हैलो.. हैलो......
आपकी आवाज़ नहीं सुनाई देती..
फोन कट हो जाता है..
मे अनजान नंबर पे कॉल करता हू..
हैलो.. आप.. आपका कॉल था..?
नमस्ते.. मे वरुण गाव से..!!
हा.. बोलो...
एक बुरी खबर ?
क्या बताएगा भी की बस ऎसे कहता जाएगा....
वो तरुण...?
क्या हुआ तरुण .. सुना हे होस्पिटल हे 3 दिन से.. उसके फ्रेंड से बात हुई थी.. फोन बीच में ही कट हो जाता है....
_____.
फिरसे अनजाान नंबर पर कॉल करता हूं..जो तीव्र इंतज़ार करा रहा है..बुरी खबर के लिये...
अरे भाई बोलो ना..
भैया. तरुण.. तरुण नहीं रहा... वो रो पड़ता है...
मे अवाक् रह जाता हूँ.. हाथ से फोन कब गिर जाता है पता ही नहीं चलता....सन्न रह जाता हूँ..
सड़क पर चारों ओर उठती गाड़ी ओ कीआवाज भी नहीं सुनाई देती
ओर.. यादो मे खो जाता हू...
तरुण की वो छोटी 3 साल गुड्डी..
हर रोज मूझे एक नयेेे नाम से पुकारा करती.. हमचूककाका...
कितना प्यार था मुजेे उसकी मधूर आवाज पे
उसकी नादान निर्दोष मुस्कान मुजे हर गम को भुलाने मजबूर करती थी...
मैने 3 साल पहले गाव से शहर जाने का फैसला किया था..तब वो ही तो रास्ते मे मिली थी सुकून के... रूप में,
तरुण भी तो उसे बेजुबान प्यार करता था..,
बिल्कुल .. मेरे भाई के प्यार की तरह..
मेरा भाई गूजर जाने के बाद मे अकेला सा हो गया था
मेरे हालात भी काफी खराब हो गय थे.. सबका साथ मुझ से मानो छुट रहा था,
तब तरुण हमेशा मुझे.. एक भाई की भ्रांति मेरे दिल मेरे मन को खुश करने की नाकामयाब कोशिस जरूर करता रहता....
वक़्त बस कुछ दिन खराब चल रहा है,हसी से पसार कर लो.... खुशी..वाले पल सामने ही है..
ओर सुख या दुख कभी जिंदगी भर साथ नहीं देते..
मे भी उसकी बात हमेशा स्वीकार करता...
लेकिन वो मेरी एक बात नहीं सुनता..लाख कोशिश के बाद भी कभी भी नहीं..
वो स्मोकिंग करता था...
उसकी वजह से लिवर में प्रॉब्लम भी ज्यादा रहता था.......
वो अक्षर बीमार रहता था..लेकीन इस तरह वो आज अकेले चला जाएगा ऎसा..... ऎसा कभी मे सोच भी नहीं सकता.... था...मुजे विस्वास नहीं हो रहा था..
मेरे मन में एक एक द्श्य फ़िल्म की तरह चल रहे थे...वो गुड्डी..उसकी स्वीट आवाज़....अब वो किसके भरोसे.. किस की पनाह मे...ऎसे कई विचार मेरे मन में उठ रहे थे....
मे स्वस्थ हुआ..ओर गाव की ओर जल्द से जल्द पहुच सकूँ एसी कोशिस के साथ..निकल पड़ा...
गाव मे सन्नाटा छाया हुआ था..
सब के पास एक ही बात थी..तरुण..
मे उसके द्वार पहुचा...दिल पर पत्थर रखा..काफी भीड़ जमा हुई थी...मे भी उस भीड़ में शामिल हो गया...दिल मे लाख तूफान लिए....
मे आज कुछ सोच नही सकता था..मे किसको दोष दु.. किसे कहू जो होना ही हे उसे कोई टाल नहीं सकता......
सच कहूं तो मे रो भी नहीं सकता था..
मेरा दिल भर गया था...
तभी दूर से आवाज़ सुनाई दी... हमचूककाका...
ओर मे उस आवाज़ तरफ नजर करता उससे पहले गुड्डी मुजे लिपट गई..मे अपने आप को न संभाल पाया...
रो पड़ा.. एक छोटी गुड्डी की तरह....
ओर लिख दिया डायरी के उस कोरे पन्ने पर...
एक साथी ओर भी था......
हसमुख मेवाड़ा.. ?