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खास बात

खासबात

आईने में देखकर वह मन ही मन अपने सौंदर्य को देखकर खुश हो रही थी, खुश क्यों न हो टाईट जिन्स और पिंक कलर कलर टॉप में वह किसी फूल तरह सुंदर लग रही थी| उसके काले घने बाल उसकी खूबसूरती में उस तरह चार चाँद लगा रहे थे, जैसे काले बादलो के बिच सफेद चाँद चमक रहा हो|

इतने में एक आवाज उसके कानो को सुनाई दी,

“बेटा रूही... तैयार हो गई? लड़का बहुत ही सुशिल और खानदान लग रहा है, मल्टीनेशनल कम्पनी में ऊँचे पद पर कम कर रहा है, तुम्हारे साथ बात करना चाहता है, इस बार ना मत कहना|”

“जी मम्मी, तुम मेरी ज्यादा फिक्र मत किया कर|”

रूही और उसकी मम्मी दोनों ड्रोइंग रूम में आए, आरव अपनी माँ के साथ पहले से ही वहाँ बैठा हुआ था| रूही ओर आरव कि आँखे चार हुई, दोनों एक दूसरे के सामने धीरे से मुस्कुराए | मालतीबहनने रूही का परिचय करवाया| औपचारिक बाते होने के बाद दोनो आपस में बातचीत करने के लिए घरवालो की इजाजत लेकर बाहर घूमने निकले |आरव ड्राइविंग कर रहा था, उसके बाजू की सिट में रूही बैठी थी| कुछ पल शांति बनी रही, आरव से रहा न गया, उसने अपना मौन तोड़ते हुए कहा-

“रूहीजी शादी के बारे में आप क्या सोचती हो?”

“जी...”आरव के ऐसे सवाल से रूही थोड़ी उल्जन में पड गई, थोड़ी देर सोचने के बाद बोली,

“मेरे लिए शादी दो व्यकितयो का मिलन है|”

आरवने तुरंत दूसरा सवाल किया,

“पति के रूप में आप कैसे जीवनसाथी की अपेक्षा रखती हो?”

“जी...” थोड़ी देर सोचकर रूहीने जवाब दिया,

“मेरी हर एक इच्छा का ख्याल रखे और मेरी मर्जी के मुताबिक चले|”

रूही की बात सुनकर आरव सोच में पड गया, थोड़ी देर खामोशी छा गई| रूहीने भी आरव भावीपत्नी से क्या अपेक्षा रखता है, ये जानने के लिए पूछा,

“पत्नी के रूप में आप कैसी लडकी की अपेक्षा रखते हो?”

“इसके बारे में मै आप से एक ख़ास बात करना चाहता हूँ|”

“ख़ास बात...?”

“हां, सुनिए रूहीजी, पापा के जाने के बाद मेरी माँ ही मेरे लिए सबकुछ है, मैं अपनी माँ की इच्छा की अवहेलना कभी नही करता, मेरी इच्छा है की मेरी भावी पत्नी भी मेरी माँ का खयाल रखे और उसकी हर इच्छा को पूरी करे|”

यह सुनकर रूही के चहेरे का रंग फीका पड गया, वह खामोश हो गई| रूही की खामोशी देखकर आरव सबकुछ समज गया, फिर भी उसने रूही से पूछा,

“रूहीजी आपने मेरी बात का जवाब नही दिया|”

“आरव हम बहुत दूर निकल गये है, गाडी वापस ले लो, बहुत देर हो गई है|”

आरवने गाडी वापस ले ली|

आरव की मम्मी और रूही की मम्मी दोनों के वापस आने का इन्तजार करते हुए बैठे थे, रूही को उसके घर पर छोड़कर औपचारिकता पूरी करके आरव और उसकी माँ ने वहाँ से बिदाई ली| उनके जाने के बाद रूही का चहेरा देखकर मालतीबहन को लगा की मामला कुछ ठीक नही लग रहा, उसने रूही से पूछा,

“रूही, कैसा लगा आरव का स्वभाव?”

रूही को मौन देखकर मालतीबहनने फिर से पूछा,

“रूही तुमने कुछ जवाब नही दिया|”

“मम्मी आरव एकदम माँ का लाडला है, मै ऐसे माँ के लाडले से शादी नही करुँगी|”

“क्या? माँ का लाडला? कैसी बाते करती हो रूही?”

मालतीबहनने रूही को समजाने की बहुत कोशिश की, लेकिन रूही अपनी बात पर अडी रही| रूही के ऐसे रुख को देखकर मालतीबहनने उसे अपनी मर्जी के मुताबिक़ जीवनसाथी पसंद कर लेने को कह दिया|

कुछ दिनों के बाद अकेलापन दूर करने के लिए रूहीने एक अच्छी कम्पनी में जॉब स्वीकार कर ली| ऑफिस में रूही की मुलाक़ात सूरज के साथ हुई, सूरज की बाते और स्वभाव देखकर रूही उसकी ओर आकर्षित हुई, दोनों का आकर्षण बढने लगा, और बात एक दिन शादी तक आ पहुची, सूरजने ही रूही के समक्ष शादी का प्रस्ताव रखा, रूही को वह सारे गुण सूरज में दिखाई दिए जो वह एक लडके में चाहती थी, मम्मी की सहमती से रूहीने सूरज से शादी कर ली|

शादी के बाद रूही और सूरज घूमने के लिए महाबलेश्वर आए, अपनी पसंद के लडके से शादी होने से रूही बहुत ही खुश नज़र आ रही थी| महाबलेश्वर की पहाडियों की सुंदरता देखने के लिए दोनों सुबह – सुबह टहलने निकल पड़े, एक पहाड़ी पर खुशनुमा हवा की मजा लेते हुए सूरजने रूही से कहा-

“रूहीजी मुझे आपसे एक ख़ास बात कहनी है-

“ख़ास बात!”

रूही को आश्चर्य हुआ, रूही सोच में पड गई, सूरज को एसी कौन सी ख़ास बात कहनी होगी?

“सुनो रूही, मेरी माँ गाँव में रहती है,मेरी इच्छा है की शादी के बाद माँ हमारे साथ ही रहे, मै मेरी माँ को दुनिया की सारी खुशियाँ देना चाहता हूँ|”

“क्या......!” रूही के चहेरे का रंग फीका पड गया, उसकी सारी खुशियाँ पहाडो की खुली हवा में उड़ गई,एक ही पल में वह नि:शब्द हो गई, उसने आँखे बंद कर ली,उसको आरव के साथ हुई वह मुलाकात याद आ गई, आरव की बात उसके दिमाग में गूंजने लगी|

रूही को इस तरह खामोश देखकर सूरजने पूछा,

“क्यों रूही, तुम्हे मेरी बात अच्छी नही लगी?”

“नही, ऐसा नही है|”

रूही के ह्रदय में एक पुकार गूंज उठी, माँ... मेरी भी एक माँ है, शायद मेरे ह्रदय के कही कोने में भी यही इच्छा है की मेरे भाई यश को भी एसी ही लड़की मिले जो मेरी माँ का ख्याल रखे, वैसे भी पिताजी के जाने बाद माँ बहुत अकेलापन महसूस करती है| रूहीने अपने आप को संभालते हुए कहा-

“सूरज, तुम्हारी माँ मेरी भी माँ है, हम यहाँ से सीधा ही माँ को लेने गाँव चलते है|

“क्या.....!”

सूरज को यकीन नही हुआ की रूही इस बात को इतना जल्दी स्वीकार कर लेगी,वह खुशी से झूम उठा और बोला,

“मै अभी माँ को यह खुशखबरी देता हूँ|" यह कहते हुए सूरजने अपने सेलफोन पर ऊँगली घुमाई|

मौलिक और अप्रकाशित

समाप्त

रक्षा मामतोरा

mamtoraraxa@gmail.

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