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सुन्नू

लेखक - राम निवास 22 जून 2019


रोज की तरह मैं अपने ऑफिस से घर आया तो मैंने किसी पंछी के बच्चे की आवाज़ सुनी, वह आवाज़ एक छोटे कार्टून बॉक्स से आ रही थी जब मैंने उसमे झाँक कर देखा तो तोते का बच्चा था जो अपनी माँ की चोंच से खाना खाने के लिए उतावला हो रहा था। नन्ही सी जान को उस बॉक्स में देखकर मुझे बहुत गुस्सा आया और घरवालो से नाराज होकर मैंने उन्हें बहुत कुछ कहा; इतनी नन्ही सी जान को आपको घर नहीं लाना चाहिए था, इतनी भयंकर गर्मी कैसे सहेगा, हमारे पास कैसे रहेगा और कैसे यह खाना खायेगा। अभी तो सिर्फ इसने अपनी आँखे ही खोली है देखने में अजीब लग रहा है पंख के रोएँ भी तक नहीं आये अभी। शुरू में हम उसे चम्मच से खाना खिलाते थे समय के साथ धीरे धीरे वह चावल के दाने उठाना सीख गया और अब तो उसके छोटे - छोटे पंख भी आ गये थे और छोटी सी लाल चोंच बहुत प्यारी लग रही थी,अब हम अपने सुन्नू को प्यार करने लगे थे, हाँ हमने उसका नाम सुन्नू रखा।


सुन्नू अब छं महीने का हो गया है वह बाते करना, नाराज होना और पीछे - पीछे कमरे के बहार आना सीख गया है,बिटटू बेटे कहना सीख गया है जब भी मैं बहार से आता हूँ बिटटू बेटे भूखे - बिटटू बेटे भूखे की रट लगा लेता है और जब डाट दो तो गुस्सा करता और अपने सिर के बाल खड़े कर लेता हैं शैतान बहुत हो गया पर प्यार भी बहुत करता। आज सुन्नू का जन्मदिन है आज सुन्नू एक साल का हो गया है; आज के दिन ही हम उससे लेकर आये थे हमारा सुन्नू पहला बर्थडे सेलिब्रेट करेगा हमारे साथ, ऑफिस से आते समय मैंने केक लिया और घर आ गया क्योंकी उसे केक खाना बहुत पसंद था। होंठो पर प्यार से पुच्ची करना उसकी दिनचर्या बन गयी जब नहीं करते थे तो नाराज हो जाता था हम दोनों दोस्तों की तरह रहते थे, ठंडो में जब उसे ठंड लगती तो कंही न कंही से रजाई के अन्दर घुस जाता था और मुंह के पास आकर पुच्ची करता जिससे हमे पता चल जाता की सुन्नू आ गया। ऑफिस के लिए अगर मैं लेट हो जाता तो मुझे जगाने के लिए मेरे पैरो पे आकर अपनी चोंच पटकता जिससे मैं उठ जाता था। पिंजरे में हम हसे बहुत कम समय के लिए रखते थे क्योंकी उसे अकेले रहना पसंद नहीं था वह हमारे बिना एक पल भी नहीं रहता था और इतना समझदार था की मेरे ड्यूटी के टाइम तक बिलकुल अकेले ही रह लेता था। जैसा भी हो उसे अपने घर का ही खाना पसंद था दूसरों के घर का स्वादिष्ट खाना भी उसे रास नहीं आता था मैंने उसे यह सब सिखाया नहीं ना जाने वह कैसे सीख गया।


आज बहुत भयंकर गर्मी है सुन्नू पूरे 2 साल 1 महिना का हो गया है,हम सुन्नू के साथ कूलर की हवा या नेचुरल हवा में ही रहते है पर आज ना हवा चल रही है और ना ही हमने उससे कूलर की हवा में रखा है बहुत भयंकर गर्मी हो रही है पूरी रात इधर - उधर करवट बदलते रहे पर नींद नहीं आई। सुबह उठकर सुन्नू को देखा तो वह थोडा सुस्त था हमने सोचा रात गर्मी बहुत थी शायद हमारी तरह यह भी सोया नहीं इसीलिए सुस्त है फिर सुबह कूलर ऑन किया और उसके सामने सुन्नू और हम दोनों बैठ गए सुन्नू आँखे बंद करके सो गया हमे लगा शायद हम सही है इसकी नींद पूरी नहीं हुयी थी इसीलिए सुस्त है अब सो लेगा तो सही हो जायेगा दोपहर हमने उससे उठाया उसने थोडा खाना खाया और फिर आँखे बंद करके बैठ गया तब तक हमे लग रहा था की रात की गर्मी का असर है जब शाम तक सुन्नू एक्टिव नहीं हुआ तो हमे लगा की हमारा सुन्नू बीमार हो गया है, हम उसके लिए दवाई लेकर आये उसे कुछ बूंदे दवाई की पिलाई और तरबूज खिलाया; पूरी रात सुन्नू आंखे बंद किये हुए हमारे पास बैठा रहा सुबह उठकर उसे देखा तो उसकी तबियत में कोई सुधार नहीं आया हमने ढील अच्छी नहीं समझी और तुरंत पंछी चिकित्सक से बात की और सुन्नू को लेकर उनके पास पहुचे उन्होंने कहा इसे इन्फेक्शन हुआ है फिर उन्होंने सुन्नू के इंजेक्शन लगाया और कुछ दवाई दी हमने पूछा डॉ साहब हमारा सुन्नू सही हो जायेगा बोले जरुर होगा फिर हम उसे लेकर घर आ गए थोड़ी देर बाद सुन्नू कुछ एक्टिव लगा और अपने आप पानी पीने के लिए बर्तन की ओर बड़ा हमे यह देख कर अच्छा लगा हमे महसूस हुआ हमारा सुन्नू अब सही हो जायेगा फिर उसे पानी पिलाया और कुछ बिस्कुट खिलाया, पूरा दिन हो गया था हमें इधर - उधर भागते हुए सुबह से कुछ खाया भी नहीं था और भूख भी नहीं लग रही थी जब सुन्नू को थोडा सही देखा तो हमने सोचा कुछ खा ले सुन्नू को उसके बिस्तर पर बैठाया और पानी लेने बहार गए और खाना खाने के लिए निकाला हमने सोचा खाने से पहले सुन्नू को देख लूँ सही तरह से बैठा है या नहीं; हमने देखा वह आँखे बंद किये हुए बिलकुल चुपचाप लेटा है सुन्नू इतना बीमार था फिर भी इस तरह से नहीं लेटा मैंने उसे हाथ में उठाया सुन्नू आंखे बंद किये हुए बिना शोर मचाये हमें हमेशा के लिए अलविदा कर चुका था हमने उसे बहुत हिलाया - डुलाया पर वह आँखे बंद करने की जिद में रहा और फिर उसने कभी आँखे नहीं खोली, उसकी गर्दन लटक चुकी थी अभी शरीर गर्म था पर समय के साथ धीरे - धीरे ठंडा होने लगा हमें यकीन हो गया कि हमारा सुन्नू हमे छोड़ कर कंही चला गया। अब वह कभी बिटटू - बेटे नहीं कहेगा और ना ही हमे उठाएगा, कौन देगा पुच्ची हमें यह सब सोच कर मेरी आँखों से आंसू टपक रहे थे, मेरे हांथो में रखे सुन्नू के शरीर को भिगा रहे थे, कुछ समय व्यतीत होने के साथ मैंने खुद को सम्भाला और उस प्यारे से दोस्त को हमेशा के लिए जमीन के अंदर दफ़न कर दिया, इस आस के साथ की वह वापस आएगा।


यह एक सच्ची कहानी है इस दुःख को मैंने साहा है, I MISS YOU MY #BABY #SUNNOO.


(NOTE - PLEASE DO LOVE ALL ANIMALS AND BIRDS AND DO NOT KILL THEM.)

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