Jang-A-Jindagi bhag - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

जंग-ए-जिंदगी - 3

जंग-ए-जिंदगी -3

तैयार होकर,डोली मे बैठकर दोनो बहेने चली ‘’गुरुआश्रम’’....

महाराजा सुर्यप्रताप की पत्नी का नाम सुर्यावती।
राजा चंद्रप्रताप की पत्नी का नाम है चंद्रावती।

सुर्यावती ओर चंद्रावती दोनो सगी बहेने है।

सुर्यावती ओर सुर्यप्रताप का बेटा सहदेव है।

चंद्रावती ओर चंद्रप्रताप का बेटा चैतन्य है।

सुर्यावती को महारानी कहा जाता है।

चंद्रावती को रानी कहा जाता है।

दोनो बहेने ‘’गुरुआश्रम’’  पहोची।

गुरु समाधि मे लीन है ओर बोले मुजे पता था, महारानी मुजसे मीले बिना रेह नही सकती।वो जरुर आयेगी,वो जरुर आयेगी।

‘’गुरुमाता’’ बोली ‘आर्य’’ आप जो भी केहते है सच हो ही जाता है,उसमे चोकानेवाली कोई बात नही है।एक नझर  दूर करके बोली "लो आगई ‘’महारानी’’ आपको मिलने।"

गुरु बोले मुजे पता है वो जरुर आयेगी,वो आकर ही रहेगी।

महारानी;जय श्री क्रिश्ना

अगर आपको पता है तो आप कोई उपाय क्यु नही बताते?

चंद्रावती बोली।जय श्री क्रिश्ना गुरुजी,गुरुमाता।

गुरु बोले रानी ये दुनिया हमारे ईशारो पर नही चलती,हमे उनके ईशारो पर चलना पडता है।(ऊपर की ओर उंगली करके गुरुजी बोले)


सुर्यावती बोली गुरुजी आज राजकुमारी दिशा ने जो कहा वो अविस्मरणीय आश्चर्य जनक है।

गुरुमाता बोली क्या हुवा ‘’राजमहल’’मे महारानी?

गुरु बोले महारानी...याद रखना राजकुमारी दिशा "छोडनेवाली है ..."राजमहल" छोडनेवाली है।"

वो ना आपकी रहेगी, ना राजमहल की रहेगी।

वो अपना रास्ता बनानेवाली हौ।

वो बदनाम होने वाली है।आप सब को भी बदनाम करनेवाली है।

चंद्रावती बोली गुरुजी एसा मत कहीए वो मेरी बेटी,वो मेरी जान है।महाराजा को उस पर नाझ है।वो राजकुमारी दिशा के बिना एक पल भी नही रेह सकते, भले ही वो मेरी बेटी है।


सुर्यावती बोली हा गुरुजी अब आप ही बताये...हम क्या करे?क्या करे?
आपको पता है महाराजा ना आपकी बातो पर भरोसा करते है  ना ही आपकी बातो पर विश्वास करते है।महारानी बोली।

गुरु बोले महारानी हमने आपको उपाय उसी दिन बता दिया था जिस दिन राजकुमारी दिशा का जन्म हुवा था। अब कोई उपाय नही है। 

चंद्रावती बोली तो क्या अब कोई उपाय नही,?

गुरु बोले रानी जो मुजसे हुवा वो मेंने कर दिया,विधि-विधान,पूजा-पाठ, यज्ञ-हवन सब कुछ्।आपको जो करना था वो आपने कर दिया। बस ब तो उपरवाला ही जाने क्या होगा?

वो समय को बदल सकता है,वो समय की चाल को बदल  सक्ता है।उसकी मरजी के आगे न हमारी चलती है ना किसी ओर की.....


सुर्यावती बोली अब क्या किया जाये?

गुरु बोले ईतंझार।

ओर हा...महारानी, महाराजा मेरी बात मानेगे भी,बस समय की चाल है,कब किस पर भारी हो जाये, कहा नही जाता।

रानी (चन्द्रावती) बोली क्या मेरी राजकुमारी को नही बचाया जा सकता?

गुरुजी बोले रानी बस आप इन्तजार करे।समय खुद अपना रास्ता बनाता है।

आप जाए और ईश्वर पर पूरा भरोसा रखें।

तब महारानी बोली कैसे, कैसे रखे भरोसा?
मेरी बच्ची मेरी जान जो मुजे मासी मासी कहके पुकारती है,वो न जाने कब मुजे छोड़कर चली जायेगी।

रानी बोली दीदी धैर्य रखें मेने उसे जन्म दिया है,मुजे भी तकलीफ होती है।मगर हम ईश्वर के आगे कुछ नही कर सकते।कुछ भी नही।

गुरुजी बोले जी महारानी आप ईश्वर में ध्यान लगाए वो आपकी बात अवश्य सुनेंगे।

गुरूजी को जय श्री कृष्ण कहके....

महारानी ओर रानी ‘’राजमहल’’ मे वापस आगई......

14 वे साल मे जा रही राजकुमारी ने चोरी छुपे अपना काम शरु किया।

वो प्रजा मे मशहुर तो है ही सब की निगाहे हर बार राजकुमारी दिशा पर ही ठहर जाती।राजकुमारी दिशा ने दोनो भाई को पुछकर अपना नाम रखा लिया ‘’डाकुरानी’’

फिर वो अपनी प्रजा के बिच पहोची ओर......

जो किया वो जान ने के लिये आपको मुजसे जुडे रहना पडेगा.....

 


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