जंग-ए-जिंदगी-5
राजमहल में चहल पहल होने लगी राजकुमारी दिशा राजमहल से भाग गई।
उसने अपना एक परिवार बनाया।अपना नाम डाकुरानी रख लिया है।
उसके साथ मंत्री जगजीत सिंह है। उसके साथ 200सो लोग हैं। भानुपुर के घने जंगल मे है।वहीं अपना डाकू साम्राज्य चलनेवाली है।
महाराजा के एक दूसरे मंत्री ने ये सब कुछ बताया जो विश्वासु है।वो भी महाराजा के साथ रहने वालों में से हैं।
लोगो में हो रही बातचीत को दरबारियों के सामने दरबार मे मंत्री सुमेरु ने बताया तुरंत ही प्रजा को महाराजा ने बुलाया और कहा.....
सभी दरबारी प्रजा को इकठ्ठा करने में लग गये।कुछ ही देर में प्रजा आ गई।प्रजा का अभिवादन करते महाराजा ने कहा में अपनी बेटी राजकुमारी को कभी माफ नहीं करूंगा।
मेने न्याय के लिए बहुत कुछ किया है। आज भी में अपने परिवार के सामने घुटने बल नही आऊंगा।प्रजा को अपनी गलती का दंड मिला है तो राजकुमारी को भी मिलेगा।
उसकी गलती राजद्रोह है।
ओर मेरा विश्वासु मंत्री जगजीतने जो किया वो भी राजद्रोह है।
में अपनी बेटी राजकुमारी दिशा और मंत्री जगजीत सिंह को राजद्रोही करार देता हूं।जो भी उन दोनों ओर उसके साथियों को पकड़ लाएगा उसे बड़ा ईनाम दिया जाएगा।
तभी मंत्री सुमेरु आया और महाराजा के कान में कुछ कहा।
फिर महाराजा बोले मेने अपने छोटे भाई को राजा का पद दिया है उसे भी में गद्दार करार देता हूं।
वो भी राजकुमारी का साथ देने भाग गया है।
में तीनों से दिए गए पद को छीन लेता हूं।
मुजे क्षमा करना आज में आप सब के सामने शर्मिदा हु।
प्रजा चिल्लाने ने लगी महाराजा मुर्दाबाद मुर्दाबाद.....
एक आदमी बोला साला अपनी एक बेटी नहीं संम्भल पाया हमारी रक्षा क्या खाख करेंगा।
हा हा हमारी रक्षा कैसे करेंगे?
प्रजा रोष से भर गई और पत्थरों की बारिश की महाराजा को एक पत्थर लग गया और उसे कक्ष में ले गए।
फिर सामने आई महारानी
उसने प्रजा को शांत किया माफी मांगते कहा आप चिंता मत कीजिये राजकुमारी दिशा को माफ नही किया जाएगा उसे सजा अवश्य मिलेगी दिशा से आपकी सुरक्षा का दाईत्व हम लेते है।
एक स्त्री बोली अपनी बेटी से खुद अपनी रक्षा करले वरना वो डाकुरानी बन चुकी हैं सब को मार डालेंगी।
महारानी माफी मांगते हुई चली गई।
दूसरी ओर डाकुरानी दिशा अपना काम जोर शोर से करने लगी.....
जगजीत सिंह के पास उसने घुड़सवारी तलवारबाजी निशानेबाजी अच्छे से सीख ली अपने सभी साथियों को भी घुड़सवारी तलवारबाजी निशानेबाजी सब में पारंगत किए
यह सब कार्य करने में एक महीना लग गया दूसरी ओर डाकुओं का ढेर महाराजा की राजमहल पर कोई चढ़ाई नहीं की ना ही किसी को परेशान किया
(१४ साल पूरे होने में दो महीने थे और राजकुमारी दिशा भाग गई।वो भाग चुकी उसको 6माह हो चुके यानी अब राजकुमारी दिशा १५ वे साल के ४ महीने गुजरे है।अब वो घुड़सवारी निशानेबाज़ी तलवारबाजी सीख गई है।)
महाराजा सूर्य प्रताप ने राजा चंद्र प्रताप मंत्री जगजीत सिंह और राजकुमारी को ढूंढने का बहुत प्रयास किया मगर जगजीत सिंह की तालीम के कारण महाराजा के कोई सैनिक राजा चंद्र प्रताप मंत्री जगदीश सिंह और राजकुमारी दिशा तक नहीं पहुंच सके
दूसरी ओर महाराजा सूर्य प्रताप जी राज महल में थू थू हो रही प्रजा बेकाबू हो गई वह महाराजा को ताने मारने लगी डाकुओं की कमी रह गई थी कि हमारे महाराजा की बेटी भी डाकू रानी बन गई अब हमारी रक्षा का दायित्व कौन लेगा? हमें कौन संभालेगा?
सूर्य प्रताप के दिन और रात एक हो गए न प्रजा काबू में थी ना वह सुख चैन से रह पा रहे हैं दूसरी और महारानी रानी महाराजा की मासा ने सब ने रो रो के अपना बुरा हाल बना लिया है पूरा राजमहल दुख के सागर में डूब गया 14 साल की लड़की भाग गई वह भी डाकूरानी बनने के लिए।