इज्जत Ravi Soni द्वारा आध्यात्मिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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इज्जत

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( रविवार की एक रात में रवि और सागर नामके बचपन के दो दोस्त सागर के घर पर बैठे है | आज रवि थोड़ा उदास लग रहा है , सागर रवि को इस तरह उदास बैठा देखकर वह रवि के पास बैठकर और उसके साथ बात करके इस तरह उदास बैठे होने कि वजह जानने की कोशिश करता है |)

सागर :- " यार रवि पिछले दो घंटों से तु मेरे घर पर आया है, जब से तु आया है तब से तु इस तरह उदास क्यों बैठा है ? बात क्या है ? "

रवि :- " नहीं भैया , ऐसा कुछ भी नही है यह तो आज ऑफिस पर काम थोड़ा ज्यादा था , इसलिये थोड़ा थक गया हू , और कोई बात नहीं है | "

रवि :- " नहीं रवि , तुम झूठ बोल रहे हो , नक्की तु मुझसे कूछ छुपा तो रहा है , यह बात तु तुम्हारे इस बचपन के दोस्त को नहीं बतायेगा ? इस तरह उदास बैठा रहने से क्या तुझे समस्या से बहार नीकलने का रास्ता मिल जाने वाला हें ? इसलिए मेहरबानी करके अब मुझे बता़येगा कि तुझे क्या हुआ है ? "

रवि-: " बात यह है कि आज सवेरे मैं और मेरी गर्लफ्रेंड दोनों काकरिया (अहमदाबाद) तालाब घुमने के लिए गये थे, वहाँ हमने बहुत मज़ाक-मस्ती कि , मजाक -मस्ती मे हम दोनों के बिच झगड़ा हो गया , वो मुझसे नाराज हो गई , मैने उसे मनाने कि बहुत कोशिश कि लेकिन, वह नहि मानी और रोते -रोते वहाँ से नीकल गई ! "

सागर :- ( हसकर)" अरे भगवान ! अब इस नादान से लड़के को किस तरहा से समजाया जाये ? बस, इतना सा ही ? इतनी सी छोटी सी बात में तु उदास हो गया ? एक लड़की क्या चली गई , उसकी याद में दर्द- भरे गाने गा कर इस तरह 'देवदास ' जैसा मुँह करना बंद कर और मेरी तरहा ' मर्द बन मर्द ' ..... अरे लड़कियाँ तो ' एक खिलौने जैसी होती है, खिलौने !' एक के साथ खेलो , उससे मन भर जाये तो उसके साथ रिश्ता तोड़कर दुसरी पटाओ, बस, ईस तरह टाइम पास कर ये ' प्यार , प्रेम , मोहब्बत ,' यह सब तो सिर्फ किताबें और फिल्मों में ही अच्छा लगता है , रीयल लाइफ में नहीं,रीयल लाइफ तो हम जैसे लोगों की होती है | न जाने अब तक मैंने कई सारी लड़कियों के साथ मौज मस्ती की और उसे छोड भी दी , और आपने ??? "

रवि :- " भाई , यह तो बहुत अच्छी लड़की थी, मेरी तरह ही वो मुझे बहोत प्यार करती थी , मुझ पर भरोसा कर के और मेरे कहने से वो मेरे घर पर आई थी | और मैं शराब के नशे में उसके साथ .... छी ....कितना निच और हलकट हो गया था मै , एक बार भी मुझे उसके प्यार और भरोसे का ध्यान ही ना रहा , और अब वो मेरे साथ बात तो क्या वह मेरा चेहरा भी नही देखना चाहती " |

सागर :- " अरे भाई वो क्या कोई परी थी वोह हमें किसी भी हालातमें मिलनी ही चाहिए !! और वैसे भी तु इस तरह अकेला उदास मत रहा कर, मेरे साथ रहा कर, मैं तेरी एक से बढ़कर एक सुंदर लड़कियों से तेरी मुलाकात करवा कर उसके साथ तेरी दोस्ती करवाउंगा, तु सिर्फ उन सबके साथ एश कर | अरे पागल जिंदगी और जवानी सिर्फ ऐक बार ही मिलती है , लड़कियों के दिल को तु सिर्फ खिलौना ही समझ ...
'बस ट्रेन और छोकरी के पीछे मत घुमा कर,
दुसरी आती है और पहली जाती है' समझा कि नहीं "

(रवि खुद का पर्स निकालकर उसमें रखी हुई तस्वीर को देखकर रोने लगता है , तब सागर कवि को इस तरह रोेते हुए देख लेता है )

सागर :- " (हसकर) ला , मुझे देखने तो दे वो कैसी लग रही है , उस के बाद तु मुझे एक मौका तो दे उसके बाद देख मै तुझे सीखाता हुं की लडकियों के साथ किस तरह मौज मस्ती की जाती है !

( जैसे ही सागर वह तस्वीर को देखता है तुरंत वह पर्स उसके हाथ से गीर जाता है , उसका दिमाग काम करना बंद कर देता है , उसके मुंह से आवाज निकालती बंद हो जाती है और आाखिर मैं आवाज निकली तो सिर्फ इतना ही निकला की !! )

सागर :- अरे ! यह तो मेरी बहन निशा है !!!
( गुस्सा होकर ) पागल , हरामी, तुझे पुरे अहमदाबाद में मौज मस्ती करने के लिए सिर्फ मेरी ही बहन मिली ? हमारी बचपन की दोस्ती के बदले में तुमने मुझे इतना बड़ा धोखा दिया ? अब तो तुझे दोस्त बोलने नें भी शर्म आ रही है| ( बहोत गुस्सा होकर रवि का कोलर पकडकर)
यह क्या किया तुमने मेरी बहन के साथ ? जल्दी बोल वरना मैं तेरी जान ले लुंगा | "

रवि :- अमर के हाथमें से अपने शर्ट कि कॉलर छुडवारर और थोड़ा हसकर ) क्या हुआ भाई ! अभी तो तुम खिलौने- खिलौने की बात कर रहे थे , क्या कहा था तु़मने !! अरे हा याद आ गया
' बस ट्रेन और छोकरी के पीछे मत घुमा कर , दुसरी आती है और पहली जाती है ऐसा ही कुछ कहा था ना तुमने ,और तुम इतनी जल्दी अपनी ही बातों से मुकर गया ? आप करे वह लीला और हम करे वह कांड , यह कैसी बात हुइ ? अरे भाई ! यह निशा जैसे तेरी बहन है वैसे ही मेरी भी बहन है | उसके साथ इस तरह यह सब कुछ करने का तो मैं सपने में भी नहीं सोच सकता | और उसे तेरे सभी कारनामे के बारे में सब कुछ मालूम है , मैंने तुजे कितनी बार समजाया लेकिन तुझे तो लडकियों को 'खिलौना' समजकर उसके आपके प्रति रहते लगाव और लगन को दुभाना, उसकी जिंदगी बरबाद करना ,यह सब कुछ करना ये तेरे लिये आसान काम है ना , जब यह बात की खबर निशा को हुई , और उसके बाद जब निशाने मुझे ऐसा नाटक करके तुझे सुधारकर जिंदगी के सही रास्ते में लाने कि बात कही तब मैं मान गया | उधर देख निशा उस परदे के पिछे खड़ी है | अब तु बोल , क्या अब भी लड़कियाँ सिर्फ खिलौना ही होती है ? कि जिसका एक बार उपयोग करके उसे छोड़ देना चाहिए ? भाई सागर, कोई भी लड़की हमारी निशा कि तरहा ही ,किसी कि बहन या बेटी होती है, उसमें भी किसी के लिये प्यार और लगाव होता है , वह कोई खिलौना नहीं होती |

( निशा को परदे के पीछे से निकलता हुआ देखकर सागर मुरझा जाता है और वह निशा के पैर पकड़कर इस गलती कि माफी मांगता है | इस तरह आज सागर को यह समझने में आ गया था कि लड़कियां कभी भी खिलौना नहीं होती | )