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टाइम ट्रांसेंडेर -भाग - १

टाइम ट्रांसेंडेर - भाग - १

सन 2525 का समय हैं। भारतवर्ष का एक प्रदेश जो की आर्यव्रतः के नाम से जाना जाता हैं ,अपनी कई खासियतों के लिए प्रचलित हैं।यहाँ की जीवनप्रणाली एक उत्कृष्ट समाज निर्मित करने के लिए निश्चित की गई हैं।मानव जो की एक महामानव बन चूका हैं,उसने चारो युगों सतयुग,त्रेतायुग,द्वापरयुग का अगाधता से अभ्यास कर इस प्रणाली का निर्माण किया था।यहाँ के मानव आदर्श समाज की प्रतीति करवाते हैं।ये अपने ज्ञान,पुरुषार्थ,प्रेम,करुणा और अन्य जीवन जीने के उच्चतम मूल्यों से श्रेष्ठ माने जाते है।ये लोग सत्ता,संपति को नहीं अपितु सात्विकता और योग जीवन पद्धति को अपना आधार मानकर जीवन जीते हैं।

आर्यव्रतः में जन्म से व्यक्ति को सामान्य से असामान्य,श्रेष्ठ बनने के लिए प्रेरित किया जाता हें। अपने मूल्यवान जीवन के हर क्षण को सजागता से उचित उपयोग कर जीवन को सार्थक बनाना और जो सब प्रकृति ने प्रदान किया हैं,उसका पुरे सम्मान के साथ ऋण चुकाकर उऋण होना किसी भी आर्यन्स का लक्ष्य हैं।आर्यव्रतः एक आदर्श समाज बनने के निकट होने के बाद भी जड़त्व से दुरी पर था,क्योंकि उसमे परिवर्तित होते वातावरण,विचार,चुनौतियों को समजने और सुलजाने की क्षमता थी।

भारतवर्ष का एक और दूसरा प्रदेश जो टेक्नोक्रेट के नाम से जाना जाता हें,आर्यव्रतः से बिलकुल विपरीत हें।मशीनीकरण से युक्त भारत का यह प्रदेश मशीनो के कारण प्रचलित हैं।अध्यात्म से इनका कोई संबंध नहीं।ये मशीनों का साम्राज्य हैं जहा मशीने इंसान का अभिन्न अंग बन गई हैं। टेक्नोक्रेट में मशीने मानव को सिर्फ संघर्षविहीन जीने में हें नहीं अपितु उसमे अमरत्व प्राप्त करने की लालसा तक जगाती हें।

मानव का स्वाभाव जिज्ञासु हैं।अपने अस्तित्व के विषय में जानने की रूचि उसे हमेशा होती हैं।वह वर्तमान से अधिक भूत एवं भविष्य में रचता हैं।पृथ्वी की उत्पति,पृथ्वी पर जीवन की उत्पति के रहस्य को खोजने में मानव हमेशा प्रयत्नशील रहता हैं।सन 2525 में वर्षो के प्रयास के बाद दो यंत्र बनाये गए हैं ,जो मानव की जिज्ञासा का उत्तर दे सके, टाइम ट्रांसकोप और टाइम ट्रांसेंडेर ये वे यंत्र थे। इन दोनों यंत्र के निर्माण के लिए आर्यन्स और टेक्नेट अपनी पूरी शक्ति,बुद्धि,अनुभव,साधना और योग को लगाया था।टीम यूरेका में हैं अहर्निश बोस,अनिका रॉय, महिर्द महेता,अवयुक्ता शर्मा जिन्होंने इन दो बेहतरीन रचनाओ को आकर दिया था।

सबसे कम आयु वाली अवयुक्ता ऊर्जा से भरपूर और उत्साह से कार्य करती थी।अहर्निश बोस का अनुभव,स्वाध्याय और योगाभ्यास किसी भी समस्या को हल करने में हमेशा उपयुक्त रहा था।महिर्द महेता अपनी बुद्धिमता और त्वरित निर्यण और शांत स्वाभाव के कारण बहुत खूब योगदान दे पाया था।अनिका रॉय दीर्घ द्रष्टि,सकारात्मा और सूक्ष्म चीजो को परखने की शक्ति रखती थी।

२१ जनवरी २५२५,प्रातःकाल का समय हैं। टाइम ट्रांसकोप करीब ५०० पूर्व की सोच का आकर हैं। सर आइंस्टीन की सोच का यह टेलिस्कोप महायुगों का दर्शन कराने की क्षमता रखता हैं।पृथ्वी का जन्म,पृथ्वी पर जीवन का विकास कैसे हुआ और ऐसे कई प्रश्नों के उत्तर की तरफ ये मशीन ले जाने वाला था।आज इसका प्रथम प्रयोग होने वाला हैं और सभी सज्ज थे।टाइम ट्रांसकोप का प्रयोग शुरू हुआ और टीम यूरेका कलियुग से द्वापरयुग के समय को देखने में सफल हुई।सभी के मुख प्रसन्ता से प्रदीप्त हो उठे,सालो के अथाक परिश्रम के पश्चात मिली इस सफलता से वे भावविभोर थे।

एक मास हो गया था जबसे टीम यूरेका द्वापर युग की दुनिया से प्रत्यक्ष रूप से परिचित हुए थी।इस एक महीने में टीम यूरेका ने द्वापरयुग का विवरण एकत्रित किया ,जो शास्त्रो में मौजूद नहीं था।इस डेटा को सबने अपने दिमाग में संग्रहित किया।टाइम ट्रांसेंडेर सदी की श्रेष्ठतम रचना थी,जो मानव की असीम शक्ति की प्रतीति कराती थी।इस मशीन को इस प्रकार बनाया गया था की अभी तक संभव हुए सभी प्रकार के वातावण में वो ढल सकती थी।सभी आवश्यकता जो जीवन स्थापित और स्थायी रखने के लिए अनिवार्य हैं उसे प्रदान कर सकती थी।

२२ जनवरी २५२५,मध्याहन का समय हैं।टाइम ट्रांसेंडेर ठीक २ बजे अभियान के लिए निकलने वाला हैं।टीम यूरेका मशीन में अपने अपने स्थान पर पहुचकर टाइम ट्रांसेंडेर में टाइम ट्रांसकोप से मिले डेटा को एंटर करती हैं,और शुरू होता हैं एक रोमांचक अभियान एक अदभुत मशीन और चार समर्थ आविष्कारको के साथ।

अवयुक्ता जिसकी उम्र १५ साल हैं,उसने कम उम्र में ही कई सिद्धिया हासिल करली हैं।वो टेलीपैथी से न केवल किसीसे बात कर सकती पर किसी बात के विचार के पीछे के भाव को भी जान सकती थी।यह एक कठिनतम विद्या थी जो आर्यन्स अभ्याय से अर्जित करते थे।जैसे जैसे टाइम ट्रांसेंडेर कलियुग की शरुआत में पहुच रहा था,बाहरी वातावरण निरंतर बदल रहा था।अहर्निश अपनी योग साधना से इस बाहरी वातावरण से टाइम ट्रांसेंडेर के अंदर के वातावरण को संतुलित कर रहे थे।

महिर्द भाषाओ को अपने दिमाग में उपडेट कर रहे थे,ये वे सारी भाषाए थी जो महायुग में सबसे ज्यादा उपयोग की गई थी। अनिका और अवयुक्ता टाइम ट्रांसेंडेर की गति और दिशा का संचालन कर रहे थे।

क्रमशः

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