Mai Bharat ka veer Bhagat Singh books and stories free download online pdf in Hindi

मैं भारत का वीर भगत सिंह

✍By:-  surya rawat

-: वीर भगत सिंह :-
☆07- २८ ▪ B-19
१-
मैं भारत का वीर भगत सिंह 
हे भारत ! तुम्हें जगाने आया हूँ ।
बारूद बिछाकर सीने में 
शत्रु मिटाने आया हूँ ।
लहू  ज्वार उबला है आज 
राष्ट्र धर्म  निभाने आया हूँ ।
मैं भारत का वीर भगत सिंह  तुम्हे जगाने  आया हूँ ।

२-
खोदो मिट्टी बारूद भरो
शत्रु भूमि में हुँकार करो 
ललकार  करो , अब तुम न डरो 
तुम्हारा  भय भगाने आया हूँ ।
मैं भारत  का वीर  भगत सिंह तुम्हे जगाने आया हूँ ।

३-
गूँज उठी प्रातः रणभेरी 
शत्रु पंजे में भूमि  मेरी ।
लहू उबालो प्रचंड  करो ।
शत्रु शीश  काटो  
खंड - विखंड करो ।
शत्रु का..... रक्त सुखाने आया हूँ
मैं भारत वीर भगत सिंह तुम्हे जगाने आया हूँ ।

४- 
खूंखार  चीते शेर बाघ बनों
मेघ गर्जना  शेषनाग बनों 
लेकर  अवतार महाकाल दुर्गा का 
रणचंडी  या नरसिम्हा भाग बनों 
इंद्र  सा वज्र  बनकर टूटो 
शत्रु को अवतार  दिखाने आया हूँ ।
मैं भारत का वीर भगत सिंह तुम्हे जगाने आया हूँ ।

५-
विकराल काल  मुँह  ,
आज महाकाल खोल रहा है, 
भू -नभ सब धरती  अंबर ....
सारा समंदर डोल रहा है , 
गरज रहा हिमालय  भी 
गूँज सुनाने आया हूँ ।
मैं भारत का वीर भगत सिंह तुम्हे जगाने आया हूँ । 

६-
लेकर वज्रदंड हाथों में 
तुम खूंखार प्रहार  करो 
शत्रु मुंड काटो ...सीना फाड़ो 
कुरूक्षेत्र  सा विस्तार करो  ।
मैं आज केशव  स्वंय  अर्जुन  बना 
भूचाल  उठाने आया हूँ 
मैं भारत का वीर भगत सिंह तुम्हे जगाने आया हूँ ।

७- 
वीरों  की धरती है ये ,
यहाँ सिर्फ  वीरों का अभिनंदन हैं , 
कंकण - कंकण यहाँ का सोना 
माटी - माटी चंदन है ।
विद्यावती का वीर  बालक खड़ा  , 
ये माँ भारती का नंदन है ।
रग - रग मेरी जय हिंद बोलती 
जय हिंद का ही वंदन है , 
अपनी मैं पहचान  बताने आया हूँ ।
मैं भारत का वीर भगत सिंह तुम्हे जगाने आया हूँ ।



८- 
मैं सदैव  से ही प्रशंसक रहा 
वीर अर्जुन के बाणों का ,
काली का खप्पर प्यासा है 
आज शत्रु के प्राणों का ।
जिस भारत की भूमि ने केशव का अवतार लिया ,
नसिम्हाँ का अवतार लिया
जिसने लौहपुरूष  सरदार दिया ।
नर - नर में जहाँ राम है बसता  
नारी में रणचंडी  दुर्गा  अवतार दिया ।
आज काली कैलाशी को इनका लहू पिलाने आया हूँ ।
मैं भारत का वीर भगत सिंह तुम्हे जगाने आया हूँ ।



-९
पीठ दिखाकर भागने वालों 
मेरी ललकार  सुन लो तुम ,
अब न तुम्हारा  यहाँ राज चलेगा 
दूसरी  धरती चुन लो तुम ।
दुश्मन ने आँख उठाकर  जो भारत देखा ....
पीतल भर देंगे छाती में , 
जो इस मिट्टी को  छूने वाला 
उसे भी मिला देंगे माटी में ।
सारे गद्दारों को मैं आज सजा सुनाने आया हूँ ।
मैं भारत का वीर भगत सिंह 
हे भारत  ! तुम्हे जगाने आया हूँ ।

☆07- २८ ▪ B-19
✍By:-  surya rawat

मैं आगे भी अपनी कविता एवं कहानियाँ  प्रेषित करता रहूंगा । कृपया  मुझे समर्थन  देते रहिए .... मुझे वीर रस की कविता लिखना अति प्रिय है । 
मेरे पास स्वरचित कहानी और कविताओं का अगाध कोष है । कृपया  मुझे सुझाव अवश्य दीजिए यदि त्रुटि रही तो सुधार करूंगा । धन्यवाद ??

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