गुमशुदा की तलाश - 15 Ashish Kumar Trivedi द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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गुमशुदा की तलाश - 15


गुमशुदा की तलाश
(15)


कहानी सुनाते हुए रसिक चुप हो गया। सब इंस्पेक्टर नीता सैनी ने पूँछा।
"वह आजकल कहाँ है ?"
"मैडम नौकरी छूटने के बाद कई दिनों तक वह दूसरी जगहों पर कोशिश करता रहा। पर मालिक ने उसके बारे में खबर उड़ा दी थी। उसे कहीं काम नहीं मिला। हार कर वह गांव लौट गया।"
"तो अब वह गांव में है।"
"जी मैडम वहीं होगा। वैसे मैडम मुझे लगा था कि वह दिल का बुरा नहीं है। लेकिन मजबूरी कुछ भी करा सकती है। इसलिए पूँछ रहा था कि क्या उससे फिर कोई गलती हो गई।"
"दरअसल उसने जो सिम कार्ड खरीदा था वह एक केस में प्रयोग हो रहा था। इसलिए उसे ढूंढ़ रहे थे।"
यह सुन कर रसिक बोला।
"हाँ मैडम याद आया। उसके जाने के कुछ दिनों के बाद मैंने उसका हालचाल लेने के इरादे से उसे फोन किया था। पर दूसरी तरफ से कोई लड़की बोल रही थी। पहले मुझे लगा कि रांग नंबर लग गया। दोबारा भी उसी लड़की ने उठाया। मैंने नंबर बता कर कहा कि यह मेरे दोस्त का नंबर है तो डांटने लगी। फिर मैंने कभी फोन नहीं किया।"
"उस लड़की ने अपना नाम बताया था।"
"नहीं मैडम....बस ज़ोर से डांट दिया।"
सब इंस्पेक्टर नीता को अब रसिक से कुछ और नहीं पूँछना था। रसिक के जाने के बाद वह पुलिस स्टेशन लौट आई।

सब इंस्पेक्टर नीता के साथ ही सरवर खान ने भी पुलिस स्टेशन में प्रवेश किया। वह इंस्पेक्टर सुखबीर के साथ केस के बारे में बात करने आए थे। इंस्पेक्टर सुखबीर से हाथ मिलाने के बाद वह कुर्सी पर चुपचाप बैठ गए। सब इंस्पेक्टर नीता ने जो जानकारी जुटाई थी वह बता दी। इंस्पेक्टर सुखबीर ने कहा।
"तो उमाकांत का नंबर एक लड़की के पास था। वो लड़की कौन है ? यह नंबर उसके पास कैसे पहुँचा। अब इन सवालों के जवाब तलाशने होंगे।"
सब इंस्पेक्टर नीता ने कहा।
"हाँ सर....उसके लिए हमें उमाकांत के गांव जाना होगा। वह नंदू के गांव का है। मैं उससे पता पूँछ लूँगी।"
"ठीक है नीता तुम कल ही दो कांस्टेबल लेकर उसके गांव के लिए निकल जाओ।"
सरवर खान उन लोगों की बातें सुन रहे थे। वह बोले।
"अगर यह पता चल जाए कि वह नंबर किस लड़की के पास था तो केस आगे बढ़ाने में बहुत मदद मिलेगी। मैं भी चलता। पर मेरे सहायक रंजन के पिता का देहांत हो गया। अभी मैं केस को अकेले देख रहा हूँ। मुझे यहाँ ईगल क्लब में जाकर कुछ पड़ताल करनी है।"
ईगल क्लब का नाम सुन कर इंस्पेक्टर सुखबीर और सब इंस्पेक्टर नीता दोनों ही चौंक गए। इंस्पेक्टर सुखबीर ने कहा।
"ईगल क्लब का इस केस से क्या संबंध है ?"
"दरअसल बिपिन के केस के बारे में कुछ बातें पता चली हैं। मैं उनके बारे में बात करने ही आया था।"
सरवर खान ने अब तक जो भी पड़ताल की थी उसके बारे में सब बता दिया।
"बिपिन को सफेद स्कोडा कार में रॉकी के साथ देखा गया था। वह इस ईगल क्लब का मालिक है। उस सीसीटीवी फुटेज में जो कार थी उस पर बाज़ जैसा ही स्टिकर चिपका था।"
सब इंस्पेक्टर नीता ने आगाह करते हुए कहा।
"सरवर जी मुझे लगता है कि आपका अकेले वहाँ जाना ठीक नहीं है। वह खतरनाक जगह है।"
सब इंस्पेक्टर नीता की बात का समर्थन करते हुए इंस्पेक्टर सुखबीर ने कहा।
"नीता इज़ राइट.....बट डोंट वरी....मैं सब इंस्पेक्टर राशिद को आपके साथ सादी वर्दी में भेज दूँगा।"
सरवर खान ने उनका धन्यवाद करते हुए कहा।
"सो नाइस ऑफ यू इंस्पेक्टर सुखबीर.... बट आई कैन मैनेज अलोन।"
सब इंस्पेक्टर नीता ने तुरंत इसका विरोध किया।
"नहीं सरवर जी....इट्स रियली डेंजरस...आपको हमारी बात माननी पड़ेगी।"
"ओके....तो आप आज रात सब इंस्पेक्टर राशिद को मेरे साथ भेज दीजिएगा।"
"ठीक है सरवर जी मैं अभी सब इंस्पेक्टर राशिद को बुला कर उससे आपकी भेंट करा देता हूँ।"
इंस्पेक्टर सुखबीर ने सब इंस्पेक्टर राशिद को फोन कर बुला लिया। सब इंस्पेक्टर नीता ने कहा।
"सर मैं चलती हूँ। नंदू से उसके गांव का पता पूँछ कर कल सुबह जल्दी निकलने की कोशिश करूँगी।"
कुछ ही देर में सब इंस्पेक्टर राशिद पुलिस स्टेशन पहुँच गया। इंस्पेक्टर सुखबीर ने सरवर खान का परिचय देने के बाद कहा।
"राशिद सरवर जी अपने केस के सिलसिले में आज रात ईगल क्लब जाएंगे। तुम्हें सादे कपड़ों में इनके साथ रहना होगा। पर खयाल रहे। तुम्हारे रहते इन्हें कोई खतरा नहीं होना चाहिए।"
"डोंट वरी सर....मैं पूरा खयाल रखूँगा।"
सब इंस्पेक्टर राशिद ने इंस्पेक्टर सुखबीर को तसल्ली दी। उसके बाद सरवर खान से बोला।
"बताइए रात में कितने बजे ईगल क्लब चलना है।"
"दस बजे के बाद। सुना है देर रात ही ऐसे क्लब असली रंग में आते हैं। मैं तुम्हें पुलिस स्टेशन से पिक कर लूँगा।"
"ठीक है सर। मैं इंतज़ार करूँगा।"

ईगल क्लब में समय सीमा समाप्त होने के बाद भी लाउड म्यूज़िक पर जवान लड़के लड़कियां थिरक रहे थे।
सरवर खान और सब इंस्पेक्टर राशिद थोड़े समय के अंतर से अलग अलग क्लब में दाखिल हुए थे। ताकि किसी को उनके साथ होने का शक ना हो। लेकिन दोनों एक दूसरे से संपर्क बनाए हुए थे।
सरवर खान की निगाहें पूरे माहौल को परख रही थीं। कहीं भी उन्हें ऐसा कुछ भी नहीं दिख रहा था जो किसी तरह का शक पैदा करे। सिवा इसके कि समय सीमा समाप्त होने के बाद भी तेज़ संगीत बज रहा था। वहाँ कुछ भी ऐसा नहीं था जिसे गैरकानूनी कहा जा सके। उनकी नज़रें रॉकी को तलाश रही थीं। लेकिन वह कहीं नहीं दिख रहा था।
सब इंस्पेक्टर राशिद भी अपनी पैनी नज़रों से इधर उधर देख रहा था। वह उस नाच गाने के पर्दे के पीछे छिपे उस घोटाले को पकड़ने की कोशिश कर रहा था। इसलिए वह अपने इर्द गिर्द के लोगों की गतिविधियों को बड़े ध्यान से देख रहा था।
उसने गौर किया था कि डांस करने वालों में कुछ लोग बारी बारी से क्लब के भीतरी हिस्से में जा रहे हैं। वह भी सावधानी बरतते हुए क्लब के उस हिस्से में घुस गया। यह एक पैसेज था। इसमें मद्धम रौशनी थी। वह सधे कदमों से पैसेज में आगे बढ़ने लगा। कुछ आगे जाने पर सीढ़ियां थीं। वह सीढ़ियों से नीचे उतर गया।
नीचे एक दरवाज़ा था। दरवाज़े के निचले हिस्से में जो सांस थी उससे लाल रंग की रौशनी निकलती दिख रही थी। सब इंस्पेक्टर राशिद इस फिराक में था कि वह उस कमरे के भीतर झांक कर देख सके। पर उसका कोई ज़रिया नहीं था।
तभी सब इंस्पेक्टर राशिद को कदमों की आहट सुनाई पड़ी। उसने इधर उधर देखा। पास ही ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां थीं। वह सीढ़ी के नीचे छिप गया।
उसने देखा कि एक लड़की उस कमरे के दरवाज़े पर आई। उसने तीन बार दस्तक दी। दरवाज़ा खुलने पर एक आदमी ने उसकी गर्दन के बाएं हिस्से में कुछ देखा। उसके बाद वह लड़की अंदर चली गई।
सब इंस्पेक्टर राशिद समझ गया कि नशे का खेल इसी कमरे में होता है। उसका ध्यान ऊपर जाती सीढ़ियों पर गया। क्या जिस रॉकी की तलाश में वह और सरवर खान यहाँ आए हैं ऊपर मिलेगा। सब इंस्पेक्टर राशिद सीढ़ियां चढ़ कर ऊपर पहुँचा।
ऊपर भी एक पैसेज था जिसके अंत में एक कमरा दिख रहा था। वह उसके दरवाज़े की तरफ बढ़ गया। अंदर से आती आनाज़ों से लग रहा था कि भीतर कुछ लोग बात कर रहे हैं।
तभी किसी ने तेज़ आवाज़ में कहा।
"तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?"
दो लोग पैनी नज़रों से उसे घूर रहे थे। पर सब इंस्पेक्टर राशिद भी कई बार अपने आप को ऐसी परिस्थितियों से निकाल चुका था। बिना घबराए पूरे आत्मविश्वास के साथ बोला।
"मेरा नाम स्टुअर्ट है। गोवा से आया हूँ। वो मेरे एक दोस्त ने बताया था कि यहाँ बहुत अच्छा माल मिलता है।"
"अच्छा तो तुम्हारे दोस्त ने भेजा है। उसने यहाँ आने का तरीका नहीं बताया तुम्हें।"
दूसरा आदमी जो अब तक शांत खड़ा था आगे बढ़ कर बोला।
"टोकन दिखाओ...."
कह कर उसने सब इंस्पेक्टर राशिद की गर्दन पकड़ कर बाएं हिस्से में देखा।
"झूठ बोल रहा है यह। इसकी गर्दन पर वो टैटू नहीं है।"
पहले वाले ने गन निकाल कर उसके माथे के बीचोंबीच लगा कर कहा।
"सच बोल कौन है तू....यहाँ क्या कर रहा है ?"
"सच कह रहा हूँ। मैं माल लेने के लिए ही यहाँ आया था।"
"माल लेने ऊपर क्यों आ गया ? वह तो नीचे मिलता है।"
"वो मैं कनफ्यूज़ था।"
दूसरे आदमी ने दरवाज़ा खटखटाया। दरवाज़ा खुलने पर गन ताने हुए आदमी ने सब इंस्पेक्टर राशिद को कमरे के भीतर धकेल दिया। दोनों आदमी भी कमरे में घुस गए। दरवाज़ा फिर बंद हो गया।
सब इंस्पेक्टर राशिद लड़खड़ाते हुए एक शख्स के सामने जाकर गिरा। उसके कान में बाली थी। आगे के बालों का एक गुच्छा गोल्डन था। वह रॉकी था।
"ये कौन है ??"
रॉकी ने सब इंस्पेक्टर राशिद के बाल पकड़ कर उसका सर ऊपर उठाते हुए कहा।
"बॉस ये आदमी खूफियापंथी कर रहा था।"
रॉकी ने सब इंस्पेक्टर राशिद को घूर कर देखा। पर उसने बिना डरे फिर वही बात दोहराई।
"मैं गोवा से आया हूँ। मुझे माल चाहिए था।"
रॉकी ने उसे ज़ोरदार तमाचा लगा दिया।

सरवर खान सब इंस्पेक्टर राशिद को ढूंढ़ रहे थे। कुछ देर पहले तो उन्हें सब इंस्पेक्टर राशिद दिखाई पड़ा था। लेकिन अब कहीं नज़र नहीं आ रहा था। कोई बीस मिनट पहले उसने मैसेज किया था।
'चिड़िया अभी तक दिखी नहीं। बाकी सब ठीक है।'
पहले उन्होंने सोंचा कि उसे फोन करें। पर तभी उनके जासूसी दिमाग ने चेतावनी दी कि हो सकता है कि वह किसी मुसीबत में हो। फोन करना उसकी मुश्किल बढ़ा सकता है।
सरवर खान खुद सब इंस्पेक्टर राशिद को खोजने लगे। खोजते हुए वह भी उसी पैसेज में आ गए।