Jin ki Mohbbat - 18 books and stories free download online pdf in Hindi

जिन की मोहब्बत... - 18

शान - नहीं तो में तो तारे गिन रहा था ,अकेला बोर हो रहा था । तुम्हे मेरे लिए टाइम ही नहीं होता है जो तारो से बाते करता हुं ।
ज़ीनत शान के प्यार को अनदेखा भी नहीं कर सकती थी ! वो उसे इतनी मोहब्बत करता था ।
ज़ीनत उसकी मोहब्बत पे कैसे शक करती ? फिर भी उसे आदिल से मिलने की जिद्द थी..! अब आगे ।

भाग 18

ज़ीनत ने शान से कहा l
मुझे अब्बू के घर जाना है, आप इजाज़त दे तो अब्बू से मिलने जा सकती हूं ।
शान ने कहा l
"यहां अम्मी को कोन देखेगा तुम जाओगी तो ज़ीनत अरे बाबा मुझे कुछ देर में लोट आना है ।
शान ने - ठीक है ! चली जाओ, लेकिन ज़्यादा देर नहीं करना, में तुम्हारे बिना देर तक नहीं रेह सकता ।
ज़ीनत शान की मोहब्बत भरी बाते सुन कर एक पल को खुद को ग़लत समझने लगती थी ।
ज़ीनत को इतनी मोहब्बत करने वाले शान पे शक करना ज़ीनत की गलती तो नहीं थी...?
ज़ीनत इसी कशमकश में थी ऐसा ना हो कि में शान को या उसकी मोहब्बत को खो ना दू ।
डर भी था दिल में ओर कुछ सवाल भी जिसे आदिल के सिवा कोई और सुलझा नहीं सकता था ।
पूरी रात यहीं सोच में गुजरती रही की मुझे आदिल से मिलने जाना चाहिए या नहीं..?
जैसे भी सुबह हो गई ज़ीनत ने अपने काम से फारिग होकर अब्बू के घर जाने की तैयारी की ।
शान को ओर अम्मी को बोल कर वो घर से निकली ! जाने के लिए वो आदिल के घर गई लेकिन आदिल उस वक़्त घर पर नहीं था ।
ज़ीनत अपने अब्बू के घर गई ! सब से मिली ओर नूरी के पास आई l और नूरी को कुछ बाते बताई शान के बारे में ।
जैसे की उसके ऑफिस ना जाना l हमेशा ज़ीनत के आसपास ही रहना l उसे देख आदिल का चुप कर भाग जाना ।
इसे बाते जो ज़ीनत के समझ से बाहर थी l नूरी को बताते हुए कहा फूप्पी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है ।
तभी नूरी ने ज़ीनत के हाथ को छू कर देखा ओर कहा l
" ज़ीनत तेरे हाथ का ताबीज़ कहा है ?"
ज़ीनत मुझे पता नहीं वो तो कब से मेरे हाथ पर नहीं है!"
" तेरे हाथ का ताबीज़ ना जाने कहा चला गया और तुझे पता भी नहीं है ।"
घर में रूम में बेड पर कहीं मिला नहीं ! कभी भी नहीं मिला! ओर मुझे उसका कोई होश भी नहीं था ।
तभी नूरी ने कहाl
देख ज़ीनत में तुझे आज एक बात बताने वाली हूं l उसे ठीक से सुनना ओर घबराना नहीं ।
लेकिन ज़रा ख्याल रखना अपना ! तूने मुझे जो भी बोला ये सब जान कर तुझे ये बात जानना ज़रूरी है ।
आखिर ऐसी क्या बात है फूप्पी...?
ज़ीनत जब तेरी शादी की बात पक्की हुई थीं तब से तेरे साथ कुछ अजीब चीज़े होना शुरू होई थी ।
जैसे तेरा घर से गायब होना किसी चीज को देख कर डर जाना, ओर बैठे बैठे काम करते हुए बेहोश होना।
ये सब बाते तुझे होश में आने के बाद याद नहीं रहती थी, तब हमने एक पीर साहब को तुझे दिखया था ।
तुझे ये तो याद होगा पीर साहब के पास तुझे लेकर गए थे ?
" हा मुझे याद है लेकिन अब्बू ने मुझे कुछ नहीं बोला था ।"
"हा हमने लोगो ने तुम्हे ये सब बात नहीं बोला था!
हमे लगा पीर साहब के ताबीज़ से ओर तेरी शादी होने से सब ठीक हो जाएगा ।
लेकिन आज तेरी बाते सुन कर मुझे लगा तुझे ये सब जान लेना सही होगा ।
तेरे साथ जो भी कुछ हो रहा था वो कोई छोटी बात नहीं थी , क्यूकी पीर साहब ने बताया कि
ज़ीनत की हालत के पीछे एक जिन्नात है , जो ज़ीनत को बच्चपन से बेइंतेहा मोहब्बत करता है ।
वो ज़ीनत को अपना बनाने के लिए कुछ भी कर सकता है ,किसी भी हद तक जा सकता है ।
ओर तुझे पता है तेरी सहेली सबा के होने वाले पति का आज तक कुछ पता नहीं है ।
लेकिन उस गाड़ी वाला जो सबा के पति को लेकर गया था यहां से गाड़ी में ।
कुछ दिन पहले वो खेतो में पागलों जैसे हालात में मिला उसके ज़ुबान पे एक बात थी ।
उसने ज़ीनत को छू लिया था वो जिन्नात उसे नहीं छोड़ेगा सबने उसे पागल बोल कर भगा दिया वहां से ।

क्रमश:

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