#इक उधार सी ज़िन्दगी...
तुझको खो कर बचा ही किया था, ज़िन्दगी में..! खोने के लिए..
बस इक उधार सी ज़िन्दगी जी रहा था..
तेरी यादों का कर्ज़ लिए..
माफ़ करना तेरी यादों को हम यूँ ही बुला लेते हैं जिससे कि यह साँसें चल सकें..
शायद! तू भूल गयी जो इक रोज़ तूने कहा था कि जब ज़िन्दगी वीरानियों के दौर से गुज़रने लगे..
तो....!
तो मुझे याद कर लेना..!
माफ़ करना आज फिर तुझे उतना ही याद किया,
उतना ही तेरा नाम लिया..
जितना हर पल, हर घड़ी, हर वक़्त मैं तुझे याद किया करता था...
तुझे याद है ना..!
जब आसमान में कोई तारा टूटता था तू जल्दी से आँखें बंद करके दुआ मांगती थी और मुझे भी ऐसा करने को कहती थी...
पर माफ़ जरूर करना आज मैंने टूटते तारे को देखकर कोई दुआ नहीं माँगी...
क्यूँकि आज मैं तन्हा था!
वही खुला आसमान,
वही चमकते सितारे और वही मैं था..
पर तुम नहीं थी....!
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लेखकः हैदर अली ख़ान
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#ग़ज़ल✍️✍️✍️
तेरी गोद में सर रखकर सो जाऊँ कभी
यूँ तेरी बाहों में खो जाऊँ कभी
यह आरज़ू, यह तमन्ना दिल में लिए फिरता हूँ,
तू मेरी, मैं तेरा हो जाऊँ कभी
तेरे आने का इंतजार हर रोज़ किया करता हूँ,
तू आये तो घर अपना सजाऊँ कभी
तू आँख बंद कर कोई दुआ माँग लेना,
मैं सितारा बन आसमां में जो टूट जाऊँ कभी
चराग़-ए-मुहब्बत अपने दिल में रोशन रखना,
बहा लेना दो आँसू, जो बुझ जाऊँ कभी
उनको देखे जैसे ज़माने हो गए,
दिखा देना अपनी सूरत गर मर जाऊँ कभी..
तेरी गोद में सर रखकर सो जाऊँ कभी....
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लेखकः हैदर अली ख़ान
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#ग़ज़ल
ख़ुदा महफूज़ रखे उसको बलाओं से,
ख़ुशियाँ आँगन में आएं उसके हवाओं से..
तेरी हर ख़ता को जा मैंने माफ़ किया,
माफ़ करना तू ऐ! ख़ुदा उसको खताओं से..
आज वह यक़ीनन किसी और का हो जाएगा,
माँगा था जिसको मैंने दुआओं से..
वह शम्मां जो हमने मिलकर साथ जलाई थी,
बुझ गया वह चराग़ ज़ालिम हवाओं से..
बिछड़कर वह जोड़ा इतना टूट कर रोया,
उजड़ गया हो पेड़ जैसे अपनी शाखाओं से...
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#लेखकः हैदर अली ख़ान
#आख़िरी सवाल...
वह पूछ रही थी सुनो! यह #बिछड़ना क्या होता है??
मैं चुप हो गया..दिल बेजान सा हो गया..
क्योंकि यह शब्द मेरे शब्दकोष में नहीं था..!!
उसने फिर पूछा बताओ भी! यह #बिछड़ना क्या होता है??
मैंने कहा दो दिलों की #मौत..
उसने यह सुनकर अपना हाथ मेरे मुँह पर रख दिया..
और आँख भरकर बोली दोबारा यह मत बोलना..
फिर बोली अच्छा सुनो! यह #प्यार क्या होता है??
मैंने कहा जो तुमने अपना हाथ मेरे होठों पर रखकर मुझको बोलने ना दिया यह #प्यार होता है..
बोली अच्छा..खुश हो गयी थी..!!
फिर कुछ सोंचकर बोली! बस आख़िरी सवाल...
यह #इश्क़ क्या होता है??
मैंने कहा सोंणिए यह तुम जो इतने सवाल करती हो यही #इश्क़ होता है...♥️
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#लेखकः हैदर अली ख़ान
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