Religious and caste books and stories free download online pdf in Hindi

धर्म और जात

नमस्कार दोस्तों
मैं वीरेंद्र मेहरा
वैसे तो धर्म  जिसके माध्यम से हम अपने जीवन को सादगी और सुचारू रूप से चलाने का कार्य करते हैं
 परंतु यही धर्म राष्ट्र की प्रगति में बाधक किस तरह बनता है समझ में हम अलग-अलग धर्म को मानते हैं और उन्हें विश्वास करते हैं परंतु आपस में किसी दूसरे धर्म के प्रति हमारे मन में  घृणा भाव पैदा हो जाता है हम आपस में लड़ने लगते हैं कि हमारा झंडा ऊंचा है हमारा धर्म ऊंचा है हमारे भगवान बड़े हैं आपस में एक ऐसा भाव बन जाता है जिससे हम सभी लोग की एकजुटता और संगठन, सामंजस्य  बनने में बड़ा सवाल पैदा होता है 
जाहिर सी बात है कि जब हम व्यक्तिगत रूप से  विशेष वर्ग किसी एक धर्म के विकास की बात करेंगे तो दूसरे धर्म का विनाश होगा 
 तब हम राष्ट्र की बात नहीं करते सिर्फ धर्म की बात करते हैं और इस वजह से हम आपस में तुलना करते रहते हैं 
 हम दूसरे के धर्म में बुराई खोजते हैं उनकी पारंपरिक सोच में बुराई खोजते हैं 
हलांकि सभी धर्मों में एक ही बात लिखी गई है कुल मिलाकर उसका निचोड़ देखे तो एक ही बात लिखी गई है कि सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं हो सकता और कर्म करने की बात सभी में की गई है प्रकृति के सम्मान करने के बाद सभी में की गई है 
आपस में ही धर्म लोगों को बांटता है और राष्ट्र की एकता और अखंडता को अक्षण बनाए रखने में यह बहुत खतरा पैदा करता है यह बात करते हैं 
जाति जो होती आईडेंटिफाई हर एक इंसान की एक पहचान होती है जिसके आधार पर उसकी पहचान की जाती है लेकिन यह जाति में भी लोग  बड़ी जात, छोटी जात यह इस प्रकार की भावनाएं को पैदा करके और कहीं ना कहीं समाज में आज असमानता को यह दर्शाते हैं 
 भारत में समाज के नाम पर और यह जात के नाम पर धर्म के नाम पर बहुत कुछ झूठ बोला जाता है 
इसमें कभी भी विवेक और कारण की जगह दिखाई नहीं देती आप सोच नहीं सकते आप भ्रम पैदा नहीं कर सकते जो चल रहा है उसको चलने देने का 
आप उसको तर्क वितर्क ही नहीं लगा सकते इसका मतलब जाहिर सी बात है कि झूठ है 
हर एक चीज बदल जाती है परिवर्तन प्रकृति का नियम है लेकिन जात और धर्म बदलने के नाम पर लोग बड़ी गहराई से सोचने लगते हैं लोग उसको सबसे बड़ा पाप समझते हैं 
उस पर बात करना लोग बहुत गलत समझते हैं है गलत बात है जब कोई विशेष वर्ग अपने द्वारा किए गए कार्यों में विशेष वर्गो का ही रक्षा करता है
जाहिर सी बात है कि बाकी वर्गों का नुकसान होना तय है 
 हर कोई खुद से जुड़ा हुआ वर्ग विशेष के लाभ की ही बात करता है यह देश के विकास में धर्म और जाति बहुत हानिकारक है

 अतः जब तक देश में जातिवाद और धर्म बाद होगा तब तक राष्ट्र की एकता अखंडता में प्रश्न चिन्ह लगा रहेगा
 धर्म समाज के किसी तपस्वी अध्यात्म के ज्ञाता के कठिन परिश्रम के बल पर तैयार किया जाता है
 उसमें एक व्यक्ति की जीवन शैली होती है जिसको उसके समकालीन के सभी लोग मानते हैं और जानते भी और उस पर चलते है
 हर एक संप्रदाय में अलग अलग व्यक्ति को वह अपना मान सकते उसकी जीवनशैली को अपना सकते हैं
 लेकिन हां हर एक व्यक्ति के द्वारा बनाए गए धर्म उस धर्म में विवेचन करना संशोधन करना परिवर्तन करना आने वाले युग के हिसाब से यह बहुत जरूरी है
 यह होना चाहिए क्योंकि जिस जीवन शैली की वजह से हम उस धर्म को मानते हैं जीवनशैली और समय की सारी चीज बदलती है तो उसमें भी बदलाव की गुंजाइश के हिसाब से उसमें संशोधन करने का लोगों को तर्क वितर्क करने का लोगों को विवेचना करने का लोगों को समीक्षा करने का अधिकार होना चाहिए  
 धर्म निडर होना चाहिए धर्म कट्टरवाद नहीं है धर्म सिर्फ एक जीवन शैली जिससे आम जनमानस शांतिपूर्ण ढंग से अपने जीवन को जीता है
 धर्म कोई दखल नहीं लेकिन लोग आज धर्म को कट्टरवाद बना दिया हिंसा बना दिया है 
 यह मानवता के लिए धर्म विपरीत रोल करने के लिए मजबूर हो गया

                           वीरेंद्र मेहरा 
                          स्वतंत्र लेखक

अन्य रसप्रद विकल्प