गर्मियों के दिनों में, जब तापमान बहुत बढ़ गया था और मानसून का इंतजार था, नेता जी अपने सरकारी आवास के वातानुकूलित कमरे में चिंतित बैठे थे। चुनाव की घोषणा हो चुकी थी और उन्हें जनता के वोट की जरूरत थी, उन लोगों के पास जिन्हें उन्होंने पहले चुनाव में वादे करके जीत हासिल की थी। पिछले पांच सालों में उन्होंने अपने वादों को भूलकर सत्ता के नशे में डूबे रहे और अब वोट मांगने का सवाल था। नेता जी की छवि भ्रष्टाचार के आरोपों से प्रभावित हुई थी, और उन्होंने अपने क्षेत्र में भी नहीं गए थे। उन्होंने पहली बार विधायक बनने के बाद अपनी जीवन शैली में बदलाव किया, लेकिन अनुभव की कमी के कारण वह थोड़े बदनाम भी हो गए। अब, जब चुनाव नज़दीक थे, नेता जी चिंतित थे कि वह जनता के पास कैसे जाएंगे। तभी चमचा नाम का एक व्यक्ति उनके पास आया और उनकी चिंता को भांपते हुए बोला कि वह चुनाव जीतेंगे। नेता जी का गुस्सा भड़क गया, क्योंकि उन्हें याद था कि उन्होंने पिछले चुनाव में गांव वालों से कई वादे किए थे। चमचा ने उन्हें बताया कि ये सब चुनावी भाषण होते हैं और वोट पाने के लिए शब्दों का खेल है। इस प्रकार, नेता जी को अपनी चिंताओं से बाहर निकलने की सलाह दी गई, लेकिन उनकी चिंता अब भी बनी हुई थी। विकास तो हुआ है Sadhna Kumar द्वारा हिंदी हास्य कथाएं 1.2k 1.7k Downloads 7.8k Views Writen by Sadhna Kumar Category हास्य कथाएं पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण गर्मियों के दिन थे और हर साल की तुलना में इस साल तापमान थोड़ा ज्यादा ही था.मानसून के आने का समय हो चुका था मगर बादलों का कही नामो निशान न था .चिलचिलाती धूप ने इंसान ही नहीं बल्कि पेड़ पौधों को भी परेशान कर रखा था .मौसम के इस बेरहम मिजाज से बेपरवाह नेता जी अपने सरकारी आवास के वातानुकूलित कमरे में बैठे चिंताग्रस्त नजर आ रहे थे .दरअसल चुनावो की घोषणा हो चुकी थी और सत्ता कायम रखने के लिए जनता का वोट रूपी आशीर्वाद जरुरी था .उसी जनता का जिन्हे सब्ज़बाग दिखाकर उन्होंने चुनाव जीता था More Likes This मजनू की मोहब्बत पार्ट-1 द्वारा Deepak Bundela Arymoulik मजनू की मोहब्बत द्वारा Deepak Bundela Arymoulik सैयारा का तैयारा द्वारा dilip kumar झग्गू पत्रकार (व्यंग सीरीज) द्वारा Deepak Bundela Arymoulik देसी WWE - गांव के पहलवान बनाम विलायती दंगल ! - 1 द्वारा sachim yadav कॉमेडी का तड़का - 1 द्वारा Kaju Check-In हुआ, Check-Out नहीं! - अध्याय 3 द्वारा Sakshi अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी