जिन की मोहब्बत... - 11 Sayra Ishak Khan द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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जिन की मोहब्बत... - 11

जिसे उस अनदेखी ताकत को कुछ दिन दूर रखा जा सकता है।
ख़तम नहीं किया जा सकता ! वो बस ज़ीनत से दूर रहेगी उसके करीब नहीं आएगी ।
उसके हाथ पे ये ताबीज़ बांध देना जब तक ये उसके हाथ पर रहेगा वो हवा ज़ीनत से दूर रहेगी लेकिन खयाल रहे शादी कि पहली रात जब ज़ीनत ओर उसका पति हम बिस्तर हो जाएं उससे पहले ताबीज़ ना उतरे हाथ से..!


भाग 11


ज़ीनत को घर ले आए और वो ताबीज़ उसके सीधे हाथ पर बंधा गया ।
उसी रात ज़ीनत को अपने रूम में किसी काला साया होने का एहसास हुआ ।
लेकिन वो साया ज़ीनत के करीब आने को छटपटा रहा था ! रूम में उसने हलचल मचा रखी थी l सारा सामान यहां वहा बिखेर दिया जिसे ज़ीनत चिल्ला उठी।
तभी रशीद खान आए ओर देखा ज़ीनत नींद में चीख रही हैं ।
ज़ीनत को जगाया और कहा l
" क्या हुए बेटा..?"
ज़ीनत ने आंखे खोली तो देखा वहां सब ठीक था l वो ख्वाब में डर गई थी बस ।
लेकिन उसका वो ख्वाब सच था वो जिन ज़ीनत के पास नहीं जा सकता था तो अपने गुस्से को ज़ीनत के ख़्वाब में दिखाया ।
वो तड़प रहा है ज़ीनत के करीब जाने को लेकिन वो ताबीज़ के इल्म से दूर था ।
रशीदखान ने सुबह होते ही ज़ीनत की खाला की लड़की को बुलाया जो रिश्ता लेे कर आई थी ।
उसे कहा l
"हमे ज़ीनत की शादी जल्दी करनी है तुम ज़ीनत की सास से बात करो ।
खाला की बेटी ने शान की अम्मी को बताया कि रशीदखान जल्दी शादी करने के लिए राज़ी हो गए है।
शान ओर उसकी अम्मी बहुत खुश हुए वो खुद भी चाहती थी शादी जल्द हो जाएं।
उन्होंने बिना किसी सवाल किए शादी की तैयारिया शुरू कर दी l
15 दिन के अंदर ज़ीनत की शादी होने वाली थी ।
यहां वो जिन बहुत बेकाबू होने लगा l
अब तक वो सिर्फ ज़ीनत को नजर आता था।
लेकिन अब वो नूरी को भी दिखाई देने लगा l और उसे डराता था नूरी अपने घर में बैठी सिलाई कर रही थी।
तभी उसे लगा की कोई उसके पास आकर बैठ
गया l
उसने डरते हुए पीछे देखा तो उसे कोई खड़ा दिखाई दिया ।
नूरी ने पूछाl
" कौन हो तुम ..?
उसने ने कहा l
" ज़ीनत मेरी मोहब्बत है ।"
उसे मुझसे तुम लोग दूर नहीं रख सकते में उसके करीब हूं, ओर हमेशा रहूंगा तुम लोग मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते ।
उसकी आवाज़ मे इतना खोफ था कि नूरी उसकी बाते सून कर वहीं बेहोश हो गई ।
होश में आने के बाद वो बहुत डरी हुई थी उस खुद से ज़्यादा ज़ीनत की फिक्र हो रही थी।
नूरी को सूझ नहीं रहा था वो अब क्या करे वो उस अलीम साहब के पास फिर से गई और सारी बाते बतादी।
अलीम साहब ने कहा वो साया ज़ीनत से दूर हो के बहुत गुस्से में है।
वो किसी भी हद तक जा सकता है आप लोगो को दुआए गंजूल अर्श का वजीफा करना होगा 40 दिन अपने घर में ।

क्रमश: