सोने कि अंगूठी (21) 1.2k 2.3k 2 सुनो सोने कि अंगूठी “छत्ते का छत्ता होगया आप के सर पर मेरी समझ में नहीं आता कि बाल न कटवाना कहाँ का फ़ैशन है ” “फ़ैशन वेशन कुछ नहीं तुम्हें अगर बाल कटवाने पड़ें तो क़दर-ए-आफ़ियत मालूम हो जाये ” “”मैं क्यों बाल कटवाऊँ” “क्या औरतें कटवाती नहीं हज़ारों बल्कि लाखों ऐसी मौजूद हैं जो अपने बाल कटवाती हैं बल्कि अब तो ये फ़ैशन भी चल निकला है कि औरतें मर्दों की तरह छोटे छोटे बाल रखती हैं ” “लानत है उन पर ” “किस की ” “ख़ुदा की और किस की बाल तो औरत की ज़ीनत हैं समझ में नहीं आता कि ये औरतें क्यों अपने बाल मर्दों की मानिंद बनवा लेती हैं, फिर पतलूनें पहनती हैं न रहे इन का वजूद दुनिया के तख़्ते पर ” “वजूद तो ख़ैर आप की इस बद-दुआ से उन नेक-बख़्त औरतों का दुनिया के इस तख़्ते से किसी हालत में भी ग़ायब नहीं होगा वैसे एक चीज़ से मुझे तुम से कुल्ली इत्तिफ़ाक़ है कि औरत को पतलून जिसे सलेकस कहते हैं नहीं पहननी चाहिए और सिगरेट भी न पीने चाहिऐं” “और आप हैं कि दिन में पूरा एक डिब्बा फूंक डालते हैं ” “इस लिए कि मैं मर्द हूँ मुझे इस की इजाज़त है” “किस ने दी थी ये इजाज़त आप को मैं अब आइन्दा से हर रोज़ सिर्फ़ एक डिबिया मंगा कर दिया करूंगी ” “और वो जो तुम्हारी सहेलियां आती हैं उन को सिगरेट कहाँ से मिलेंगे?” “वो कब पीती हैं ” “इतना सफ़ैद झूट न बोला करो उन में से जब भी कोई आती है तुम मेरा सिगरेट का डिब्बा उठा कर अंदर ले जाती हो साथ ही माचिस भी आख़िर मुझे आवाज़ दे कर तुम्हें बुलाना पड़ता है और मेरा डिब्बा मुझे वापिस मिलता है उस में से पाँच छः सिगरेट ग़ायब होते हैं ” “पाँच छः सिगरेट झूट तो आप बोल रहे हैं वो तो बेचारियाँ मुश्किल से एक सिगरेट पीती हैं ” “एक सिगरेट पीने में उन्हें मुश्किल क्या महसूस होती है।” “मैं आप से ब हस करना नहीं चाहती आप को तो और कोई काम ही नहीं, सिवाए बहस करने के ” “हज़ारों काम हैं तुम कौन से हल चलाती हो सारा दिन पड़ी सोई रहती हो।” “जी हाँ आप तो चौबीस घुटने जागते और वज़ीफ़ा करते रहते हैं ” “वज़ीफ़े की बात ग़लत है अलबत्ता मैं ये कह सकता हूँ कि मैं सिर्फ़ रात को छः घंटे सोता हूँ ” “और दिन को ” “कभी नहीं बस आँखें बंद कर के तीन चार घंटे लेटा रहता हूँ कि इस से आदमी को बहुत आराम मिलता है सारी थकन दूर हो जाती है।” “ये थकन कहाँ से पैदा होती है आप कौन सी मज़दूरी करते हैं ” “मज़दूरी ही तो करता हूँ सुबह सवेरे उठता हूँ अख़बार पढ़ता हूँ एक नहीं सुपर फिर नाश्ता करता हूँ नहाता हूँ और फिर तुम्हारी रोज़मर्रा की चख़ चख़ के लिए तैय्यार हो जाता हूँ ” “ये मज़दूरी हुई और आप ये तो बताईए कि रोज़मर्रा की चख़ चख़ का इल्ज़ाम कहाँ तक दरुस्त है ” “जहां तक उसे होना चाहिए शुरू शुरू में मेरा मतलब शादी के बाद दो बरस तक बड़े सुकून में ज़िंदगी गुज़र रही थी लेकिन फिर एक दम तुम पर कोई ऐसा दौरा पड़ा कि तुम ने हर रोज़ मुझ से लड़ना झगड़ना अपना मामूल बना लिया पता नहीं उस की वजह क्या है ” “वजह ही तो मर्दों की समझ से हमेशा बाला-तर रहती है आप लोग समझने की कोशिश ही नहीं करते ” “मगर तुम समझने की मोहलत भी दो हर रोज़ किसी न किसी बात का शोशा छोड़ देती हो भला आज क्या बात थी जिस पर तुम ने इतना चीख़ना चलाने शुरू कर दिया” “गोया ये कोई बात ही नहीं कि आप ने पिछले छः महीनों से बाल नहीं कटवाए! अपनी उचकनों के कालर देखिए मैले चीकट हो रहे हैं ” “ड्राई कलीन करा लूं ” “पहले अपना सर ड्राई कलीन कराए वहशत होती है अल्लाह क़सम आप के बालों को देख कर जी चाहता है मिट्टी का तेल डाल कर उन को आग लगा दूं ” “ताकि मेरा ख़ातमा ही हो जाये लेकिन मुझे तुम्हारी इस ख़्वाहिश पर कोई भी एतराज़ नहीं लाओ बावर्ची-ख़ाने से मिट्टी के तेल की बोतल आहिस्ता आहिस्ता मेरे सर में डालो और माचिस की तीली जला कर उस को आग दिखा दो ख़स कम जहां पाक ” “ये काम आप ख़ुद ही कीजीए मैंने आग लगाई तो आप यक़ीनन कहेंगे कि तुम्हें किसी काम का सलीक़ा नहीं ” “ये तो हक़ीक़त है कि तुम्हें किसी बात का सलीक़ा नहीं खाना पकाना नहीं जानती, सीना पिरोना तुम्हें नहीं आता घर की सफ़ाई भी तुम अच्छी तरह नहीं कर सकतीं, बच्चों की परवरिश है तो उस का तो अल्लाह ही हाफ़िज़ है ” “जी हाँ बच्चों की परवरिश तो अब तक माशा अल्लाह, आप ही करते आए हैं, मैं तो बिलकुल ही निकम्मी हूँ ” “मैं इस मुआमले में कुछ और नहीं कहना चाहता तुम ख़ुदा के लिए इस बहस को बंद करो” “मैं बहस कहाँ कर रही हूँ आप तो मामूली बातों को बहस का नाम दे देते हैं” “तुम्हारे नज़दीक ये मामूली बातें होंगी! तुम ने मेरा दिमाग़ चाट लिया है मेरे सर पर हमेशा इतने ही बाल रहे हैं और तुम अच्छी तरह जानती हो कि मुझे इतनी फ़ुर्सत नसीब नहीं होती कि हज्जाम के पास जाऊं ” “जी हाँ आप को अपनी अय्याशियों से फ़ुर्सत ही कहाँ मिलती है ” “किन अय्याशियों से ” “आप काम क्या करते हैं कहाँ मुलाज़िम हैं क्या तनख़्वाह पाते हैं। आप को तो हर वो काम बहुत बड़ी लानत मालूम होता है जिस में आप को मेहनत मशक़्क़त करनी पड़े।” “मैं क्या मेहनत मशक़्क़त नहीं करता अभी पिछले दिनों ईंटें स्पलाई करने का मैंने जो ठेका लिया था, जानती हो मैंने दिन रात एक कर दिया था।” “गधे काम कर रहे थे। आप तो सोते रहे होंगे।” “गधहों का ज़माना गया लारियां काम कर रही थीं और मुझे उन की निगरानी करना पड़ती थी दस करोड़ ईंटों का ठेका था मुझे सारी रात जागना पड़ता था ” “मैं मान ही नहीं सकती कि आप एक रात भी जाग सकें ” “अब इस का क्या ईलाज है कि तुम ने मेरे मुतअल्लिक़ ऐसी ग़लत राय क़ायम करली है और मैं जानता हूँ कि तुम हज़ार सबूत देने पर भी मुझ पर यक़ीन नहीं करोगी ” “मेरा यक़ीन आप पर से अर्सा हुआ उठ गया है। आप परलय दर्जे के झूटे हैं।” “बुहतान तराशी में तुम्हारी हम-पल्ला और कोई औरत नहीं हो सकती मैंने अपनी ज़िंदगी में कभी झूट नहीं बोला ” “ठहरिए परसों आप ने मुझ से कहा कि आप किसी दोस्त के हाँ गए थे लेकिन जब शाम को आप ने थोड़ी सी पी तो चहक चहक कर मुझे बताया कि आप एक एक्ट्रेस से मिल कर आए हैं ” “वो एक्ट्रेस भी तो अपनी दोस्त है दुश्मन तो नहीं मेरा मतलब है अपने एक दोस्त की बीवी है ” “आप के दोस्तों की बीवियां उमूमन या तो एक्ट्रेस होती हैं, या तवाइफ़ें” “इस में मेरा क्या क़ुसूर ” “क़ुसूर तो मेरा है ” “वो कैसे ” “ऐसे कि मैंने आप से शादी कर ली में एक्ट्रेस हूँ न तवाइफ़ ” “मुझे एक्ट्रेसों और तवाइफ़ों से सख़्त नफ़रत है मुझे उन से कोई दिलचस्पी नहीं वो औरतें नहीं सलेटें हैं जिन पर कोई भी चंद हुरूफ़ या लंबी चौड़ी इबारत लिख कर मिटा सकता है ” “तो उस रोज़ आप क्यों इस एक्ट्रेस के पास गए ” “मेरे दोस्त ने बुलाया मैं चला गया उस ने एक एक्ट्रेस से जो पहले चार शादियां कर चुकी थी, नया नया ब्याह रचाया था मुझे इस से मुतआरिफ़ कराया गया।” “चार शादियों के बाद भी वो ख़ासी जवान दिखाई देती थी बल्कि मैं तो ये कहूंगा कि वो आम कुंवारी जवान लड़कियों के मुक़ाबले में हर लिहाज़ से अच्छी थी।” “वो एक्ट्रेसें किस तरह ख़ुद को चुस्त और जवान रखती हैं।” “मुझे इस के मुतअल्लिक़ कोई ज़्यादा इल्म नहीं बस इतना सुना है कि वो अपने जिस्म और जान की हिफ़ाज़त करती हैं ” “मैंने तो सुना है कि बड़ी बद-किर्दार होती हैं अव्वल दर्जे की फ़ाहिशा ” “अल्लाह बेहतर जानता है मुझे इस के बारे में कोई इल्म नहीं।” “आप ऐसी बातों का जवाब हमेशा गोल कर जाते हैं ” “जब मुझे किसी ख़ास चीज़ के मुतअल्लिक़ कुछ इलम ही ना हो तो मैं जवाब क्या दूं मैं तुम्हारे मिज़ाज के मुतअल्लिक़ भी वसूक़ से कुछ नहीं कह सकता घड़ी में तौला घड़ी में माशा।” “देखिए! आप मेरे मुतअल्लिक़ कुछ न कहा कीजिए आप हमेशा मेरी बे-इज़्ज़ती करते रहते हैं मैं ये बर्दाश्त नहीं कर सकती ” “मैंने तुम्हारी बे-इज़्ज़ती कब की है।” “ये बे-इज़्ज़ती नहीं कि पंद्रह बरसों में आप मेरा मिज़ाज नहीं जान सके। इस का मतलब ये हुआ कि में मख़्बत-उल-हवास हूँ । नीम पागल हूँ, जाहिल हूँ उजड्ड हूँ।” “ये तो ख़ैर तुम नहीं लेकिन तुम्हें समझना बहुत मुश्किल है। अभी तक मेरी समझ में नहीं आया कि तुम ने मेरे बालों की बात किस ग़र्ज़ से शुरू की इस लिए कि जब भी तुम कोई बात शुरू करती हो उस के पीछे कोई ख़ास बात ज़रूर होती है ” “ख़ास बात क्या होगी बस आप से सिर्फ़ यही कहना था कि बाल इतने बढ़ गए हैं, कटवा दीजिए हज्जाम की दुकान यहां से कितनी दूर है, ज़्यादा से ज़्यादा दो सौ गज़ के फ़ासले पर होगी जाईए मैं पानी गर्म करती हूँ।” “जाता हूँ ज़रा एक सिगरेट पी लूं।” “सिगरेट विगरीट आप नहीं पियेंगे लीजिए अब तक ठहरिए मैं डिब्बा देख लूं मेरे अल्लाह बीस सिगरेट फूंक चुके हैं आप बीस ” “ये तो कुछ ज़्यादा न हुए बारह बजने वाले हैं ” “ज़्यादा बातें मत कीजिए सीधे हज्जाम के पास जाईए और ये अपने सर का बोझ उतरवाएँ ” “जाता हूँ कोई और काम हो तो बता दो ” “मेरा कोई काम नहीं आप इस बहाने से मुझे टालना चाहते हैं।” “अच्छा तो मैं चला ” “ठहरिए ” “ठहर गया फ़रमाईए ” “आप के बटवे में कितने रुपय होंगे।” “पाँच सौ के क़रीब ” “तो यूं कीजिए बाल कटवाने से पहले अनार कली से सोने की एक अँगूठी ले आईए आज मेरी एक सहेली की सालगिरा है दो ढाई सौ रुपय की हो ” “मेरी तो वहीं अनार कली ही में हजामत हो जाएगी मैं जाता हूँ ” *** ‹ पिछला प्रकरण साढ़े तीन आने › अगला प्रकरण सौ कैंडल पॉवर का बल्ब Download Our App रेट व् टिपण्णी करें टिपण्णी भेजें Jayesh 1 साल पहले Laiba Hasan 2 महीना पहले Mustaq Ahmad 4 महीना पहले Ram Singh 5 महीना पहले Pradip Prajapati 8 महीना पहले अन्य रसप्रद विकल्प लघुकथा आध्यात्मिक कथा उपन्यास प्रकरण प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान કંઈપણ Saadat Hasan Manto फॉलो उपन्यास Saadat Hasan Manto द्वारा हिंदी लघुकथा कुल प्रकरण : 33 शेयर करे आपको पसंद आएंगी नया क़ानून द्वारा Saadat Hasan Manto नया साल द्वारा Saadat Hasan Manto नवाब सलीमुल्लाह ख़ान द्वारा Saadat Hasan Manto ना मुकम्मल तहरीर द्वारा Saadat Hasan Manto नारा द्वारा Saadat Hasan Manto निक्की द्वारा Saadat Hasan Manto नुत्फ़ा द्वारा Saadat Hasan Manto पढ़े कलिमा द्वारा Saadat Hasan Manto परी द्वारा Saadat Hasan Manto परेशानी का सबब द्वारा Saadat Hasan Manto