रात ११ बजे के बाद ‌‌‌‌--भाग ६ Rajesh Maheshwari द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

श्रेणी
शेयर करे

रात ११ बजे के बाद ‌‌‌‌--भाग ६

अब उनकी अस्थियों संगम में विर्सजित करके तुम अपना फर्ज पूरा करो ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके।

रवि अपना सारा भेद खुल जाने के बाद अपना अपराध स्वीकार कर लेता है एवं विस्तारपूर्वक पुलिस को सबकुछ बताता है।

वह कहता है कि आनंद एक उद्योगपति व संपन्न व्यक्ति है। उन्होने पाँच वर्ष पूर्व एक बंगला मसूरी में खरीदा था। जिसमें वे साल के तीन चार माह रहते थे। मसूरी क्लब में उनकी मुलाकात शमशेर सिंह नामक एक नामी गिरामी व्यक्ति से हुई थी जिनके सेब के बगीचे थे वे आपस में एक दूसरे के करीबी मित्र बन गये और दोनो का एक दूसरे के यहाँ आना जाना होने लगा। मुझे आनंद के बंगले पर केयर टेकर की नौकरी शमशेर सिंह जी ने दिलवाई थी।

एक दिन गौरव नाम के एक चित्रकार भी आनंद जी के साथ मसूरी आये थे। वे उनके साथ शमशेर सिंह जी के यहाँ गये और बातों ही बातों में उन्होने उनकी बेटी रंजना का एक पोट्रेट बनाने की इच्छा व्यक्त की। उन्होने रंजना से अनुरोध किया कि वह दो तीन दिन के लिये तीन चार घंटे प्रतिदिन आकर अपने पोट्रेट बनाने में सहयोग दे जिसे रंजना ने सहर्ष स्वीकार कर लिया और प्रतिदिन आनंद के बंगले में गौरव से मिलने हेतु जाने लगी। गौरव ने भी उसका पोट्रेट बना दिया और उसे अंतिम रूप देने के पहले आनंद से कहा कि देखो मैने तुम्हारा काम कितना आसान कर दिया है जब तक पोट्रेट पूरा नही होगा तब तक रंजना यहाँ आती रहेगी तुम उसके साथ मित्रता करके उसका फायदा उठा लो, रंजना एक खुले विचारों वाली लडकी थी। उसके कई लोगों से संबंध थे। आनंद ने अवसर को बिना गंवाए रंजना से दोस्ती करके उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित कर लिये।

एक दिन मैंने पर्दे की आड़ से सब कुछ देख लिया था रंजना आनंद से आलिंगनबद्ध होकर एक दूसरे के साथ जीने और मरने की कसमें खा रही थी आनंद उसे अपने दोनो हाथों से जकड़ कर उसका चुंबन लेता हुआ उसके सौंदर्य रस में डूबा हुआ था। यह देखकर मेरे तन बदन में आग लग गयी कि मेरे पूर्व मालिक की बेटी अपने परिवार की मान मर्यादा एवं प्रतिष्ठा की परवाह किये बिना सहवास का आनंद ले रही है। आनंद उसके वक्षस्थल पर अपना सिर रखकर कह रहा था कि वह उसके बिना नही रह सकता। वह उसके सिर पर हाथ फेरती हुई सहमति व्यक्त कर रही थी कि इतने में उनकी प्रेमलीला गौरव की आवाज सुनकर बंद हो गई और वे बिस्तर से उठकर तैयार होकर बाहर आ गये। थोड़ी देर बाद रंजना दोनो से विदा लेकर अपने घर वापस चली जाती है। यह क्रम प्रतिदिन की दिनचर्या में शामिल हो गया था और उसे सबकुछ देखते हुये भी अनदेखी करना पडता था।

इसके कुछ दिनों बाद रंजना के आनंद से शादी के अनुरोध पर दोनो में मतभेद हो गये और आनंद मसूरी छोडकर भाग खडा हुआ। शमशेर सिंह को जब डाक्टर से रंजना के गर्भपात का पता हुआ तो उन्हें बहुत सदमा पहुँचा। उन्होने एक ना एक दिन आनंद से बदला लेने का मन में निश्चय कर लिया था। आनंद साहब ने मुझे अपने गृहनगर अपने पास बुला लिया था और मुझे उनका विश्वासपात्र होने के कारण पूरे घर में कहीं भी आने जाने की छूट थी।

शमशेर सिंह का व्यवसाय भी आनंद ने अपने संपर्कों के माध्यम से चौपट कर दिया था और इस संबंध में वे चर्चा करने हेतु आनंद के पास आये थे। मेरी उनसे मुलाकात के दौरान मैने उन्हें पल्लवी के साथ आनंद जी के संबंधों के विषय में उन्हें अवगत कराया था। उनके पल्लवी एवं उसके होने वाले पति रिजवी से मुलाकात करवाई थी। उन दोनो ने भी अपना दुखड़ा शमशेर सिंह को बताया कि पल्ल्वी का नाम आनंद ने अपनी वसीयत से हटा दिया। अब किसका नाम डाला गया है इससे वे अनभिज्ञ थे क्योंकि इसकी जानकारी केवल गौरव को थी परंतु गौरव कुछ भी बताने को तैयार नही था।

इससे कुछ दिनो के पश्चात अकस्मात ही मुझे आनंद के बेडरूम में उसका दस्तखत किया हुआ स्टेम्प पेपर प्राप्त हो गया। मैनें सोच विचार कर इसका उपयोग वसीयत के रूप में करके आनंद के बाद उसकी सारी संपत्ति हथियाने के लिये करने का निश्चय कर लिया था और मैं येन केन प्रकारेण आनंद की मृत्यु चाहता था। रवि बताता है कि उसकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी और उसके उपर बहुत कर्ज हो गया था जिसके कारण उसके परिवार को गांव में कर्जदारो की बहुत उलाहना सुननी पडती थी। वह रातों रात करोडपति बनने की लालसा रखता था और इसी सोच ने उसके दिमाग में वसीयत की बात आ गयी और वह अपराधीकरण की ओर बढ गया। शमशेर सिंह ने रिजवी से कहा कि आप वसीयत को क्यों महत्व दे रहे हैं इसका उपयोग तो मृत्यु के बाद होता है यदि स्वाभाविक रूप से आंनद अपना जीवन जीता जाता है तो वसीयत के पन्नों का क्या आप अचार डाल कर चाटेंगे और वसीयत तो कभी भी बदली जा सकती है। इसलिये इससे अच्छा तो यह है कि आनंद का अपहरण करके आप और हम दस दस करोड़ रूपये मांग ले जिसका हम त्वरित उपयोग कर सकते हैं आनंद की जान लेने से हमारा कौन सा लाभ हो जायेगा।

मुझे ध्यान आया कि आनंद का एक हमशक्ल मसूरी में उसके गांव के पास एक दूसरे गांव में रहता है। जो कि अपनी खेती किसानी करता था मैं छुट्टी लेकर उसके पास गया उसको मैनें पचास हजार रू दिये और एक लाख रू बाद में देने का वादा किया। मैने उससे वचन ले लिया था कि मैं जब बुलाऊँगा वह मेरे पास शहर आ जायेगा मैंने उसे उसका काम बताया था कि उसे एक घर में रात भर रहना है और सुबह उसको वहाँ से वापिस अपने घर चले जाना है उसे ना किसी से मिलना है ना किसी से बात करना है ना हि किसी को कुछ बताना है इस काम के डेढ लाख रू उसे मिल रहे थे और वह यह करने के लिये तैयार हो गया मैंने आनंद की जीवनलीला समाप्त करने का पूरा प्लान बना लिया था और शमशेर एवं रिजवी को यही बताता रहा कि आनंद को बेहोश करके पिछले दरवाजे से बाहर कर दिया जाएगा जहाँ पर उसके आदमी रहेंगे जो उसे वाहन में बैठाकर अनजाने गंतव्य की ओर ले जायेंगें। मेरी इच्छा आनंद की जीवनलीला समाप्त करने की थी क्योंकि मैं स्टेम्प पेपर के उपर वसीयत बना चुका था।

अपने मास्टर प्लान के अनुसार आनंद के हमशक्ल को वह अपने पास शहर बुला लेता है जिस दिन आनंद के नौकर के यहाँ शादी का दिन रहता है उस रात आनंद का अपहरण करने का निश्चय कर लिया जाता है। रवि को मालूम था कि उस रात आठ बजे आनंद अपने कर्मचारी के यहाँ शादी में जाकर नौ बजे तक वापस आ जायेगा। इस समय उपयोग करते हुये वह हमशक्ल को घर में प्रवेश करा आनंद के घर के ऊपर वाले ड्राइंग रूम तक पहुँचा देगा उस दिन अचानक ही आनंद ने गौरव को रात्रि आठ बजे बुला लिया और नौ बजे तक उसके साथ वार्तालाप करके उसे नीचे छोडकर शादी में शामिल होने चला गया। रवि ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार हमशक्ल को उपर ले जाकर बैठा दिया। अब वह दो कप चाय बनाकर जिसमें एक हमशक्ल को देने और एक आनंद को उसके वापिस आने पर देने के लिये बनाता है जिसमें आनंद के कप में जहर मिला देता है वह दोनो कप उसके सामने रखकर नाश्ता लाने वापिस जाता है और इशारा कर देता है कि कौन सा कप हमशक्ल के लिये है। वह इशारे को नही समझ पाता और धोखे से आनंद का जहर वाला कप पी जाता है। रवि जब वापिस आता है तब तक हमशक्ल का जीवन समाप्त होकर सोफे पर लुढ़क जाता है यह देखकर रवि के चेहरे पर हवाइयाँ उडने लगती है कि यह क्या हो गया और वह अब क्या करे ? उसे आंनद के आने की आवाज सुनाई देती है। वह यह सोचता है कि यदि आनंद ने यह देख लिया तो वह क्या जवाब देगा कि यह कौन और यहाँ तक कैसे आ गया ? रवि के पास उससे बचने का कोई जबाव नही था। वह घबडाकर आनंद का रिवाल्वर निकालकर तुरंत जल्दी जल्दी तीन गोलियां भर लेता है और आनंद को खत्म करने का निश्चय करके छिप कर उसका इंतजार करने लगता है। आनंद तेजी से उपर आने के बाद सीधे अपने कमरे की ओर बढ जाता है। रवि मौका देखकर आनंद पर गोली चला देता है जो कि उसकी बांह से छूती हुयी छिटक जाती है आनंद पीछे देखता है तो रवि के हाथ में रिवाल्कर देखकर तुरंत भागता हैं। सीढियों से उतरते समय रवि दूसरा शाट चलाता है जो आनंद को नही लग पाता और आनंद तेजी से दौडता हुआ गार्डन को पार करके बाउन्ड्री वाल के उपर से कूद जाता हैं। रवि गार्डन में उसे मारने का तीसरा प्रयास करता है परंतु दुरी ज्यादा होने के कारण गोली वहाँ नही पहुँच पाती।

अब रवि के होश उड जाते है एवं चेहरा पीला पड जाता है उसे समझ ही नही आ रहा था कि अब क्या करे। ड्राइंगरूम में बहुरूपिये की लाश पडी हुई थी और असली आनंद बाहर भाग गया था। रवि ने बहुरूपिये की लाश को खींचकर आनंद के बेडरूम में राइटिंग टेबल की कुर्सी पर ऐसे बैठा दिया जैसे वह कुछ सोच रहा हो और लिफ्ट से नीचे आ गया। इसके पंद्रह मिनिट बाद रात्रिकालीन नौकर रमेश प्रतिदिन की भांति चाय लेकर बेडरूम में आता है और सामने चाय रखकर अपने मालिक को आवाज देकर कहता है कि साहब चाय आ गई। परंतु उसकी बात का कोई जबाव नही मिलता तो वह पास जाकर देखता है तो उसे कुछ अजीब सा महसूस होता है वह उनको हिलाता है तो लाश लुढक जाती है यह देखकर वह चीख पडता है और कारीडोर से नीचे आवाज देकर सबको बुलाता है। रवि भी भागता हुआ ऊपर आता है। उसी समय रमेश पारिवारिक डाक्टर को फोन करता है वहाँ पता होता है कि डाक्टर विदेश गये हुये हैं। तभी गेट का चौकीदार उपर खबर करता है कि डाक्टर आ गये हैं। रवि तुरंत नीचे जाकर दूसरे डाक्टर को लेकर लिफ्ट से उपर आता है जो जांच के बाद हृदयाघात के कारण उसे मृत बताकर वापिस चला जाता है।

हरीश रावत उससे प्रश्न पूछता है कि आनंद की आत्महत्या कर लेने का टेलीफोन किसके द्वारा और क्यों किया गया था, दूसरी बात यह बताओ कि वह डाक्टर कौन था जिसने आनंद की स्वाभाविक मृत्यु हृदयाघात से होना बताया था। रवि कहता है कि वह टेलीफोन मैने ही हमशक्ल को उपर बैठाकर नीचे आकर किये थे। आनंद यदि जहर वाली चाय पी लेता तो मैं उसकी आत्महत्या का मामला बनाने की कोशिश में था। डाक्टर जो आया था वह वास्तव में कंपाउंडर था जिसे मैंने इस काम के लिये पच्चीस हजार रू. देकर गांव से बुलाया था।

हरीश रावत ने उसको जोर से थप्पड मारते हुये कहा कि तुमने आनंद के उपर गोली नही चलायी बल्कि उस व्यक्ति पर गोली चलायी जिसने तुम पर इतना विश्वास किया। इसके बाद का घटनाक्रम आनंद के हमषक्ल की अंत्योष्टि से लेकर अभी तक का आपको मालूम ही है।

हरीश रावत अब रवि से पूछता है कि आनंद कहाँ पर है वह कहता है कि मुझे नही मालूम कि उसे कहाँ पर रखा गया है और वह जीवित है या नही इसकी मुझे कोई जानकारी नही है। मैं आनंद की मृत्यु चाहता था मुझे उसकी वसीयत का फायदा तभी मिल सकता था जब आनंद की जीवनलीला समाप्त हो चुकी हो। रिजवी और शमशेर सिंह आनंद की मृत्यु नही चाहते थे, वे पाँच दस करोड़ रूपये प्राप्त करके उसे छोड देने में रूचि रखते थे। इस कारण उन दोनो में मुझे आनंद के संबंध में कोई भी जानकारी जानबूझ कर नही दी हैं।

अब जाँच अधिकारी उससे पूछता है कि तुम एक राष्ट्रीयकृत बैंक में कई बार जाते हुये दिखे हो हमें इस संबंध में पूरी जानकारी है अब तुम ही बता दो कि क्या माजरा है। रवि समझ जाता है कि पुलिस को पूरी खबर है अब झूठ बोलने से कोई फायदा नही। वह स्वीकार कर लेता है कि उसका बैंक खाता एवं लाकर वहाँ पर है। बैंक का यह खाता रिजवी के सहयोग से खोला गया था और लाकर में जो वसीयत मैंने बनाई थी उसकी मूल प्रति रखी हुयी है। वह पुलिस के संरक्षण में वहाँ जाकर वह वसीयत हरीश रावत के हाथों में दे देता है। इस प्रकार पुलिस को रवि के खिलाफ सबसे बडा सबूत प्राप्त हो जाता है।

अब यह जाँच प्रक्रिया और भी अधिक उलझ गयी थी एवं इसमें बहुत सावधानी बरतने की आवश्यकता हरीश रावत समझ रहे थे। इसकी महत्वपूर्ण कड़ी शमशेर सिंह और रिजवी को पुलिस खोज रही थी परंतु वे दोनो नदारद थे। पुलिस को यह भी शक था कि कही ये दोनो देश के बाहर ना चले गये हो।

राकेश और गौरव को जब यह बात पता हुई तो उन्होने सोचा कि उन्हें भी आनंद के संबंध में जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिये। यदि आनंद जीवित है तो उनके लिये इससे अधिक खुशी की बात और क्या हो सकती हैं। पुलिस तो अपना प्रयास कर ही रही है वे इस दिशा में क्या कर सकते हैं यह सोचते हुये वे मानसी के पास पहुँचते हैं मानसी पूरी बात सुनकर कहती है कि पल्लवी को भी सारी बाते पता नही है उसने मुझे बताया था कि गोवा में रिजवी प्रतिदिन किसी से फोन पर बात करता था जिसमें आनंद का जिक्र रहता था मेरे बहुत पूछने पर भी उसने मुझे इस संबंध में कुछ भी नही बताया वह मुझे बिना बताए ही अचानक गायब हो गया। मानसी उससे पूछती है कि रिजवी के उसके खुद के मकान के अलावा और भी कोई रहने की जगह है क्या? पल्लवी बताती है कि हाँ एक फार्म हाउस है जो कि यहाँ से 25 किलोमीटर की दूरी पर है परंतु वहाँ पर वह बहुत कम ही जाता है राकेश यह जानकारी पुलिस विभाग को देता है हरीश रावत इसे महत्वपूर्ण मानता है और अपने विश्वसनीय पुलिस कर्मचारियों को फार्महाउस पर नजर रखने के लिये नियुक्त कर देता है उसे उसी दिन शाम को ही खबर मिलती है कि शमशेर सिंह और रिजवी को वहाँ देखा गया है वहाँ की गतिविधियाँ संदिग्ध हैं एवं चारों ओर से नजरबंद जैसा माहौल है यह जानकर हरीश रावत के नेतृत्व में पुलिस दल बल सहित रात में ही वहाँ छापामार कार्यवाही करके रिजवी और शमशेर सिंह को गिरफ्तार करके आनंद के विषय में कडाई से पूछताछ करते है तो वे बता देते हैं कि आनंद उपर के कमरे में सुरक्षित है पुलिस तुरंत ही उपर जाकर आनंद को अपने कब्जे में ले लेती है और तुरंत ही उसे वहाँ से अपने साथ वरिष्ठ अधिकारियों के पास ले जाती है।

यह जानकारी उसके घर पर पहुँचने पर खुशी का माहौल हो जाता है और आनंद से मिलने पहुँच जाते हैं। वहाँ पर शहर के पत्रकारों, गणमान्य नागरिकों एवं कर्मचारियों की भारी भीड एकत्रित हो जाती है जिसे संभालना पुलिस के लिये कठिन हो जाता है पुलिस अधिकारी आनंद से जानना चाहते हैं कि उसका अपहरण क्यों हुआ और कैसे उसने अपनी जान की सुरक्षा की उसे अपहरण के दौरान उसके साथ कैसा व्यवहार हुआ इस पूरे मामले की विस्तृत जानकारी जानने के लिये सभी उत्सुक थे।

आनंद सबसे पहले अपने परिवारजनों एवं अपने अभिन्न मित्रगण राकेश एवं गौरव के साथ अपने पारिवारिक मंदिर में जाकर प्रभु कृपा के लिये प्रभु को प्रणाम करके आकर सभी बातें बताने की इच्छा व्यक्त करता है। पुलिस के संरक्षण में उसे मंदिर ले जाया जाता है। जहाँ वह दर्शन के उपरांत वापिस आ जाता है। अब वह अधिकारियों को विस्तारपूर्वक सभी घटनाओं की जानकारी देता है।

वह कहता है कि उस दिन रात को लगभग नौ बजे गौरव के जाने के बाद वह रवि को बताकर उसके कर्मचारी की बेटी की शादी में जाकर साढे़ नौ बजे के आसपास वापिस आता है उस दिन घर एकदम सुनसान था केवल एक चौकीदार और रवि ही वहाँ पर थे क्योंकि सभी कर्मचारीगण शादी में शामिल होने गये हुये थे। वह लिफ्ट से उपर जाकर अपने बेडरूम की ओर बढ़ रहा था उसे महसूस हो रहा था कि कोई बेडरूम के पर्दे के पीछे छिपा हुआ है यह देखकर वह थोडा ठिठका और बेडरूम के सामने के काँच में रवि का प्रतिबिंब दिख रहा था उसके हाथ में रिवाल्वर भी थी मैं कुछ समझ नही पाया तभी बेडरूम में घुसते समय ही