Aisa pyar kaha - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

ऎसा प्यार कहाँ..- भाग - 2

भाग 2


पीछले भाग में आप लोगों ने नील और प्रज्ञा के बीच की कुछ खट्टी - मीठी बातों की नौक- झौक.... जिसे ऊब कर प्रज्ञा ऑफलाइन हो जाती है.... उधर नील भी ठान लेता हैं, कि प्रज्ञा को जान कर ही रहेगा..... आइए आगे जानते हैं कि कहाँ तक पहुँचता है, इनका ये रिश्ता....... ❤️❤️

प्रज्ञा अपने रोज के कामों से निपट कर फिर ऑनलाइन आती है, जैसे ही नेट ऑन करती हैं..... नील के तीन msg आए हुए थे... एक bye... एक gn का 
....... और एक gm ?
प्रज्ञा गुस्से में msg टाइप करती हैं...... आपको हमने मना किया था ना....कि आप msg नहीं करोगे.... फिर भी कर रहे हो.. 
नील का तुरन्त रेपल्‍य आता है 
नील..... .. आपने तो पोस्ट पर कमेंट के लिए मना किया तो सोचा... क्यु ना इनबॉक्स में ही msg कर दूँ। 
प्रज्ञा..... क्यू... Msg करना जरूरी है क्या..?? 
नील .... क्यू.... कर नहीं सकता.. क्या...?? 
प्रज्ञा.... नहीं
नील.... क्यू... जी 
प्रज्ञा.... कहा ना... मैं आप को नहीं जानती इसलिए। 
नील..... आपकी सुई अभी तक वही अटकी हुई है। मैंने अपने बारे में तो आपको सब बता दिया.... आप ही अजनबी बनी हुई है ?
प्रज्ञा.... पर क्यू... जनना चाहते हो  हमे... 
नील.... पर क्यू नहीं जान सकता 
प्रज्ञा.... क्युकी हम किसी से बात नहीं करते.... और नहीं करना चाहते... 
नील..... क्यू जी.... बात करने में क्या प्रॉब्लम है, कहीं आपको ये डर तो नहीं कि आपको हमसे प्यार हो जाएगा
??? । 
प्रज्ञा.... जी नहीं.... ऎसा कुछ नहीं है, आप को शायद पता नहीं.... हम शादीशुदा है...और एक बच्चे की मां भी है, आप इस तरह बात नहीं कर सकते हैं हमसे... 
नील....अच्छा जी..... तो आप married है.. तो क्या हुआ जी....... वैसे ये किसने कह दिया के शादी के बाद प्यार नहीं हो सकता...... शादी और प्यार.... दो अलग अलग बातें हैं, शादी का मतलब एक बंधन हैं, जो अगर प्यार के दायरे में बांधा जाए तो प्रेम सूत्र बन जाता है....... और अगर ये परिवार और समाज के लिए अपने अरमानों को घोट कर बांधा गया हो तो जंजीर बन जाता है, जब कि प्यार एक दिल को दूसरे दिल से जोड़ता हैं, प्यार में एक की तकलीफ दूसरा महसूस कर लेता है.... ऎसा होता है प्यार ❤️❤️ 
            प्रज्ञा जैसे नील की बातों में खो सी गई हो। अब उसे भी नील से बात करना अच्छा लगने लगा था..... वो सोचने लगी ठीक ही तो कह रहा हैं, ये नील....शादी हो जाने से जज्बात तो खत्म नहीं होते...... और फिर मेरी और अनुज(प्रज्ञा का पति) की शादी भी तो एक जंजीर से कम नहीं जिसमें सिर्फ एक औपचारिकता रह गई हैं। 
       हम दोनों अपनी अपनी जिम्मेदारी तो बखूबी निभा रहे हैं, पर इन सब के बीच प्यार कही खो सा गया है।चाहे जो हो पर ये भी तो ठीक नहीं है..... पर बात करने में क्या हर्ज है, प्रज्ञा ये सब सोच ही रही थी कि उधर से नील के लगातार तीन msg आते हैं, 
Neel..... कभी कभी.. किसी से बात कर लेनी चाहिए.. जी,.. 
किसी से क्या... मैं तो ये कह रहा हूँ..... कम से कम मुझ से तो बात कर लिया करे?। 
Hello... कहा खो गई आप... ?

प्रज्ञा... कहीं नहीं..... Okay.. अब बाद में बात करते हैं, हमें थोड़ा काम हैं......bye 

कहानी जारी रहेगी...... 

प्रिय पाठकों, 
          हमारी ये कहानी जारी रहेगी अभी दो भाग और आने बाकी हैं, समय की कमी के कारण हम ये कहानी छोटे - छोटे भाग में प्रकाशित कर रहे हैं, 
                हमे कुछ पाठकों के मेलस आए हैं, इस कहनी के पात्र प्रज्ञा और नील के रिश्ते को लेकर सब के अलग अलग मत है,..... आप भी अपना मत समीक्षा द्वारा हमे बता सकते हैं........ हमें इंतजार रहेगा..... ❤️❤️
तब तक के लिए धन्यवाद ? ?.... 

Uma vaishnav 

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