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भरोसा

" भरोसा "

                                एक दिन की बात है, एक लड़का अपने हाथ में कुछ पुराने फोटो, पत्र और एक मुरजा हुआ फुल हाथ में ले कर, एक झपकी में सुकून वाली नींद लेने की कोशिश कर रहा था। उस की वो बेवजह की हलचल और झपक झपक कर अपने दिल को सुलाना मानो कुछ ददँ ने उसे जकड लिया हो। बार बार एक ही तस्वीर देखना और एक पत्र देकर रोते रेहना, बार उसे पढना उस में कुछ एस तरह लिखा था।

शुक्रगुजार हूँ तुम्हारी की तुम एक चाँद की तरह आएं , और मेरे दिल को रौशन किया।
तुमने अपने आप को भुलाया और मुझे खुशी दी।
●मुझे प्यार दिया पर शायद में ये रिश्ते को आगे बचा नहीं सकती, मेरे लिए निभाना मुश्किल है।
●मुझे माफ करना, मेरी कुछ मजबूरी है ।➕
●शुक्रगुज़ार हूँ तुम्हारी ,शुक्रिया अदा करना मुश्किल है पर शायद नजरों के साथ ना सही पर पत्र के सहारे तुम्हारा शुक्रिया तुम्हारा ।
●मेरी आँखों को हमेशा मेरा इंतजार रहेगा।
पर दिल तेरा शुक्रगुज़ार है। ➕
                                                       --तुम्हारी मोहिनी

                          ये पत्र पढ कर वो इंसान की आंखे भर आई और वो काफी हद तक अपने आप को संभाल ने की कोशिश की, और तभी उसने देखा की उस के सामने वाली खिडकी में चारो और बर्फ जमी थी। और बहार की और कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। और चारो और बर्फ गिरने लगी थी। तभी उसमें एक चेहरा दिखाई दी और वो मोहिनी थी। वो मायूस थी ।और वो रो रही थी। उसने इशारा किया, उसने वो खिड़की पर एक दिल बनाया और उसे देख वो इंसान खिड़की के पास गया और मोहीने को छू ने की कोशिश में खिड़की खोल ने कोशिश करने वाला था। तभी दरवाजे से आवाज आई, और उसमे उस इंसान का भ्रम टुता, वो फिर सोचने लगा, तभी उसको एहसास हुआ की वो उस का भ्रम है की बहार मोहिनी हैं पर बहार चारो और बर्फ ही बर्फ हैं और कुछ नहीं ।
 

                             वो इंसान एक अंधेरे कमरे में एक जिन्दा लाश की तरह पडा था। उसमे बहार की आवाज़ तो क्या एक रौशनी भी आना पसंद नहीं था। तभी उस शांति में या एकांत में कुछ हलकी हरकत हुई। कसी ने चुपके से दरवाजा खोला, और तभी बाहर की रौशनी उस इंसान के चेहरे पर जा गिरी और वो बोला ,

इंसान = माँ, नहीं दरवाजा बंध करो, मुझे अकेले रेहना है।

तभी वो बोली ,

माँ = बस बैटा ओम ,अब बहोत हुआ, अकेले रेहना छोडो ,कितने महीने एसा चलेगा, देखो बैटा टाइम से बडा कोई भी नहीं है, इस लिये बेचैन होना छोडो, में समझती हुं की मोहिनी ने तुम्हें छोडा, तुम्हारा प्यार छोडा पर शायद उसमें उसकी कोई मजबूरी हो, इस लिये अब तुम ये राह छोड़ना सिखो और अपनी राह नयी बनाओ ।और कुछ काम करो, उसमे तुम्हारा मन लगा रहेगा।

ओम = हा माँ तुम्हारा शुक्रिया, जो तुमने मुझे राह दिखाई,
और मे तुम्हें  बताना चाहता हूँ की में काम चाहता हूँ और एक जगह कल सुबह जाने वाला हूँ पर मेरी पुरानी नौकरी तो छूत गई .पर माँ मोहीनी ने मुझे कयुं छोडा?

माँ =  बस बेटा ये सोचना बंद कर हा बेटा पर ये ज़रूरी तो नहीं हैं की हमे जो पसंद है वो ही हमे मिल जाये ,हा तु कहे तो मैं उसे मिलने जाउगी ,

ओम = पर उसे अच्छा नहीं लगेगा,

माँ =  हा पर में कुछ बात करलु तो पता चले क्या बात है। और हम उसे कुछ केह भी नहीं सकते

ओम = हा पर में एक बात बताउ मोहिनी अनाथ है। उसके आगे पीछे कोई भी नही है, और वो एक अनाथाश्रम में रेहती है, और वो ही उसका परिवार है,

माँ = तो में उस बच्ची से बात करने वहा जाउगी ।

ओम  = थीक है, माँ

                               ओम फिर से अपना काम करने लगा और उसकी माँ मोहिनीसे बात करने गई। थोडी देर बात पता चला की सारे शहर में भारी बर्फ के  कारण काफी लोगों की जान गई है और कई जगह के नाम भी न्यूज  में दिये गई है की वह जगह पर भारी नुकसान हुआ है और उस जगह में मोहिनी का अनाथाश्रम भी शामिल था। और उसमे ये भी बता रहे थे की मौत का आतंक बढ रहा है, कही जगह पर बर्फ और तूफ़ान आ गया है और बर्फ गिरने की वजह से कइँ इलाकों में बर्फ कुछ ज्यादा खतरनाक बन गई है। ये सुन कर ओम बोखलाया हुआ अपनी माँ को ढूंढ ने निकला और वो भी काफी खराब मौसम में ,बर्फ की वजह से चलना भी मुश्किल था और ओम तो गाडी लेकर निकला ।

                             तभी थीक अनाथाश्रम के बहार गाडी खराब हो गई, और खतरा बढ़ रहा था, मौसम की खराबी में कई लोगों की हालत ख़राब कर रही थी। तभी दरवाजे खोल कर बहार आया और आगे बढा और वहा अनाथाश्रम,के बहार एक दुर से एक औरत दिखाई दी और वो काफी जम गई थी और बर्फ की वजह से उसका चेहरा पीला पड गया था। पास जाकर ओम ने देखा की उसकी माँ खडी थी। उस ने अपनी माँ की हालत देखी काफी खराब थी। तभी उसने अपनी माँ को अनाथाश्रम में ले गया।

ओम  = कोई है,

सूरज काका (सफाई कामदार) = हा साहब घर में से  किसको बुलाउ, किसका काम है ,अरे हा आप तो ओम हो जिससे मोहिनी प्यार करती थी। पर आपका जवाब नहीं आपने प्यार किया पर जरूरत थी तब छोड़ दिया,

ओम  = आप क्या बोल रहे है।

काका = अब आपको पता भी नहीं है की  मोहिनी अब इस दुनिया में नहीं है।

ओम = सही में नहीं पता, काफी दिन पहले मोहिनी ने एक खत लिखा की अब वो इस रिश्ते को आगे निभाना नहीं चाहती इस लिए मुझे माफ करना,

माँ = हा बेटा

ओम = आप थीक है, पर हुआ क्या ओर आप बहार क्या कर रही थी। और ये काका क्या बोल रहे है। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।

काका = ये तुम्हारी माँ है,

ओम = हा काका

काका  = काफी देर पहले ये मोहिनी के बारे मे जानना चाहती    थी  तो तुम्हारा नाम बताया तो मेने सब कहा।

ओम = पर क्या  मोहिनी कहा है ओर उसे क्या हुआ है।

माँ = बैटा मोहिनी अब इस दुनिया में नहीं है, उसे कैसर हुआ था। और इसी लिए उसने तुझे खत लिखा था और तुजको दुर कर दिया, और तुम्हें खत लिखा था । और सुन कर

ओम = पर ऐसा क्यु किया मोहिनी ने माँ

काका = बैटा मुझे माफ करना मुझे नहीं पता की मोहिनी ने ऐसा किया है। शायद ओम तुम्हारी जि़दगी बचाने में उसने ये सब छुपाया ।

ओम = पर क्यूँ काका!  मांँ बोलो! कुछ तो बताया  होता शायद उसे मेरे प्यार पर भरोसा नहीं था। उसे भरोसा नहीं था।

ये सुन कर ओम के पैरो के नीचे जमीन खिसक  गई। और कुछ बोल नहीं सका और एक ही बात बोलता रहा मेरे प्यार पर भरोसा नहीं था। मेरे प्यार पर भरोसा नहीं क्यूँ नहीं किया।

तेरी धड़कन ही ज़िंदगी का किस्सा है मेरा,
तू ज़िंदगी का एक अहम् हिस्सा है मेरा..
मेरी मोहब्बत तुझसे, सिर्फ़ लफ्जों की नहीं है,
तेरी रूह से रूह तक का रिश्ता है मेरा..!!
और तुही बेवफा निकला  ।
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤














                           

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