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FEAR... YOU ARE NOT SAFE WITH YOU





















( A story by A.K. )







आयशा फिर चिल्लाकर उठी। बेड पे उसके पास सोया हुआ करन‌ भी उसकी आवाज सुनकर उठा। आयशा डर से पसीना पसीना हो गई थी। करन समझ गया; उसने पुछा, “फिर वहीं सपना देखा?” आयशा ने कहा, “करन, वो मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश कर रहा है।” करन ने कहा, “आयशा उस हादसे को एक month हो चुका है।” आयशा ने कहा, “मैं खुद को बचाने के लिए वहां से भाग आई, लेकिन वो मेरा पिछा कर रहा है।” करन ने कहा, “आयशा वो past था जो बित चुका है। तुम बस इस बात से disturb हो गई हो। आयशा relax! हम वो शहर छोड़ चुके हैं और तुम्हें अब वो सब याद करने की जरूरत नहीं है।” इतना समझाकर उसने आयशा को सुला दिया।

आयशा किचन में मूली काट रही थी। मूली पर चाकू चलने की आवाज के सिवा और कोई आवाज नहीं आ रही थी। तभी नल से पानी की 'टप-टप' आवाज आने लगी। आयशा की नजर नल की ओर गई। नल से बुंद-बुंद पानी टपक रहा था। आयशा ने चाकू प्लेट में रखा और जाकर नल बन्द किया। वापस आकर वो फिर मूली काटने लगी। कुछ समय बिता और फिर 'टप-टप' आवाज आने लगी। आयशा ने जाकर नल फिर से बन्द किया। चाकू के पास आकर जैसे ही उसने चाकू उठाया, 'टप-टप' आवाज फिर से आने लगी। अब आयशा डर गई। धिरे से उसने नल की ओर देखा; पर नल बन्द था! बन्द नल को देखकर आयशा का डर और बढ़ गया। आयशा आवाज की ओर बढ़ी। आवाज बाथरुम से आ रही थी। आयशा बाथरुम में आई।बेसिन के नल से पानी टपक रहा था। उसने नल बन्द किया और बेसिन के उपर लगे mirror में देखा। देखते ही वो जोर से चिल्लाई।

डॉक्टर ने कहा, “Now open your eyes slowly.” आयशा ने धिरे-धिरे आंखें खोली। डॉक्टर ने पूछा, “अब कैसा लग रहा है?” आयशा ने कहा, “सिर थोड़ा भारी सा लग रहा है।” डॉक्टर ने कहा, “Oh don’t worry about that, थोड़ी ही देर में तुम normal feel करोगी।” आयशा ने कहा, “मैं जानती हूं डॉक्टर आपको लग रहा है कि मुझे वहम हो रहा है लेकिन please believe me, he's trying to…” करन ने उसे रोक लिया। डॉक्टर ने कहा, “बेटा तुम्हें घबराने की कोई जरुरत नहीं। बस तुम दवाईयां time पे खा लेना।” आयशा ने निराश होकर सिर हिलाया।

जैसे ही करन ने बेडरुम का दरवाजा खोला, आयशा उसे चिजें फेंककर मारने लगी। करन ने कहा, “आयशा, आयशा stop this ये क्या कर रही हो?” आयशा बेडरुम के कोने में भागते हुए कहने लगी, “मेरे पास मत आना। दुर रहो मुझसे!” करन कहने लगा, “आयशा it’s me, Karan!” उसने आयशा को पकड़ लिया और आयशा उसके बाजुओं पर मारने लगी और चिल्लाने लगी, “छोड़ो, छोड़ो मुझे। बचाओ, कोई है?” करन उसपर चिल्लाया, “आयशा! आयशा!! ये मैं हूं, करन!!!” आयशा चुप हो गई। फिर उसने कहा, “करन…” करन ने कहा, “हां आयशा, मैं करन।” आयशा रोते हुए कहने लगी, “करन मुझे बचा लो, वो… वो मेरे साथ जबरदस्ती…” करन ने उसे संभाला और उसे दवाईयां दी।

आयशा ने करन को बाय किया और दरवाजा बन्द किया। वो किचन की ओर बढ़ी, तभी doorbell बजी। उसने आकर दरवाज़ा खोला, दरवाज़े पर कोई नहीं था! सोच में पड़ कर उसने दरवाज़ा बन्द किया और फिर किचन की ओर बढ़ी। तभी doorbell बजने लगी। सहमते हुए आयशा दरवाज़े के पास आई और उसने पूछा, “कौन? कौन है?” जवाब में सिर्फ doorbell बजती रही। तभी आयशा को अपने पिछे से परछाईं गुजरने की आहट हुई। झट से उसने मुडकर देखा, कोई नहीं था! Doorbell अभी भी बज रही थी। आयशा दरवाज़े के छेद से बाहर देखने की कोशिश करने लगी। बाहर कोई दिखाई नहीं दे रहा था। इतने में उसे कोई अपनी ओर आने का एहसास होने लगा। उसकी धड़कन तेज होने लगी। एहसास बढ़ता गया, धड़कन तेज होती गई और उसने मुड़कर देखा। तभी उसकी आंख खुली। उसने आसपास देखा, सब कुछ normal था। उसने चैन से सांस छोड़ी, तभी doorbell बजने लगी!

करन ने अपनी चाबी से दरवाजा खोला। Hall में सब चिजें बिखरी पड़ी थीं। करन ने आयशा को आवाज दी पर कोई reply नहीं मिला। वो बेडरुम में आया और उसके हाथों से उसकी bag गिर गई। सामने बेड पर आयशा पड़ी थी। उसकी खुली हथेली में ज़हर की बोतल थी। निचे ज़मीन पर कागज़ पड़ा था। करन ने कागज़ उठाया। आयशा ने लिखा था, “सब खत्म हो गया करन! जिस बात का डर था वहीं हुआ। मैं उससे अपनी इज्जत बचा नहीं पाई! अब मेरे पास इतनी हिम्मत नहीं की तुमसे नजरें मिला सकूं। मैं जा रही हूं करन, हो सके तो मुझे माफ़ कर देना…” करन के हाथों से कागज़ गिर गया।

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