इंतज़ार Richa Modi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

इंतज़ार




☞डो.आनंद = आज मेरे ये  अस्पताल में  पांच साल पुरे हो गऐ ,और मेरे आदित्य और आरजू के भी पांच साल हो गई है फिर आज आरजु की याद आ रही है। 

☞अखिलेश (अस्पताल में काम करने वाला लड़का) = आप  हर रोज याद किया करते हैं । पर कभीकुछ बताया नहीं। बताओ ना कया है सच । 

☞डो.आनंद = थीक है ,आज सुन 



प्रकरण 1


o==[]::::::::::::::::>आज से पांंच साल पहले की बात है , आदित्य का कॉलेज में पहेला दिन था और वो काफी हद तक उत्साह में था , पर उसे दर था की कोई उससे शायद बात नहीं करेगा, पर मेनेे उसे फोन पर समझया और वो कॉलेज गया था।  और उसने पहले दिन में ही सब का  दिल जीत लिया और सब केे साथ जान पहचान बन गई और सब का साथी बन गया था । आदित्य को  कॉलेज में काफी अच्छा लगता था । कयोंकि  मे तो होस्टल में था। 

                      और हमारे मम्मी और पापा के पास बैठ ने का  भी टाईम नही था ।  वो काम करने के लिए घर के  बाहर रहते थे। और धर में आदि अकेेेेला रह जाता था। मम्मी ने उसकी सहाय के लिए रामु काका और शांति काका को रखा था। और वो लोग अच्छे थे। मेरे भाई का काफी ख्याल रखते थे। आदि फोन  में भी उतनी ही बाते करता रहता था । पता है पता है अखिलेस  आदित्य को घड़ी काफी पसंद थी इसलिए पापा ने घड़ी गिफ्ट में दी पर शायद वो आदि को  अपनेपन का  प्यार नहीं दे पाऐ। 

                         आदित्य  हंमेशा अपने वक्त के साथ अकेला रह जाता है पर क्या करे अन्याय तो हमेशा आदि के साथ  ही हुआ था। आदित्य फिर अपने आप को संभाल लेता था। और मुझे ,पापा और मम्मी को   हमेशा याद करता रहता था। 

☞ हर रोज इंतजार करना ही उसकी आदत बन चुकी थी। 
वो ही बेचैन निगाहें वो ही शाम-ए-गम का आलम…

हम कब से देख रहे हैं तेरी वापसी कि राहे..!!



प्रकरण 2


o==[]::::::::::::::::>एक दिन कॉलेज में  आदि ने  एक लड़की को देखा और वो काफी हद तक अलग थी ,वो हररोज तो अपने दोस्तों के साथ रेहता था इसीलिए कभी नहीं देखा की वो लड़की उसके  क्लास में ही पढती थी ।और एक दिन आदि  उसके सामने थोड़ा सा हसा तो उसे लगा की कॉलेज में तो सब दोस्त होते है ।वो भी शायद थोड़ा हस लेगी पर उसने तो आदि की  तरफ देखा भी नहीं , पर उसने कोशिश करना नहीं छोड़ा, एक दिन हुआ और दो, तीन पर वो बिलकुल नही हसी पर आदि को काफी पसंद आ गई थी और वो काफी सुदंर और अच्छी थी। 


o==[]::::::::::::::::>वो फोन पर हर बात बताता था पर में क्या कहता फिर भी मेने कहा कोशिश कर भाई? पर केहते है ना की प्यार सच्चे दिल से होता है कोशिश से नहीं बस एक दिन आदि ने कुछ ऐसा कर दिया की उस लड़की ने मतलब हमारी आरजू की  स्माइल के साथ उसका प्यार और दोस्ती भी मिल गई । और मेरा भाई इतना बड़ा मूर्ख निकला की वो समझ ही नहीं पाया की वो उस लड़की से प्यार करता है इसी लिए उसके साथ बातचीत करने के लिए और उसकी स्माइँल के लिए बेवजह तडपता रहता है ।

 o==[]::::::::::::::::>एक दिन आदि मंदिर जाने के लिए घर से निकला था और उसने देखा की  पहले से वो लड़की वहा थी और वो कुछ हवन करवा रही थी, वो  उसके पास जाता और कुछ बोलु उससे पहले पंडितजी बोले हवन पुरा हुआ और अब आपके मम्मी और पापा के आत्मा को शांति मिलेगी ओर आप दो हाथ जोड कर नमन करलो, 
ये सुन कर वो कुछ भी नहीं बोला और वहा से निकला और कॉलेज में गया और उसके दिमाग मे बस ये ही सब कुछ चल रहा था की वो अकेली है और उसके मम्मी ➕ पापा साथ नही है और उस दिन  उसे कॉलेज आने में देर हो गई और इसी लिए उसे क्लास से निकाल दिया गया और चार दिन तक क्लास से बाहर रेहने की सजा मिली, वो काफी रो रही थी और ये आदित्य देख ना सका और उसने सबके सामने सर को जाकर सबकुछ कहा कि वो अपने मम्मी और पापा के हवन के लिए गई थी। और फिर उन्हें अपनी गलती की माफी मांगी, 


 o==[]::::::::::::::::>और फिर कुछ देर बाद आदित्य के पास वो लड़की आई और उसने कहा मेरा साथ दिया और उसके लिए  थँकयु .और आदित्य के खुशी का ठिकाना ना रहा और वो काफी खुश हो गया और आदित्य ने उस लड़की से नाम पुछा और उसने कहा आरजू और मेरे भाई ने  कहा मेरा नाम आदित्य है । बस उसी दिन से दोस्ती का जादू छा गया और एक दिन आरजू ने कहा की वो अकेली है, और उसके मम्मी और पापा अब इस दुनिया में नहीं है और वो अनाथाश्रम में पली बडी है। वो काफी रो रही थी और तभी आदि ने उसे सहारा बनकर सामना करना शिखाया ।थोडा थोडा  दोस्ती वाला प्यार, और एक दूसरे के अच्छे दोस्त बन गए थे, कई महिनो तक ये चलता  रहा और एक दूसरे के साथ छोटी छोटी खुशी उन दोनों को पता थी। और उनकी दोस्ती कब प्यार तक पहुँच गई ये उन दोनों को भी पता नहीं चला पर एक दूसरे से कहने से दरते थे। उनकी दोस्ती भी गहरी थी और प्यार भी , हर वक्त एक दूसरे का साथ देना, और उससे आरजू भी बदल ने लगी थी। सब के साथ बात करना शुरू किया था । दोनों काफी बदल गई थे। 






 प्रकरण 3





और वो दो तीन दिन तक कॉलेज नहीं आई और आदित्य ने से कुछ कहा भी नहीं, और दिन गुजरने लगे पर कॉलेज आना ही शायद छोड दिया हो ऐसा आदि को लग रहा था, और उसने काफी जानने की कोशिश की पर कुछ पता नहीं चला और आदित्य काफी गभींर हो गया और वो उसे आरजू की चिंता होने लगी।
o==[]::::::::::::::::>एक दिन वो कॉलेज में बैठा था और उसने देखा की आरजू दुर खड़ी थी और वो कुछ बोल रही और वो समझ नहीं सका, वो बहोत दूर था। तभी उसने देखा की आरजू आज काफी अलग दिख रही थी, उसने बाल और उसका चेहरा और वो काफी सुदंर लग रही थी ,और आदि काफी खुश हो गया,  और वो उसके पास जाने लगा ,और वो भी आदि के पास आ रही थी । तभी कॉलेज के  दरवाजे के पास उस का अकस्मात् हो जाता है ,एक ट्रक उससे टकराता है और फिर आदित्य उसे बचाने के लिए भागा ,उसे कोई गाडी भी नहीं मिली और एक किलोमीटर  दूर ये अस्पताल था, उसमे हम काम कर रहे हैं, तभी आदि बहुत दर गया था, आरजू की सासे यहा तक आते आते बंद हो गई थी, फिर भी उसने  इलाज करवाया था और उसकी जान बची पर वो कोमा मे चली गई और वो आज भी कोमा मे  है और फिर आदित्य ने डोकटर की पढ़ाई की और वो आज भी इसी अस्पताल में आरजू का इलाज कर रहा है।  

डो.  आनंद = मेरे भाई ने आरजू से सच्चा प्यार दिया और वो आज भी उसके लिए  सासे ले रहा है। और ये थी मेरे भाई और  डो. आदित्य  की कहानी!! और आज पांच साल हो गए हैं। और फिर मे भी इस अस्पताल में काम करने आ गया पढाई खत्म कर के, और हम सब आरजू का इंतजार कर रहे है। 

अखिलेश = बहुत ही ददँ भरी कहानी है डो. आदित्य की कहानी! 

(तभी बाहर से आवाज आई) 
आरजू  को हौस आ गया है