जलवे ..
जुल्फ है या कोई घना कोहरा ..
घटाए शायद दे रही है पेहेरा ..
आखोमे छुपे है “मंजर”कई.सारे
मस्तीके दिखते है हसीन नजारे .
चेहेरेकी “रौनकका क्या कहना ..
मुश्कील है .देखकर खुदको सांभालना..
खुदा भी देखो कैसे कैसे “जलवे “बनाता है ..
देखने वालोको बस !!पागल कर देता है !!
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दोस्ती
दोस्ती हमने भी कि थी...दिल लगाकर,
चाहा था निभायेंगे आखिरतक..,
पर र्शायद वक्तकी मर्जी नही है....,
चलो ठीक है...ये ही सही..
अगर याद ही नही आती उन्हे हमारी ..
तो हम क्यों उन्हे अपनी जिंदगीमें शामिल करे..?
अगर उन्हे फुरसत नही हमारे लिये...
तो हम भला क्यों अपना वक्त बरबाद करें....!
कहते है जिंदगी एक रेल है..,
हर कोई अपने अपने मकामपे चढता है....उतरता है..
शायद उनका मकाम आया....वो उतर गये |
नये ओर भी चढते रहेंगे.....
तो गम किस बातका ?????
यही तो फंडा है जिंदगीका यारो !!!
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आदत
एक आदतसी हो गयी है तुमहारी....आजकल.
सुबह हो जाती है..तो तुम्हारेही खयालोमे..
दिनभर बस इंतजार करते है..कब तुमसे बात हो..
शाम होती है तो बस..बेकरार रहते है..कब मुलाकात हो.
फिर रातभर तो नैनोमे तुम्हारेही सपनोका बसेरा रहता है
पहले तो लगता था..जिंदगीसे कितने गीले है..??
अब एक सुकुनसा मिल रहा है दिलको..जबसे तुमसे मिले है..
कहते है आदते आदमीको बिगाड देती है !!
पर तुम्हारी आदतने तो मेरी बिगडी जिंदगी संवार दी है..!!
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एहसान
आज इस कदर उदासी छायी है हर जगह
तेरी बाहोके सिवा ..
नजर आती नही कोई जगह् .
जब पनाहोमे लेती है तु मुझे
हर गम बस” अलविदा” कहता है मुझे
कैसा सुकून मिलता है ..ये मुझे पता नही
इस दुनियाको भूल जाता हु ..
.......................कब मुझे पता नही .
खुदा करे ये साथ युही बना रहे ..
तेरे प्यारका ये “एहसान “.
मुझपे ऐसाही बना रहे ..
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वो .दिन ..
शामकी बेला वो मौसम सुहाना
मेरे बालोमे वो गजरेकी खुशबू
खास सजना ..सवरना वो मेरा
सिर्फ तुम्हारे लिये .
मगर तुमने तो देखाही नही
वो पेहेरो पेहेरो अपना
एक दुसरेके साथ रहना
तुम्हारे लिये कुछ भी कर गुजरनेकी
मेरी तमन्ना .
मगर तुमने तो जाना ही नही
मेरी आखोमे तुम्हारी आरजू
तुम्हारी चाह्की मनमे जुस्तजू
छोटी छोटी बातोमे
तुम्हारा मन रखना
मगर तुमने तो पेहेचाना ही नही
अब सोचती हु .
तो दिलमे कसक सी होती है
तुमने मुझे समझा नही
या मै ही तुम्हे समझ नही पायी .?
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तुम
तुम्हे राहोमे ढून्ढती चली
अब तो राहे भी खत्म हुई है
तुम्हे उजालोमे ढून्ढती चली
अब तो अंधेरे छा गये .
बहारोमे तुम्हे ढून्ढना चाहा
अब तो खिजा ही चली आयी
मेलेमे तुम्हे ढून्ढते ढून्ढते.
मै तो अकेलीही रह गयी
दिलके सारे अरमा सारे सपने
अब तो कुछः भी बाकी नही
मेरे दिलका करार लुटने वाले कहा ..हो तुम ..
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रात ,,
कलकी रात क्या कहु बहोत मदभरी थी
धीमी धीमी रातमे वो मध्दमसा चांद
खुली ह्वामे वो फुलोकी खुशबु
मै खिडकीसे चांद देखकर तुम्हे याद कर रही थी
दिलो दिमाग पर तुम्ही छाए हुवे थे
तुम्हारे ख्वाबोमे कब सहर हुवी कुछ पता ही नही चला
फिर भी दिल यही कह रहा था
तुम साथ होते तो
उस रात को “चार चांद “लग जाते ...!
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...इंतजार ...
............सदियोसे हो रहा है ..रूहोसे रूहोका ...जिस्मोसे जिस्मोका ..
............तरसते हुवे जजबतोका ..!!
....इंतजार ..
.............तुम्हारे आनेका ...बिना बताये ..सब कह देनेका ..
.............दिलकी ख्वाइश ..आखोंमे लानेका ...!!
...इंतजार ..
..............प्यारके इकरारका ..मीलन के वादोमे खोनेका ..
............उन्ही लम्होमे सब सिमट लेनेका .!!!
...इंतजार ..
.............तुम्हारी ..यादोका....
...........बीते हुवे सुहाने .पल ......फिरसे ..लौट आनेका...
..........मगर अब ..शायद...इस जिंदगीके ..खतम ..होनेका ..!!!
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