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सज़ा

आज कोर्ट में केस की आखिरी सुनवाई है, आज अदालत अपना अंतिम निर्णय सुनाएगी कि क्या होगा, मिस्टर वेद को सजा-ए-मौत मिलेगी या जिंदगी कोई नहीं जानता, खुद वेद भी नहीं l कोर्ट की सुनवाई होने में सिर्फ 5 घंटे बाकी हैं और वेद चुपचाप अपने फैसले का इंतजार कर रहा है, वह पल पल अपने वो सब लमहे याद कर रहा है l 
10 साल पहले जब वेद अपने कॉलेज में पढ़ता था तो वह बहुत खुश था, वो बहुत ही होशियार और सुंदर था, यही कारण था कि उससे सब प्यार करते थे, उसी की क्लास में दिशा नाम की एक भोली और चुलबुली लड़की पढ़ती थी, जो वेद को बहुत प्यार करती थी, पर वह उसे प्यार करता था या नहीं यह सोचकर वह चुप रहती थी l एक दिन कॉलेज में वैलेंटाइन डे की नाइट पार्टी थी और उसी में सब आए हुए थे, सब अपने अपने पार्टनर को गुलाब गिफ्ट कर रहे थे, दिशा भी एक गुलाब वेद को देने गई वेद अपने दोस्तों के साथ बात कर रहा था, दिशा सीधा वेद के पास गई और वेद को गुलाब गिफ्ट कर दिया, फिर वो हुआ जिसकी उम्मीद ही नहीं थी l वेद ने दिशा से तुरंत आई लव यू कह दिया, फिर क्या था दोनों की शादी हो गई और दोनों खुश रहने लगे l वेद और दिशा आपस में एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे, दिशा तो दिन रात छोटी छोटी बातें सोच कर परेशान रहती, कभी सोचती कि पता नहीं वह ठीक-ठाक ऑफिस पहुंचे हैं या नहीं, उन्होंने खाना खाया होगा या नहीं, और पता नहीं ऑफिस में किसी का उनके साथ अफेयर तो नहीं और न जाने क्या क्या l वह तो कभी-कभी इतना सोच लेती कि कुछ देर रोती रहती कि अगर उन्हें कुछ हो गया तो वह क्या करेगी सारी जिंदगी l यह सारी बातें उसके दिमाग को परेशान करने लगती फिर वेद उसको बहुत समझाता पर उस पर कोई असर नहीं पड़ता l 2 साल बाद वेद और दिशा मम्मी पापा बने, उनका एक प्यारा सा बेटा हुआ जिसका नाम उदित रखा गया l उदित से दोनों बहुत प्यार करते थे, अब दिशा का भी मन लगा रहता पर फिर भी वह कभी-कभी वेद के लिए परेशान हो जाती थी l उदित 5 साल का हो गया था, वेद तो उदित को बहुत चाहता, वो ड्यूटी से आता और उदित को लेकर बैठ जाता है पर यह बात दिशा को थोड़ी बुरी लगती थी, उसे ऐसा लगता है जैसे उसका प्यार धीरे-धीरे कम होने लगा है l कुछ दिनों बाद वेद को काम से बाहर जाना पड़ा, वो बाहर चला गया, दिशा की तो जैसे जानी चली गई, वो वेद को भेजकर आई और बेहोश होकर गिर पड़ी, डॉक्टर ने चेक किया तो बताया कि, "तुम दोबारा मां बनने वाली हो" वो पहले मुस्कराई और फिर एकदम शांत हो गई, तभी उदित बोला, "अब छोटू के साथ खेलूंगा, फिर पापा हम दोनों को बाहर घुमाने ले जाया करेंगे, हम तीनों को खेलेंगे और फिर आप हम लोगों के लिए खूब अच्छी अच्छी डिश मनाया करना", यह कहकर चला गया और उसके कानों में उदित के शब्द गूंजने लगे l कुछ महीनों बाद उसकी बेटी हुई l वेद उसे भी बहुत प्यार करता, वो बच्चों के साथ सोता, खाता, खेलता और ऑफिस चला जाता l दिशा के लिए जैसे प्यार की सारी दिशाएं बंद हो चुकी थी l उसे लगता जैसे वह एक अंधेरे कमरे में बंद थी, जहां से कुछ नहीं दिखाई दे रहा था l एक दिन बच्चों को बाहर ले जाते वक्त दिशा, वेद को मना करती रही कि, "आज मत जाओ, आज मेरे साथ रहो" पर वेद नहीं माना और चल दिया, दिशा उसे रोकने के लिए दौड़ी के पर वेद ने उसकी एक ना सुनी और वो चला गया, दिशा दौड़ी और लड़खड़ा कर गिर गई तभी अचानक दिशा की आंख खुली और उसने देखा वह अपने कमरे में बिस्तर पर सो रही थी, उसने कुछ देर तक कई बातें सोची फिर सीधा हॉस्पिटल चली गई और डॉक्टर से बोली, "मैं गर्भपात कराना चाहती हूं" डॉक्टर ने बहुत मना किया लेकिन दिशा ने पैसों का लालच देकर गर्भपात करा लिया l 15 दिन पूरे होने वाले थे और वेद घर लौटने वाला था l आज दिशा बहुत खुश थी, वो बार बार सोचती की वेद आकर उसे अपनी बाहों में भर लेगा उसके लिए कीमती तोहफे लाएगा कि तभी दरवाजे की बेल बजी और वो तेजी से भागी, वो दरवाजा खोलती कि इससे पहले उदित ने दौड़कर दरवाजा खोल दिया, वेद खुशी से पागल हो गया, उसने उदित को गले लगा कर खूब प्यार किया और उसके साथ बैठकर उसे बहुत से गिफ्ट देने लगा, थोड़ी देर बाद उसने दिशा से कहा, "दिशा, बहुत तेज भूख लगी है, खाना बना दो", दिशा की आंखों में आंसू थे, पर वह चुपचाप चली गई और खाना बनाने लगी तभी वेद किचन में गया और देखा कि दिशा रो रही थी उसने पूछा कि वह क्यों रो रही है तो दिशा और रोने लगी और उसे सारी बात बताई कि वह उनसे बहुत प्यार करती है और वेद उसे प्यार नहीं करता l वेद ने उसे बहुत समझाया और एहसास दिलाया कि वह उसे अब भी उतना ही प्यार करता है, फिर क्या दिशा खुश हो गई और सभी आराम से सो गए l रात के दस बज चुके थे कि तभी फोन की घंटी बजी, रिसीव करने पर उधर से आवाज आई, "मैडम, अब आप की तबीयत कैसी है, कल सुबह 10 बजे आप को डॉक्टर ने बुलाया है, घबराने की कोई बात नहीं है आप खतरे से बाहर हैं, बस अब आप कभी दुबारा माँ नहीं बन पाएँगी, जो कि आप को पहले भी बताया गया था" l फोन दिशा ने नहीं वेद ने उठाया था, यह बात सुनकर उसकी आंखों में खून के आंसू बह चले, क्या कोई माँ ऐसा कर सकती थी, उसके सिर पर खून सवार था, उसने चिल्लाते हुए दिशा को दो थप्पड़ मारे और पूछा कि," क्यों? आखिर क्यों?, उसने ऐसा किया और किस लिए? ", दिशा भी गुस्से में रोती हुई बोली, "ये सब तुम्हारे प्यार के लिए, तुम्हारे लिए", वेद ने कहा, "कि आखिर तुम क्या चाहती हो?", "मैं सिर्फ तुम्हें चाहती हूं", और किसी को नहीं और तुम मुझे चाहो इसके अलावा मैं और कुछ नहीं चाहती", दिशा ने रोते हुए कहा, वेद परेशान होकर घर से बाहर चला गया l वेद दिशा के बारे में सोचता रहा और उसे लगा कि शायद दिशा की दिमागी हालत ठीक नहीं, उसे शायद सिर्फ प्यार और इलाज की जरूरत है, उसने फिर सब कुछ भुला दिया और घर जाकर दिशा को गले लगाया l अगले दिन वेद ने कुछ दिनों के लिए बाहर जाने का प्लान बनाया, फिर तीनों लोग घूमने गए समुंदर की वादियों, गोवा में, जहां चारों ओर पानी ही पानी और हरे-भरे पेड़ थे l दिशा बहुत खुश थी, उदित भी खूब मज़े कर रहा था, फिर एक दिन, तीनों बीच पे बैठे समंदर को देख रहे थे, दिशा को अपने कॉलेज के दिन याद आ रहे थे, दोनों एक दूसरे को बाहों मे भरकर आँखे बंद कर के प्यार में खो गए कि तभी, "पापा, पापा, पापा, मुझे जल्दी बचाओ," उदित की चीखें सुनाई पड़ी, वो लहरों में फंस गया था, वेद बिना कुछ सोचे समझे उसकी ओर दौड़ पड़ा ऐसा लग रहा था जैसे उसकी सोचने की शक्ति ही चली गई हो, दिशा भी वेद के पीछे भागी, वो बहुत घबरा गई थी, वह भी जाकर समुद्र में कूद गई और वेद के पास पहुंची और बोली," तुम बाहर निकलो वेद तुम्हें तैरना नहीं आता", वेद बोला, " मैं अपने बेटे को बचाकर ही बाहर निकलूंगा" l दिशा ने फिर कहा, "पागल मत मानो वेद, जाओ, मैं अच्छी तरह से तैरना जानती हूँ, तुम जाओ", वेद बाहर आ गया, बारिश भी होने लगी थी l उदित माँ को देख कर खुश हो गया और कहां, "मां मुझे बचाओ", दिशा ने जल्दी से उसका हाथ पकड़ा, लहरें बहुत तेज़ थीं, दिशा उदित को संभाल ही नहीं पा रही थी, वो बार बार लहरों के नीचे खो जाती, बारिश भी अब बहुत तेजी से हो रही थी, हवाओं का रुख भी तूफानी हो चुका था, वेद भी अपना दिल थामे भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि तभी दिशा उदित को लेकर बाहर आई, उसने उदित को किनारे पे लिटा दिया और कहा कि, "मैं अपने बच्चे को नहीं बचा पाई, वो तेज़ तेज़ रोने लगी, वेद एक तक उदित को देखे जा रहा था, उसने अपने बच्चे को गोद मे भर लिया और सहलाने लगा और बोला," उठो बेटा, देखो पापा तुम्हें बुला रहा है ", ये कहकर वो पागलों की तरह रोने लगा कि तभी उसकी नज़र उदित की गर्दन पर पड़ी, उसपे उंगलियों के निशान थे, वो कुछ समझता कि तभी वैसे ही निशान उसकी कलाइयों पे भी दिखे, वो सोच मे पड़ गया l दिशा चुपचाप खड़ी थी l वेद को बार-बार वो मंजर याद आने लगा जब उदित डूब रहा था, जिन्हें वह समझ नहीं पा रहा था लेकिन अब वह सब कुछ समझ चुका था, कि दिशा उदित को बचा नहीं डुबो रही थी और वो बेचारा यही सोचता रहा उसका बेटा बच जाएगा l उसने तुरंत ही बिना कुछ सोचे समझे दिशा को पकड़ा और थप्पड़ मारा और वो गिर गई, अब तूफ़ान भी भयानक रूप ले चुका था, लहरें उफान मार मार के वेद और दिशा के पास तक आगई थीं l वेद ने चिल्लाते हुए दिशा से कहा, "आखिर क्यूं"?, दिशा ने वेद के गले लगते हुए कहा, "तुम रो मत वेद मैं हूँ ना, अब हमारे बीच कोई नहीं है, तुम सिर्फ मेरे हो वेद, उदित को भी मैंने अपने रास्ते से हटा दिया, अब तुम और मै बस और कोई नहीं" l वेद ने चिल्लाते हुए दिशा का गला दबा दिया और सीधा समंदर में घसीटते हुए ले गया और कहा, " दिशा आई लव यू, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं लेकिन मैं अपने बेटे के बिना जिंदा नहीं रह सकता, तुमने मेरे बेटे को मारा, तुम दोषी हो तुम्हें इसकी सजा मिलेगी और वो सजा मैं तुम्हें दूंगा", ये कहकर वेद ने दिशा को मार दिया और रोते हुए उदित के पास गिर गया कि तभी वेद का वकील आया और कहा," उठो वेद कोर्ट का टाइम हो गया, चारों तरफ खामोशी थी पर वेद की आंखों में आंसू भरे हुए थे और वो तूफानी शाम उसके अंदर आज भी उसके दिल मे उफान मार रही थी l वह उठा और अदालत में पेश हुआ, तमाम सबूत और दलील पेश की गई और फिर एक फैसला सुनाया गया कि वेद को 20 साल की सजा मिलेगी l जज ने पूछा, "आपको कुछ अपनी सफाई में कहना है"?, वेद ने कहा कि, "जज साहब, मुझे बस इतना कहना है कि मुझे सजा-ए-मौत दो क्योंकि मैंने अपनी पत्नी को मारा है और वैसे भी अब मैं किसके लिए जिंदा रहूंगा इसलिए मौत ही मेरी सजा है, और यही सज़ा मुझे मिलनी चाहिए" l यह कहकर वेद जेल की ओर चला गया l

? समाप्त ?

कहानी पढ़ने के लिए आप सभी मित्रों का आभार l
कृपया अपनी राय जरूर दें, आप चाहें तो मुझे मेसेज बॉक्स मे मैसेज कर सकते हैं l

?धन्यवाद् ?

? सर्वेश कुमार सक्सेना

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