jin ki Mohbbat - 22 - Last part books and stories free download online pdf in Hindi

जिन की मोहब्बत... - 22 - अंतिम भाग

ज़ीनत शान से दूर दूर हो कर बात कर रही थी शान उसके पास जाकर बोला ।
ज़ीनत क्या हुआ..? अब आगे..!

भाग 22


ज़ीनत शान से दूर हो कर बोली l
"मुझे क्या हुआ है ये तुम नहीं जानते ..? हा बोलो, नहीं जानते ?
शान उसे हैरानी से देख रहा था ।
ज़ीनत ने कहा l
"तुम मुझसे मोहब्बत करते होना..? मेरे बिना जी नहीं सकते ?
में भी शान को अपने शौहर को इतनी ही मोहब्बत करती हूं वो मेरे लिए मेरी ज़िन्दगी है !"
इतना कहकर ज़ीनत किचन में गई ओर अपने ऊपर मिट्टी का तेल डालते हुए कहा ।
"तुम मुझसे मोहब्बत करते हो लेकिन में शान से मोहब्बत करती हूं , ओर करती रहूंगी । तुम मुझे छोड़ कर नहीं जा सकते ..! तुम मेरी वजह से लोगो की जान ले सकते हो तो में भी अपनी महोब्बत बचाने के लिए अपनी जान दे सकती हूं ।
शानने उसके पास आने की कोशिश की , लेकिन ज़ीनत ने गेस ऑन कर रखा था ।
मेरे करीब आने की कोशिश की तो में खुद को जला दुगी ..! तुम नहीं जाओगे मुझे छोड़ के तब भी में दुनिया छोड़ दुंगी आज ही ईसी वक्त.. ।
शान की ज़ुबान से बस एक ही बात निकल रही थी ..!
"ज़ीनत में तुम्हारे बिना कुछ नहीं हूं । तुम मेरी रूह में बस गई हो..! मेरी ज़िन्दगी से ना जाओ में बुरा नहीं हूं..! बस तुमसे दूर होने के डर से उन मैने लोगो की जान ली । में सिर्फ तुम्हे अपने पास रखना चाहता हूं ! ओर मुझे किसी से कुछ लेना देना नहीं ।
में किसी का बुरा नहीं करना चाहता ! बस तुम मेरी रूह में बस गई हो बचपन से ।
तुम्हे बचपन से उस बरगद के नीचे झूला झूलती थी तभी से में तुम्हरा साया बना हुआ हूं ।
दूर से ही साथ रहता था, देखता था दूर से पास कभी नहीं आया लेकिन ,
जब से तुमने जवानी की दहलीज पर कदम रखा तब से में तुम्हारे करीब आने की कोशिश करने लगा ।
तुम से दूर रहना मेरे बस में नहीं रहा ! में चाहकर भी तुम्हारी शादी रोक नहीं पाया ।
लेकिन तुम्हारा साफ दिल, तुम्हारी खूबसूरती ,अल्लाह की इबादत करना, यही वजह है जो में तुम से दूर नहीं जाना चाहता ।
ज़ीनत ने कहा !
"बस करो तुम अपनी सारी बाते ! मुझे समझ चुके हो ।
लेकिन तुम ये भूल गए कि तुम इंसान नहीं एक जिन्नात हो..! इंसान ओर जिन्नात का कोई मेल नहीं है ।
ना में तुम्हारी दुनिया में रहे सकती हूँ ओर ना तुम मेरी दुनिया में । अब तुम्हे इतना समझ जाना चाहिए कि में किसी ओर की हो चुकी हूं..! निकाह कुबूल किया है शान से मेने । ये अल्लाह की मर्ज़ी थी ओर तुम अल्लाह की मर्ज़ी के खिलाफ नहीं जा सकते..।
अब तक जितने दिन मेरे साथ गुजारे वो अनजाने में तुम्हारे साथ थी में ।
ज़ीनत ने अपने दामन में आग लगा ली जिसे देख जिन्नात चीख पड़ा !
" ज़ीनत तुम ऐसा नहीं कर सकती।"
"लेकिन तुमने ये गुनाह किया है किसी गेर ओरत को छूने का..!
एसा गुनाह जिसे अल्लाह कभी माफ नहीं करेगा ।
तुम अपनी ज़िद्द पर रही मुझे पाने की में जान कर ये गुनाह अब नहीं कर सकती में खुद को आज मिटा दुंगी ।
ज़ीनत की बातो से जिन्नात उसकी मोहब्बत में हार गया उसने ज़ीनत को कहा ।
"ज़ीनत में तुम्हारे साथ जीना चाहता था लेकिन कभी तुम्हे रुलाना नहीं चाहा ।
तुम्हारा दिल दुखा के में खुश नहीं रह सकता ..! तुम यही चाहती हो ना में तुम से दूर चला जाऊ ?"
तुम्हारी मोहब्बत में ये भी कबूल है..क्यू की तुम्हारा दुनिया में रहना जरूरी है..! तुम्हारी ज़िंदगी मेरे लिए क्या है ये तुम नहीं जानती ..! मेरी इबादत मेरी रूह मेरा सब कुछ तुम हो । अगर मेरी रूह को कुछ हो गया तो मेरा जिस्म किसी काम का नहीं ।
मुझसे दूर होना तुम्हारी खुशी है तो लो में बिना कुछ लिए जा रहा हूं.. ! तुम्हारी ज़िंदगी से दूर ।
जा रहा हूं तुम खूब रहो बस मेरी दुआ यही है में तुम्हे उमर भर मोहब्बत करता रहूंगा ।
तुम्हे जब मेरी ज़रूरत पड़े मुझे बस दिल से याद करलेना ।
अल्लाह हाफ़िज़ ज़ीनत ।
ओर वो जिन्नात गायब हो गया ।
ज़ीनत की हिम्मत ओर समझ दारी ने उसे इस मुश्किल से निकाल दिया ।
अब मुंबई से शान भी लोट आया ! और उसे इस बारे में ज़ीनत ने सब सच बताया ।
जिसे सुन कर शान को अपनी गलती का एहसास हुआ ! उसने ज़ीनत से माफी मांगी और कहा !
"मैं तुम्हें अकेला छोड़ कर नहीं जाता तो ये सब तुम्हे सेहना नहीं पड़ता ।
मुझे माफ़ कर दो ।"
अब ज़ीनत ओर शान अपनी लाइफ में खुश है ।

(समाप्त)
हेल्लो दोस्तों आप सबने मेरी कहानी को पसंद किया ओर मुझे सराहा उसके लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपका ! ऐसे ही प्यार मुझे मिलता रहा तो में आगे भी आप लोगो के सामने कुछ अच्छा लिखने का प्रयास करती रहूंगी ! इंशाअल्ला ।

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