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दाना डाकू

कहीं सारे घोड़ो की दोडने की आवाझ आईं और पुरे गांव मे अफरा तफरी मच गई लोग इधर-उधर भागने लगे कोई अपना सामान छोड भागता तो कोई आनन-फानन मे जितना हाँथ लगा उतना ले भागता। लोग इस तरह भाग रहे थे मानों भूकंप आ गया हो। और जो आया था वो भूकंप से कम ना था। वो भूकंप दाना डाकु था। जिसके लिए सैकड़ों जाने लेना भी मामूली बात थी। दाना डाकू का डर कईं गांव कई शहरों और  कईं जिलों तक था। उस की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उससे पोलिस भी डरती थी।वो सैकड़ों खून डकैदी और कहीं संगीन गुनाह के बाद भी पोलिस की पकड़ से बाहर रहेता था ना किसी मे हिम्मत थी के उस के खिलाफ आवाज़ उठाएँ और गवाही दे पोलिस भी उसे अरेस्ट नहीं करती थी। दाना इतना क्रूर था कि वो मासूम बच्चों को भी नहीं छोडता था। उस ने अपने क्रूरता भरे जीवन सैकड़ों हजारों लोगों को और गाँवों को लुटा और पुरी तरहां से बरबाद करदिया। एक दिन दाना डाकू ने एक गाँव पे अपने साथियों के साथ मिलकर । हमला किया गाँव के हर आदमी को लुटा और इतना नरसंहार किया के ना छोटे बच्चों को छोडा ना औरतों ना बुढो को ना ज़वान को वो जब लोटा तो बस ऊँगलियों पे गिने जा सके इतनें लोग बचे थे। और वो गांव दाना डाकू का आखरी गाँव था जिसे उसने लुटा।उस के बाद दाना मासूम लोगों की बददुआ के कारण दाना ऐसे रोग से ग्रसित हो गया जिससे वो ना तो चल पाता था ना बैठ पाता था ना सो पाता था बस एक जानदार पुतले की तरहा पडा रहेता वो ऐसे रोग से ग्रस्त था जिस का अभी तक इलाज नहीं खोजा गया था। कहीं सालो तक दाना ऐसा ही रहा उसके कुछ वफादार साथियों के सहारे अपने पापो की सज़ा काटता रहा। उसके रोग के कारण कई लोगों की जानें बची वो लोगों की जाने जिन्हे वो अच्छा रहेने पर मार देता। कुछ दिनों बाद दाना के साथी के रिश्तेदार को दाना की ये बीमारी का पता चला तो उस ने उन्हे बताया के पास के शहर मे एक डाक्टर साहब है जो काफी प्रसिद्ध है और ये बीमारी का इलाज करते उन्होने कहीं ऐसे मरीजों का इलाज किया है। हो सकता है दाना डाकू ठीक हो जाए। दाना का साथी ये बात दाना और दूसरों को बताता है। और वो डाक्टर को शहर से लाने के लिए जाते हैं। सब डाक्टर से मिलकर दाना की बिमारी के बारे मे बताते हैं और दाना का पेशा भी और दाना का कल।और विनती करते है गांव मे आकर दाना का इलाज करने के लिए।और डाक्टर दाना की सच्चाई जानने के बाद भी दाना के इलाज के लिए हामी भर देता है। और एक शर्त रखता है दाना का इलाज होने के बाद वो अपनी सम्पत्ति गरीबो और जिनसे लूटी है उन्हे वापस करनी होंगी। इस पर दाना के साथी मान गए और कहा आप जैसा कहेंगे वैसा होंगा हम वादा करते है। और डाक्टर को अपने साथ गाँव ले आते है।और डाक्टर दाना का इलाज चालु करता है। कुछ दिनों बाद दाना की हालत में सुधार आता है दाना उठ और चलने लगा। दाना डाक्टर का बहोत आभार मानता और अपने बेटे की तरहां चाहने लगा। एक बार दाना ने डाक्टर से उस के बारे में उस के घर के बारे पूछा लेकिन डाक्टर ने अपने बारे मे कुछ भी बताने से साफ इनकार कर दिया। लेकिन दाना के बार बार पूंछने के कारण डाक्टर ने दाना को बताय उस के पिता का नाम राम मोहन था जो के इसी गाँव के रहेने वाले थे और किसान थे ये बताते बताते डाक्टर भावुक होगया और दाना से कहेने लगा मेरे माता-पिता नहीं है उन्हे तुम ने बड़ी बेरहमी से मार दिया था और मुझे अनाथ करदिया था। तुम ने जब हमला किया तो मै शहर में पढाई के लिए गया था।और लोटा तो सब कुछ तबाह हो चुका था मेरी दुनिया खत्म होगई थी। ये सुन कर दाना चकित रह गया रोने लगा और अपने आपको कोसता डाक्टर के पैरों में जा गिरा अपने गुनाहो की माफी मांगता। और डाक्टर से कहेने लगा मेरे गुनाह माफी के लायक नहीं हैं लेकिन बेटा मै तुम्हारा गुनाहगार था मैनें तुम से तुम्हारा सब कुछ छीन तुम्हारे माता-पिता को छिना ये सब जानतें हुऐ भी तुम ने मेरी जान बचाई मेरा इलाज किया। मैंने तुम्हारा इलाज इस लिए कीया ताकि तुम्हे एक जीवन की कीमत पता चले। इस के बाद जैसके दाना के साथियों ने डाक्टर से वादा किया था दाना ने अपनी पुरी सम्पत्ति गरीबों मे बाट दि और अपना जीवन लोगों की सेवा मे बिताया।

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