ईसे जरूर पढिये और थोड़ा समझने की कोशिस कीजिये।
Jay hind ,
आज में बात करने वाला हूँ भारतीय एजुकेशन सिस्टम के बारेमे।
तो भारतीय एजुकेशन सिस्टम कुछ बनाही इस तरहसेहे की आज जो बच्चा या विद्यार्थी पढनेमे अच्छा है वही आगे बढ़ सकता है। ऐसा बच्चो के मन मे बिठा दियाजाता है।आज कोई शिक्षक कोई लड़का पढनेमे कमजोर है तो उसे कहते हैं " तू तो ज़िन्दगी में कुछ नही कर पायेगा, तेरा कुछ नही होगा, तू ये सवाल नही सुल्जा पाया तो जिंदगी में आगे नही बढ़ पायेगा । "ऐसेही जो बच्चो को पढ़ना पसंद नही है और जो बच्चे पढने मे आगे नहीं हैं तो उसे जो खेल पसंद है उसे उसमे बढनेमे मदद करनी चाहिए।
आज तो सारे स्कूल वाले तो कमाई करनेमे ही ध्यान देते हैं। और आज स्कूल बहोत नॉट छाप रही हैं। अगर धंधा कम चलरहा हो तो एक स्कूल या ट्यूशन खोल के बेठ जाओ और बैठे बैठे कमाई होगी।
आज आपने देखा होगा हर गली में ट्यूशन या स्कूल होगी।क्यो! अछि पढ़ाई देने केलिए नही पर कमाई के लिए। में आज ये खुले मनसे बोलरहा हूँ।मुजे किसी बात का डर नही हैं।
अगर बच्चा पढनेमे आगे नही तो वह किसी चीज़ में आगे नही तो वह किसी चीज़ में आगे नही बढ़ सकता ऐसा उसके मनमे बैठा दिया जाता हैं।
आज आप बिलगेट्स,मार्कज़ुकर्बुर्ग जैसे लाखो ऐसे लोग हैं जो स्कूल या कॉलेज मेसे निकाल दिए गए थे या खुद निकल गए थे । और उसके बाद वह सफल हुए। तो आज कुछ लोग बोलेगे की "वह जमानेमें तो एजुकेशन को इतना महत्व नही दिया जाता था और वह स्कूल या कॉलेज से निकल गए थे क्योंकि इसकी कुछ मजबूरिया थी , और आज तो हमे पढ़ना बहोत ज़रूरी हैं पढ़े बगैर कुछ नही हो सकता।" तो में उस लोगो को बतादूँ की वह जब स्कूल में थे तब भी उसके अच्छे क्रम नही आये थे।क्योंकि उनको पता था कि इस रट्टू सिस्टम से कुछ नही होगा।
और आज के एजुकेशन सिस्टम की तो बात ही मत करो आज तो किसी बच्चे को रोबोट की तरह तैयार किया जाता हैं।सुबह स्कूल जाओ एक लेक्चर पढ़ो दूसरा बेल्ल बजे उसके बाद दूसरा लेक्चर पढ़ो और शाम को घर पे आजाओ।रोज़ ये सिस्टम को फॉलो करो और काम करो कोई प्रेक्टिकल नॉलेज नही।रोज़ एक ही काम करो और मार्क्स अच्छे नही आये तो हमे कुछ नही आता हैम निक्कमे हैं और मार्क्स अच्छे आये तो हम बहोत अच्छे हैं।हमे सबकुछ आता हैं। और अच्छे मार्क्स लानेवाले तो जैसे सिर ऊँचा करके चलते हैं जैसे कि उसने ओलंपिक्स में गोल्ड मैडल जीता हो।या देश के लिए बड़ा काम किया हो। और आज ऐसे एजुकेशन सिस्टीम के कारण ही हमारे पास ओलंपिक्स के सिर्फ 28 मेडल्स है और हमारे पड़ोसी देश का एजुकेशन सिस्टम हैं कि जिसकोभी जिस फील्ड में रस हैं उसको उसी फील्ड के लिए बचपन से तैयार किया जाता हैं इसीलिए उसके पास 100 ओलंपिक मेडल्स हैं।
इसीलिए किसी बच्चे को पढ़ने में किसी बच्चे के साथ समानता न करिये क्यो की आपके बच्चे को आता हैं वो दुनियाके किसीभी बच्चे को उनसे ज्यादा नही आता।अगर आपका सपोर्ट होगा तो।
में भारत की सरकार को निवेदन करता हूँ कि आप एजुकेशन सिस्टीम तरफ ध्यान दीजिये और इसे बदल ने की कोसिस कीजिये।ये जो सिस्टम है ना वह किसी अंग्रेज़ का है हम भारतीयों का एक अलग सिस्टम था जो गुरुकुल परमपरा में था। हमारा प्राचीन सिस्टम चीन की सरकार समज गयी और वह उसे अपनाके बहोत अछि तरहसे चीन को आगे बढ़ा रहि हैं। तो अंग्रेज़ का सिस्टम बंध कीजिये और हमारा भारतीय प्राचीन सिस्टम गुरुकुल का सिस्टम सुरु कीजिये।उसके बाद भारत मे सारे बच्चे बहोत आगे जायेगे और भारत का नाम रोशन करेगे।
जय हिंद । जय भारत। वंदे मातरम
में आपसे बिनती करता हूँ कि इसे ज्यादा से ज्यादा दूसरे लोगो को भेजिए और उनको जागृत कीजिये।