बलात्कारी शादियां हैं ये Ajitesh Arya Firenib द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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बलात्कारी शादियां हैं ये

एकल परिवार की संख्या बढ़ती जारही है, शायद भीड़ भरी दुनियां भी भीड़ से परेशान है, आज वक़्त बदल चुका है, हम किसी को फोन करें तो एक सवाल और पूछने लगे है , 'कहां है आप?' क्यूंकि पहले की तरह घर के किसी कोने में फिक्स लैंड लाइन कनेक्शन नहीं होते , बल्कि जगह- जगह घूमते फिरते मोबाइल फोन होते है।

       आज माधुरी दीक्षित और श्री देवी वाले वस्त्र धारण की हुई युवतियां शहर में दिखाई नहीं देती, ना ही बैलबाटम पहने अभिताभ बच्चन जी की प्रतिलिपियां, अरे ! अभिताभ जी खुद वैसे कपड़े नहीं पहनते आज कल ,
       शहर गांव सब बदल रहा है ,बहुत ही तेज़ी के साथ बदल रहा है, पर उतनी तेज़ी से नहीं बदल पा रही तो कुछ संस्कारी मां बाप और समाज के चार लोगों की सोच।
        अठाईस वर्षीय जीतू  स्टेट गवर्नमेंट में लिपिक के पद पर पदस्थ है, उसे आस पड़ोस के लोग , मां बाप और रिश्तेदार बहुत इज्ज़त देते है, आखिर सामान्य वर्ग में सरकारी जॉब आज कल हर किसी की लगती कहां है,
       सभी के द्वारा दी जारही इज्ज़त का सम्मान करना जरूरी है, इज्ज़त के बदले उसे भी कुछ देना होगा समाज को , रिश्तेदारों को,
        जाने कितने ही परिजनों ने बेचारे का अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन जो किया होगा , जीतू ऐसा है , फलाने विभाग में है , उसकी बहुत पहुंच है , और लड़का संस्कारी है, शहर में पढ़ा पर किसी लड़की - वड़की का कभी चक्कर नहीं रहा उसका वगैरा वगैरा , जबकि हकीकत कुछ हद तक तो मिलती थी पर पूरी की पूरी नहीं,  अपने लोगों की इन सब बातों पर ,जीतू को खरे तो उतरना ही पड़ेगा ना भाई,
      वैसे जीतू को आए दिन नए और एक से एक शादी के रिश्ते अा रहे है, पर कोई दहेज नहीं ठीक दे पा रहा , कोई की कन्या उतनी सुंदर नहीं है, कोई  दहेज़ और सुंदर कन्या तो दे पा रहा है पर लड़की पढ़ी लिखी  नहीं है, ऐसी उलझनों के बीच पिताजी ने एक रिश्ता ढूंढ़ निकाला है , जो हर तरीके से जंच रहा है, मां ने कहा है कल की छुट्टी लेने का ताकि लड़की देखने चल सके,
आज जीतू और घरवाले शर्मा जी की लड़की देखने , उनके   शहर आए है,
घर जाते ही शर्मा जी ने बहुत स्वागत किया ।
         जीतू मन बना कर आया था कि मना ही करना है उसे, क्योंकि ,उसके दिल में कोई और बसी थी जिसका नाम रिया था पर निचली जाति की होने के कारण बात उससे आगे नहीं बढ़ पा रही थी ,
     जैसे ही शर्मा जी की लड़की नीति का दीदार हुआ, तो वह रिया से चौगुनी सुंदर प्रतीत हुई, रसायन शास्त्र में मास्टर्स लड़की के पिता दस लाख रुपए का दहेज़ देने को भी तैयार थे,
      जीतू के कानों में मां बाप के संस्कार और समाज के चार लोगों की बातें गूंज उठी;
'संस्कारी लड़के अपने माता पिता की पसंद से शादी करते है और अपनी जात - समाज नहीं छोड़ते ।'
     रिश्ता तो लगभग वहीं तय होगया था, बस घर आकर आपस में विचार विमर्श की औचारिकताएं मात्र रह गई थी।
     जब नीति से उसके घरवालों ने पूछा कि लड़का पसंद आया या नहीं तो बेमन से उसका जवाब सवाल बन कर मां बाप के समक्ष खड़ा हो गया, अंत में उसने सिर्फ एक बात कही कि ;
"पापा ने आज तक मुझे अपनी पसंद से हर चीज़ दिलाई थी, जिसमें खिलौने, कपड़े से लेकर शिक्षा तक शामिल है,तो मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी चीज़ में मेरी मर्जी क्यों नहीं , मां?"
       मां ने कहा "तुम चाहती हो कि तुम्हारे मां बाप की इज्ज़त उछल जाए, तुम्हारे पापा ने कह दिया है कि परेश से तुम शादी कर लो लेकिन एक शर्त पर, उनको अपने हाथों से जहर पिलाती जाना , पूरी जिंदगी उन्होंने समाज में अपनी इज्ज़त बनाने में लगाई है वो ये कभी बर्दास्त नहीं कर पाएंगे नीति।"
      नीति और जीतू रात भर अपनी ज़िन्दगी और प्यार के बारे में सोचते रहे ;
     नीति ने सुबह के साढ़े चार बजे अपना निर्णय ले लिया था
उसने हर तरफ से सोचा, जैसे -परेश की समाज अलग है, उसकी मां बहुत तेज़ है, और कमाई भी ठीक है ना ज्यादा ना कम,और उससे भी बड़ी बात ये कि पूरे समाज से लड़कर मुझे शादी करनी पड़ेगी , हमारी एक दूसरे से काफी बनती है तो क्या हुआ? पसंद नापसंद एक सी है तो भी क्या हुआ जरूरी तो नहीं हर रिश्ते तभी आगे चले जब उसे कुछ नाम दिया जाए, खैर हमारी दोस्ती है ना ,वो थोड़ी टूटेगी,
और सबसे बड़ी बात समाज के चार लोगों में मेरे घरवालों की और मेरी इज्ज़त बच जाएगी, इधर मैंने यदि जीतू से शादी कर ली तो बचेगी नहीं बल्कि बढ़ भी जाएगी , दामाद जी आखिर मां पापा के सरकारी दामाद जो ठहरे , फिर बड़े शहर में आने वाली पीढ़ी का भविष्य भी अच्छा होगा, अंततः नीति ने सुबह एक मैसेज परेश को ड्रॉप किया की आज से हम सिर्फ दोस्त है , मेरी शादी तय हो चुकी है , सॉरी जानू पर मै हमेशा तुम्हें प्यार करूंगी , हमेशा तुम्हें याद रखूंगी पर तुम कभी ऐसा वैसा कुछ मत करना जिससे मेरी जिंदगी में कोई बवाल मचे, बाय।"
        इधर जीतू रात भर ये सोचता रहा कि मैंने रिश्ते के लिए हां करके सही तो किया ना ? क्यूंकि उसने लगभग आठ बजे तय किया कि नीति उसे पसंद है, इधर साढ़े आठ बजे पिताजी ने नीति के घर फोन लगा कर अपनी तरफ से हां कर दिया,
     उधर से आगे की डेट फिक्स करने की प्लानिंग होने लगी, नीति के रात भर हां या नहीं सोचने का कोई मोल नहीं था, मां बाप पूरी तैयारी में थे कि सुबह वो खुद मान जाती है तो ठीक है, वरना उसे मना लिया जाएगा, आखिरकार जीतू ने भी यही निष्कर्ष निकाला कि रिया से उसकी  बहुत अच्छी पटती है, पिछले आठ सालों से  रिया को जानता हूं पर कभी लड़ाई नहीं हुई हमारी , होती कहां से, बेचारी हमेशा तो मेरे सामने झुक जाती है बात आगे ही नहीं बढ़ने देती, खैर इन सब का कोई मोल नहीं परिवर्तन प्रकृति का नियम है, खुद को नीति के हिसाब से ढाल लूंगा, कुछ भी असंभव थोड़ी है,
      बाकी मां बाप और चार लोगो की नज़र में भला तो बना रहूंगा , आज देखो हां करते ही मां पापा के चहरे पर कितनी खुशी है, इसलिए नीति से शादी करना मेरा सही निर्णय है डोंट वरी ऐसा सोचते सोचते जीतू सो गया उसके खयालों में नीति की ख़ूबसूरती बस चुकी थी , जितने फेक्टर चंद समय में एक दूसरे से बात करके पता लगाए जा सकते थे  वो सभी नीति और जीतू ने एक दूसरे के बारे में पता लगा लिए थे।
शादी तय हुई सारे रस्मों रीति रिवाजों के साथ बड़ी धूम धाम से शादी हुई , 'शर्मा जी ने क्या शादी की' वाला शोर पूरे मोहल्ले -  मोहल्ले गूंजा , शादी में समाज के वो चार लोग भी शामिल हुए , अदंर से कुछ बुराई ना कर सकने का मलाल और चेहरे पर नकली मुस्कान के साथ हाथ में फूल लेकर खड़े वो चार सामाजिक बलात्कारी लोग खुश होने का ढोंग कर रहे थे , उस पर से हमारे मां बाप उन चार लोगों की बोलती बंद कर मन ही मन बहुत खुश हो रहे थे,
शादी बड़ी धूम धाम से हुई , अब जीतू और नीति जॉब के चलते भोपाल बस गए,
    शहर तो बड़ा था पर उनकी जिंदगियां बहुत छोटी हो चुकी थी, पता नहीं कब दम तोड़ दे कहा नहीं जा सकता था,
    जीतू और नीति कुछ ही महीनों बाद आपस में लड़ने झगड़ने लगे, जिस्म का आकर्षण दोनों के रिश्तों के बीच और बीच बचाव ना कर सका,
     नीति , सास ससुर को साथ नहीं रखती।
उसे जीतू की हर संडे नॉन वेज खाने वाली  और रोज सिगरेट के धुएं से छल्ले बनाने वाली आदत बिल्कुल बर्दास्त नहीं है, उसे सबसे बड़ी यही शिकायत है कि जीतू ने पहले क्यूं नहीं बताया, उसे ऐसे लड़के बिल्कुल पसंद नहीं है,  और इधर जीतू को नीति से ज्यादा अपनी मां से शिकायत है जिसने खुद की कसम देकर रिश्ता तय करवाने ले गई थी कि वहां अपनी इस आदत का जिक्र ना करे ; क्यूंकि चाहे कुछ भी हो नॉन वेज खाने वाली रिया को मां अपने घर की बहू वो हरगिज़ स्वीकार नहीं कर सकती थी,
     आज नीति और जीतू को वो चार लोग नज़र नहीं अा पा रहे जो शादी के वक़्त खुश हो कर तालियां बजा रहे थे,
     अब हर सुबह दोनों के बीच पति पत्नी के रिश्तों का बलात्कार होता है, जिसकी वज़ह समाज के वो चार लोग है जिन्होंने शादी के स्वतंत्र निर्णयों के साथ बलात्कार किया था, जम कर कहा सुनी , अपशब्द रोना धोना सब दिनचर्या का हिस्सा हो चला है, और जैसे ही रात होती है,तो बेडरूम में उनके प्यार की दिन भर के बलात्कार के बाद रोज हत्या हो जाया करती है , इसी तरह उनकी जिंदगी हत्या और बलात्कार की कहानी हो चुकी है, शर्मनाक बात तो यह है कि समाज को कानो कान खबर नहीं है पर उनके बिस्तर पर अब दो लोग नहीं चार लोग सोते है,
नीति , जीतू , परेश और रिया ।
जिस्म दो लोग चार, है ना कमाल की बात?
       आज हमारे समाज में कई ऐसे शादी शुदा जोड़े है जो सिर्फ हमबिस्तर भर है पर उनके साथ उनके प्रेमी परेश और प्रेमिका रिया सोया करती  है।
        हो सकता है, आपमें से ही बहुत से लोग या आपसे जुड़े बहुत से लोग , इन बलात्कारी शादियों के शिकार है, वो चार लोग इन्हें कभी नहीं मिले जिनकी वज़ह से इन्होंने शादी की और अब लड़ भीड़ कर दाम्पत्य जीवन काट रहे है।