Kuch Baate Mai Bhi Kar Lu.... books and stories free download online pdf in Hindi

कुछ बाते मै भी कर लू....

मे उसके अंदर हु, या वो मेरे अंदर

ये गहरी हवाऐ ,
ये समन्दर की लहेरे ,
जब जब पास आती हे ,
आखे नम हो जाती हे ,
मे उसके अंदर हु , या वो मेरे अंदर ,
वो पता नही लेकीन फीर भी ,
जब जब पास आती हे ,
सांस थम सी जाती हे |

ये सागर कीनारा ,
ये हवा का नारा ,
जब जब महसुस होते हे ,
सासे नम हो जाती हे ,
मे उसके अंदर हु , या वो मेरे अंदर ,
वो पता नही लेकीन फीर भी ,
जब जब महसुस होते हे ,
जान थम ही जाती हे |

ये नाजुक सा सपना ,
लगता हे अपना ,
जब जब देखता हु ,
घडकने नम हो जाती हे ,
मे उसके अंदर हु , या वो मेरे अंदर ,
वो पता नही लेकीन फीर भी ,
जब जब तुटते हे ,
दुनिया रुक सी जाती हे |

जब तु मेरी बाहो मे रहती थी

तेरी आखो का काजल मुजसे कुछ कहना चाहता था

तेरे होटो का गुलाब मेरे होटो से महकना चाहता था

तेरे बदन की रुह मुजसे कुछ सुनना चाहती थी

सबकी ख्वाहीश पुरी होती थी, जब तु मेरी बाहो मे रहती थी

तुजे अक्सर देखा करता था

तुजे अक्सर देखा करता था मेरे सपनो मे

मगर सुबह ने घोखा दे दीया

तुजे अक्सर देखा करता था बारीश की बुंदो मे

मगर बादल ने घोखा दे दीया

तुजे अक्सर देखा करता था हर एक पल मे

मगर पलको ने घोखा दे दीया

तुजे अक्सर देखा करता था हमारी यादो मे

मगर सच्चाइ ने घोखा दे दीया

क्यु भला रो पडे हे मुजको रुलाने वाले

तुजसे हे बहेतर जालीम ये जमाने वाले

भूल से याद भी करले भूलजाने वाले

मुद्दतो बाद जीता तू इश्क की चालबाझी

फिर भी मायूस क्यू हे ए हराने वाले

गैरो ने लाख कोशीश की तु भी आजमाले

कभी हे खुद भी जले, मुजको जलाने वाले

इश्क मे जो मिला लौटा रहा हु मे वापस

क्यु भला रो पडे हे मुजको रुलाने वाले

चलते - चलते...

जितने राग उपर हे उठते, आंसु उतने नीचे हे गीरते
संगीत का ये साझ हे कैसा, हर पल कितने सूर हे मिलते यादे ओर बाते एक से लगते, अपने ही अपनो से जलते
वक्त का ये राझ हे कैसा, रुकता नही कोइ चलते चलते

मत करना...

हद से ज्यादा भी प्यार मत करना, दिल हरेक पे इंसार मत करना
क्या खबर किस जगह पे रुक जाए, सांस का एतबार मत करना
आइने की नजर न लग जाए, इस तरह से शृंगार मत करना
हर तीर तेरी तरफ ही आएगा, यू हवा में शिकार मत करना

आइना

पत्थरों का नगर है बचा आईना
कर रहा हे यही इल्तजा आईना

देख कर लोग तुजको संवरने लगे
अपने किरदार को तु बना आईना

घर के आईने की कद्र घट जाएगी
लाया बाजार से घर नया आईना

भेद चहेरे​ के खुल जाएंगे देखना
सामने जब तेरे आएगा आईना

लाख चहेरे को अपने छुपा ले मगर
जानता हे तेरी हर अदा आईना

हर तरफ बे-जमीरो का बाजार हे
तु किसीको वहा मत दिखा आईना

एक दूजे में रहकर सवर जाएंगे
तु मेरा आईना, मैं तेरा आईना

आईना तुजसे कहता हे काली ये
पहले खुद देख ले फिर दिखा आईना

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