The Author Pandya Ravi फॉलो Current Read मेरी सफर By Pandya Ravi हिंदी यात्रा विशेष Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books तेरे इश्क में हो जाऊं फना - 39 वह अपने हाथों को आपस में मसलने लगी। एक अजीब-सी घबराहट उसके भ... कश्मीर भारत का एक अटूट हिस्सा - भाग 2 कश्मीर भारत का एक अटूट हिस्सा–2भाग 1 को आगे बढ़ाते हुए कहानी... मृत आत्मा की पुकार वह आवाज़ जो वापस आई शमशेरपुर ऐसा गाँव था जहाँ कहानियाँ स... तेरे दिल से दिल तक मेरे प्यार एक ऐसा गहरा एहसास है जो दिल से जुड़ा होता है। ये सिर्फ... टाम ज़िंदा हैं - 13 टाम जिंदा है ------- (13) " तुम तो अब सरकारी गवाह हो " भवानी... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी शेयर करे मेरी सफर (16) 2.4k 7.5k मेरी सफर इस बार बहुत दिन पहले ही तय हो चुकी थी बस उस दिन का इंतजार था दिनो को गिनता था फिर वो दिन आ ही गया! मेरी सफर राजकोट से शुरू हुई थी और माया नगरी (मुंबई ) तक की थी! जब राजकोट स्टेशन से ट्रेन ने ऱूक रूक गति तेज की ! जब जब समय बितता गया मानो ऐसे लगने लगा कब आयेगा लेकिन फिर विचार आया कि सफर तो लंबी है ट्रेन में आसपास बेठने वाले लोगों के साथ बात चीत शरू की तो वकत का पता ही नहीं चला ओर चार से पांच घंटे निकल चुके ! अब देर रात हो रही थी अब सोने का वकत हो चुका था लेकिन ट्रेन में निंद भी कैसे आये ! एक दो जोले लगा लिये था अब सुबह हो गई! जहां पर जाना था वो स्टेशन आ गया था! अब वहां पर उतरे तो देखा कि 5 साल पहले जब आया था तब में ओर आज में बहुत बदलाव आ चुका था! वहां पर से दुसरी ट्रेन पकड लि ओर ट्रेन में देखा कि कही लोग सो रहे थे कोई न्युज पेपर पढ रहा था, तो कोई मोबाइल में गेम खेल रहा था! बाद में घर पर पहुँच गये थे बाद में थोडी देर आराम किया , फिर तो शाम बाजार में गये तो बाजार में तहेवार कि वजह से भिड ज्यादा थी ! बाद में मुंबई कई जगा पर जाने का मोका मिला तभी मुंबई के लोगों के जीवन कैसे जीते है उसका पता लगा! मुंबई में छोटा हो या बडा ज्यादा से ज्यादा लोग ट्रेन में ही सफ़र करते हैं! मुंबई में क्या दिन ओर क्या रात! पता ही नहीं चलता है ! मुंबई में धुमने के लिए बहुत अच्छी अच्छी जगा है! गेट वे ओफ इंडिया , जुह चोपाटी, ताज होटल, गुरगाव चोपाटी, कई अभिनेता के बंगले, बॉलीवुड कि नगरी कहा जा सकता है! मुंबई में बहुत से ऐसी जगा है जो दुसरी जगा देखने को नहीं मिल सकती हैं! मुंबई के लिए एक कहेवत भी है जो कि वो गुजराती में बोली जाती है મુંબઇ ની કમાણી મુંબઇ માં જ સમાણી ! कई लोग इस माया नगरी में बहुत से बडे सपने देखकर आते हैं उसे पुरा करने के लिए जी जान से महेनत करते हैं! मुंबई सपनो का शहर है वहां पर सपने देखकर आते तो बहुत लेकिन पुरा उसी का होता है जिसके सपने में जान होती है! में वैसे तो दुसरी बार मुंबई में गया था लेकिन जब पहली बार तब बहुत छोटा था तभी मुझे ज्यादा समझ नहीं थी जब अभी गया था तभी मुझे दुनियादारी की समझ थी! इस बार मेंने मुंबई में रहने वाले कई लोगों का बारिकाई से निरीक्षण किया है मेंने देखा कि मुंबई में रहने वाले लोगो कि हालत कैसी होती है! उन लोगों के पास पैसे है तो किसी के लिए समय नही है उनके खुद के बच्चों के साथ भी वो पांच मिनिट बात कर सके इतना टाईम नही होता है! सुबह निकल जाते हैं ओर देर रात आते हैं यही मुंबई के लोगों कि जिंदगी है! Download Our App