kya yahi pyaar he - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

क्या यही प्यार है - 3

भाग 3
"क्या यही प्यार हैं "

रात के बारह बज चुके थे.... मेरी दास्तां सुनकर हबलदार की हालत सुमेर की हालत पतली दिखाई एक बाबरी का मसला कम था जो तू अपने बाबरे अरमानो को लेके यहां आ गया... अब कौनसा दंगा कराएगा तू...

तो क्या सारी गलती मेरी हैं.. उसकी कोई नहीं.... जब मै प्यार व्यार के बारे मेँ कुछ भी नहीं जनता था तब उसने मुझें प्यार का ये रास्ता दिखाया....
तो फिर तू क्या चाहता हैं..?
बस मै उससे मिलकर इतना पूछना चाहता हूं के उसने ऐसा क्यों किया...? मै ऐसे नहीं जाऊंगा....

ठीक हैं तो तू सच्चाई जाने बगैर नहीं जायेगा..?
बिलकुल....
चल ठीक हैं... लेकिन एक बात तू कान खोल के सुन लें जबतक मै ना कहूँ तू इस कमरे से बाहर ना निकल ना...
ठीक हैं.... लेकिन उसकी बेबफाई कैसे पता चलेगी..?
वो तू सब मेरे पर छोड़... अब रात बहोत चुकी हैं बस तेरे से बोले दें रहा हूं इधर से बाहर मत निकलियो... कल मिलता हूं...
इतना कहकर हवालदार सुमेर चला गया.... पूरी रात आंखों ही आँखों में गुज़र चुकी थी.... नींद का झोका कब मुझे अपने आगोश में लें गया ये पता ही ना चला था...

यार तुम एकदम बेबकुफ़ हों... उसने मुझसे लिपटते हुए कहा...
पहले शायद थोड़ा समझदार था जब से तुम मेरी जिंदगी में आई हों समझो वेबकूफ हों गया.... कहा थी तुम...? दो दिनों से...?
अच्छा देखो दो दिन बाद आई हूं... कमसे कम प्यारी-प्यारी बातें ही कर लो... अब गुस्सा थूक दो ज़ानिब... आपको नहीं पता ये दो दिन किस हल में वीते हैं, लेकिन क्या करु मज़बूरी जो थी...
हर मज़बूरी सिर्फ तुम्हारे ही साथ होती हैं शाबा... मुझें अपने प्यार का इजहार करना नहीं आता लेकिन मै तुम्हारे बगैर जी नहीं सकता...
हां...मैं जानती हूं... वादा करो तुम कभी भी मेरा साथ नहीं छोड़ोगे...?
इस बात की गारंटी मैं कैसे दूं तुम्हे शाबा ये मैं नहीं जनता... कभी कभी तो ये लगता हैं कही हमारे ये धर्म हमारी मोहब्बत के दुश्मन ना बन जाये...
अगर ऐसा हुआ तो हम क्या करेंगे जानिब..?
उसने मुझे से पूछा था.... और मैं एक गहरी सोच मैं डूब गया था.... हमारे प्यार की गर्माहट एक दूसरे के इरादों को मज़बूत कर रहीं थी....

धड़..... धड़..... धड़...... दरबाजे पर हुई दस्तक ने मेरे अहम् सपने को तोड़ दिया था.... लगातार हों रहीं कान फोडने बाली आवाज़ ने एक पल भी सोचने का मौका तक नहीं दिया.... मैंने जल्दी से दरवाजा खोला तो सामने सुमेर खड़ा था उसके साथ कोई अजीब सा मरा कुचा सा एक 30 साल के लगभग का आदमी भी था दोनों कमरे के अंदर आ गये...

क्या हुआ..?
यार तन्ने बड़ी नींद सूझ राखी हैं...?
वो पता नहीं कब नींद लग गई...
सुमेर बेड पर जा कर चौड़ा हों के लेट सा गया था और सामने रखी कुर्सी पर वो आदमी... मैं सुमेर के पेरो की तरफ बैठ गया...
तो सुनो इश्क़ के शहज़ादे... तेरी वो माशूका है ना हा मैं उसकी खबर लेके आया हूं
क्या पता चला शाबा का सुमेर भाई...
ओ.... यार खबर बड़ी बे ढंगी हैं.... मैं के रिया हू तू अब बापस होजा अपने शहर...
सुमेर भाई खबर जैसी भी हों आप मुझे बताये.... आपने वादा किया था...
अब मैं के बताऊ... ओ... तू ही बतादे... यार... मेरे से तो ना बनेगी... खबर बताते.... ये मुन्ना हैं हमारे डिपार्टमेंट का खबरी... ये बतायेगा...
क्या बात हैं मुन्ना भाई बतलाइये ना....


कंटिन्यू - पार्ट 4

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