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शिवानी का टुनटुनवा

शिवानी का टुनटुनवा

शिवानी आज सुबह से मन ही मन बहुत खुश थी। रात को अच्छे से नींद भी नहीं आयी फिर भी एक दम तरो-ताज़ा लग रही थी। पूजा पाठ में भी मन नहीं लग रहा था। बार -बार ध्यान अपने कमरे में रखे हुए बॉक्स पर जा रहा था जो उसके पति ने गिफ्ट दिया था।

रोज़ स्कूल जाने की जल्दी में वह पूजा -पाठ में समय दे नहीं पाती इसलिए रविवार को आराम से बैठ कर अपने प्रभु की सेवा करती है। लेकिन आज वह इसमें भी ध्यान नहीं लगा पा रही थी सो बस अपने प्रभु से माफ़ी मांग कर एक दो घंटी की आवाज़ सुना कर जल्दी से खड़ी होगई।

बहादुर को चाय कमरे में ही दे जाने को कह भागती हुई सी कमरे में पहुंची और बेड पर बैठ कर बॉक्स को खोला और उसमे रखे हुए मोबाइल फोन को बाहर निकला, ऐसे जैसे कोई हीरे की अंगूठी ही हो !

और फिर अपनी डायरी में लिखे फोन -नम्बर को एक -एक कर के फीड करने लगी अपने मोबाइल में। जब सभी नंबर एड कर दिए तो एका-एक अपने पति पर प्यार उमड़ आया और कुछ नहीं सूझा तो "आई लव यू"ही लिख दिया अपने मेसेज -बॉक्स में और भेज दिया।

पर यह क्या मेसेज भेजते ही तो उसको लगा कि यह तो गलत हो गया क्यूँ कि वह पति की जगह उसके स्कूल के शिक्षा -अधिकारी को चला गया। उसके तो चेहरे का रंग ही उड़ गया, "अरे !ये क्या कर दिया !!"

सोच ही रही थी कि सन्देश का जवाब भी आ गया "आई लव यू टू !" यह देख कर शिवानी के तो होश ही उड़ गए। कुछ सोचती, एक और सन्देश "आप कौन है !" भी आ गया।

अब तो शिवानी का दिल बैठा जा रहा था कि अरे आज मैंने क्या कर दिया। तभी फोन भी टुनटुना उठा शिवानी ने देखा उन्ही शिक्षा अधिकारी का फोन था और उसके हाथ से फोन गिर गया जैसे कोई करंट ही लगा हो। घंटी बज कर बंद हो गयी तो वह जल्दी से उठी, फोन को अलमारी में अपने कपड़ों के नीचे रख कर अलमारी को कस के बंद कर दिया और बैठ गयी।

उसकी चाय के साथ उसका उत्साह भी ठंडा पड़ गया।

थोड़ी देर बाद धीरे से उठी और अलमारी के पास जा कर कान लगा कर सुनने लगी तो जल्दी से घबराकर पीछे हो गयी क्यूँ कि फोन अभी भी टुनटुना रहा था। वह जल्दी से अपने कमरे के बाहर हो गयी और अपने आप को सामान्य करने की कोशिश करने लगी पर ध्यान उधर ही था।

कुछ देर बाद जब रोहन (उसके पति )घर आये तो उनको भी देख कर लगा की शिवानी आज कुछ अजीब सा व्यवहार कर रही है, इतनी परेशान क्यूँ है ?पूछा "शिवानी आज तुम्हारे चेहरे का रंग उड़ा हुआ सा लग रहा है क्या बात है ?"

बस शिवानी तो फिर जोर -जोर से रोने लग गयी और रो -रो कर सारी गाथा गा दी के उससे आज क्या हुआ है। रोहन जोर से हंस पड़े "अच्छा तो फोन का ये इस्तेमाल हो रहा है !" फिर बोले, "रोने वाली क्या बात है शिवानी, तुम्हारा नम्बर तो उनके पास है नहीं और जब कभी उनसे बात करनी हो तो मेरे फोन से कर लेना। "

यह सुन कर शिवानी को कुछ सांत्वना पहुंची और अलमारी से फोन निकाल कर देखा तो सात मिस्ड -काल थी अब तो उसे भी बहुत हंसी आयी।

(उपासना सियाग )

upasnasiag@gmail.com

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