हूँ तो ढिंगली, नानी ढिंगली - 2 Neelam Kulshreshtha द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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हूँ तो ढिंगली, नानी ढिंगली - 2

हूँ तो ढिंगली, नानी ढिंगली

(2)

"शु करवानु?"उन्होंने भी उसाँस ली थी.

सामने की बेंच पर बैठी जाड़ी [मोटी ]मंजू बेन आँखें नचाकर बोल पड़ी थी, "मासी दुखी मत हो ज़रूर अपने ब्वाय फ्रेंड के साथ भाग गई होगी. आ जायेगी घूम घाम कर. "

` `तमे शू वात करो छो ?एटली वधी नानी छोकरी एम कर शके ?" [ तुम क्या बात करती हो?इतनी छोटी बच्ची ऎसा कर सकती है ? ]

"सौरी -- सांचु छे. "

जल्पा अपने बच्चे को गाड़ी में घुमा रही थी, उदास चेहरे से इनके पास आ गई और बोली, "दुनिया भर से बहुत सी लड़कियां गायब की जा रही है --- पहले कभी अपन ने नाम भी सुना था` गर्ल्स ट्रैफ़िकिंग ?`

लॉन के दूसरी तरफ़ घूमती श्रुति अपनी बच्ची को गोद में लिए पास आ गई, "इसमे औरतें भी गायब की जाती हैं, हमारे यू पी में एक दो बच्चों की माँ सुबह मन्दिर में पूजा करने गई और फिर उसका पता ही नहीं लगा, बस उसकी चप्पल मन्दिर के बाहर पड़ी मिली थी. "

" हम ग्लोबलाइज़्द हो रहे हैं इसलिए एक और नया शब्द चला है `सेक्स टूरिज़्म `. इसकी भरपाई के लिये जगह जगह होटल खुल रहे हैं, जिन के लिए औरतें चाहिए, लड़कियाँ चाहिये. यहाँ तक कि किड पोर्न के लिए बच्चे चाहिये. हर आठवें मिनट में एक बच्चा गायब हो रहा है. "

"तो ढिंगली ----. "बिन्दु मासी रो पड़ी "मैंने तो उसे छ; महीने की थी, जब से देखा है.

"तो पुलिस इन्हें क्यों नहीं पकड़ती ?"

"कैसे पकडेगी ?किसी ड्रग माफ़िया, किसी विकृत दिमाग वाले नेता या आई ए एस या किसी आई पी एस अधिकारी की सरपरस्ती में ये काम हो रहे हैं. "

जल्पा भी उबल पड़ी "ड्रग्स लेते ही औरत चाहिए मैंने टी वी चैनल पर एक डॉक्युमेंटरी देखी थी ब्राजील में सबसे अधिक ड्रग्स बिक रही हैं इसलिए वहाँ के माँ बाप सारी उम्र भर ट्रैफ़िक की गई अपनी लड़की का इंतजार देखकर पागल होते रहते हैं. "

बिन्दु मासी अब फूट फूट कर रो रही थी, "तो ढिंगली भी -----. "

"हम लोग उसकी बात नहीं कर रहे. प्लीज़ ! रोइये नहीं. वह वापिस आ जायेगी. ऎसा कुछ नहीं होगा. वो तो कुछ बुरी बात हो उससे भी बुरे खयाल आते हैं. " `

निमकी बेन ने उनके कन्धे पर हाथ रख दिया, "बेन !धीरज राखजो. हमारी बिल्डिंग वाला बेन ने ढिंगली माटे कल शाम को चार बजे भजन नक्की किया. तुम आना. "

"चौकस [ज़रूर ]. "बिन्दु मासी को यहाँ भी चैन नहीं मिल रहा था इसलिए घर चल दी.

दूसरे दिन कलानिधि में आस पास की बिल्डिंग्स से भजन मंडली से जुड़ी औरते फँसे गले से, ढोलक, खंजरी व मजीरे बजाती भजन गा रही थी. वैसे तो बीच बीच में बहकती भक्ति के उन्माद में कुछ नाचने लगती हैं या गरबा करने लगती हैं लेकिन आज तो शुभम का दुःख उनकी पोर पोर को जड़ कर गया था. आरती के बाद निशा बेन आरती का थाल लेकर घूम रहीं थी कि एक व्यक्ति ने आकर उसमें दस रुपये नोट डाला और आरती ली व बोला, " मै प्रवीण भाई बाल विकास संस्था से आया हूँ. हमारी संस्था कल शाम सात बजे इस एरिया में ढिंगली की रक्षा के लिए केंडल मार्च करना चाहती है, लोगो में से कौन हमारा देगा ? "

जाड़ी[मोटी ]मंजू बेन ने नीचे बैठ हुए ही आश्वासन दिया, "बध्दी बेन आउशे. हमारी भजन मंडली में आजू बाज़ू की बिल्डिंग की बेन आती हैं. वे सब आयेंगी "

दूसरे दिन सात बजे शुभम्‌ के आगे भीड़ इकठ्ठी होने लगी थी. हेतल बेन ने तो आने से इनकार कर दिया था बस दिवांग भाई एक कुर्सी पर भाविन भाई के साथ सिर झुकाये बैठे थे. प्रवीन भाई और उनके साथी सभी औरतों, लड़कियों, लड़कों और जो पुरुष ऑफ़िस से लौट आए थे, के हाथों में जलती मोमबत्ती दे रहे थे. सबसे आगे दिवांग भाई व संस्था के लोग जलती मोमबत्ती लिए चल रहे थे पीछॆ सारे लोग. मोमबत्ती लिए ये काफ़िला मौन शौक में डूबा धीरे धीरे चलकर चौराहे पर जाकर रुक गया था. संस्था द्वारा दीवारों पर, आते जाते ऑटो रिक्शों पर, बसों के पीछॆ ढिंगली के पोस्टर लगा रहे थे. राहगीरों के हाथ में ये पोस्टर थमाये जा रहे थे. -------लोग इस मासूम चेहरे को पहचान ले, शहर के किसी गली, कोने, किसी कमरे या होटल में देखे तो पहचान ले. एयरपोर्ट, . रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड पर तो पुलिस का पहरा है. आते जाते लोग व सभी व्यथित थे करोड़ों की आबादी वाले इस नगर को कौन सा कोना निगल गया है ढिंगली को. . अख़बारों में बच्चों के गायब होने के समाचार पढ़ना और बात है. अपने इलाके के इस समाचार की दहशत को महसूस करना और. दुःख भरी हवा से मोम बत्ती की पीली लौ भी थरथरा रही थी.

इस शहर की हँसती खेलती नन्ही मुन्नी ज़िंदगिया कहाँ गुम हो रही है ---कौन से पिशाच इन्हे बाल मजूरी ----या भीख मंगवाने के लिये --नौकर बनाने के लिये या किड पोर्न---- या ऑपरेशन कर इनके अंग निकालने के लिए --------या खाड़ी देश की केमल रेस के लिए केमल की पीठ से बांधने के लिए गायब कर रहे हैं ----सोचकर भी बदन में झुरझुरी हो जाती है. चौराहे पर अनेक हाथों में दूर दूर तक जलती मोमबत्तियां भी इस अन्धेरे को भेद नहीं पा रही. बहुत सी औरतें सिसक रही हैं ---उस पर तो ढिंगली एक औरत है, दस ग्यारह बरस की ही सही.

इस शोर शराबे से एक आस तो बँध गई थी ---कभी तो कोई ---कहीं तो कोई उसे खोज निकलेगा. मीडिया वालों ने व कुछ संस्था वालों ने दिवांग व हेतल से मिलने की बहुत कोशिश की लेकिन दोनों अपने घर में ही बंद रहे. चार पाँच दिन बाद भीमा भाई व भाविक भाई ने इन्हें समझाया "लोग इनसे मिलोगे तो दूर दूर तक ढिंगली के खोने की बात जायेगी. शायद कहीं से कोई उसे ढूँढ़ ही लाये. "

दिवांग के गले से बमुश्किल निकला था, "साचु छे. "

हेतल फिर भी किसी के सामने नहीं आती थी. शुभम ही क्या पास के क्वीन रेज़ीदेंसी, पिरामिड टावर्स, ईशान अपार्टमेंट, शिव मंगलम बंग्लोज़ एक दहशत में कैद हो गए है. वहाँ के माँ बाप, चुलबुले बच्चे बेहद डर कर सहम गए हैं. वैसे तो अख़बार में पद्ते ही रहते हैं कि शहर से बच्चे गायब हो रहे हैं लेकिन अपने आस पास किसी बच्ची का गायब होना उन्हें बेहद डरा गया है, आज वह तो कल---. बहुमंज़ली इमारतों की इतनी चहल पहल, गेट पर खड़ा मुस्तेद वौचमैंन कैसे कोई बच्चा गायब हो सकता है ? विश्वास ही नहीं होता था. और उस दिन तो भीमाभाई शाह के बेटे की शादी भी कम्पाउण्ड में थी फिर कैसे ---. उसके गायब होते ही आस पास के छोटे बच्चे तो ज़ोर से बात करना, हँसना भूल गए थे. अन्धेरा घिरते ही अपने फ़्लेट में जा समाते. तब उनकी माओ को जरूरत नहीं रही थी कि गला फाड़कर अपनी बालकनी से उन्हें बुलाये और यदि ना आए तो लिफ़्ट से उतरकर उनके कान पकड़ कर ले जाए, "क्या आज होमवर्क नहीं करना ?"

हेतल बेन तो एक सजग सुरक्षा कवच बनी ढिंगली के साथ रह्ती थी मॉल में यदि ज़रा भी वह् आँखों से ओझल हो जाए तो बोम पाड़कर [चिल्ला कर ] आसमान उठा लेती थी. सामान की ट्रॉली छोड़कर आल्मारियो की कतारों के बीच के रास्तों में उसे ढूंढ़ने लगती थी. जैसे ही वह दिखाई देती उसके कान उमेठ कर चिल्लाती, "मैंने बोला था ना ट्रॉली को पकड़ कर चल. "

"मम्मी !मै तो आपकी हेल्प कर रही हूँ. सॉस लेने चली आई थी. "वह स्नैक्स व सौसेस की आल्मारी के पास खड़ी भोलेपन से कह्ती.

"अब तू इधर उधर हुई तो तुझे घर में ताले में बंद करके आउंगी. "

वैसे भी ये परिवार बिल्डिंग में खुस पुस का कारण बना हुआ था. हेतल तीन बरस पहले से ही दिवांग भाई के व्यवहार से पहले अचरज करती थी. घर में घुसते ही उसका पारा चदा रहता था, हेतल का जीना हराम कर देता था, "ये गन्दी नैपकिन क्यों लगा रक्खीं है ?"कहते हुए वॉश बेसिन के पास होल्डर में टाँगें नैपकिन को ज़मीन में दे मारता.

हेतल चिल्लाती, "आज ही तो बदली है. "

खाना खाने बैठता तो कहता, "हमारी शादी को इतने साल हो गए लकिन तुम्हें खाना बनाना अब तक नहीं आया. "

"क्यों क्या हुआ ?"

"दाल कितनी तीखी कर दी है --सब्ज़ी में नमक ही नहीं है. "

"और रोटी जली हुए है. "हेतल व्यंग करती चिल्लाती, "शादी के बाद तो मै फाइव स्टार कुक थी अब क्या हो गया है `? पहले तो वह् समझ नहीं पाई थी कि दिवांग क्यो बदल रहा है, बाद में उसे धीरे धीरे समझ में आने लगा कि उसके ऑफ़िस की जिस पल्लवी पर वह् तरस खाती थी उसी के कारण सारे अपार्टमेन्ट के लोग उस पर तरस खा रहे हैं. तीन साल पहले ही वह उसे एक दिन घर लेकर आया था. उसके पति को मरे तीन महीने हुए थे जिसके कारण उसे नौकरी दी गई थी. उसकी भोली सूरत देखकर वह् ममता से भर उठी थी कि कैसे गुज़ारेगी वह् सारी उम्र ? अब वह ख़ुद चिंतित थी कैसे गुज़ारेगी अपनी बाकी ज़िन्दगी ?

इन इमारतों के फ़्लेट्स की यही खराबी है कि रोज़ उन दोनों की चीखती चिल्लाती आवाज़ से सारा शुभम जान गया था कि ये शादी टूट चुकी है ----साथ में रहना तो एक मजबूरी है, जब तक छुट्टा छेड़ा [ तलाक ]ना हो ---क्योंकि कोर्ट तक केस पहुँच गया है ---बस एक दो हियरिंग की बात है. दिवांग ढिंगली को हेतल के पास छोड़ने को तैयार है. इस फ़्लेट में कौन रहेगा परम जासूस बिन्दु मासी ये बात पता नहीं कर पाई थी.

गुजराती शब्द `ढिंगली `का अर्थ ही है गुड़िया, अकसर वह इतराकर कमर पर हाथ रखकर उछल उछल कर डांस करती, "हूँ तो ढिंगली ----नानी [छोटी ]ढिंगली -. वह हर समय ख़ूबसूरत थ्री फ़ोर्थ और टॉप या फ्रॉक में सजी हुई रह्ती थी. जब बच्चों का झुंड शाम को नीचे इकठ्ठा होता तो सबकी लीडर बनी रह्ती थी. वह् कहती कि` लाइन में लग जाओ अपुन रेल रेल `खेलेंगे`, बच्चे तुरंत एक दूसरे के कंधों पर हाथ रख कर शोर मचाते रेल की तरह चल देते यदि उसका हुक्म होता कि आइस पाइस खेलनी है तो वो जल्दी कारों के पीछॆ सीढ़ियों के पीछॆ या बड़े कचरे के डिब्बे के पीछे छिप जाते. ढिंगली के गायब होते ही कुछ समय तक तो कोई बच्चा नीचे खेलने के लिए तैयार ही नहीं होता था.

आस पास की इमारतों के लोग सहमे से शुभम पर नजर गदाये उसके सामने खड़ी पुलिस की गाड़ियों व उसकी छानबीन को देखते रहते. कभी पुलिस वाहन, किसी नेता की गादी, मीडिया की या किसी संस्था के लोग जमघट लगाए ही रहते.

पुलिस नए व पुराने दोनों वॉचमेन पर कड़ी नजर रख रही थी. पुलिस ने पल्लवी, जिससे दिवांग शादी करना चाहता था, से भी कड़ी पूछ्ताछ की थी. लेकिन फिर उस पर शक़ करना छोड़ दिया था क्योंकि दिवांग तो ढिंगली को हेतल के पास छोड़ने को तैयार था. कभी अफवाह उड़ती ढिंगली को मणिनगर जाती बी आर टी एस बस में देखा गया है ---कभी किसी डाडी वाले बाबा के साथ --- कभी कोई कहता मुंबई के चर्चगेट पर ढिंगली जैसी लड़की दिखाई दी है---कभी अख़बार में समाचार छपता पुलिस एक मुखबिर की सूचना पर मध्य प्रदेश में उसे धूड़ने गई है.

उधर शहर में जगह जगह केंडल मार्च, उसके वपिस आने के लिए सभायें हो रही थी.

बीस बाईस दिन बाद कलानिधि बिल्डिंग की श्रुति अपने दुपहिये वाहन से जैसे ही गेट से अन्दर आई निमकी बेन ने उसे इशारे से गार्डन में बुला लिया, श्रुति उनके पास बेंच पर बैठ गई, वे बोली, "मुझे तुम्हें एक बात बतानी है. `

"कहिये. "

"शुभम् के जूने [पुराने ]वॉचमैंन रमेश की औरत पहले मेरे यहाँ काम करतीं थी. मेरी उससे खट् पट हो गई तो रास्ते में मिलें तो मुझे देखती भी नहीं थी. कल मै शुभम के पीछॆ वाली दुकान पर चाय लेने गई तो वह् सड़क के दूसरी तरफ़ से मुझे देख कर मेरे पास चली आई, वह बहुत बीमार व दुबली लग रही थी. वह् बोली, "एक जरूरी बात करनी है. "तभी सड़क के दूसरी तरफ खड़ा रमेश रबारी तेज़ी से आया और उसे दोनों बाहों के घेरे में भरकर बाहर ले गया. `में पीछॆ पूछती रह गई क्या बात है---वह् उसे ऑटो में बिठाकर चला गया. "

श्रुति उत्तेजित हो उठी, "पुलिस तो पहले ही इस पर शक़ कर रही है, ज़रूर कुछ बात है, चलिए पुलिस में रिपोर्ट लिखवा दें. "

"ना ना, मैंने तुम्हे बता दिया है, मुझे पुलिस के लफड़े में नहीं पड़ना. तुम्हें कसम है बिंदु बेन को भी मत बताना नहीं तो वह नारद मुनि बनी मेरा नाम निकाल देगी. ` `उसके समझाने पर भी वे नहीं मानी थी.

श्रुति को तीन चार दिन चैन नहीं पड़ रहा था. उसने पुलिस कमिशनर के पास एक गुमनाम पत्र पोस्ट कर दिया तब तक आस पास के युवा भी अपने कंप्यूटर पर `चाइल्द लाइन जैसी अनेक एन जी ओज़ को मेल कर चुके थे, शायद कुछ हो जाए लेकिन सप्ताह गुजरते जा रहे थे. बादल आकाश में निरूत्तर तैर रहे थे ----यहाँ से वहाँ थपेड़े खाते हुए. दिवांग के फ़्लेट में मायूसी पैर फैलाकर जम गई थी ----घर के कोने कोने में फ्रीज हो गई थी ---वे दोनों रोये ना रोये उनका कलेजा हिला देने वाला रुदन दीवारों पर रोज़ बिछता रहता था --पूरा घर ढिंगली चखर चखर के लिये हूँकता सा लगता था --किसी पुकार का पुकारते पुकारते गला फटा जा रहा था.

इस घर की ठंडी खामोशी को एक फोन ने तोड़ा, ये दिवांग का वकील था, "सर !आपकी बेटी के बारे में पता लगा, वेरी सॉरी !. मैं बुद्धवार को कोर्ट में डेट ले रहा हूँ अगली हियरिंग तक आपको तलाक दिलवा कर रहूँगा. "

"यार ! थोड़ा सब्र करो. ऎसे समय में मैं हेतल को कैसे छोड़ सकता हूँ ?"

"सॉरी सर !आपको ही जल्दी थी. "

"पहले हेतल संभल जाए तब कोर्ट से डेट ले लेना. आख़िर वह् मेरी बच्ची की माँ है `

"ओ. के. . सर ! सॉरी सर !"

***