खाना कहा से बन के आया है? Tasnim Bharmal द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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खाना कहा से बन के आया है?

'ज़ख्म और जहर जितना गेहरा होता है उतना ही जान लेवा भी होता है' ये बात कहानियों के जरिए शिवम् अपनी १२ साल की जुड़वा बेटीया मीरां और माहिरा को रोज़ एक अलग कहानी लिख कर सुनाता। शिवम् पेशे से लेखक था पारिवारिक जीवन में दो बेटियों का बाप और शरीफा का पति। शिवम् के पिता को एक सच्चे पत्रकार होने की सजा मिली थी, २००२ में हो रहे गुजरात के दंगो में कुछ तत्वों को संगीन जुर्म लिखने के तहेत कुछ नेताओं के भाड़े के ट्टूओ ने अपनी पत्नी के साथ मंदीर से लौटते समय बुरी तरह से पीटने कि वजह से मौत को सौंप दिया और कुछ ही दिनों के बाद मां भी चल बसी , पर हालत वहीं है। अभी भी खोफ़ और देहशत का माहौल है। सियासी शतरंज के चुनाव सर पर है। वोट बैंक इसबार मुनाफा कमा ही लेंगी। पर घरों के छज्जे और ज्यादा बिगड़ गए है, असामाजिक और अनैतिक धार्मिक तत्व दो महीने हो जाने के बावजूद अंकुश में नहीं या फिर लाए नहीं जा रहे, ऊपर से वो घर जहा की नींव इश्क़ है वहा की सर जमीन हमारे देश में आज भी बेबुनियाद है। शिवम् जोशी शरीफा अशफ़ाक को कॉलेज से जानता था, दोनों के दिल में इतनी मिलावट हो गई की धर्मका रंग का कारण भी अलग ना हो पाया आज वजह यू है की साथ में है। आज भी लोग कबूल नहीं कर पाते मीरां और माहिरा को पर आपस के प्यार को दूसरों के पत्थरो से क्या लेना - देना।
पर आज रात बड़ी जुल्म ढाई है। अहमदाबाद में रहते इस परिवार पर जुलमकारो की बड़ी नजर है। शरीफा व्याकुल है वहीं शिवम् अपनी बच्चियों के साथ मशगुल है। फटक से दरवाजा पटक कर शरीफा कमरे में आ पोहची और बोली ' शिवम् आप कुछ करे, मेरी घबराहट बढ़ती जा रही है। बाहर आग - गोले बरस रहे है और आप शांति से बैठे है। शिवम् अपनी बेगम को पास बिठाकर बोला: ' वो हमे कुछ नहीं कर सकते ' । शरीफा गुस्से में आकर बोल गई की शायद आप और मीरां बच जाए पर में और माहिरा किधर जाएंगे!! टैगोर को गुन गुनानेवाली, अमृता प्रीतम को दोहरानेवाली,मंटो को पढ़नेवाली और गांधी के शहर में बसनेवाली शरीफा हल्के से कुछ और भी बोली ' शिवम् : में और माहिरा नाम से इतने तो मुसलमान जरूर है कि मारे जाए '..... शिवम् पत्नी और बच्चों को हाथ फिराकर बोला ' और ये मुल्क और में और मेरा धर्म उतना भी बेबस नहीं की अपनों को ही मार गिराया जाए ।' आप इस जमीन का हिस्सा है शरीफा जैसे कि शिवम् है, आप इतनी ही इस मुल्क की भी है जितना की में; फिर एक लम्बी सांस खींचकर शिवम् बोला ' वैसे आज खाना कहा से बन के आया है ?! जन्नत से या स्वर्ग से!?
शरीफा मुस्कुराकर बोली ' हमारे देश के किसानों के खलिहानों से हमारी रसोई तक। शिवम् बोला ' चलो तो फिर खा लेते है अब खाना तो हिन्दू - मुसलमान कहा !!!!'

लिखित - तस्नीम भारमल