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मन्नत - A love Story

प्यार तो मैंने बस फिल्मों और किताबों में ही देखा है रियल लाइफ में यह बस एक ख्वाब है सिर्फ एक सोच है 
क्योंकि ऐसी दुनिया में सच्चा प्यार मिलना बहुत मुश्किल है जहां लोग सबसे पहले खुद के बारे में सोचें
मैं भी बहुत भटका था इश्क की उन गुमनाम गलियों में सच्चे प्यार की ख्वाहिश लिए पर अफसोस वह ख्वाहिश ख्वाहिश ही  रही लेकिन शायद खुदा की मुझ पर नजर पड़ ही गई शायद उसकी रहमत बरसी मुझ पर और मेरी लाइफ में मन्नत आई हमारा मिलना बस एक इत्तीफाक था मुझे आज भी याद है वह दिन जब मेरा पहला गाना यूट्यूब पर आया था मैं  वह गाना अपने दोस्तों के साथ शेयर कर रहा था अचानक ही मेरे मोबाइल में एक कॉल आई और उस रॉन्ग call ने मेरी जिंदगी बदल दी हम हर रोज बात करने लगे दोस्ती हुई धीरे धीरे हम एक दूसरे की जरूरत बन गए वक्त बीतता गया हमने अभी तक एक दूसरे को देखा भी नहीं था सिर्फ फोन पर बातें होती थी हमारी।।
हम एक दूसरे को खोने से डरने लगे हां हम एक दूसरे से प्यार करने लगे थे।।
''अच्छा मन्नत सोचो जब हम पहली बार मिलेंगे तो तुम क्या करोगी''
''उसने कहा कि तुम्हें ना एक जोर से थप्पड़ मारूंगी कि इतना प्यार करने के बावजूद मुझे खुद से इतना दूर रखा।। 
फिर एक दिन हमारा झगड़ा हो गया जब मैंने शादी के लिए बोला तो मन्नत ने कहा कि हम शादी नहीं कर सकते।।
''तो क्या जिंदगी भर बिना एक दूसरे को देखे बिना एक दूसरे से मिले ऐसे जिंदगी बितानी है''
 ''हां शायद क्योंकि मम्मी पापा नहीं मानेंगे'' मन्नत ने उदास होकर कहा।।
 ''अरे क्यों नहीं मानेंगे'' मैने गुस्से में चिल्लाकर कहा।।
 ''क्योंकि मैं मुसलमान हूं पापा बिल्कुल नहीं चाहेंगे कि मेरी शादी दूसरे मजहब में हो'' मन्नत ने चिल्लाकर  कहा।।
''तो, तो तुम किसी और से शादी करोगी''  मैंने गुस्से में कहा।।
 ''हां शायद क्योंकि मैं उनकी बात नहीं टाल सकती''
 ''तो फिर क्यों आई मेरी जिंदगी में नहीं आना था ना'' मैंने गुस्से में कहा
 और फिर शांत होकर ''प्लीज यार मन्नत मुझे अधूरी चाहत नहीं चाहिए 
मुझे कोई मिसाल कायम नहीं करनी यार बहुत तकलीफ होती है बस तुम्हारे साथ रहना है मुझे 
सब कर सकता हूँ मैं बस रह नहीं सकता तुम्हारे बिना ''
मैं बात कर ही रहा था उसने फोन काट दिया मैंने बहुत कोशिश की मिलाने की मगर अब उसका फोन स्विच ऑफ आ रहा था इसी कोशिश में 2 महीने बीत गए मुझे कितनी तकलीफ हो रही थी यह बस मैं जानता था दोस्तों ने देखा तो कहा छोड़ ना यार
सोच लेना वो आई ही नहीं तेरी जिंदगी में  वैसे भी तूने देखा ही कहां है उसको
 उनसे क्या कुछ कहता लेकिन जब एक दिन मैं घर आया तो माँ ने कहा कि देखना ये शादी का कार्ड आया है मैनें देखा तो वो किसी और का नहीं मन्नत की शादी का था  वह शादी कर रही थी दोस्त हंस रहे थे मुझ पर कि मैं अभी भी उससे मिलने जा रहा था लेकिन उन्होंने मुझे अकेला नहीं छोड़ा वह सब मेरे साथ गए जिस दिन शादी थी 
जब हम वहां पहुंचे तो बड़ा अजीब माहौल था शादी जैसे माहौल पर इतनी खामोशी एक सन्नाटा था जब हम अंदर पहुंचे तो वहाँ लोगों की भीड़ लगी हुई थी सभी की आंखों में आंसू थे पास जाकर देखा तो एक लड़की जो दुल्हन थी बेसुध होकर पडी थी ज़िंदगी में बहुत कुछ गलत हुआ लेकिन दुआ कर रहा था कि बस भगवान अब कुछ गलत नहीं दुआ कर रहा था कि ये मन्नत ना हो
सबके मना करने के बावजूद मैं उस लड़की के पास गया और चेहरा देखने के लिए जैसे ही मैंने उसके चेहरे को अपनी तरफ किया तो उसका हाथ गाल पर एक थप्पड़ की तरह पड़ा और मैं वहीं बैठ गया उसने अपने हाथ की नसें काटी हुई थी थप्पड़ पड़ते  ही मुझे कही बात याद आ गई कि अमन जिस दिन मिलोगे ना उस दिन जोर से तमाचा मारूंगी कि इतना प्यार करने के बावजूद मुझे खुद से इतना दूर रखा मैं बेसुध सा हो गया ऐसा लग रहा था जैसे हवाएँ चलना बंद हो गई हो जैसे कोई सांसे छीन रहा हो कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं और फिर मैंने देखा कि उसके हाथ में एक कागज था जब मैंने उसे खोल कर देखा तो--
 ''तुम्हारे बिना जीने से अच्छा है कि हमेशा के लिए तुम्हारी हो के मर जाऊं''
                                         मन्नत।।
                          
 By:- Aman Tekaria

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