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बातों बातों में

बातों बातों में

करण और किरण की पहली मुलाकात कालेज आते जाते मेट्रो में ही हुई थी I उन्होंने प्लस टू पास करके कालेज की सीढ़ियों पर अभी अभी कदम रखे थे I उनको यह भी नहीं पता था कि ज़िंदगी क्या होती है I एक दूसरे की ताल मेल बन गयी थीI कुछ ही दिनों में ,दोनों एक तुझे केलिए हो गयेII आसपास परिसर भूलकर, किरण प्यार से मेट्रो में करण को थप्पड़ मारती थीI चाहे दुनियावाले कुछ भी सोचे, उनको कोई परवाह नहीं थाI

दोनों को,प्यार की चक्कर में पढ़ाई में मन नहीं लगीI दोनों पार्क बीच करके घूमते रह गएI दोनों की नज़दीक की सीमा पार हो गयीI मामला गड़बड़ हो गयीI

जब किरण ने यह बात करण को बतायी, वह भी चौक पड़ाI

किरण ने जब अपनी माँ को भी यह बात बता दी, उन्होंने उसको खूब डाँटाI

उन्होंने अपनी बेटी को साथ लेकर करण के घर पहुंचे I करण की माँ-बाप को तो कुछ भी नहीं पता थाI

करण की माँ ने तो किरण की माँ पर सीधा निशाना साधाI हड़कत तो तुम्हारी लड़की ने की होगीI

जहाँ तक हम जानते है, हमारा बेटा तो सीध साधा हैI हम तो अच्छे खानदान से हैI हम को मत बिगड़नाI

निकल जाइये यहां सेI उस वक्त उनको वहां से निकलने के अलावा ओर कोई रास्ता नज़र नहीं आयी I उन्होंने कहा, फिलहाल तो निकल रही हूँ ,mमगर हर हालत में इस मामला को ऐसे ही नहीं छोडूंगी I

करण की माँ ने भी करण को खूब डांटा I उसको कालेज जाने से रोक लगा दी गयीI पढ़ाई छोड़ने की ज़बरदस्ती कीI उन्होंने कहा, अब तुम को भगोड़ा बनने की आलावा और कोई रास्ता नहीं हैI इतिहास में भी कई सारे बड़े लोग भगोड़े बने है I कुछ दिनों केलिए हम कहीं लापता हो जायेंगे I हालत के मताबिक और कोई हल नहीं हैI

किरण ने अपनी माँ से पेश की कि मैं ने तो जानबूझकर कोई गलती नहीं की हैI जो कुछ भी हुआ,बातों बातों में हो गया I बस,जो हो गया सो हो गयाI

अब इस बात को आगे बढ़ाने से किसी को कोई फायदा नहीं हैI अब तो किसी को भी यह मामला पता तक नहीं हैI अब इस बात को चुपचाप यहीं खतम करने में ही सब की भलाई हैI ज़रा सा एक गलती हो गयी है करके ज़िंदगी भर ऐसे ही मुंह बनाकर कामों काम ऐसे ही बैठ नहीं सकतीI ज़िंदगी में पढ़ लिखकर अपनी ही पैर में खड़ा होना बहुत ज़रूरी हैI ज़माना बदल गया हैI ज़माने के साथ चलना है तो,पढ़कर आगे बढ़ना भी ज़रूरी है I प्यार की चक्कर में अपनी पूरी ज़िंदगी को बर्बाद तो नहीं कर सकतीI स्वामी विवेकानंद ने भी यही कहा है ,ज़िंदगी में कुछ भी हो जाय , अपनी मंज़िल पर पहुँचने केलिए आगे बढ़ते रहना चाहिएI जो कुछ भी हुआ , एक बुरा सपना सोचकर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहीं हूँI एक ही बात पर अड़े रहने से कोई भी समस्या की हल नहीं हो सकतीI इतनी आसानी से इतनी बात किरण ने पेश तो की, फिर भी उसकी अंतरात्मा तो भटकती रह गयीI उसकी माँ तो उसकी बातों को बिलकुल आज़म नहीं कर पाईI

समाप्तः

Author : C.P.Hariharan

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