आमची मुम्बई - 29 Santosh Srivastav द्वारा यात्रा विशेष में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

आमची मुम्बई - 29

आमची मुम्बई

संतोष श्रीवास्तव

(29)

फ़िल्म स्टूडियो जहाँ यादगार फ़िल्में शूट हुईं.....

बदलाव फिल्म स्टूडियो में भी आया है | एक ज़माना था जब आउटडोर शूटिंग नहीं के बराबर होती थी | ज़्यादा से ज़्यादा शूटिंग हुई भी तो कश्मीर की दिलकश वादियों में | तब स्टूडियो में ही नगर,मोहल्ले, मंदिर, महल, किले, नदियाँ, पहाड़ सब हुआ करते थे और खूबी यह कि दर्शकों को पता भी नहीं चलता था कि सब कुछ नकली है | चैम्बूर में राजकपूर का स्टूडियो आर. के. फिल्म्स एंड स्टूडियो नाम से पूरी शानो शौकत से तब पर्यटकों को बहुत लुभाता था | गेट के दोनों तरफ़ सफेद झक्क दीवार पर लाल रंग की राजकपूर नरगिस की वही सुपरहिट अदा इकहरे शिल्प में लगी है | दाहिनी तरफ़ का शिल्प बरगद की जटाओं में थोड़ा छिप गया है | जब तक राजकपूर थे आर. के. स्टूडियो की होली का रंग ही कुछ और हुआ करता था | हर छोटा बड़ा कलाकार रंग से भरी टंकी में डुबोया जाता था फिर चाहे शैलेन्द्र हों, मुकेश हों, देवानंद हों या दिलीप कुमार | जमकर भांग घोंटी जाती थी और छक कर पी जाती थी और नाच गाने की धूम होती थी | उनके जाने के बाद अब वो बात नहीं रही है | हालाँकि ऋषि कपूर, शशि कपूर होली पे जमघट जुटा लेते थे | राजकपूर की इस परम्परा को ‘अमिताभ बच्चन’ अपने जुहू स्थितबँगले ‘प्रतीक्षा’ में निभाते हैं | भांग भी छनती है, मेवे और खोवे से भरी स्वादिष्ट गुझिया, रंग, अबीर..... पूरा का पूरा इलाहबाद उतर आता है प्रतीक्षा में |

वीरा देसाई रोड अँधेरी में वाई आर एफ यानी यशराज फिल्म स्टूडियो है | जहाँ उनकी कई फिल्मों की शूटिंग हुई | अँधेरी में ही नटराज है जहाँ साहब बीवी और गुलाम की शूटिंग हुई..... कई दिनों तक गुरुदत्त और बड़े से कैमरे से इस जगह की पहचान थी | काँदिवली का बस रास्टूडियो, गोरे गाँव का फिल्मिस्तान और चाँदीवली स्टूडियो जो साकीनाका में है और जिसके भव्य बगीचे के लॉन से लगी पत्थर की रेलिंग को समँदर की लहरें छू-छू कर रोमाँचित होती हैं न जाने कितने फिल्मी दृश्यों के गवाह हैं | बाँद्रा में लोग मेहबूब स्टूडियो देखने ज़रूर जाते थे | बाँद्रावैसे भी कई फिल्म अभिनेता अभिनेत्रियों का निवास स्थान रहा है | यहीं आनंद परिवार यानी देव आनंद, चेतन और विजय आनंद का स्टूडियो भी है | यहाँ शूटिंग तो नहीं होती पर उनकी बनाई फिल्मों की डबिंग वग़ैरह होती थी | यहीं मेरी मुलाक़ात आधा गाँव के रचियता मेरे प्रिय लेखक राही मासूम रज़ा से हुई थी | उन दिनों मेरे बड़े भाई अभिनेता, पत्रकार, लेखक, संवाद लेखन और डबिंग करते थे | कई अभिनेताओं को उन्होंने अपनी आवाज़ दी है |

अँधेरी में ही जैमिनी स्टूडियो था | ताराचंद बड़जात्या की राजश्री फिल्म्स की शूटिंग का स्थल भी ज़्यादातर जैमिनीस्टूडियो हुआ करता था | दहिसर और बोरिवली के बीच त्रिमूर्ति स्टूडियो है | गोरेगाँव में स्वाति, मालाड में दफाइन आर्ट स्टूडियो, लोअर परेल में सितारा स्टूडियो अपने समय के चमचमाते स्थल थे | उस ज़माने में फिल्म उद्योग अपने चरम पर था | तीन-तीन शिफ़्टों मेंकाम करने वाले फिल्मी वर्कर थे | रातभर मुम्बई की सड़कों पर हीरो हीरोइन की लकदकगाड़ियाँ गुज़रती थीं | पंजाब आदि से आए आज के सुपर स्टार तब संघर्ष के दौर से गुज़र रहे थे | कईयों का तो रातका बसेरा भी इन स्टूडियोज़ के फर्श हुआ करते थे |

जोगेश्वरी स्थित कमाल अमरोही स्टूडियो पाकीज़ा फिल्म की लम्बी दास्तान का गवाह है | कमाल अमरोही और मीना कुमारी का प्रेम भी इन्हीं दिनों परवान चढ़ा..... पूरे २४ घंटे में से केवल चार घंटे आराम करने वाले कमाल अमरोही ने कई यादगार फिल्में दर्शकों को दीं | मड आयलैंड में ओशो फिल्म स्टूडियो है जो भाटी गाँव के अंतर्गत आता है |

अब ज़्यादातर स्टूडियो पर बिल्डर और कॉर्पोरेट जगत की गिद्ध दृष्टि पड़ चुकी है... कईयों का तो मात्र नाम ही रह गया है, कईयोंका वो भी नहीं | फिल्मों की शूटिंग भी अधिकतर विदेशों में होने लगी है | विदेशों की सुंदरता, समृद्धि और रहन सहन फिल्मोंमें देखकर अधिकतर लोग विदेशों में पलायन कर रहे हैं | फ़िल्में आम दर्शकों से हमेशा जुड़ी रही हैं| यही वजह है कि युवा पीढ़ी भी पुराने फिल्मी गीतों की दीवानी है | वे फिल्मी गीत जो उस ज़माने में भारत के गली कूचों, पान की दुकानों पर गूँजा करते थे | आज भी वे गीत सूनेपन को गुदगुदा देने में बड़े कामयाब सिद्ध होते हैं |

***