ रास्ता,, अपने कमरे में जा,,, ,, राजन सोना पर चिल्लाया,,
रुकिए राजन भैया,, ,, अचानक में कजरी अंदर आई,, और राजन से बोली,,, भैया है लोग चले जायेंगे,,, उससे पहले आप थोड़ी सी मेरी बात सुनोगे।।
अब राजन कुछ नही बोल सकता था,,, क्योकि वो कजरी की बात नही टाल सकता था,,
कजरी ने राजन को कुर्सी पर बिठाया और खुद नीचे जमीन पर बैठ गई राजन के कदमो के पास ,,, उसके घुटने पर अपना सिर रखकर बोली.... भैया क्या अपनी बहन की मदद नही करोगे,,, इसमें राकेश बाबु की गलती नही,, मैं पहली ही नजर में उनसे मुहब्बत कर बैठी,,, भैया बोलो न,,, इसमें मेरा क्या दोष,, हो गई मुहब्बत,, कजरी के आंखों में आंसू थे,,,, बोलो न भाई,, हमने कोई पाप नही किया,, हमने एक दूसरे को कभी भी गलत निगाहों से नही देखा,,।
कजरी रो रही थी, और राकेश की भी आंखों से झर झर कर के आंसू बहने लगे,,, सोना भी खुद को नही रोक पाई,,,, रवि भी थोड़ा भावुक हो गया,, , ऐसा भावनात्मक मार्मिक, माहौल में राजन खुद को रोक न पाया और बोला,,,, ,, मुझे माफ़ करना कजरी,, मैं खुद के परिवार और समाज की दकियानूसी विचारो में बह गया था,, इतना भी समझ नही पाया कि बहन की खुशी ही सब कुछ होती है। फिर राजन राकेश के पास गया और भावुक होकर कहा.... मुझे माफ़ करना दोस्त,, मैं तुम्हारी भावनाओ को समझ नही पाया और बिना कुछ सोचे समझे बोल गया,,,,
मैं मिलवाऊंगा तुम दोनों को,, और दोनों दोस्त गले लगते है,, राजन राकेश को अपनी सीने से लगा लेता है,,
राकेश कजरी को देख मुस्कुराता है,, और कहता है,, अब हमें जाने दो,, शहर,,,।
क्यों?? राजन चौंक कर बोला।
दोस्त जितना जल्दी शहर जाऊंगा,, उतना जल्दी मम्मी पापा को रिश्ते के लिए मना कर भेज पाऊंगा।। अब जाने दो,, अब कजरी के बिना जिदंगी नही।।
सभी लोग हँसने लगे,, और कजरी शरम से लाल हो गई,, राकेश रवि के साथ शहर के लिए निकल गया,, एक नई सुबह,, और नई उमंग लिए,, और कजरी से , वादा कर गया कि बहुत जल्द वो अपने कजरी को लेने आएगा,, सब कुछ सुखद था, और राकेश कजरी दोनों खुश थे।
कजरी बहुत खुश थी,, पर ज्यादा दिन तक न रह सकी,, आखिर थी तो स्त्री,, नरम दिल वाली। राकेश के ख्यालों में खोई कजरी दिन रात गुनगुनाती रहती,, अपने घर मे, बाग में,, बगीचे में, सोना के साथ उसके घर मे,, या फिर रात के समय छत पर,.. इंतजार करना अब भारी हो रहा था,, कुछ दिनों की बात बोलकर राकेश गया था,, और अभी तक कोई संदेशा नही।। परेशान सी कजरी दौड़ती हुई सोना के घर आई,,, सोना राजन भैया हैं,,
नही क्यूँ,,,? क्या हुआ,?, सोना बोली ।
हांफते हुए कजरी बोली,,, दो महीने हो गए,, राकेश जी का कोई अता पता नही,, मुझे घबराहट हो रही है सोना।
ठीक है राजन भैया आते हैं तो हमलोग बात करेंगे,, अभी तू घबरा मत ... सोना कजरी को समझाने लगी,, पगली, इतना क्यू डरती है,, ले पानी पी मेरी कजरारी कजरी,, राकेश भैया किसी काम मे फसें होंगे,, अब पता नही उनके मा बाप कैसे होंगे,, तो उन्हें मनाना भी तो पड़ेगा।।
***** ये इश्क भी बड़ी जानलेवा होती है,, किसी को नही हुआ तो मस्त मौला,, वर्ना घुट घुट के जीना ,,तब तक जब तक दोनों एक दूसरे के ना हो जाये,,। चार दिन की गांव हवा ने राकेश को मुहब्बत करने पर विवश कर दिया,, शहर में आज तक कोई पसंद नही आया,, जबकि सुख सुविधा की कोई कमी नही थी,, जहां कॉलेज में लोग मोटरसाइकिल से जाते थे,, राकेश कार से आता था,, उसको कोई लड़की पसंद नही आई शहर में,, जबकि दर्जनों लड़कियां राकेश के लिए परेशान थी कि कब हाँ बोल दे,,, पर क्या मजाल उसने किसी को तिरछी नजरों से भी देखा हो,,,,। बस कजरी की मतवारी आंखों ने और उसके भोलेपन ने उसे क्लीन बोल्ड कर दिया,, ।।
उदास बैठा था राकेश अपने कमरे में,, और उसकी माँ प्रवेश करती है,, राकेश क्या हुआ है तुझे,, खाने पीने पर जरा सा भी ध्यान नही तुम्हारा,, जब से राजन के गांव से आये हो तब से यही हाल है,,, मैंने बोला न,, कि मैं बात करूंगी तुम्हारे पापा से,,, ।।
पर माँ कब ,, ,,??
बस जब वो आ जाये कनाडा से,!!
पिछली बार भी आपने यही कहा था,,बस जब वो आ जाये जापान से,? आपका वादा पूरा नही होता और पापा का टूर....
तो ! तुम्हे पता तो है,,, इस बार राकेश की माँ थोड़ा डपट कर बोली.... एक तो गांव की गंवार अपने गले बांधना चाहते हो उसपर इतना रॉब,, ।। मुझे किसी तरह से तुमने मना लिया है राकेश,, पर तुम्हारे पापा की गारंटी नही ले सकती,, कि वो मान ही जाए,,, ।
मां मैने आपको कितनी बार कहा है,, कजरी गंवार नही,,, बस वो गांव की है ,, पढ़ी लिखी है,, समझदार है,, और सबसे ज्यादा,, मैं उसे पसंद करता हु,, आप पापा से बात करो,,,, इतना कहकर राकेश पैर पटकता हुआ बाहर निकल गया , लॉन में।।
शाम को राजन घर आया तो कजरी की आंखों में आंसू देखकर बोला,, ,, क्या हुआ,,??
कुछ नही भैया,, बस राकेश भैया को याद कर कर के गंगा यमुना बहा रही है,,,, सोना बोली।
राकेश के माथे पर सिलवटे पड़ गयी,, और सोचने लगा कि बात तो सही है,, राकेश को गए 2 महीने हो गए,, पता भी नही चला,,, पर कजरी पर क्या गुजरती होगी,,, वो मन ही मन सोच रहा था,, ,, तभी कजरी बोली,, भैया आप जाओ न शहर,,और एक बार राकेश जी से मिल के आओ न,, ।।। तू परेशान मत हो,, मैं कल ही निकलता हु शहर के लिये, राजन मुस्कुराकर बोला,, तेरे तो सारा जहांन हाजिर है,,, ,, ।।। कजरी के मुख पर मुस्कान आई और वो सोना हाथ पकड़ कर उसके कमरे में भागी।।
सोना के कमरे में जाकर दर्पण के सामने खड़ी हो गई,,, और खुद को देखने लगी,, दर्पण में खुद को देख कर बाते करने लगी,, देख ,, देख मुझे,, मैं अब शादी के योग्य हो गई,, तुंमने बताया नही मुझे,,, बस इस बात से नाराज हुँ मैं,,, चल चल अब घर जा,, नही तो काकी का बुलावा आया जाएगा,,, ।। सोना उसकी चुटकी लेते हुए बोली,,, । फिर कजरी भी बोली,,, देख लेना एक दिन तुझे भी एक राजकुमार लेकर जाएगा,,और तुम्हे भी प्यार होगा तब मेरे प्यार का दर्द पता चलेगा,,,,
चल पगली,,, सोना बोली,, मुझे कौन है जो लेकर जाएगा,, मैं खुद अपने राजकुमार को लेकर आऊंगी।।। और दोनों ठहाके लगाकर हँसने लगीं। ।।,,
गांव में राजन के पिताजी का काम रुतबा नही था,, पिछले तीन बार से सरपंच का चुनाव अकेले दम पर जीत रहे है,, इस बार राजन को सरपंच बनाने की बात चल रही थी,, और राजन पूरे तैयारी में था,, उसको राजनीति हीं करनी थी,, तो शुरुआत प्रथम पायदान से ही करना चाहता था,, कजरी के माँ बाप राजन के पिताजी के करीबी थे,, और हमेषा उनके साथ ही रहते थे,, सरपंच का सारा काम वही देखते थे,, एक तरह से मुनिबी कहा जाय तो गलत न होगा,, ।।
सुबह राजन अपने एक दोस्त के साथ अपनी हंटर जीप लेकर शहर को निकल जाता है,,, और समय से पहले वो राकेश की आलीशान हवेली के बाहर दरवाजे पर हॉर्न बजाता है,। दरबान उसको पहचान जाता है और दरवाजा खोलते हुए सलामी ठोकते हुए बोला,,, राम राम राजन बबुआ,,, राम राम काका,, ,, राजन बोला,, सब खैरियत,,, हां बाबू सब बढ़िया है।।
राजन अपनी गाड़ी रोककर उतरता है,, तभी राकेश आ जाता है,, और उसको गले लगाकर उसका स्वागत करता है,,, कैसा है मेरा दोस्त,,, राजन राकेश को बोला,,, ,, भाई तू इतना मुरझाया क्यों है,, ।। और हँसने लगा,,,, ।।
मत पूछ यार,, राकेश बोला,, चल अंदर बताता हूं,,
आंटी और तोन्दुमल अंकल किधर है,, राजन राकेश के पापा को राकेश के सामने तोन्दुमल कहता था,,,बस राकेश को चिढ़ाने के लिए,,,
मम्मी तो अंदर है पापा कनाडा हैं दस दिनों से,,,
राजन आंटी को देखते ही पैर छूता है और प्यार से बोलता है,, क्या आंटी,, आजकल योगा कर रहे हो क्या आप,, राकेश से भी समार्ट आप लग रही हो,,,
चल चल अब माखन मत लगा,, सीधा सीधा बोल बात क्या है,,।। और चल पहले नाश्ता कर लेते है,, बेटा तू भी आ जा पुत्तर गुमसुम क्यू खड़ा है,, ,, आंटी राजन के गांव वाले दोस्त को बोली।
सभी लोग डायनिंग टेबल पर थे,, ,, अच्छा तो ठीक है,, आंटी ,, राजन के लिए,, कजरी से अच्छी कोई हो ही नही सकती,, वो मेरी बहन जैसी है,, ।।
मैंने कब मना किया बेटा,,,, बस इसके पापा मांन जाए,, ,, मेरी तो ये सुनता हीं कहाँ है,,, बेटा समाज क्या कहेगा,,, ।।।
मां मुझे कोई परवाह नही है समाज का,,, राकेश बोला,, तो आंटी गुस्सा हो गई,,, देख राकेश,, बावला मत बन,, समाज, जाति, रिश्तेदार, सभी मायने रखती है जिंदगी में,, आज तुम्हे नही समझ आ रहा है,, पर बाद में समझोगे।।।।
आपकी बात से मैं संहमत हुँ आंटी,,, पर क्या राकेश की खुशी से ज्यादा जरूरी है ये सब,, ।।
हां राजन,,, एक रौबदार आवाज सुनकर सभी पीछे की तरफ पलटे,, आवाज राकेश के पापा की थी,,.सभी अचानक में राकेश के पाप को देखकर चौंके,,,. कभी कभी सिर्फ खुशी ही नही देखी जाती है,, ।। हमारा व्यापार, हमारा समाज, हमारी रिश्तेदारी,, सब उच्च कोटि की है,, सेठ धनपत राय का इकलौता वारिश है मेरा बेटा,,, और तुम कहते हो कि किसी गांव की जाहिल गंवार लड़की से ब्याह दु इसे।।
अंकल जी,,, !! पहली बार राजन धनपत राय के सामने ऊंची आवाज में बोला,,, मैं आपकी बहुत इज्जत करता हु,, लेकिन उतना ही प्यार अपनी बहनों से,, मैं गाली शब्द बर्दास्त नही कर सकता,, ,,।।
तो फिर मत करो,,, दिखा दो अपनी औकात,, दोस्त हो न राकेश के ,, ले जाओ उठाकर ताकत है तो,, सेठ धनपत राय बोला,,, और ले जाकर करवा दो शादी,,, ।।
पापा-- राकेश बोला इस बार... पापा आप समझने की कोशिश.... तड़ाक,,,, वाक्य पूरा होने से पहले सेठ धनपत राय का जोरदार तमाचा उसकी गाल पर पड़ा,,, एक शब्द भी अगर निकला न तो बाहर फिकवा दूंगा,,, भूल जाऊंगा तुम मेरे बेटे हो,,, और धनपत राय बोलते बोलते अपने कमरे में घुस गए,,,, ।।
राजन को जोर का झटका लगा,,, उसे लगा शायद ये तमाचा उसके लिए था,,, और वो बिना हाथ धुले हवेली से बाहर निकल गया।।।
बेटा रुको ,,, मैं बात करती हूं इसके पापा से.....
बस माँ रहने दो अब.... राकेश बोला,,,आपने पहले से ही पापा को बताया था न,,,, मुझसे छुपाया आपने,,, और आंखों में आंसू लिए बाहर निकल गया।।।
राकेश!!! राकेश की माँ चिल्लाई,, रुक जा।।
मां तुम चिंता मत करो,,, मैं राजन के साथ नही जा रहा हु,,, ।।
बाहर राजन को रोकते हुए राकेश बोला,,, ,, मेरे भाई,, तुम कजरी को समझाना,, मैं जरूर आऊंगा,, बस थोड़ा समय लगेगा,,,, ।। एक बात तो तय है राकेश,, राजन गुस्से में बोला,, या तो तू खुद आएगा,, या मैं तुझे उठाके ले जाऊंगा,, पर कजरी के आंखों में ज्यादा दिन तक आँसू नही देख सकता,,,, और राजन ने गाड़ी स्टार्ट की,, दरबान ने दरवाजा खोला,, और राजन की गाड़ी आगे बढ़ गई,,
कजरी राजन का राह देखे हैं बैठी थी,,राजन रात को देर घर पहुँचा तो कजरी आते ही बोली,, क्या हुआ राजन भैया,,, ।। राजन क्या बताता कजरी से,, बस दिलासा देकर जाने को कह दिया,,।।
भैया आखिर बात क्या हुई आपकी राकेश जी से,
कजरी .... राजन उसे समझाते हुए बोला ...राकेश की समस्या नही है,,, उसके पापा नही मांन रहे है इस रिश्ते से,, पर तु चिंता मत कर राकेश तैयार है,, बस कुछ दिन की मोहलत मांग रहा है।।
तुम घर जाओ,, रात हो चुकी है,,
कजरी बुझे मन से घर में घुसी,, उसका जरा सा भी मन नही लग रहा था,, राकेश की याद ने उसे रोने पर विवश कर दिया,, ..! और अपने कमरे में जाकर फुट फुट कर रोने लगी,, ,, ।। मन मे शंकाएं पैदा होने लगीं,,,
अगर राकेश नही आये तो !! और फिर सोचकर और रोना शुरू हो जाता,,, तकिए को मुंह पर रखकर ।।
इधर राकेश भी कम परेशान नही था,, ,, प्यार तो उसने भी किया था,, अटूट प्यार,, पहली नजर का पहला प्यार,, पहली बार उसके दिल ने जोर जोर से धड़कना शुरू किया था,, ।। उसके मन मे तरह तरह की बाते आ रहीं थीं ,, अब क्या करूँ,, ?? घर छोड़ दूं क्या ?? दिन तेजी से निकल रहे थे,, उसने जल्दी से निर्णय लिया,, कि अब वो घर छोड़ देगा,,,,।।
जब घर छोड़ कर आने लगा था माँ दहाड़े मार कर रोने लगी,, और पापा ने मुंह फेर लिया,,, ।। राकेश घर से निकल चुका था,,,, और माँ जोर जोर से चिल्ला रही थी,,, अब क्या,,, एक बेटा नही संभाला गया,, उसकी एक खुशी नही देखी जा रही है आपसे,, क्या हुआ अगर गांव की लड़की बहु बन गयी तो ???
***** राकेश को सामने देख राजन खुशी से झूम उठा,, शानदार मेरे दोस्त,,,। गाँव वालों को भी भनक लग चुकी थी इन्त दोनों के प्यार का,, कोई भी संहमत नही था,,, इन दोनों की शादी के लिए,,
। चल अंदर चल,,, राजन बोला ।, सोना दौड़कर कजरी को बताने चली गयी,,,, और थोड़ी ही देर में कजरी राकेश के सामने थी,, आंखों में मोटी मोटी मोती जैसे आंसू लिए,,,,ऑंगन में एक खंभे के सहारे खड़ी थी,, और टुकुर टुकुर राकेश को देख रही थी,,,, ।। अब मैं हमेशा के लिए यहां आ गया राजन,, अपनी कजरी के पास ,,, क्या तुम मेरी मदद करोगे,,,,राजन मुस्कुराया और बोला,,, जरूर मेरे दोस्त,,,, ?? तुम लोग बाते करो,,, !! राजन बोला ..... अब मेरा काम शुरू !!...
अनुभाग 3
राकेश को आये 1 दिन ही हुए थे , , गांव में कोलाहल शुरू हो गया था,,
सरपंच का मेहमान है तो क्या हुआ,, गांव की बहू बेटीयों पर नजर रखने वाले को हम ऐसे ही नही छोड़ेंगे,,, बैठक बुलाओ आज रात को फैसला हो जायेगा।।।।।
रूको रुको,,, एक बुजुर्ग पंच बोला,,, जल्दीबाजी का काम शैतान का होता है,, गांव भर को बुलाने की जरूरत नही,,, हम पांच पंच चलकर पहले सरपंच जी से बात करेंगे,,, फिर देखते है क्या होता है,,, ।। बोलो भाई लोग।
हाँ हाँ ,, काका सही कह रहे है,, एक और पंच ने बोला
तो आज शाम को मिलते है,, सरपंच के घर ,,, अच्छा तो राम राम,, ।।
राम राम काका,,,
शाम का समय था राजन के पिताजी गांव के सरपंच अपने घर के बरामदे में बैठे थे,, उनके सामने पांच कुर्सियों पर गांव के पंच परमेश्वर भी थे,, गांव में चल रही खुशर फुशर कि बाते , और घर मे आये मेहमान के बारे में गांव का लड़को की सोच ,, ये सभी बातें पंच लोगों ने सरपंच जी को बताया,,, सरपंच थोड़े शांत स्वभाव के इंसान थे।। बहुत सोच विचार के बाद उन्होंने भरोशा दिलाया कि सभो लोग शांत रहे,, मैं कुछ भी गलत नही होने दूंगा,, गांव की मान मर्यादा का ध्यान रखा जाएगा,। सभी लोग वहां से चले गए,, तो राजन के पिताजी ने राजन को बुलाया,, साथ मे राकेश भी था,,।
बेटा राकेश आप जरा अंदर जाएंगे,, मुझे इनसे कुछ बातें करनी है,,
चाचा जी,,, राकेश सामने आकर बोला,, ,, गलती मेरी है और वजह मैं हुँ,, तो मैं सब सुनना चाहता हूं,,
आप हमारे मेहमान हो बेटा आप अंदर जाओ,, ,,, हम आपसे बाद में बात करते है,,, और राकेश वहाँ से चला गया,,, ।
राजन,, मैं ये सब क्या सुन रहा हु,,,
पिताजी ,, दरअसल बात ये है कि कजरी भी राकेश को चाहती है,,, ।
चुप रहो तुम,,, राजन के पापा उसको जोर की डांट लगाई,, तुम समझा सकते थे न,,।
पिताजी,, इसमें गलत क्या है,, ?
गलत कुछ नही !! पर इस समाज मे अभी इसकी मंजूरी नही,,,
पिताजी .... मैं कजरी को वचन दे चुका हूं,,, ।।
वचन पत्थर की लकीर नही राजन,,, ,, ,, ये सब बखेड़ा मत खड़ा करो ,, और राकेश को समझाकर शहर भेजो।।
पिताजी मैंने मेरे दोस्त से वादा कर रखा है ..... और इस घर में वादे निभाना आपसे बेहतर कौन जानता है.. .
राजन !!! एक बार फिर राजन के पिताजी चिल्लाए... तुम गांव वालो से बगावत करोगे,,,
जरूरत पड़ी तो जरूर करूँगा पिताजी... पर एक बार जो वादा कर दिया उससे पीछै नही हटने वाला... इतना कहकर राजन अपने कमरे में चला गया..,,,
ये सब बातें राकेश कही कोने में छुपकर सुन रहा था.. वो बहुत दुविधा में था... खुद की खुशी के लिए अपने दोस्त के परिवार और गांव वालो को दुखी कर रहा था..|
आनन फानन में राजन के पिताजी ने कजरी के बापू को बुलाया,,,
जी भैया जी आपने बुलाया हमे,,
बैठो सुरेश ।।
एक बात कहनी है,, राजन के पिताजी माथे पर बल देते हुए बोले,,,, गांव में हो रहे कोलाहल के बारे में सुना ही होगा तुंमने,,,
जी भैया जी,,, चुप बस इसलिए हूँ कि कहनी पर विश्वास नही मुझे,,!!
देखो सुरेश ,, लड़की बड़ी हो गई है,, और शादी तो करनी ही है,,, ,, खुद को संभालते हुए बोले सरपंच जी... मैंने अपनी जिंदगी में बहुत लड़ाई, खून खराबा, मार पीट किये है,, मैं नही चाहता कि हमारे बच्चों पर वो सब आये।
भैया जी छोटी मुह बड़ी बात ... पर आपका मतलब क्या है,, मैं समझा नही,,,
सुरेश मैं घुमा फिराकर बात नही करना चाहता,, ,, राकेश अच्छा लड़का है,, और शादी के लिए हां बोल दो,,,
सुरेश अचानक में तैश में आ गया और उठ खड़ा हुआ,,, भैया जी,, मैं आपकी बहुत इज्जत करता हु,, आपके घर का नमक खाया है,, इसलिए अब तक चुप बैठा हूं,,,
तब तक राजन बाहर आ गया,,,, और जोश में बोला,,, चुप बैठा हु, मतलब,,, काका,, कहना क्या चाहते हो,,
तड़ाक !! एक जोरदार तमाचा रशीद हुआ राजन के गालों पर उसके पिताजी का।।
जब दो बड़े लोग बात कर रहे होते है,, तो जरूरी है बीच मे बोलना,,,, राजन सन्न रह गया,, एक शब्द भी न कह सका,।।
मेरी बातों पर गौर करना सुरेश !! इतना कह कर सरपंच अपनी गाड़ी में बैठे और गाड़ी स्टार्ट करके बाहर की तरफ मोड़ दिए,,,
रात के ग्यारह बजे होंगे,, सोना ने घर के पिछे का दरवाजा खोला,, और कजरी चुपके से अंदर आई,, खटाक,, एक आवाज हुई,, अरी पगली धीरे से आ,, कोई सुन लेगा,, और सोना कजरी को लेकर छत पर गयी जहाँ पहले से राकेश इंतजार कर रहा था,, ।
लो अब तुम बातें करो मैं चली सोने,, ठीक एक घंटे बाद मिलूंगी यही पर,,, और सोना वहां से चली गयी।।
तुम आ गई कजरी,,,!!
हाँ राकेश बाबू,, तुम ठीक तो हो न,,!!
हां अब मैं बिल्कुल अच्छा हु,, मेरे पास सोना और राजन जो है,,, तुम कैसी हो,,,??
मैं भी... ठीक हु,, और मायूस हो गई कजरी,, ।।
क्या हुआ कजरी,, राकेश कजरी के हाथों को अपने हाथों में लेकर कहा,,, इतनी उदास मत हो,, सब ठीक हो जाएगा,, राकेश दिलासा दे रहा था जबकि उसको ज्यादा डर था,, घर छोड़कर आया था सो अलग,,,,।।
डर तो किसी का नही राकेश बाबू,, बस जमाने के दिखावे के डर है,, बापू के इज्जत का डर है,, । और कजरी उदास हो गई,, ,, ।।
राकेश कजरी के आंखों से आंसू पोछता हुआ बोला,,, रो मत पगली,, सब ठीक हो जाएगा,, ,, मुझे राजन पर पूरा भरोषा है,,, और खुद पर भी,, ।।।
दोनों काफी देर तक बातें करते रहे,,,, सुबह हो गई और मुर्गे की तान सुनाई दी ,, तब नींद से जागे दोनों,,, घबराई घबराई सी सोना छत पर आई,,, और आंखे मिचते हुए बोली,,, यार नींद लग गई थी,, चल भाग अब यहां से,,, और कजरी शर्माते हुए,, नीचे भागी।।।।।
राजन राकेश को साथ लेकर नहर के तरफ से आ रहा था तो कुछ लोगो ने उसे घेर लिया,,और उसका मोटरसाइकिल रोक दिया,, उनमे से एक बोला देखो राजन भैया,, आप अपने दोस्त को शहर भगाओ नही तो फिर हमसे बुरा कोई नही होगा,,।।
अच्छा ,,, राजन गाड़ी से उतर कर उसको एक चमाट मारा और बोला ,,, अगर पिताजी के इज्जत का ख्याल न होता न भैया,, तो यही पर रगड़ देते तुमको,, ,, हटो रास्ते से और राजन का रास्ता रोकने की आगे से जुर्रत मत करना,, ।।
भैया ई तो ज्यादा हो रहा है,,, उनमे से किसी दूसरे ने बोला,,
अभी कहा ज्यादा हुआ है,,, अब होगा,, आओ तुम सब,, रोको रास्ता,, राजन का,, ।।
सभी वहाँ से हट गए,,, और राजन अपनी गाड़ी स्टार्ट करके वहाँ से भगाया,,,, का भईया, राकेश अभी बहुत लड़ाई लड़नी बाकी है दोस्त,,, और दोनों हँसते हुए घर आये,,।।
बखेड़ा बढ़ चुका था,, गांव वाले सुरेश के कान भर चुके थे,, अब तय ये हुआ कि हम सरपंच से लड़ नही सकते,, तो क्या हम अपनी इज्जत नही बचा सकते,, हम कजरी की शादी कही और करेंगे,, और वो भी कल के कल,, और लड़का भी मिल गया उन्हें बगल वाले गांव का ।। जो सुरेश के पहचान का ही था, सुरेश संहमत था गांव के पंचों की रायों से,,, । सरपंच बूढ़ा हो चुका है और उसका बेटा पागल,,, यही सब बोल रहे थे,,, सुरेश आनन फानन में शादी के लिए तैयार हो गया,, ।। सरपंच के अच्छे कामो को लोग भूल चुके थे,, उसके न्याय को लोग भूल चुके थे,, कि यही एक आदमी था जो पुरे गांव को सुरक्षित रखता था,, । खाने पीने का लाले पड़े रहते थे,, तब सिर्फ सरपंच ही सबकी पेट भरता था।
जब ये बात कजरी को पता चली तो,, वो घर से निकलने की कोशिस की पर सभी दरवाजे बंद थे,,,पिंजरे में मैना परेशान,,, चिल्ला चिल्ला के गाल फाड़ रही थी,, पर कोई सुनने वाला नही था,,, ।।
सुबह हुई,, जल्दी जल्दी में मंदिर सजाया गया,,दूसरे गांव से दूल्हे और उसके पूरे परिवार को बुलाया गया, ,, कजरी को जबरन शादी के जोड़े में सजाया गया,, उसे मां और बापू के मरने की कसमें खिलाई गई,, रो रो कर बुरा हाल था बेचारी का,, ,, वो चिल्लाती रही,, बापू ऐसा मत करो,,, ऐसा मत करो,, मैं मर जाऊंगी,, राकेश के बिना नही जी सकूंगी,,, ।।। मां तुम तो माँ हो ,, मान जाओ,, बापू को मनाओ,,, मैं मर जाऊंगी,,,, ।।।
पर क्या मजाल किसी के कान में जूं तक रेंगा हो,।। दूल्हा मंडप में बैठा था,, चारो तरफ लठैत तैनात थे,, ,, दोनों परिवार के लोग थे,, मंगल गीत गाये जा रहे थे,, और फिर कजरी को भी बिठाया गया,, कजरी अब शांत थी,, उसकी आँखों से आंसू बह कर सूख चुके थे,,,।। अब वो तैयार थी ,,, उसने सोच लिया था कि,, वो अपने प्राण त्याग देगी,,, ।।।
धांय ,,धांय,,तभी गोली चलने की आवाज सुनाई दी सबको, राजन आ चुका था राकेश और सोना के साथ और उसके बहुत से दोस्त भी थे,,जिनके हाथों में हॉकी था,
बारात लेकर आये है हम सुरेश काका,,, अपनी ही बहन के लिए अपने दोस्त का,,, कजरी राजन की आवाज सुनकर खुश हो गई,, भाई,, चिल्लाई वो,,
देखो राजन बाबू ई हमारे घर का मामला है,, आप मत आओ बीच मे कजरी का चाचा बोला,, ।
अच्छा जी,, कब से आपके घर का मामला हुआ भला,, बताओ,, राजन बोला,, ।।
तुम ऐसे नही मानोगे,, एक लठैत ने राजन पर लाठी मेरी तो राजन के सिर पर लगी,,, और तब क्या,, चालू हो गया मंदिर में घमासान,, दोनों तरफ के समूहों में,,, राजन के दोस्तों ने उन लोगो को खूब पीटा,,
फिर राजन ने पुनः गोली चलाई,, और गरज कर बोला चुपचाप से चले जाओ,, नही तो एक एक को मारूंगा,, काका और ई बगल वाले कुकुरमुत्तों को बता दीजिये कि राजन शुक्ला नाम है हमारा,, राजन शुक्ला,,, और राकेश का हाथ पकड़ कर मंदिर की सीढ़ियां चढ़ता हुआ राजन मंडप में आया,,,
देखो बेटा ये ठीक नही है,,, कजरी के बापू बोले।
अच्छा तो आप जोर जबरजस्ती करो हमरी बहना के साथ उ ठीक है,,,,।
कौन सी खराबी है मेरे दोस्त में,, बोलो,,।
चल बैठ राकेश,,, , राजन गरजा,,, चल बे पंडित,, मंत्र पढ़ो और शादी कराओ,, सोना गठबंधन करने लगी,, और बोली पंडित जी,,, किस बात की देरी,, मंत्र पढ़ो,,
धांय धांय,, दो फायर और किया राजन ने ,, , चलो फुट लो सभी के सभी,, राजन बाकी के लोगो को बोला,,, काका और काकी के अलावा यहां कोई नही रहेगा,, दूर रहकर तमाशा देखो,,
और तभी एक बड़ी सी गाड़ी आकर मंदिर के पास रुकी ,,राजन के पिताजी राकेश के पिताजी और माता जी के साथ मंदिर पधारे,,,,।।।
ओ हो,,, मेरे तोन्दुमल चाचा जी और स्मार्ट चाची जी आप यहां,,, राजन चुटकी लेकर बोला,,
हां बेटा,, राकेश के जाने के बाद पता चला कि औलाद सुख क्या होता है,,, ।।
देर आये दुरुस्त आये,,, राजन बोला,, और तब तक शादी हो चुकी,, राजन और कजरी सबके पैर छूते है,,।।
अंत मे राजन का पैर छूते हैं दोनों,, तब राजन उन दोनों को गले लगा लेता है,, और कहता है,,, जाओ,, जी लो अपनी जिंदगी,,, ।।।। सभी खुश थे,, कजरी भी ।।।। राकेश भी बहुत खुश था,, अपने माता पिता को गांव देखकर ,,।।
धन्यवाद,,,
शैलेश सिंह ''शैल,,