गर्मियों के दिन थे और हर साल की तुलना में इस साल तापमान थोड़ा ज्यादा ही था.मानसून के आने का समय हो चुका था मगर बादलों का कही नामो निशान न था .चिलचिलाती धूप ने इंसान ही नहीं बल्कि पेड़ पौधों को भी परेशान कर रखा था .मौसम के इस बेरहम मिजाज से बेपरवाह नेता जी अपने सरकारी आवास के वातानुकूलित कमरे में बैठे चिंताग्रस्त नजर आ रहे थे .दरअसल चुनावो की घोषणा हो चुकी थी और सत्ता कायम रखने के लिए जनता का वोट रूपी आशीर्वाद जरुरी था .उसी जनता का जिन्हे सब्ज़बाग दिखाकर उन्होंने चुनाव जीता था और फिर सत्ता के नशे में ऐसे चूर हुए की यह भी भूल गए कि पांच साल बाद फिर उन्ही लोगो के पास जाना पड़ेगा .अब चिंता इस बात की है कि आखिर कौन सा मुँह लेकर जायेंगे वोट मांगने .चुनाव के समय किये वादे पूरे करना तो दूर की बात थी इन पांच सालो में तो अपने क्षेत्र में गए तक नहीं हैं .ऊपर से भ्रष्टाचार के आरोपों ने छवि भी ख़राब कर दी थी .असल में गलती उनकी नहीं थी ..अब बेचारे पहली बार विधायक बने तो जहा भी मौका लगा उन्होंने लक्ष्मी को आने दिया.छवि तो बनती बिगड़ती रहती है लेकिन लक्ष्मी को आने से रोकना अक्षम्य अपराध है .अनुभव की कमी थी इसलिए थोड़े बदनाम भी हो गए. कहा रुक रुक कर चलने वाली पुरानी खटारा गाड़ी जो उन्होंने सेकंड हैंड उधार लेकर खरीदी थी और अब चार इम्पोर्टेड गाड़ियों के मालिक हैं .खपरैल का एक छोटा मकान था जिसकी जगह एक बड़े बंगले ने ले ली है.बेटी को मुंबई के एक बड़े कॉलेज में पढ़ने भेज दिया और बेटे को ठेकेदार बना दिया है.उनके क्षेत्र का छोटा बड़ा सारा टेंडर उनके बेटे को ही मिलता है. आज भी वो दिन नहीं भूले नेता जी जब एक बच्चे के साथ आपत्तिजनक अवस्था में आमगाछी में पकडे गए थे और गांव वाले मारने दौड़े थे. बड़ी मुश्किल से जान बचाकर भागे थे.अब तो जो भी चाहिए बंगले पर आ जाता है.पांच साल का स्वर्णिम काल कैसे बीत गया पता ही न चला. अब पारर्टी को तो उन्होंने टिकट के लिए मना लिया है लेकिन जनता को वोट के लिए कैसे मनाये . नेता जीी की चिंता या चिंतन कह लीजिये में चमचे के आने से विघ्न पड़ा .चमचे ने अंदर आते ही नेता जी की मनोदशा का मन ही मन अंदाजा लगाते हुए कहा “ बाहर तो धूप ही धुप है लेकिन आपके मुखमंडल पर इन चिन्तारूपी बादलों का क्या काम ?”
नेता जी ने चमचे की ओर तीव्र दृष्टि डाली और डाँटते हुए बोले “ भांग पी के आया है क्या बेवकूफ ..जानते नहीं की चुनाव के दिन आनेवाले हैं .टिकट तो हम बचा लिए लेकिन वोट नहीं मिलेगा तो सीट नहीं बचेगी “.
“ ऐसा क्यों सोचते हैं नेता जी आप ? आपको वोट भी मिलेगा और आप ही चुनाव जीतेंगे .” चमचे का आत्मविश्वास से भरा बयान सुनकर नेता जी भड़क गए .
“ अरे पिछली बार तो मैंने गांव वालो से वादा किया था कि बिजली लाऊंगा सड़के बनबाउंगा रोज़गार दिलवाऊंगा गरीबी मिटाऊंगा और पता नहीं क्या क्या कहा था .अब इन पांच सालो में मैं इतना व्यस्त था की भूल ही गया था की वोट के लिए फिर जनता के बीच जाना पड़ेगा “.
चमचा अर्थपूर्ण ढंग से मुस्कराया ,” नेता जी आप बेवजह परेशान हो रहे हैं .अरे चुनावी भाषण था वो सब . शब्दों का मायाजाल जिसमे वोट फंसते हैं.आप कहा अपना पुराना भाषण लेकर बैठे हुए हैं.आनेवाला चुनाव नया है तो भाषण भी नया hहोना चाहिए न .सारा इंतजाम हो गया है .आप तो बस क्षेत्र में चलने का तैयारी कीजिये .पूजा का आयोजन किये है और सब आनेवालों को प्रसाद के साथ दक्षिणा भी दिया जायेगा .आपका नया चुनावी भाषण भी तैयार है .बस आप चिंता छोड़िये और चेहरे पर सेवा भाव लाईये. देखिएगा हवा का रुख बदल जायेगा. “ नेता जी क्षेत्र में चुनाव प्रचार को आये .गर्मी को सहना मुश्किल हो रहा था लेकिन मामला वोट का था . इस शुभ कार्य की शुरुआत उन्होंने अपने गांव से की थी .सामने देखा , काफी भीड़ थी और चूँकि ये उनका गांव था तो कई जाने पहचाने चेहरे भी नज़र आ रहे थे .चमचो की औपचारिकता के बाद उन्होंने अपना एकदम नया चुनावी सम्बोधन शुरू किया .
“ मेरे प्यारे गांव वासियो , मेरे अपने लोगो मैं जानता हूँ कि आपलोग मुझ से नाराज़ हैं.आपकी नाराजगी जायज है क्यों की मैं आपका अपना हूँ और आपका मुझपर हक़ बनता है .लेकिन यकीन मानिये मैं जहा भी रहा सिर्फ आपलोगो के बारे में ही सोचता रहा आपके कल्याण के लिए कार्य करता रहा.मेरे विरोधी मुझ पर आरोप लगाते हैं कि मैंने विकास का कार्य नहीं किया .यह सरासर गलत है. इस गांव में बिजली नहीं थी और मेरे ही अथक प्रयासों से गांव में बिजली के तार लगे हैं और मैं आपसे वादा करता हूँ की सभी के घरो में कम से कम 18 घंटे बिजली दी जाएगी .मुझ पर आरोप लगे कि मैंने अपना भला किया है सिर्फ मेरा विकास हुआ है .अब आपलोग मुझे बताये कि अगर आपको गांव की सफाई करनी है तो आप कहा से शुरू करेंगे ? अपने ही घर से न .तो मैंने कौन सा पाप कर दिया .अब मेरा लड़का भी तो आपके लड़के जैसा है ठेकेदारी के काम दिला देता हूँ तो चार पैसे कमा लेता है लेकिन मेरे विरोधी फिर भी राग अलापते फिर रहे हैं की मैंने बेरोज़गारी दूर करने के लिए कुछ भी नहीं किया .सड़के बनवाई.. हाँ ठीक है अभी तक मेरे घर के सामने तक पहुंची है.अब निर्माण कार्य कोई जादू की छड़ी से होता नहीं कि घुमाया और काम हो गया. भाई समय लगता है , कुछ सालो में पुरे गांव की सड़क एकदम पक्की हो जाएगी .अब मेरी बेटी क्या आपलोगो की बेटी नहीं है ? उसे मुंबई पढ़ने भेजा तो हंगामा हो गया .अरे आपलोगो को तो गर्व होना चाहिए की आपके गांव की, हमारे अपने गांव की एक बेटी इतने बड़े शहर में पढ़ती है और कल जब वह देश विदेश में नाम कमाएगी तो किसका मान बढ़ेगा आपहिलोगो का न.आज मैं बड़ी बड़ी गाडियो में घूमता हूँ हवाई जहाज में सफर करता हूँ लोग कहते हैं फलाने गांव से है तब किसका मान बढ़ता है आपही लोगो का न .विकास पर किसी का नाम थोड़े ही लिखा हुआ है , विकास तो विकास होता है .मैं आपका भाई आपके बीच का हूँ मेरा विकास क्या आपका विकास नहीं है .ये विरोधियो की साजिश है मुझे बदनाम करके सत्ता हथियाने की लेकिन हम और आप उन्हें कामयाब नहीं होने देंगे .वो भाई को भाई से अलग करना चाहते हैं .मेरे विकास को आपके विकास से अलग करना चाहते हैं .अरे जब भाई भाई एक है तो विकास कैसे अलग हो गया .इसलिए तो मैं कहता हूँ की विकास तो हुआ है .बोलते बोलते नेताजी इतने उत्तेजित हो गए की उनकी आँखे भर आयी . गर्मी झेलने की विवशता थी या वोट के लिए किये जा रहे इस प्रपंच का दबाब उनकी आँखों से दो बून्द आंसू रूपी मोती गिर गए .चमचे का अनुमान सही था क्योंकि भीड़ में एक वाक्य सबके जवान पर था “ विकास तो हुआ है “ .चुनाव का परिणाम तो अभी दूर था लेकिन नेता जी के इस चुनावी भाषण ने फिलहाल हवा का मिज़ाज़ बदल दिया था.
समाप्त .